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1. इटली तथा जर्मनी के एकीकरण में आस्ट्रिया की भूमिका क्या थी ?
उत्तर – ऑस्ट्रिया इटली और जर्मनी के एकीकरण का विरोधी था। इटली-वेनेशिया और लोम्बार्डी पर ऑस्ट्रिया का अधिकार था। सेडोवा के युद्ध (1866) में ऑस्ट्रिया की पराजय के बाद उसका प्रभाव इटली पर से समाप्त हो गया। जर्मनी जर्मनी ऑस्ट्रिया के अधीन शक्तिहीन संघ राज्य था। उत्तरी जर्मन महासंघ की स्थापना के बाद जर्मनी से ऑस्ट्रिया का प्रभाव समाप्त हो गया।
2. दांडी यात्रा का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर — गाँधीजी ने नमक कानून भंग कर सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने का निश्चय किया। इसके लिए 12 मार्च 1930 को वे अपने 78 सहयोगियों के साथ साबरमती आश्रम से दांडी यात्रा (नमक यात्रा) पर निकले। दांडी पहुँचकर 6 अप्रैल 1930 को उन्होंने समुद्र के पानी से नमक बनाकर नमक कानून भंग किया। इसी के साथ नमक सत्याग्रह ( सविनय अवज्ञा आंदोलन) आरंभ हुआ और शीघ्र ही यह पूरे देश में फैल गया।
3. "असहयोग आंदोलन प्रथम जन आंदोलने था।" टिप्पणी करें।
उत्तर-असहयोग आंदोलन गाँधीजी के नेतृत्व में चलाया जानेवाला प्रथम जनआंदोलन था। इसमें असहयोग और बहिष्कार की नीति प्रमुखता से अपनाई गई। इस आंदोलन का व्यापक जनाधार था। शहरी क्षेत्र में मध्यम वर्ग तथा ग्रामीण क्षेत्र में किसानों और आदिवासियों का इसे व्यापक समर्थन मिला। श्रमिक वर्ग की भी इसमें भागीदारी रही। इस प्रकार, यह पहला जनआंदोलन बन गया।
4. औद्योगीकरण ने मजदूरों की आजीविका को किस तरह प्रभावित किया ?
उत्तर औद्योगिकीकरण और कारखानेदारी प्रथा के विकास का मजदूरों की आजीविका पर बुरा प्रभाव पड़ा। शहरों में उन्हें काम ढूँढ़ने, आवास तथा छंटनी की समस्या से जूझना पड़ा। उन्हें कम पारिश्रमिक पर ही लंबे समय तक काम करना पड़ता था। बेकारी की समस्या से त्रस्त मजदूर मशीनीकरण का विरोध करने लगे। वे संगठित होकर अपनी स्थिति में सुधार के लिए आंदोलन करने लगे। को दर्शायें।
5. गाँव के कृषिजन्य आर्थिक क्रियाकलायों की विशेषता है
उत्तर - ग्रामीण आबादी का बहुत बड़ा भाग कृषिजन्य आर्थिक क्रियाकलापों से जुड़ा रहता है। खेती इनकी आजीविका का मुख्य साधन है। कृषि के साथ पशुपालन पर भी ध्यान दिया जाता है। साथ ही, गाँवों में अनेक लघु एवं कुटीर उद्योग तथा शिल्पकलाओं में भी लोग संलग्न रहते हैं जिससे स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति होती है।
6. इटली के एकीकरण में मेजिनी, कावूर और गैरीबाल्डी के योगदानों को बतायें।
