Class 10th NON HINDI कर्मवीर BIHAR Board model Subjective question Mock Test 3 हिन्दी का महत्वपूर्ण 2/5 अंक के प्रशन उत्तर प्रश्न उत्तर 2023 परीक्षा के लिए

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 कर्मवीर 2/5 अंक के प्रशन उत्तर 

1. अपने देश की उन्नति के लिए आप क्या-क्या कीजिएगा?
उत्तर- अपने देश की उन्नति के लिए सबसे पहले मैं लोगों को परिश्रमी, ईमानदार, त्यागी, कष्टसहिष्णु तथा स्वावलंबी बनने के लिए प्रेरित करूंगा। कोई भी व्यक्ति, समाज या देश उन्नति या विकास की ओर तभी अग्रसर होता है जब वह स्वावलंबी तथा स्वाभिमानी होता है। स्वावलंबी या स्वाभिमानी व्यक्ति अपने आन-मान-सम्मान के लिए अपने प्राण की बाजी तक लगा देता है। वह मरना पसंद करता है किन्तु परमुखापेक्षी होना पसंद नहीं करता। अतः हर व्यक्ति को आत्मनिर्भर, परिश्रमी तथा स्वाभिमानी बनने के लिए प्रेरित करूँगा, ताकि वे अपने कर्म से देश को सुसम्पन्न बना सके। 
2. कर्मवीर की पहचान क्या है? 
अथवा, कर्मवीर किसे कहा जा सकता है?
उत्तर-कर्मवीर विषम परिस्थिति में भी सहज बने रहते हैं। वे भाग्यवादी नहीं, कर्मवादी होते हैं। वे हर काम तत्क्षण करने का प्रयास करते हैं, किसी भी काम को कल पर छोड़ना उनकी आदत नहीं होती। वे अपनी दृढ़ता से विपरीत वातावरण को अनुकूल बना लेते हैं। उनका सिद्धान्त 'करो या मरो' होता है। जब कोई काम आरंभ करते हैं तो पूरा करने के बाद ही दम लेते हैं। ऐसे व्यक्ति युग पुरुष होते हैं जो समय की धारा को अपने अनुकूल मोड़ लेते हैं। कर्मवीर परमुखापेक्षी एवं पराश्रयी नहीं होते। वे सदा अपने पराक्रम पर भरोसा करते हैं। उनका समय ऐसे कार्य में व्यतीत होता है, जिससे सबका कल्याण होता है। अतः कह सकते हैं कि कर्मवीर निर्भीक, देशप्रेमी, स्वावलंबी, आत्मविश्वासी, परोपकारी, सहज, सरल तथा स्वाभिमानी होते हैं।

5 अंक के प्रशन उत्तर 

1. कार्य स्थल को वे कभी .................ठीक करके ही टलें । आशय स्पष्ट करें। 
आशय – कवि हरिऔध ने हमें यह बताना चाहा है कि जो सच्चे कर्मवीर होते हैं उनके लिए न कोई निश्चित कार्यस्थल होता है और न कोई कार्य। वे तो नए युग के निर्माण के लिए ही शरीर धारण करते हैं, इसलिए जहाँ-जब-जैसी परिस्थिति आती है, वे उसी के अनुकूल अपना प्रयास करने लगते हैं। 
यह प्रयास वह तब तक जारी रहता है जब तक कार्य सम्पन्न नहीं हो जाता। यही कारण है कि वे असंभव को भी हँसते हुए संभव बना देते हैं। उनकी ऐसी कर्मनिष्ठा और दृढ़ता के समक्ष विरोधी की दाल नहीं गलती, क्योंकि कर्मवीर तो लक्ष्य प्राप्ति के बाद ही अपना प्रयास बंद

