अभ्यास 5 नाजीवाद
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तरप्रश्न 1. वर्साय की संधि ने हिटलर के उदय की पृष्ठभूमि तैयार की कैसे ?
उत्तर- वर्साय की संधि के समय जर्मनी की उपेक्षा की गई थी और जर्मनवासी इससे पूर्णतया असंतुष्ट थे। इसकी अनेक धाराएँ अत्यंत अपमानजनक थीं । अन्यायपूर्ण और अपमानजनक संधि को हिटलर के उत्थान का प्रमुख कारण माना जाता है । युद्ध की पराजय से त्रस्त जर्मन अपने खोए हुए प्रदेशों को पुनः प्राप्त करने के लिए लालायित थे। वे बड़े ध्यान से हिटलर की बातें सुनते थे तथा उनके विचारों को ग्रहण करते थे। हिटलर ने अपनी पुस्तक 'मीन कैम्फ' में लिखा था-"वर्साय की संधि का उपयोग किया जा सकता है । इसकी प्रत्येक बात को जर्मन जाति के दिमाग और दिल में उस तरह भर दिया जा सकता है कि अन्ततः छः करोड़ नर-नारियों के दिल में घृणा उत्पन्न हो जाए । इसका परिणाम यह होगा कि सबके मुँह से एक ही आवाज निकलेगी हम हथियार-लेंगे ।" हिटलर के उक्त कथन से भी इसके उत्थान में वर्साय संधि की भूमिका का आभास हो रहा है ।
प्रश्न 2. वाइमर गणतंत्र नाजीवाद के उदय में सहायक बना कैसे ?
उत्तर- जर्मनी की समस्याओं को हल करने में वाइमर गणराज्य की अक्षमता नाजीवाद के उत्कर्ष का प्रमुख कारण बना । इस गणतंत्र को अपने जन्म के साथ ही वर्साय की अपमानजनक संधि पर हस्ताक्षर करना पड़ा, क्षति- पूर्ति एवं निःशस्त्रीकरण के कड़वे घूँट पीने पड़े तथा रूर पर फ्रांसीसी अधिकार तथा मुद्रास्फीति का दारुण दुःख सहना पड़ा । अतः जर्मनी की जनता में इस वाइमर गणतंत्र के प्रति घोर असंतोष फैल गया और वे इसे समाप्त करने के लिए किसी ऐसे नेता और दल के उत्थान की कामना करने लगे जो उन्हें इन कष्टों से मुक्ति दिला सके । सौभाग्यवश उन्हें हिटलर के नेतृत्व में नाजीदल नामक मनोनुकूल राजनीतिक दल भी मिल गया। इस प्रकार वाइमर गणतंत्र नाजीवाद के उदय में सहायक बना ।
प्रश्न 3. नाजीवाद कार्यक्रम ने द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार की कैसे ?
उत्तर-हिटलर एक महान दूरदर्शी एवं सफल राजनीतिक था । इन्हीं गुणों के आधार पर उसने जर्मन जनता की इच्छाओं एवं परम्पराओं के अनुकूल कार्यक्रम तैयार कर उनका दिल जीत लिया । सैनिक मनोवृति होने के कारण जर्मन जनता राजतंत्र तथा अधिनायकवाद में विश्वास करने लगी थी । हिटलर ने जनता की इस भावना को और भी प्रबल बनाया और लोकतंत्र को मूर्खों और कायरों की व्यवस्था बतलाया । हिटलर के उग्र राष्ट्रीयता के विचारों से ओतप्रोत कार्यक्रम सहज ही जर्मनों में लोकप्रिय हो गया । नाजीवाद का यही उद्देश्य वर्साय की सन्धि का बदला लेने के लिए उतारू हुआ और अन्तत: इसने द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि तैयार कर दिया ।
प्रश्न 4. क्या साम्यवाद के भय ने जर्मन पूँजीपतियों को हिटलर का समर्थक बनाया ?
