पाठ 1. फसल उत्पादन एवं प्रबन्ध
👉 जब एक ही किस्म के पौधे किसी स्थान पर बड़े पैमाने पर उगाये जाते है, तो इसे फसल कहते हैं ।
👉 मिट्टी तैयार करना, बुआई, खाद एवं उर्वरक देना, सिंचाई, खरपतवार से सुरक्षा, कटाई तथा भण्डारण ये सभी
किसानों के द्वारा उपयोग में लाये जाने वाली कृषि पध्दतियाँ है ।
👉 मिट्टी को उलटने - पलटने एवं पोला करने की प्रक्रिया को जुताई कहते है ।
👉 वे पदार्थ जिन्हें मिट्टी में पोषक स्तर बनाये रखने के लिए मिलाया जाता है, उन्हें खाद एवं उर्वरक कहते है ।
👉 जैविक खाद बनाने के लिए अपशिष्टों का अपघटन सूक्ष्म जीवों के द्वारा द्वारा होता है ?
👉 खेतो में लगातार फसल उगाने से खेतो में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है ।
👉 यूरिया, अमोनियम सल्फेट, पोटाश आदि उर्वरक हैं ।
👉 उर्वरक फक्ट्रियों में बनाया जाता है खाद जैविक प्रक्रिया द्वारा बनता है |
👉 केंचुए एवं सूक्ष्म जीव मिट्टी को पलटकर पोला करते है तथा हूयमस बनाते है तथा रसायनिक प्रक्रिया द्वारा मिट्टी की
उर्वरा शक्ति को बढ़ा देते है ।
👉 कल्टीवेटर के उपयोग से श्रम और समय की बचत होती है
👉 फसलों को अदल-बदल कर बोना फसल चक्रण कहलाता है ।
👉 राइजोबियम जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन का स्थितिकरण करते है
👉 मोट, चेन पम्प, ढेकली और रहट ये सभी सिंचाई के पारंपरिक तरीके है ।
👉 खाद में हूयमस की मात्रा होने के कारण इससे मिट्टी में जल धारण की क्षमता में वृद्धि होती है।
👉 कुएँ, जलकूप, तालाब / झील, नदियाँ, बांध और नहर आदि सिंचाई के मुख्य स्रोत है ।
👉 छिडकाव तेंत्र - इस विधि का उपयोग असमतल भूमि के लिए किया जाता है जहाँ पर जल काम मात्र में उपलब्ध है
👉 जब हम एक ही जमीन पर बार-बार पौधे उगाते है तो ये पौधे मिट्टी में से पोषक तत्वों को सोख लेते है और मिट्टी में
इन पोषक तत्वों की कमी हो जाती है ।
👉 फसलों में पौधों के साथ कुछ अनचाहे पौधें भी उग आते है । इन पौधों को हम खरपतवार कहते है ।
👉 फसल या फसल उत्पादों को हानि पहुँचाने वाले जीवों को मारने वाली रासायनिक दवाओं को पीडकनाशी कहते है
👉 वह मशीन जो हार्वेस्टर तथा थ्रेशर दोनों का कार्य करता है कॉम्बाइन मशीन कहलाता है ।
👉 पीड़कनाशियों के उपयोग से पौधे को हानि पहुँचाने वाले जीव नष्ट हो जाते है, परन्तु पौधों को कोई हानि नहीं
पहुँचती है ।
👉 पीडक नाशी जल स्रोतों में मिलकर जल प्रदुषण का कारण बनते है ।
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