2. चिलचिलाती धूप को जो................ खोल वे सकते नहीं। आशय स्पष्ट करें।
 प्रस्तुत - पंक्तियों के माध्यम से कवि 'हरिऔध' ने कर्मवीर का लक्षण उद्घाटित किया है। कवि का कहना है कि जिन्होंने परिश्रय करना अपना ध्येय बना लिया है, उनके लिए कोई काम कठिन नहीं होता क्योंकि उनका मुख्य उद्देश्य लक्ष्य की प्राप्ति होता है। वे शेर के समान निर्भीक, बहादुर एवं साहसी होते हैं। वे समस्याओं से घबड़ाते नहीं, बल्कि बहादुरी के साथ मुकाबला करते हैं। ऐसे व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य मात्र परिश्रम और कर्म करना होता है। सच ही कहा गया है कि कर्म जीवन की वैसी कुंजी है जिसके सहारे जीवन मार्ग में आने वाली समस्याओं के ताले आसानी से खोले जा सकते हैं। जिसने कर्म और परिश्रम का स्वाद चख लिया है उसका व्यक्तित्व सोने के समान चमकता रहता है।

3. पर्वतों को काटकर सड़कें...................... तार की सारी क्रिया व्याख्या करें। 
व्याख्या— प्रस्तुत पंक्तियाँ कर्मवीर शीर्षक पाठ से ली गई हैं। इसके कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' ने पुरुषार्थी व्यक्ति की विशेषताओं के संबंध में बताया है। कवि का कहना है कि पुरुषार्थी या कर्मवीर अपने पुरुषार्थ के बल पर दुर्गम घाटियों में सड़कें बना देते हैं। मरुभूमि में नहरों का जाल बिछा देते हैं। गहरे सागर की छाती को रौंद देते हैं। जंगलों में नगर बसा देते हैं। तात्पर्य मानव ने अपने कर्मबल पर आकाश तथा पाताल पर विजय पाई है। कवि के कहने का भाव है कि सारे विकास मानव के दृढ़ निश्चय के प्रतिफल हैं। जब हम पूर्णनिष्ठा तथा विवेक से कार्य आरंभ करते हैं तो सफलता मिल ही जाती है। आज का वैज्ञानिक चमत्कार पुरुषार्थ के बल पर ही संभव हुआ है। इसलिए हमें सदा पुरुषार्थी-कर्मवीर बनने का प्रयास करना चाहिए, तभी शरीर धारण करना सफल होगा।
होगी भलाई भी तभी। व्याख्या करें । व्याख्या—प्रस्तुत पद्यांश अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा लिखित कविता 'कर्मवीर' शीर्षक पाठ से लिया गया है। यहाँ कवि ने अपना हार्दिक उद्गार प्रकट करते हुए कहा है कि किसी भी देश की समृद्धि उस देश के निवासी पर निर्भर करती है।

4. सब तरह से आज............... होगी भलाई भी तभी  व्याख्या करें। 
विद्या - बुद्धि, धन-दौलत आदि से सम्पन्न हैं, उनके पीछे वहाँ की जनता का त्याग, तपस्या, परिश्रम तथा निष्ठा है। इन्होंने अपने देश के उत्थान के लिए सच्चे दिल से मेहनत की। कवि का कहना है कि किसी भी देश की समृद्धि वहाँ के पुरुषार्थी व्यक्ति पर निर्भर करती है, क्योंकि ऐसे व्यक्ति निःस्वार्थ भाव से देश की सेवा करते हैं। कायर, स्वार्थी, तो पशु की भाँति उदरपूर्ति के लिए पैदा होते और मरते हैं। कवि कहता है कि किसी भी देश की भलाई या कल्याण तभी होता है जब देशोद्धार के लिए कर्मवीर शरीर धारण करते हैं।

5. काम को आरंभ करके................ दिखा देते हैं वे उज्ज्वल रहना । आशय स्पष्ट करें।
आशय - प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि ने सच्चे कर्मवीर के लक्ष्य के बारे में बताया है। कवि का कहना है कि सच्चा कर्मवीर वही होता है जो लाख मुसीबतों को झेलते हुए अपने उद्देश्य की पूर्ति करता है। उसे अपनी जान की परवाह नहीं होती, परवाह होती है तो कार्य की पूर्णता की । कायर ही मुसीबत से घबड़ाकर असफलता के भय से बीच में ही मैदान छोड़कर भाग खड़े होते हैं। ऐसे लोगों में जोखिम उठाने की हिम्मत नहीं होती। लेकिन कर्मवीर परिणाम की चिंता नहीं करतें। उनका मानना है कि परिश्रम कभी बेकार नहीं जाता। कर्म का फल किसी-न-किसी रूप में मिलेगा ही। इसलिए वे अपने कार्य के प्रति पूर्ण समर्पित होते हैं। वे 'कार्यं वा साधेयम् देहं वा पातेयम्' अर्थात् 'करो या मरो' के सिद्धांत का प्रतिपादक होते हैं।