उत्तर- विश्व आर्थिक मंदी का सर्वाधिक प्रभाव जर्मनी पर पड़ा । हिटलर ने मध्यवर्ग और बेकार नौजवानों को अपना प्रबल समर्थक बना लिया। उसने पूरे जर्मनी में साम्यवाद का हौवा खड़ा कर उसके अवगुणों को प्रचारित किया। जर्मनी के उद्योगपतियों में साम्यवाद का भय उत्पन्न हो गया । वे अपनी रक्षा के लिए हिटलर पर निर्भर हो गए । इस तरह साम्यवाद का भय ने जर्मन पूँजीपतियों को हिटलर का समर्थक बनाया ।
प्रश्न 5. आर्थिक महामंदी का वर्णन कीजिए ।
उत्तर- 1929 में वाल स्ट्रीट एक्सचेंज शेयर बाजार में कीमतों की गिरावट की आशंका को देखते हुए लोग धड़ाधड़ अपने शेयर बेचने लगे। 24 अक्टूबर को केवल एक दिन में 1.3 करोड़ शेयर बेच दिए गए । यह आर्थिक महामंदी की शुरुआत थी । 1929 से 1932 तक के अगले तीन सालों में अमेरिका की राष्ट्रीय आय केवल आधी रह गई । फैक्ट्रियाँ बंद हो गई थीं, निर्यात गिरता जा रहा था, किसानों की हालत खराब थी और सट्टेबाज बाजार से पैसा खींचते जा रहे थे । अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आयी इस मंदी का असर दुनिया भर में महसूस किया गया ।
जीवन की व्याख्या कीजिए ।
प्रश्न 6. हिटलर के प्रारम्भिक जीवन की व्याख्या कीजये
उत्तर-1889 में ऑस्ट्रिया में जन्मे हिटलर की युवावस्था बेहद गरीबी में गुजरी थी । रोजी-रोटी का कोई जरिया न होने के कारण पहले विश्व युद्ध की शुरुआत में उसने भी अपना नाम फौजी भर्ती के लिए लिखवा दिया । भर्ती के बाद उसने अग्रिम मोर्चे पर संदेशवाहक का काम किया, कॉर्पोरल बना और बहादुरी के लिए उसने कुछ तगमे भी हासिल किए । जर्मन सेना की पराजय ने तो उसे हिला दिया था, लेकिन वर्साय की ने तो उसे आग-बबूला ही कर दिया । 1919 में उसने जर्मनी वर्कर्स पार्टी नामक एक छोटे-से समूह की सदस्यता ले ली । धीरे-धीरे उसने इस संगठन पर अपना नियंत्रण कायम कर लिया और उसे नेशनल सोशलिस्ट पार्टी का नया नाम दिया । इसी पार्टी को बाद में नाजी पार्टी के नाम से जाना गया ।
प्रश्न 7. विदेश नीति के मोर्चे पर हिटलर को क्या-क्या सफलताएँ प्राप्त हुई थीं ?
