रक्षाबंधन माना जाता है कि यह त्योहार भाई और बहन की रक्षा करने का त्योहार होता है उसमें भाई सौगंध लेते हैं कि अपनी बहनों की रक्षा जीते जी करेंगे इसलिए यह त्यौहार मनाया जाता है रक्षाबंधन के रूप में
हिन्दू श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) के पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह त्यौहार भाई का बहन के प्रति प्यार का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधती है और उनकी दीर्घायु व प्रसन्नता के लिए प्रार्थना करती हैं ताकि विपत्ति के दौरान वे अपनी बहन की रक्षा कर सकें। बदले में भाई, अपनी बहनों की हर प्रकार के अहित से रक्षा करने का वचन उपहार के रूप में देते हैं। इन राखियों के बीच शुभ भावनाओं की पवित्र भावना होती है। यह त्यौहार मुख्यत: उत्तर भारत में हर शहर हर गांव में मनाया जाता है।
रक्षा बंधन का इतिहास हिंदू पुराण कथाओं में है। हिंदू पुराण कथाओं के अनुसार, महाभारत में, (जो कि एक महान भारतीय महाकाव्य है) पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भगवान कृष्ण की कलाई से बहते खून (श्री कृष्ण ने भूल से खुद को जख्मी कर दिया था) को रोकने के लिए अपनी साड़ी का किनारा फाड़ कर बांधा था। इस प्रकार उन दोनो के बीच भाई और बहन का बंधन विकसित हुआ था, तथा श्री कृष्ण ने उसकी रक्षा करने का वचन दिया था।
यह जीवन की प्रगति और मैत्री की ओर ले जाने वाला एकता का एक बड़ा पवित्र कवित्त है। रक्षा का अर्थ है बचाव, और मध्यकालीन भारत में जहां कुछ स्थानों पर, महिलाएं असुरक्षित महसूस करती थी, वे पुरूषों को अपना भाई मानते हुए उनकी कलाई पर राखी बांधती थी। इस प्रकार राखी भाई और बहन के बीच प्यार के बंधन को मज़बूत बनाती है, तथा इस भावनात्मक बंधन को पुनर्जीवित करती है। इस दिन ब्राह्मण अपने पवित्र जनेऊ बदलते हैं और एक बार पुन: धर्मग्रन्थों के अध्ययन के प्रति स्वयं को समर्पित करते हैं।
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