पाठ 1. हमारे आस-पास के पदार्थ
👉• संसार की सभी वस्तुएँ जिस सामग्री से बनी हैं, वैज्ञानिक उसे पदार्थ कहते है ।
👉•वे वस्तुएँ जिनका द्रव्यमान होता है और स्थान (आयतन) घेरती है, पदार्थ कहलाता है |
👉• प्राचीन भारत के दार्शनिकों ने पदार्थ को पंचतत्व वायु, पृथ्वी, अग्नि, जल और आकाश से बना बताया और पदार्थ को इन्ही पंचतत्व में वर्गीकृत किया है ।
👉•सभी पदार्थ कणों से मिलकर बने होते हैं |
👉• पदार्थ के कण अत्यंत सूक्ष्म होते है |
👉•पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है ।
👉•पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं |
👉•पदार्थ के कण एक-दुसरे को आकर्षित करते है ।
👉• पदार्थ के कणों में गतिज ऊर्जा होती है और तापमान 👉•बढ़ने से कणों की गति तेज हो जाती है ।
👉•पदार्थ के कण अपने आप ही एक-दुसरे के साथ अंत: 👉•मिश्रित हो जाते हैं । ऐसा कणों के रिक्त स्थानों में समावेश के कारण होता है |
👉•दो विभिन्न पदार्थों के कणों का स्वत: मिलना विसरण कहलाता है ।
👉• पदार्थ के कणों के बीच एक बल कार्य करता है । यह 👉•बल कणों को एक साथ रखता है । इसे अंतराणुक बल भी कहा जाता है ।
👉•प्रत्येक पदार्थ में यह आकर्षण बल अलग-अलग होता है इन्ही बलों के कारण पदार्थ की अवस्थाएं बनती है |
👉•पदार्थ की तीन अवस्थाएँ होती हैं ठोस, द्रव और गैस |
👉•पदार्थ की ये अवस्थाएँ उनकी कणों की विभिन्न विशेषताओं के कारण होता है ।
👉• बल लगाने पर ठोस टूट सकते हैं लेकिन इनका आकार नहीं बदलता |
👉•द्रव का कोई अपना आकार नहीं होता है जिस बर्तन में 👉•इसे रखते है ये उसी का आकार ले लेता है, परन्तु द्रव का
आयतन होता है ।
👉• द्रव में ठोस, द्रव और गैस तीनों का विसरण संभव है ।
👉•ठोस की अपेक्षा द्रवों में विसरण की दर अधिक होती है 👉•यही कारण है कि द्रव अवस्था में पदार्थ के कण स्वतंत्र रूप सेगति करते हैं ठोस की अपेक्षा द्रव के कणों में रिक्त स्थान भी अधिक होता है ।
👉•ठोसों एवं द्रवों की तुलना में गैसों की संपीड्यता (compression) काफी अधिक होती है |
👉• तापमान एवं दाब में परिवर्तन कर पदार्थ की अवस्थाएं बदली जा सकती है ।
👉• जिस तापमान पर कोई ठोस पिघलकर द्रव बन जाता है, वह इसका ताप उस पदार्थ का गलनांक (Melting Point)
कहलाता है |
👉• गलने की प्रक्रिया यानी ठोस से द्रव अवस्था में परिवर्तन को संगलन भी कहते है |
👉• गलने की प्रक्रिया के दौरान गलनांक पर पहुँचने के बाद 👉•जब तक कोई पदार्थ पूरी तरह गल नहीं जाता, तापमान नहीं बदलता है |
👉•चाहे उसमें और भी ऊष्मा दे दी जाए |
👉•पदार्थ के कणों के आकर्षण बल को बदलने के लिए ताकि अवस्था परिवर्तन हो सके तापमान में बिना कोई वृद्धि दर्शाए पदार्थ उस अतिरिक्त ऊष्मा को अवशोषित कर लेता है
👉•यह ऊष्मा पदार्थ में छुपी रहती है, जिसे गुप्त ऊष्मा कहते हैं ।
👉•संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा : वायुमंडलीय दाब पर 1 kg ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में बदलने के लिए जीतनी
ऊष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसे संगलन की प्रसुप्त ऊष्मा कहते है |
👉•वायुमंडलीय दाब पर वह तापमान जिस पर द्रव उबलने लगता है, इस ताप को उस पदार्थ का क्वथनांक कहते है | जल का क्वथनांक 100 °C या 373 K है |
👉• द्रव अवस्था में परिवर्तन हुए बिना ठोस अवस्था से सीधे गैस और वापस ठोस में बदलने की प्रक्रिया को उर्ध्वपातन
(sublimention) कहते है ।
👉• पदार्थ के कणों के बीच दुरी में परिवर्तन होने के कारण पदार्थ की विभिन्न अवस्थाएँ बनती हैं ।
👉•ठोस CO2 द्रव अवस्था में आए बिना सीधे गैस में परिवर्तित जाती है। यही कारण है कि ठोस कार्बन डाइऑक्साइड को शुष्क बर्फ़ (dry ice) कहते हैं |
👉• दॉब के बढ़ने और तापमान के घटने से गैस द्रव में बदल सकते है |
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