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1. नेत्र की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर : नेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समयोजित कर लेता है। समंजन क्षमता कहलाती है। नेत्र की सामंजन क्षमता 4 डायोप्टर है।
2. घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है?
उत्तर : श्रेणीक्रम संयोजन में विद्युत धारा के प्रवाह के लिए केवल एक ही परिपथ होता है। यदि ऐसे परिपथ में लगे उपकरणों में से कोई एक उपकरण खराब हो जाए, तो परिपथ में विद्युत धारा का प्रवाह रुक जाएगा। यही कारण है कि घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग नहीं किया जाता है।
3.5.0cm लंबाई का कोई विंब 30 cm वक्रता त्रिज्या के किसी उत्तल दर्पण के सामने 20 cm दूरी पर रखा गया है। प्रतिबिंब की स्थिति, प्रकृति और साइज ज्ञात कीजिए।
अतः प्रतिबिम्ब का साइज 2.1 cm होगा।
4. फ्लेमिंग के वामहस्त नियम को लिखें।
उत्तर : फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार आरोपित बल की दिशा, चुंबकीय क्षेत्र तथा विद्युत धारा दोनों की दिशाओं के लंबवत होती है। विद्युत धारा की दिशा इलेक्ट्रॉनों की गति के विपरीत दिशा में होती है। इसलिए चुंबकीय क्षेत्र नीचे की दिशा की ओर होगी।
5. दो चुंबकीय क्षेत्र -रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करती ?
उत्तर : कोई दो बल रेखाएँ एक दूसरे को नहीं काटती हैं। यदि वे काटेंगी तो तात्पर्य यह होगा कि कटान बिंदु के उत्तरी ध्रुव पर लगा परिणामी बल दो दिशाओं में होगा जो कि असंभव है।
6. जब लोहे की कील को कॉपर सल्फेट में डुबोया जाता है, तो विलयन का रंग क्यों बदल जाता है ?
उत्तर : लोहे की कील को कॉपर सल्फेट के विलयन में डालने पर विलंयन का रंग बदल जाता क्योंकि लोहा कॉपर सल्फेट के विलयन से कॉपर विस्थापित हो जाता है।
Fe + CuSOu --- FeSO4 + Cu
7. निम्न अभिक्रिया के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए
(A) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल जिंक के साथ अभिक्रियां करता है।
(B) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मैग्निशियम पट्टी के साथ अभिक्रिया करता है।
उत्तर : (A) Zn(s) + H2SO4 (dil) → ZnSO4 + H2
(B) 2HCl + Mg → MgCl2 + H2
8. निम्न पदों की परिभाषा दें
(i) खनिज (ii) अवस्क (iii) गैंग (iv) निस्तापन (v) भर्जन
उत्तर :
(i) खनिज – तल के नीचे पाए जाते हैं, खनिज कहलाते हैं।
धातु या उनके यौगिकों से युक्त वैसे प्राकृतिक पदार्थ जो पृथ्वी पर या पृथ्वी -
(ii) अयस्क – वैसे खनिज जिनसे धातुओं को सुगमतापूर्वक एवं कम खर्च में प्राप्त किया जा सकता है, अयस्क कहलाते हैं।
(iii) गैंग— खानों से प्राप्त अयस्क में अशुद्धि के रूप में मिश्रित पत्थर के छोटे-छोटे टुकड़े, बालू या मिट्टी जैसे बेकार पदार्थ गैंग कहलाते हैं।
(iv) निस्तापन – सांद्रित अयस्क को वायु की उपस्थिति या अनुपस्थिति में बिना द्रवित किए बहुत अधिक गर्म करने की क्रिया, जिससे वाष्पशील अशुद्धियाँ बाहर निकलती है तथा कार्बोनेट अयस्क विघटित होकर धातु के ऑक्साइड में परिणत होते हैं, निस्तापन कहलाती है।
(v) भर्जन – सांद्रित अयस्क को अकेले अथवा अन्य पदार्थों के साथ मिश्रित कर वायु की नियंत्रित मात्रा की उपस्थिति में बिना द्रवित किए गर्म करने की क्रिया भर्जन अथवा जारण कहलाती है।
9. पाचक इंजाइमों का क्या कार्य है?
