👉 छुट्टी की अनुमान्यता शर्तें
कोई भी छुट्टी विवेकानुदान है, अधिकार नहीं। बिहार सेवा संहिता के नियम - 152 में प्रावधान है कि- “Leave connot be claimed as of right. When the exigencies of the public service so require, discretion to refuse or revoke leaves of any description isnreserved to the authority empowered to grant it.
2. छुट्टी सामान्यतः प्रभार सौंपने के दिन से शुरू होती है और प्रभार पुनः ग्रहण करने के पूर्ववर्ती दिन को उसकी समाप्ति होती है। छुट्टी के लिए संबंधित सरकारी सेवक को सक्षम
प्राधिकार के समक्ष आवेदन पत्र देना आवश्यक है। प्रत्येक सरकारी सेवक के लिए छुट्टी लेखा का संधारण आवश्यक है। जो सरकारी सेवक महालेखाकार के प्राधिकर-पत्र के आधार पर वेतन की निकासी करते हैं, उनके छुट्टी लेखा का संधारण महालेखाकार, बिहार, पटना द्वारा किया जाता है। जो वेतन की निकासी वैयाक्तित दावा निर्धारण कोषांग (वित्त विभाग) के वेतन पर्ची के आधार पर करते हैं उनके छुट्टी लेखा का संधारण उक्त कोषांग में किया जाता है । अन्य सभी कर्मचारियों के छुट्टी लेखा का संधारण कार्यालय में होता है ।
3. छुट्टी की स्वीकृति इस बात पर निर्भर करती है कि संबंधित कर्मचारी के छुट्टी लेखा में छुट्टी संचित हो। जिन पदाधिकारियों के छुट्टी लेखा कार्यालय में संधारित नहीं होते हैं उनके मामले में छुट्टी आदेयता प्रमाण पत्र मँगाने के बाद ही छुट्टी स्वीकृत की जाती है ।
4. मेडिकल प्रमाण-पत्र के आधार पर छुट्टी लिये जाने पर योगदान के समय मेडिकल फिटनेस प्रमाण-पत्र देना अनिवार्य है। लोक सेवा की आवश्यकता होने पर पूर्व में स्वीकृत छुट्टी रद्द की जा सकती है और कर्त्तव्य पर वापस बुलाया जा सकता है।
5.नियम - 162 के अनुसार unless he is permitted to do so by the Authority whichgranted his leave, a Govt servant on leave may not return to duty more than fourteen days before the expiry of the period of leave granted to him. इस प्रकार
स्वीकृत छुट्टी में से 14 दिन शेष रहने पर काम पर वापस लौटा जा सकता है, लेकिन 14 दिन से अधिक शेष रहने पर वह तभी काम पर लौट सकता है, जब इसके लिए छुट्टी स्वीकृति प्राधिकार की अनुमति हो । इस प्रावधान का कारण यह है कि किसी कर्मचारी को छुट्टी स्वीकृत करते समय उसके जिम्मे के दायित्वों का निर्वाह के निमित्त प्रतिस्थानी की व्यवस्था करनी पड़ती है और उसके चलते प्रशासनिक असुविधा को avoid करने के लिए यह शर्त लगायी
गयी है।
11. आकस्मिक छुट्टी
1. सचिवालय विभागों एवं निदेशालयों में 5 दिवसीय कार्य सप्ताह रहने के कारण एक कैलेन्डर वर्ष में 12 दिन आकस्मिक अवकाश अनुमान्य हैं, किन्तु क्षेत्रीय कार्यालयों में 6 दिवसीय कार्य सप्ताह रहने के कारण एक कैलेन्डर वर्ष में 16 दिनों का आकस्मिक अवकाश अनुमान्य है।
2. आकस्मिक छुट्टी के संबंध में बिहार सेवा संहिता के परिशिष्ट - 13 में प्रावधान है। नियम - 152 कहता है कि Leave cannot be claimed as of right. When the exigencies of the public service so require discretion to refuse or revoke leave of any
description is reserved to the authority empowered to grant it. यह प्रावधान आकस्मिक
अवकाश के लिए भी लागू है और कोई भी छुट्टी विवेकानुदान है अधिकार नहीं है। बकाया रहने पर सामान्यतः छुट्टी देनी चाहिए, यह ध्यान में रखते हुए कि कार्यालय का effective
strength प्रभावी न हो। यदि दो व्यक्ति एक साथ छुट्टी माँगें तो निम्नानुसार प्राथमिकता देनी
चाहिए-
(i) सरकारी आवास वाले,
(ii) जो पूर्व में पहले छुट्टी से लौटकर आया हो,
परन्तु छुट्टी से लौटकर तो आया हो किन्तु कार्यालय कार्य नहीं करता हो तो छुट्टी नहीं देनी चाहिए।
3. आकस्मिक छुट्टी, छुट्टी रहते हुए भी technically छुट्टी नहीं है। ऐसी छुट्टी पर रहते हुए भी व्यक्ति duty पर रहता है। आकस्मिक छुट्टी के कारण सरकार को क्षति होने पर आकस्मिक छुट्टी देनेवाला एवं लेनेवाला दोनों उत्तरदायी होता है। उदाहरणस्वरूप, अभियंत्रण पदाधिकारियों का मामला लिया जा सकता है। यदि सहायक अभियंता या कनीय अभियंता कार्यपालक अभियंता की स्वीकृति से आकस्मिक छुट्टी पर हों और cement का rake आ जाए एवं पड़ा
रह जाय, तो सिमेंट के बर्बाद होने का उत्तरदायी कार्यपालक अभियंता एवं सहायक या कनीय अभियंता दोनों होंगे
4. बिहार कार्यपालिका नियमावली की चतुर्थ अनुसूची में किये गये शक्ति प्रत्यायोजन के अनुसार आकस्मिक छुट्टी एवं प्रतिबंधित छुट्टी की स्वीकृति के लिए ठीक ऊपर के स्तर का
ऐसा पदाधिकारी सक्षम है जिसके अधीन सरकारी सेवक कार्यरत हो ।
5. आकस्मिक छुट्टी को उपार्जित छुट्टी के साथ मिलाया नहीं जा सकता है । परन्तु आकस्मिक छुट्टी एवं क्षतिपूरक छुट्टी को मिलाकर लिया जा सकता है। एक बार में 10 दिन से अधिक आकस्मिक छुट्टी नहीं ली जा सकती है। आकस्मिक छुट्टी की अवधि में पड़ने वाले न किया जाय, कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। अत: उपभोग के पहले आवेदन कर षछुटी अवश्य मंजूर करा लेनी चाहिए। केवल अचानक एवंगम्मीर बीगारी के मामलों में या सक्षम प्राधिकार के समाधान के अनुरूप सिद्द अन्य विशेष दशाओं ें ही यह नियम शिथिल हो सकता है।
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