उत्तर- इटली का एकीकरण मेजिनी, कावूर और गैरीबाल्डी के सतत प्रयासों परिणामस्वरूप हुआ। मेजिनी - मेजिनी तरुणावस्था से ही गुप्त राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेता था। वह कार्बोनारी का सदस्य बन गया। 1831 में उसने 'यंग इटली' और 1834 में 'यंग यूरोप' नामक गुप्त क्रांतिकारी संगठन स्थापित किए। मेटरनिक के पतन (1848) के बाद वह इटली के एकीकरण के प्रयास में लग गया, परंतु विफल होकर वह इटली से गया। कावूर- राजा विक्टर इमैनुएल के मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में उसने सार्डिनिया की आर्थिक और सैनिक स्थिति सुदृढ़ 1859 में फ्रांस की सहायता से ऑस्ट्रिया को पराजित कर कावूर ने लोम्बार्डी पर अधिकार कर लिया। मध्य इटली स्थित अनेक राज्यों को सार्डिनिया में मिला लिया गया। कावूर के प्रयासों से इटली के एकीकरण का महत्त्वपूर्ण चरण पूरा हुआ। गैरीवाल्डी-अपनी 'लाल कुर्ती' और स्थानीय किसानों की सहायता से उसने 1860 में सिसली पर अधिकार कर लिया। बाद में उसने नेपल्स पर भी अधिकार कर लिया। इन्हें सार्डिनिया में मिला लिया गया। इस प्रकार, इटली के एकीकरण का द्वितीय चरण पूरा हुआ।
7. नई आर्थिक नीति क्या है ? विवेचना करें।
उत्तर – 1921 में लेनिन ने आर्थिक सुधारों की एक नई नीति अपनाई। इसकी मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
(i) किसानों को अनाज के बदले एक निश्चित राशि कर के रूप में देनी थी।
(ii) किसानों को जमीन का स्वामित्व दिया गया यद्यपि सैद्धांतिक रूप से राज्य का अधिकार जमीन पर बना रहा।
(iii) वैसे उद्योग जिनमें कामगारों की संख्या बीस से अधिक नहीं थी उन्हें व्यक्तिगत स्वामित्व में चलाने का अधिकार दिया गया।
(iv) उद्योगों का विकेंद्रीकरण किया गया, उन्हें कार्यान्वयन और निर्णय-संबंधी अधिकार दिए गए।
(v) सशर्त विदेशी पूँजी निवेश की अनुमति दी गई।
(vi) राजकीय बीमा एजेंसियाँ स्थापित की गई।
(vii) बैंकिंग व्यवस्था का विस्तार किया गया।
(viii) ट्रेड यूनियन की अनिवार्य सदस्यता समाप्त कर दी गई ।
8. भारत में किस तरह जातिगत असमानताएँ जारी हैं? स्पष्ट करें
उत्तर – भारतीय संविधान में कहा गया है कि भारत लिंग, जन्मस्थान, जाति, धर्म इत्यादि के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा। इसी उद्देश्य से अस्पृश्यता का अंत कर दिया गया है। इतना होने पर भी भारत में आज भी कई जातिगत असमानताएँ विद्यमान है –
(i) जाति का आधार कर्म न होकर जन्म हो गया है।
(ii) जाति-पाँति का भेदभाव समाप्त नहीं हुआ है। अस्पृश्यता जैसे आचरण आज भी प्रचलित हैं।
(iii) राजनीतिक दलों द्वारा टिकट का बँटवारा भी जाति के आधार पर ही हो रहा है।
9. सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र में क्या महत्त्व रखती है?
उत्तर – सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। सत्ता में भागीदारी की आवश्यकता दो महत्त्वपूर्ण कारणों से है –
(i) देश की एकता और अखंडता के लिए जिससे व्यवस्था में स्थायित्व बना रहे और
(ii) अधिक-से-अधिक लोगों तथा समूहों को शासन व्यवस्था से जोड़ने के लिए जिससे लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हो सकें।
10. बिहार में हुए छात्र आंदोलन के प्रमुख कारण क्या थे ?