उत्तर-विदेश नीति के मोर्चे पर हिटलर को फौरन कामयाबियाँ मिलीं । 1933 में उसने 'लीग ऑफ नेशंस' से पल्ला झाड़ लिया । 1936 में राईनलैंड पर दोबारा कब्जा किया और एकजन, एक साम्राज्य, एक नेता के नारे की आड़ में 1938 में ऑस्ट्रिया को जर्मनी में मिला लिया। इसके बाद उसने चेकोस्लोवाकिया के कब्जे वाले जर्मनभाषी सुडेटनलैंड प्रांत पर कब्जा किया और इस तर पूरे देश को एक सूत्र में पिरो दिया । 1939 में हिटलर ने पोलैण्ड पर हल्ला कर दिया । 1940 में जर्मनी ने इटली और जापान के साथ एक त्रिपक्षीय संधि पर हस्ताक्षर किए । 1941 में हिटलर ने सोवियत संघ पर आक्रमण किया था ।
प्रश्न 8. हिटलर के शासनकाल में जर्मनी में यहूदियों के साथ हो रहे व्यवहार का वर्णन कीजिए ।
उत्तर-हिटलर के जर्मनी में यहूदियों के साथ अति दुर्व्यवहार किया जाता था । सितम्बर 1941 से सभी यहूदियों को हुक्म दिया गया कि वह डेविड का पीला सितारा अपनी छाती पर लगा कर रखेंगे। उनके पासपोर्ट, तमाम कानूनी दस्तावेजों और घरों के बाहर भी यह पहचान चिह्न छाप दिया गया । जर्मनी में उन्हें यहूदी मकानों में और पूर्वी क्षेत्र के लोज एवं वॉरसा जैसी घेटो बस्तियों में कष्टपूर्ण और दरिद्रता की स्थिति में रखा जाता था । ये बेहद पिछड़े और निर्धन इलाके थे। घंटो में दाखिल होने से पहले यहूदियों को अपनी सारी संपत्ति छोड़ देने के लिए मजबूर किया गया। कुछ ही समय में घेटो बस्तियों में वंचना, भुखमरी, गंदगी और बीमारियों का साम्राज्य व्याप्त हो गया ।यूरोप के अन्य क्षेत्रों में भी यहूदी मकानों, यातना गृहों और घेटो बस्तियों में रहने वाले यहूदियों को मालगाड़ियों में भर-भर कर मौत के कारखानों में लाया जाने लगा । पोलैंड तथा अन्य पूर्वी इलाकों में, मुख्य रूप से बेलजेक, ऑशविट्ज, सोबीबोर, त्रेबलिंका, चेल्म्नो तथा माख्दानेक में उन्हें गैस चेम्बरों में झोंक दिया गया । औद्योगिक और वैज्ञानिक तकनीकों के सहारे कुछ सारे लोगों को पलक झपकते मौत के घाट उतार दिया गया ।
प्रश्न 9. वर्साय की संधि किस प्रकार एक कठोर व अपमानजनक संधि थी ?
उत्तर- विजयी देशों व पराजित जर्मनी के बीच की संधि (1919) एक कठोर व अपमानजनक संधि कही जाती है । इस संधि की वजह से जर्मनी को अपने सारे उपनिवेश, करीब 10 प्रतिशत आबादी, 13 प्रतिशत भूभाग, 75 प्रतिशत लौह भंडार और 26 प्रतिशत कोयला भंडार फ्रांस, पोलैंड, डेनमार्क और लिथुआनिया के हवाले करने पड़े । जर्मनी की रही-सही ताकत खत्म करने के लिए मित्र राष्ट्रों ने उसकी सेना भी भंग कर दी । युद्ध अपराधबोध अनुच्छेद (War Guilt Clause) की आड़ में तमाम प्रकार की क्षति के लिए जर्मनी को जिम्मेदार ठहराया गया । इसके एवज में उस पर छः अरब पौंड का जुर्माना लगाया गया । खनिज संसाधनों वाले राइनलैंड पर भी बीस के दशक में ज्यादातर मित्र राष्ट्रों का ही कब्जा रहा ।