उत्तर : पाचक इंजाइम खाये भोजन के पाचन में तंत्र को सहुलियत प्रदान करते हैं। इससे भोजन के सभी अवयवों का सही से पाचन होता है।
10. पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है ?
उत्तर: पादपों के जड़ों में जाइलम एवं फ्लोएम उत्तक पाए जाते हैं। जाइलम से जल का वहन एवं फ्लोएम से खनिज लवण का वहन होता है। जड़ के पास नमी मौजूद रहती है। इस नमी को ये दोनों उत्तकों के माध्यम से जड़ें सोखकर पौधे में परिवहन करती है।
11. पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है?
उत्तर प्रकाश की दिशा : पौधों के प्ररोह-तंत्र का वृद्धि करना ही प्रकाशानुवर्तन कहलाता है। इस प्रकार की गति तने के शीर्ष भाग या पत्तियों में स्पष्ट दिखती है।
12. मादा जनन तंत्र का नामांकित चित्र बनाएँ।
उत्तर : मादा जनन तंत्र का नामांकित चित्र
उत्तर : कार्बन डेटिंग पद्धति द्वारा हम जान पाते हैं कि जीवाश्म कितने पुराने हैं। इस पद्धति से जीवाश्मों की आयु की गणना संभव है।
14. ओजोन परत की क्षति हमारे लिए चिंता का विषय क्यों है?
उत्तर : ओजोन परत धरती को इंफ्रारेड किरणों एवं विकिरणों से सुरक्षा प्रदान करती है। ओजोन परत में क्षय से ये हानिकारक किरणें धरती पर पहुँच जाएँगी। इससे कैंसर का खतरा एवं धरती के ताप में चरम वृद्धि की आशंका बढ़ जाएगी। अतः यह चिंता का विषय है।
15. मानव श्वसन तंत्र का स्वच्छ नामांकित चित्र खींचे एवं इसके कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर : मानव के प्रमुख श्वसन अंग के निम्नलिखित भाग हैं
(i) नासागुहा : नाक श्वसन तंत्र का प्राथमिक और प्रारंभिक अंग है। इसके दोनों छिद्रों से होकर वातावरण की वायु भीतर प्रवेश करती है। नासागुहा से पहले और नासा छिद्रों से आगे की दीवारों पर बाल पाये जाते हैं जो हवा को छानने का कार्य करते हैं ।
(ii) ग्रसनी : नासागुहा के आगे के घुमावदार रास्ते को ग्रसनी कहते हैं। ग्रसनी एक छिद्र द्वारा श्वासनली में खुलती है। इसे ग्लाटिस कहते हैं। यह एक उपास्थियुक्त कपाट द्वारा ढँका रहता है जिसे एपी ग्लाटिस कहते हैं।
(iii) कंठ या ट्रैकिया (वाकयन्त्र) : यह एक लम्बी, चौड़ी और उपास्थि की बनी हुई नलिका होती है जो ग्रसनी के आगे के भाग में स्थित होती है। कंठ से आगे का भाग श्वासनली कहलाता है।
(iv) ब्रॉकस ट्रैकिया के आगे का भाग ब्रॉकस कहलाता है। ट्रैकिया आगे जाकर उल्टे Y के आकार में दो शाखाओं में बँट जाती है।
(v) फेफड़े : दोनों ब्रॉकस से एक-एक फेफड़े लगे होते हैं। प्रत्येक फेफड़ा दोहरी झिल्लियों से घिरा रहता है जिन्हें फुप्फुसा वरणी या पल्मोनरी झिल्लियाँ कहते हैं।
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