उत्तर - 1971 के लोकसभा चुनावों के उपरांत लोगों ने महसूस किया कि केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण देश की आर्थिक स्थिति और दयनीय हो गई है। 1971 में बांग्लादेश का निर्माण हुआ, परंतु बांग्लादेशी शरणार्थियों की समस्या ने इस स्थिति को और भी भयावह बना दिया। बेरोजगारी,
खाद्यान्न का अभाव, दैनिक जीवन की सभी वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि हो गई। अनाज की कीमतें आसमान छूने लगीं। ऊपर से सरकार की दमनकारी नीतियों ने अधिनायकवादी व्यवस्था का रूप ले लिया। जनता की बेचैनी दिनानुदिन बढ़ती चली गई। बिहार में इस अकुलाहट का प्रतिनिधित्व यहाँ के छात्रों ने किया।
11. भारतवर्ष में लोकतंत्र के भविष्य को आप किस रूप में देखते हैं?
उत्तर भारत में लोकतंत्र की जड़ें गहरी हो रही हैं। समानता, स्वतंत्रता एवं जनभागीदारी पर आधृत होने के कारण लोकतंत्र में जनता का विश्वास दृढ़ होता जा रहा है। स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन की प्रक्रिया से सत्ता परिवर्तन के कारण जनप्रतिनिधियों में उत्तरदायित्व की भावना बढ़ रही है। तथापि, अशिक्षा, बेरोजगारी एवं गरीबी उन्मूलन की चुनौती बनी हुई है। ले-देकर भारत में लोकतंत्र का भविष्य उज्ज्वल है।
12. आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती है। कैसे ?
उत्तर – आतंकवाद लोकतंत्र के समक्ष प्रमुख चुनौती है। आतंक से जनता परेशान हो जाती है। आतंक के वातावरण जनता का जीना कठिन हो जाता है। विकास की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती है। नागरिकों के बीच भाईचारे का वातावरण प्रभावित होता है तथा राष्ट्र की एकता और अखंडता खतरे में पड़ जाती है। वर्तमान में नक्सली एवं अलगाववादी गतिविधियाँ भारतीय प्रजातंत्र के लिए गंभीर चुनौती बनी हुई हैं। पूर्वोत्तर की आतंकवादी और कई प्रदेशों में नक्सली गतिविधियों अलगाववाद और हिंसा को बढ़ाती हैं। ये राष्ट्र की एकजुटता को प्रभावित करती हैं और लोकतंत्र को कमजोर बनाती हैं।
13. भावी समाज में लोकतंत्र की जिम्मेवादी और उद्देश्य पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर – भावी समाज में लोकतंत्र की बहुत बड़ी जिम्मेवारी एवं जवाबदेही है। इस प्रकार की शासन व्यवस्था में जनकल्याण की महती जिम्मेवारी निहित रहती है। लोकतंत्र का उद्देश्य जनता का सर्वांगीण विकास करना है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में सामाजिक न्याय को प्रमुखता दी दी जाती है, ताकि शासन एवं लोकतंत्र के प्रति जनता को सरकार पर भरोसा कायम हो । लोकतंत्र का मूल उद्देश्य आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक विषमताओं को दूर करना है। का उत्तर दें।
14. जीवन के विभिन्न पहलुओं का उल्लेख करें जिसमें भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव है या वे कमजोर स्थिति में है।
उत्तर – यह बात निर्विवाद सत्य है कि भारतीय नारी सदियों से भेदभाव एवं शोषण का शिकार रही है। श्रम का ऐसा लैंगिक विभाजन किया गया कि महिलाओं को घर की चहारदीवारी के अंदर ही कैद कर कपड़ों सारे घरेलू कार्यों को पूरा करने की जिम्मेवारी सौंप दी गई, यथा- खाना बनाना, बरतन साफ करना, की सफाई करना, बच्चों की देखभाल करना, घर की साफ-सफाई एवं उचित रख-रखाव करना इत्यादि । पहले यह माना जाता था कि महिलाएँ बाहर के कार्य करने के योग्य नहीं हैं। समाज में यह देखा जाता है कि घर में लड़के के जन्म पर काफी खुशियाँ मनाई जाती हैं। मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं, ढोल-नगाड़े भी बजते हैं। परंतु, दूसरी ओर कन्या के जन्म पर सारे घर में मातम एवं गम का माहौल छा जाता है। और तो और, अब तो यह भी कुकृत्य हो रहा है कि स्त्रीभ्रूण हत्या के मामले बढ़ रहे हैं। जिसका परिणाम यह है कि स्त्रियों की संख्या तेजी से दिनानुदिन घटती जा रही है।