प्रश्न 10. जब जर्मनी कर्ज व हर्जाना न चुका पाया तो मित्र देशों ने क्या कार्रवाई की ? जर्मन अर्थव्यवस्था पर उसका क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- जब जर्मनी कर्ज व हर्जाना न चुका पाया तो मित्र देशों विशेष रूप से फ्रांसीसियों ने जर्मनी के मुख्य औद्योगिक इलाके रूर (Ruhr) पर कब्जा कर लिया । यह जर्मनी के विशाल कोयला भंडारों वाला इलाका था । जर्मनी ने फ्रांस के विरुद्ध निष्क्रिय प्रतिरोध के रूप में बड़े पैमाने पर कागजी मुद्रा छापना शुरू कर दिया । जर्मन सरकार ने इतने बड़े पैमाने पर मुद्रा छाप दी कि उसकी मुद्रा मार्क का मूल्य तेजी से गिरने लगा । अप्रैल में एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 24,000 मार्क के बराबर थी जो जुलाई में 35,300 मार्क, अगस्त में 46,21,000 मार्क तथा दिसंबर में 9,88,60,000 मार्क हो गई । इस तरह एक डॉलर में खरबों मार्क मिलने लगे । जैसे-जैसे मार्क की कीमत गिरती गई, जरूरी चीजों की कीमतें आसमान छूने लगीं । रेखाचित्रों में जर्मन नागरिकों को पावरोटी खरीदने के लिए बैलगाड़ी में नोट भरकर ले जाते हुए दिखाया जाने लगा ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. हिटलर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालें ।
उत्तर-हिटलर का जन्म 20 अप्रैल, 1889 ई० को आस्ट्रिया के ब्रौना नामक शहर में एक साधारण परिवार में हुआ था । उसका लालन-पालन सही ढंग से नहीं हो सका । बचपन में वह चित्रकार बनना चाहता था । लेकिन उसकी इच्छा पूरी नहीं हो सकी । अन्ततः उसने सेना में नौकरी कर ली । प्रथम में विश्वयुद्ध में वह जर्मनी की तरफ से लड़ा था और युद्ध में अभूतपूर्व वीरता के लिए उसे 'आयरन क्रॉस' प्राप्त हुआ था ।
हिलटर और उसकी नाजी पार्टी के उत्थान का एक सर्वाधिक प्रभावशाली कारण स्वयं हिटलर का असाधारण व्यक्तित्व था । वह अतिशय मोहिनी शक्ति से पूर्ण एक कुशल राजनीतिक खिलाड़ी, प्रतिभावान व्यक्ति एवं महान वक्ता था । इतिहासकार एन० हार्डी के अनुसार हिटलर में विलक्षण प्रतिभा थी, चाहे वे दैवी होकर राक्षसी ही क्यों न थी । वास्तव में वह एक कुशल मनोवैज्ञानिक वक्ता, एक चतुर जननेता और एक श्रेष्ठ संगठनकर्त्ता था । उसके भाषण को सुनकर जनता मंत्र-मुग्ध हो जाया करती थी । उसमें राजनीतिक दाँव-पेंचों की अपनी आवश्यकतानुसार कार्यान्वित करने की अद्भुत क्षमता थी और यही उसकी उन्नति का रहस्य भी था ।
हिटलर ने नाजीवाद के उत्थान में प्रचार-कार्य को बहुत अधिक महत्त्व दिया । उसका प्रचार मंत्री प्रचार-कला का जादूगर था । उसके सिद्धांतों का मूलमंत्र था कि झूठी बात को इतना न दुहराया जाए कि वह सच ही बन जाए। जर्मनी के अन्य राजनीतिक व्यक्ति अथवा दल इस अनोखे सिद्धान्त से अनभिज्ञ थे। इस प्रकार हिटलर के अनोखे व्यक्तित्व एवं उनके प्रचार कला की निपुणता ने जर्मन जनता के दिलों में सरलता से अपनी भावी सफलता की धाक जमा दी ।
प्रश्न 2. हिटलर की विदेश नीति जर्मनी की खोई प्रतिष्ठा प्राप्त करने का एक साधन था । कैसे ?