6. जो कभी अपने समय को ...............बन जाते हैं औरों के लिए। व्याख्या करें।
व्याख्या-  प्रस्तुत पद्यांश कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय विरचित कविता 'कर्मवीर' शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसमें कवि ने कर्मवीर के गुणों पर प्रकाश डाला है।
कवि का कहना है कि जिनका कर्म एवं आचरण नियमबद्ध होता है वैसा व्यक्ति ही जीवन संग्राम में विजयी होता है और दूसरों को 'कर्म ही पूजा का पाठ पढ़ाता है। ऐसा व्यक्ति संयमी, लगनशील, स्वाभिमानी, धीर, कर्मठ तथा दृढनिश्चयी होता है। वह जीवन के हर क्षण का उपयोग लोक-कल्याण में करता है, ताकि एक ऐसे समाज की स्थापना हो, जिससे देश का चहुमुखी विकास हो। अतः कवि के कहने का भाव है कि संसार उसी की पूजा करता है जो कर्मठ एवं स्वावलम्बी होता है। ऐसा व्यक्ति परमुखापेक्षी, कामचोर, कायर तथा बैसाखी के सहारे चलने वाला नहीं होता। वह तो पर्वत के समान दृढ़ तथा नदी की धारा के समान गतिमान होता है। यही कारण है कि अब्राहम लिंकन, चाणक्य, महात्मा गाँधी आदि मर कर भी अमर हैं। गीता में भी श्रीकृष्ण ने कहा है— कर्म को धर्म मानकर करने वालों का जन्म लेना सफल होता है, जबकि कायर, परावलंबी व्यक्ति नष्ट हो जाते हैं।

7. आज करना है जिसे................... वे कर जिसे सकते नहीं। आशय लिखें। 
आशय – प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि 'हरिऔध' ने कर्मवीर की प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला है। कवि का कहना है कि ऐसे व्यक्ति कर्मनिष्ठ होते हैं। वे अपना काम पूर्णनिष्ठा के साथ समय पर पूरा करने का प्रयास करते हैं। वे दीर्घसूत्री की भाँति किसी काम को कल पर नहीं छोड़ते। वे अपने निश्चय पर सदा दृढ़ रहते हैं। वे किसी के सहयोग की अपेक्षा नहीं रखते। उनके लिए कर्म ही सब कुछ होता है। वे कर्म को पूजा मानकर अहर्निश कार्य संपादन में दत्तचित्त रहते हैं। वे अपनी शक्ति पर विश्वास रखकर कार्य में अग्रसर होते हैं। उन्हें कोई काम असंभव प्रतीत नहीं होता। 

8. देख बाधा विविध......................... वे ही मिले फूले-फले । व्याख्या करें । 
व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियाँ अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्वारा लिखित कविता 'कर्मवीर' पाठ से उद्धृत हैं। इसमें कवि ने कर्म के महत्व पर प्रकाश डाला है। कवि का कहना है कि सच्चा कर्मवीर जीवन मार्ग में आने वाली विघ्न-बाधाओं से घबड़ाते नहीं हैं। वे अपने कर्मबल के सहारे विषम से विषम स्थिति को अपने अनुकूल बना लेते हैं। कर्मनिष्ठा ही उन्हें भाग्यवादी बनने से रोकती है। वे जानते हैं कि आज तक संसार में वही व्यक्ति विजयी हुआ है जो कर्म रस के स्वाद को जाना-पहचाना और चखा है। कायर ही भाग्यवादी होते हैं और दुःख आने पर अपने भाग्य को कोसते हैं, लेकिन कर्मवीर अपने कर्मबल से एक नये युग का निर्माण करते हैं। ईश्वरचंद्र विद्यासागर, नेपोलियन, महात्मा गाँधी आदि ऐसे ही महान् कर्मवीर थे, जिन्होंने कर्मबल पर मानवता का वरण किया तथा अक्षयकीर्ति अर्जित की। इस अंश में कवि ने हमें कर्मवीर बनने की प्रेरणा दी है।



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