पढ़ाई-लिखाई के मामले में भी भारतीय समाज काफी भेदभाव करता रहा है। एक ओर लड़के की पढ़ाई पर तो काफी ध्यान दिया जाता है, परंतु लड़कियों को तो स्कूल भेजकर किसी प्रकार खानापूर्ति की जाती है या मात्र उन्हें शिक्षित या साक्षर कर छोड़ दिया जाता है। यही कारण है कि लड़कियों की उच्च शिक्षा-दर काफी कम है। समाज की यह मान्यता है कि शादी के बाद बेटी तो ससुराल चली जाएगी, तो उसे पढ़ाने से भला क्या फायदा। बेटी को भारतीय समाज में 'पराया धन' समझा जाता है। हरियाणा, पंजाब जैसे कुछ राज्यों में तो बेटी पैदा होते ही उसे मार दिया जाता था। साथ ही, पर्दा - प्रथा, सतीप्रथा, दहेज प्रथा-जैसी अनेक कुरीतियों के कारण भी भारतीय समाज में नारियों के साथ बहुत बड़ा अहित हुआ है। एक ओर भारत में पुरुष साक्षरता दर 80.9 प्रतिशत है तो महिलाओं की मात्र 64.6 प्रतिशत ही। खैर चिंता की कोई बात नहीं, अब स्थितियाँ तेजी से बदल रही है। भारत सरकार का ध्यान इस ओर गया है। सरकार द्वारा अनेक संवैधानिक प्रावधानों को लागू कर महिलाओं के उत्थान एवं सशक्तीकरण हेतु अनेक महत्त्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। आज 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' सरकार के प्रमुख कार्यों में से एक है।
15. भारतवर्ष में लोकतंत्र कैसे सफल हो सकता है?
उत्तर भारत में लोकतंत्र की सफलता के लिए निम्नांकित शर्ते आवश्यक हैं।
(i) जनता की जागरूकता- 'सजगता प्रजातंत्र का आधार है। जनता की जागरूकता, सतर्कता तथा अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति अभिज्ञता इसकी सफलता की शर्ते हैं। - -
(ii) सामंजस्यपूर्ण सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवेश - भारत में हर क्षेत्र में विषमता वर्तमान है। सामंजस्यपूर्ण समाज और सहमति आधारित लोकतंत्र की स्थापना के लिए इन्हें दूर करना होगा। -
(iii) अशिक्षा की समाप्ति और नागरिक गुणों का विकास- अशिक्षा की समाप्ति के बिना न तो प्रजातंत्र की कीमत समझी जा सकती है, न ही मताधिकार का सही प्रयोग संभव हो सकता है। शिक्षा के व्यापक प्रसार के द्वारा नागरिक गुणों का विकास किया जा सकता है। जैसे सिद्धांतों की
(iv) लोकतांत्रिक गुणों का विकास--समानता, स्वतंत्रता और भ्रातृत्व स्थापना करके लोकतंत्र के विकास के मार्ग की बाधाओं को दूर करना होगा। कर
(v) नैतिक मूल्यों की स्थापना - जीवन के हर क्षेत्र में नैतिक मूल्यों को प्रतिष्ठित अन्य बुराइयों से मुक्त करना होगा।
(vi) अन्य शर्ते – निष्पक्ष प्रेस, सामाजिक आर्थिक समानता, बेरोजगारी पर नियंत्रण तथा पंचायती/ नगरीय राज व्यवस्था को और मजबूत बनाकर हम लोकतंत्र को सफल बना सकते हैं।
17. आय गरीबी के साथ संबंध स्थापित करें।
उत्तर - किसी देश के संपूर्ण आर्थिक व्यवहार को अर्थव्यवस्था कहते हैं। यह उस देश की आर्थिक क्रियाओं का वह समग्र है, जिनके माध्यम से संसाधनों का उपयोग कर मानवीय आवश्यकताओं की वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन किया जाता है। अर्थव्यवस्था उत्पादन कार्य में लगे लोगों को जीविकोपार्जन के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करती है