उत्तर- हिटलर सत्ता का उपासक था । वह जर्मनी में सर्वसत्तावादी व्यवस्था स्थापित करना चाहता था । उसकी व्यवस्था का मुख्य आधार एक नेता और एक दल का अनियंत्रित शासन था । उसकी विदेश नीति का वर्णन इस प्रकार है
(i) राष्ट्रसंघ से संबंध-विच्छेद- हिटलर की दृष्टि में राष्ट्रसंघ का सदस्य बनना जर्मनी के लिए अपमानजनक बात थी । 1933 ई० में उसने जर्मनी सुरक्षा परिषद् का गठन कर गुप्त रूप से शस्त्रीकरण योजना को क्रियान्वित करना शुरू किया । अक्टूबर 1933 ई० में निःशस्त्रीकरण सम्मेलन एवं राष्ट्रसंघ से अलग होने की घोषणा कर दी । जर्मन जनता का विशाल बहुमत ने जनमत संग्रह में हिटलर के निर्णय को स्वीकार कर लिया ।
(ii) सार प्रदेश को प्राप्त करना-वर्साय संधि की व्यवस्था के अन्तर्गत 1935 ई० में विलय के प्रश्न पर सार प्रदेश में जनमत संग्रह हुआ । इसमें 90 प्रतिशत लोग जर्मनी के साथ मिलने का निर्णय दिया । यह हिटलर के लिए महत्त्वपूर्ण विजय का सूचक था । इससे प्रोत्साहित होकर हिटलर ने अन्य क्षेत्रों में बसे जर्मन लोगों के मध्य नात्सीवाद का प्रचार-प्रसार प्रारंभ किया ।
(iii) ब्रिटेन के साथ संधि-हिटलर की दृष्टि में फ्रांस जर्मनी का जन्मजात शत्रु था । संयोगवश कई प्रश्नों पर ब्रिटेन और फ्रांस के बीच तीव्र मतभेद था । अतएव जर्मनी और ब्रिटेन करीब आते गए । दोनों देशों के बीच 1935 ई० में एक संधि हो गई। ब्रिटेन ने जर्मनी को वर्साय सन्धि की सैनिक धाराओं के उल्लंघन करने की छूट दे दी ।
(iv) आस्ट्रिया पर अधिकार- 1938 ई० में हिटलर ने आस्ट्रिया के चांसलर को आक्रमण की धमकी दी तथा आस्ट्रिया के सुरक्षा मंत्री के पद पर नात्सी नेता को नियुक्त करने का आदेश दिया । नए नात्सी सुरक्षा मंत्री की नियुक्ति के बाद आस्ट्रिया में जोरों से नाजीवाद का प्रचार हुआ। विद्रोह की संभावना नजर आने लगी । आस्ट्रिया पर आक्रमण कर उसने उसे अपने साम्राज्य में मिला लिया ।
(v) पोलैंड पर अधिकार- इसके बाद हिटलर पोलैंड की ओर मुड़ा । उसने रूस के साथ एक संधि कर ली । इसके अन्तर्गत दोनों देश एक दूसरे पर आक्रमण नहीं करने का वचन दिया। दोनों देशों के बीच गुप्त रूप से पोलैंड विभाजन की भी बातें हुईं । इसके बाद हिटलर ने पोलैंड पर जर्मन अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने का आरोप लगाया । ब्रिटिश प्रधानमंत्री चेम्बरलेन ने इस समस्या को सुलझाने का असफल प्रयास किया । हिटलर ने 1939 ई० में पोलैंड पर आक्रमण कर द्वितीय विश्वयुद्ध को आमंत्रित कर दिया ।
प्रश्न 3. नाजीवादी दर्शन निरंकुशता का समर्थक एवं लोकतंत्र का विरोधी था । विवेचना कीजिए ।
उत्तर - नाजीवाद में उदारवाद और लोकतंत्र का कट्टर विरोध की अवधारणा है । अतः हिटलर ने सत्ता प्राप्त करते ही प्रेस तथा वाक् अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिया। उसने शिक्षण संस्थाओं तथा जनसंचार पर भी प्रतिबंध लागू किया। इस प्रकार जर्मनी में लोकतांत्रिक आवाज को दफन करने का प्रयास हुआ ।