18. ATM क्या है ?
उत्तर- - ए.टी.एम. कार्ड ग्राहकों को बैंक द्वारा निर्गत एक ऐसा प्लास्टिक कार्ड है जिसका उपयोग कर ग्राहक स्वचालित टेलर मशीन (Automated Teller Machine) से कभी भी रुपये की निकासी कर सकते हैं। इसका उपयोग Swipe Machine द्वारा भुगतान के लिए भी हो सकता है।
19. सहकारिता के महत्त्वपूर्ण तत्त्व क्या हैं? राज्य के विकास में इसकी भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर- सहकारिता लोगों के आपसी सहयोग द्वारा समान आर्थिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए बनाया गया ऐच्छिक संगठन है। सहकारिता संगठन सदस्यों द्वारा आपसी सहयोग के माध्यम से सभी के आर्थिक उन्नति की भावना पर कार्य करती है। सहकारिता के मूल तत्त्व इस प्रकार हैं--
(i) यह एक ऐच्छिक संगठन है।
(ii) इसमें सभी सदस्यों को समान अधिकार प्राप्त होते हैं। (iii) इसकी स्थापना सामान्य आर्थिक हितों की प्राप्ति के लिए होती है।
(iv) इसका प्रबंध प्रजातांत्रिक सिद्धांतों के आधार पर होता है। बिहार एक ग्रामप्रधान राज्य है। यहाँ की 88.7 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है। इनमें अधिकांश कृषि एवं इससे संबद्ध क्रियाकलापों द्वारा जीविकोपार्जन करते हैं। बिहार ग्रामीण परिवारों में बहुत छोटे अथवा सीमांत किसानों तथा भूमिहीन श्रमिकों की संख्या सर्वाधिक है। इस प्रकार के सीमित साधनों वाले व्यक्ति सहकारी संस्थाओं के माध्यम से ही अपने आर्थिक हितों में वृद्धि कर सकते हैं। हमारे राज्य के
विकास में सहकारिता की भूमिका कई प्रकार से महत्त्वपूर्ण हो सकती है। वर्तमान में सहकारी संस्थाएँ कृषि ऋण की आवश्यकताओं का एक बहुत छोटा भाग पूरा करती है। परिणामतः, महाजनों आदि पर छोटे किसानों की निर्भरता बहुत अधिक है। सहकारिता के विस्तार से ग्रामीण क्षेत्रों में महाजनों और साहूकारों का प्रभुत्व कम होगा तथा ब्याज की दरों में गिरावट आएगी। सहकारी संस्थाएँ कृषि उपज के विक्रय, भूमि की चकबंदी तथा उन्नत खेती की व्यवस्था करने में भी सहायक हो सकती है।
20. विश्व के लिए भारत सेवा प्रदाता के रूप में किस तरह जाना जाता है? उदाहरण सहित लिखें।
उत्तर – हमारे देश के निवासी बहुत पहले से उत्तरी अमेरिका, ब्रिटेन आदि विकसित देशों में जाकर अपनी सेवाएँ प्रदान करते रहे हैं। अपने देश में अवसरों की कमी कमी तथा इन देशों का उच्च जीवन स्तर भी भारतवासियों को विकसित देशों में जाने के लिए प्रेरित करता है। विकासशील देशों की तुलना में विकसित देशों की जन्म-दर अपेक्षाकृत बहुत कम है। इसके फलस्वरूप इन देशों में युवा श्रमशक्ति का अभाव है। स्वभावतः, वे भारत जैसे विकासशील देशों के श्रम का प्रयोग करने के लिए बाध्य होते हैं। कुछ समय पूर्व तक विश्व के सेवाप्रदाता के रूप में भारत की भूमिका सीमित थी। परंतु, विगत वर्षों के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का बहुत तेजी से विकास हुआ है। अंतर्गत आज दूरसंचार सुविधाओं द्वारा पूर्व की अपेक्षा विभिन्न देश के निवासियों से संपर्क स्थापित करना तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान अधिक सुगम हो गया है। अतः, अब हम अपने देश में रहकर भी विश्व के अन्य देशों को अपनी सेवाएं प्रदान कर सकते हैं। इससे सेवा क्षेत्र का विस्तार हुआ है तथा भारत से अन्य वस्तुओं के समान ही इस क्षेत्र के उत्पादन का भी निर्यात होने लगा है। हमारे देश में शिक्षित प्रशिक्षित, निपुण एवं अँगरेजी जाननेवाले विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञों की बहुलता है। इसके फलस्वरूप यहाँ कई प्रकार की सेवाएँ अपेक्षाकृत बहुत कम कीमत पर उपलब्ध हैं। इसका लाभ उठाने के लिए विकसित देशों की अनेक कंपनियों अब अपनी सेवाओं का भारत से 'आउटसोर्सिंग' करने लगी। जब कोई कंपनी अपने उत्पादन से संबंधित सेवाएँ अन्य स्रोतों से प्राप्त करती तब इसे 'आउटसोर्सिंग' की संज्ञा दी जाती है। विगत कुछ वर्षों से भारत अमेरिका तथा कई अन्य विकसित देशों के लिए 'आउटसोर्सिंग का एक प्रधान केंद्र बन गया है तथा यहाँ से लेखाकरण, आँकड़ा प्रविष्टि, इंजीनियरिंग, चिकित्सकीय, कानूनी एवं प्रबंधकीय परामर्श जैसी अनेक सेवाओं का निर्यात किया जाता है। इसी प्रकार, श्रम लागत कम होने के कारण विभिन्न देशों के बहुराष्ट्रीय निगमों ने अपने उपभोक्ताओं को ग्राहक सेवा उपलब्ध कराने के लिए अपने सूचना केंद्रों की स्थापना भारत में की है।
21. फसल चक्रण, मृदा संरक्षण में किस प्रकार सहायक है?
उत्तर – एक ही खेत में विभिन्न फसल ऋतुओं में भिन्न-भिन्न फसलों की बुआई करना फसल-चक्रण कहलाता है। एक फसल ऋतु में बोई गई फसलों द्वारा मृदा से जिस प्रकार का पोषक तत्त्व अधिक मात्रा में ग्रहण किया जाता है, दूसरी फसल ऋतु में उसी भूमि ऐसी फसल बोई जाती है जो कि पहली फसल द्वारा ग्रहण किए गए पोषक तत्त्वों की आपूर्ति कर दे। उदाहरणस्वरूप, यदि खरीफ फसल ऋतु में किसी भूमि पर धान की बुआई की जाती है जो अधिक नेत्रजन अवशोषित करता है तो रबी फसल ऋतु में मसूर, मूंग एवं अन्य दलहनी फसलें लगाई जाती है जो वायुमंडल से नाइट्रोजन को ग्रहणकर मृदा में इसकी आपूर्ति कर देती हैं। इस तरह, फसल चक्रण मृदा संरक्षण में सहायक है।
22. भारत की नदियों के प्रदुषण के कारणों का वर्णन कीजिए। उत्तर – नदियों के जल प्रदूषित होने के दो मुख्य कारण निम्नलिखित हैं।
(i) औद्योगिक अपशिष्टों का नदियों में गिराया जाना।
(ii) शहरी मलजल एवं कचरे का नदियों में गिराया जाना।
23. वन्य जीवों के ह्रास के चर प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर – वन्य जीवों ह्रास के चार प्रमुख कारक हैं।
(i) वन क्षेत्र का कृषि भूमि में बदलने हेतु वन का काटा जाना अथवा शहरीकरण हेतु वन का काटा जाना।
(ii) पशुचारण तथा ईधन के लिए लकड़ियों का भारी मात्रा में काटा जाना
(iii) दावानल में वृद्धि से वन्य जीवों का कम होना।
(iv) प्रदूषण के वृद्धि से, अम्ल वर्षा से तथा पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से वन्य जीव ह्रास के शिकार हो रहे हैं।
24. खनिजों के संरक्षण एवं प्रबंधन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – खनिज अनवीकरणीय संसाधन हैं। अतः, इनका संरक्षण आवश्यक है। निम्नांकित उपायों द्वारा खभिजों का संरक्षण और प्रबंधन किया जा सकता है।
(i) खनिजों का विवेकपूर्ण उपयोग।
(ii) कच्चे माल के रूप में खनिजों के स्थान पर उनके सस्ते प्रतिस्थापनों का उपयोग।
(iii) स्क्रेप का पुनः उपयोग।
(iv) खनिज निक्षेप का पूर्ण संदोहन ।
25. सौर ऊर्जा का उत्पादन कैसे होता है ?
उत्तर- सौर ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए सोलर प्लेट का निर्माण किया जाता है। इस प्लेट में सीजियम धातु के पतले-पतले तार लगाए जाते हैं। जब इन तारों पर सूर्य प्रकाश पड़ता है तो फोटोवोल्टाइक प्रौद्योगिकी द्वारा धूप को सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जाता है। इसे विद्युत सौर प्लेट में लगे तार द्वारा उपयोग की जानेवाली वस्तु से जोड़ दिया जाता है। इस प्रकार, बिना अधिक खर्च के ऊर्जा - की प्राप्ति होती है।
26. उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- 1991 में भारत सरकार द्वारा उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण की नीति अपनाई गई । उदारीकरण का अर्थ अर्थव्यवस्था के नियंत्रणवाले प्रावधानों का शिथिलीकरण करना है। इसे अनियंत्रण की नीति भी कहा जाता है। निजीकरण का तात्पर्य अर्थव्यवस्था में सरकारी हस्तक्षेप एवं नियंत्रण की जगह निजी क्षेत्र को महत्त्व प्रदान करना है जबकि वैश्वीकरण का अर्थ देश की अर्थव्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना है।
वैश्वीकरण की नीति अपनाए जाने के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था में विदेशी पूँजी का प्रवाह बढ़ा है। इससे प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि होने लगी है। नए और विदेशी उद्योगों के आने से लोगों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की वस्तुएँ प्राप्त होने लगी हैं। कई सेवाओं में वृद्धि हुई है। संचार एवं परिवहन सेवाओं में इससे क्रांतिकारी परिवर्तन आया है, परंतु देश के लघु एवं कुटीर उद्योगों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। फिर भी, औसत रूप में यह कहा जा सकता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की गति वैश्वीकरण के कारण तीव्र हुई है।
27. भारतीय अर्थव्यवस्था में परिवहन एवं संचार की महत्ता का वर्णन कीजिए।
उत्तर – भारत विशाल क्षेत्रफल एवं जनसंख्या वाला देश है। यहाँ संसाधनों के वितरण में काफी असमानताएँ हैं। किसी क्षेत्र में एक संसाधन की प्रचुरता है तो दूसरी जगह उस संसाधन की कमी है। राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय विकास के लिए प्रायः सभी संसाधनों की जरूरत होती है। देश में आज विभिन्न प्रकार के क्रियाकलाप किए जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में उद्योगों को कच्चे माल की आपूर्ति एवं तैयार माल को बाजार तक पहुँचाने का कार्य परिवहन एवं संचार साधनों की सहायता से किया जा रहा है। वस्तुएँ एवं सेवाएँ इन साधनों की सहायता से गाँव से अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुँच रही हैं, जिससे क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था मजबूत होती जा रही है। अर्थव्यवस्था के विकास में सहायक ये साधन सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को भी एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में तथा इनके संसंजन सहायक हो रहे हैं। निष्कर्षतः, वर्तमान भारतीय अर्थव्यवस्था एवं इसका भविष्य पूरी तरह से परिवहन एवं संचार के साधनों पर निर्भर है। राष्ट्र के लिए उपयोगी परिवहन एवं संचार सेवाएँ निश्चय ही देश की अर्थव्यवस्था की जीवन-रेखाएँ हैं।
28. आपदाएँ कितने प्रकार की होती हैं?