जीवादी दर्शन अन्तर्राष्ट्रीय समाजवाद का भी प्रबल विरोधी है। हिटलर ने भी समाजवाद के विरुद्ध आवाज बुलंद किया था तथा जर्मनी पूँजीपतियों को अपनी ओर मिला लिया था । हिटलर को इस कार्य को इंगलैंड और फ्रांस की ओर से भी अप्रत्यक्ष समर्थन मिला । जिसके कारण उसका मनोबल बढ़ता गया । अतः पूरा विश्व एक भयंकर युद्ध के निकट अपने को खड़ा पाया ।नाजीदर्शन में सर्वसत्तावादी राज्य की संकल्पना है। अर्थात् इसके अनुसार राज्य के भीतर ही सब कुछ है, राज्य के बाहर एवं विरुद्ध कुछ भी नहीं है । यह दर्शन उग्र राष्ट्रवाद पर बल देता है । हिटलर ने सत्ता प्राप्त करते ही उग्र राष्ट्रवाद पर बल दिया । चूँकि जर्मनी में प्रारंभ से ही उग्र राष्ट्रवाद एवं सैनिक तत्त्व की परम्परा रही है। अतः हिटलर ने जर्मनी के इस मनोवृत्ति का लाभ उठाया तथा अपने आक्रामक वक्तव्यों के द्वारा पूरे जर्मनीवासियों को अपमान का बदला लेने के लिए मानसिक स्तर पर तैयार किया । अब पूरे जर्मनी में युद्ध का माहौल दिखायी पड़ने लगा ।
नाजीवाद राजा की निरंकुश शक्ति पर बल प्रदान करता है । सत्ता में आते ही हिटलर ने गुप्तचर पुलिस 'गेस्टापो' का संगठन किया जिसका आतंक पूरे जर्मनी पर छा गया । उसने विशेष कारागृह की स्थापना की जिसके माध्यम से राजनीतिक विरोधियों का दमन किया । अब जर्मनी में एक पार्टी थी-नाजीपार्टी और एक नेता था-हिटलर ।
है नाजी दर्शन में सैनिक शक्ति और हिंसा को महिमा मंडित किया जाता इस प्रकार नाजीदर्शन द्वारा जर्मनी में असंतोष का फायदा हिटलर ने उठाया । उसने जर्मनी में तानाशाही शासन की स्थापना की जिसके दूरगामी परिणाम सही नहीं हुए क्योंकि तब पूरा संसार स्वयं को द्वितीय विश्वयुद्ध के समीप खड़ा पा रहा था ।
प्रश्न 4. वाइमर गणराज्य के सामने क्या समस्याएँ थीं ?
उत्तर- जर्मनी के वाइमर गणराज्य की स्थापना प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् आने वाली समस्याओं को, संक्षेप में, निम्नलिखित बताया जा सकता है
(1) सरकार तथा लोगों को गम्भीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा । युद्ध के बाद औद्योगिक विकास निम्न स्तर तक जा पहुँचा था, कृषि की स्थिति उद्योग से भी बदतर थी, जर्मन मुद्रा गिरते रहने की स्थिति में थी, अप्रैल, 1923 में एक अमरीकी डालर 24,000 मार्क, जुलाई में 35,000 मार्क, अगस्त में 46,21,000 मार्क तथा दिसम्बर, 1923 में 98,86,000 मार्क के बराबर आ गया । महँगाई जोरों पर थी, बेरोजगारी अपनी सीमा को छू चुकी थी, युद्ध के दौरान लिये गए ऋण को सोने में वापस करना था ।
(2) क्षतिपूर्ति वाइमर गणराज्य की एक अन्य समस्या थी । जर्मनी को छः अरब पौंड युद्ध हर्जाना के रूप में देने को कहा गया था । जैसे-जैसे जर्मनी की अर्थव्यवस्था गिरती चली गई, उसके लिए क्षतिपूर्ति की वार्षिक किश्त देना मुश्किल पड़ गया । अमेरिका द्वारा डास व यँग योजनाएँ भी जर्मनी की स्थिति को सुधार नहीं सकी ।
(3) युद्ध के बाद जर्मनी को बहुत कुछ खोना पड़ा था । वाइमर जर्मनी ने अपने बाहरी उपनिवेश खो दिये, उसकी सेना को राष्ट्रीय सुरक्षा के स्तर तक कम कर दिया गया, उसे अपने संसाधनों को गिरवी रखना पड़ता था ।
(4) वाइमर गणराज्य को स्पार्टासिस्ट के रूप में रैडिकल लोगों की क्रांतिकारी गतिविधियाँ सहनी पड़ी थी। वह जर्मनी को बोल्शेविक रूस बनाना चाहते थे । फलस्वरूप इस गणराज्य को राजनीतिक अस्थिरता के वातावरण को सहना पड़ा था ।
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