उत्तर --आपदाएँ दो प्रकार की होती हैं।
(i) प्राकृतिक आपदाएँ — जैसे – भूकंप, सुनामी, चक्रवात, भू-स्खलन इत्यादि ।
(ii) मानवजनित आपदाएँ — जैसे- सांप्रदायिक दंगे, आतंकवाद, नक्सलवाद इत्यादि।
29. बाढ़ नियंत्रण के लिए उपाय बताएँ।
उत्तर बाढ़ नियंत्रण के उपाय निम्नलिखित हैं।
(i) नदियों के किनारे मजबूत तटबंध बनाना चाहिए ।
(ii) बाँध बनाकर नदी के पानी के बहाव को नियंत्रित करना चाहिए।
(iii) वृक्षारोपण करना चाहिए ताकि मिट्टी पानी के साथ बहकर नदी में न जा सके।
(iv) मकान ऊँचे स्थानों पर बनाना चाहिए।
(v) बाढ़ प्रभावित हरेक ग्राम पंचायत में बहुमंजिला भवन बनाना चाहिए जहाँ बाढ़ राहत सामग्री रखी जा सके तथा लोग शरण ले सकें।
(vi) बाढ़ प्रभावित हरेक ग्राम पंचायत में बहुमंजिला भवन बनाना चाहिए जहाँ बाढ़ राहत सामग्री रखी जा सके तथा लोग शरण ले सकें।
30. भूकंप और सुनामी के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर –भूकंप एवं सुनामी दोनों प्राकृतिक आपदाएँ हैं। जब पृथ्वी की आंतरिक गतिविधियों के कारण धरातल पर अचानक कंपन उत्पन्न होता है तब इसे भूकंप कहा जाता है। जब इस प्रकार का कंपन सागर या महासागर के तल पर होता है तब इसे सुनामी कहा जाता है।
31. आकस्मिक प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर आकस्मिक आपदा का सामना करने के लिए सरकारी एवं गैर-सरकारी स्तर पर अनेक प्रयास किए जाते हैं। परंतु, आकस्मिक आपदा प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन की भूमिका अधिक महत्त्वपूर्ण होती है। आकस्मिक आपदा की स्थिति में राहत शिविरों का निर्माण, बचाव कार्य हेतु आवश्यक उपकरण, प्राथमिक उपचार की सामग्रियाँ, डॉक्टर, एंबुलेंस, अग्निशामक इत्यादि की व्यवस्था जितना शीघ्र एवं बेहतर तरीके से स्थानीय प्रशासन कर सकता है, उतना कोई अन्य इकाई नहीं। इनके अधिकारी व्यर्थ के कागजी दाँवपेंच में समय नष्ट करने की अपेक्षा शीघ्र राहत राशि, उचित देखभाल तथा आवश्यक राहत सामग्रियों की व्यवस्था कर सकते हैं।
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