यह निबंध उर्दू और हिंदी दोनों में दिया गया है जिसकी जैसी जरूरत हो इसे आप अपनी नोटबुक में लिख लीजिए
मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार ईद को माना जाता है इसलाम के धर्म में आदम अलैहिस्सलाम और बीबी हव्वा को इनसान का पुरखा माना गया है। आदमी पुरुष था हव्वा स्त्री। देानों जन्नत में रहते थे। खोदा ने दोनों को दुनिया बनाते समय बता दिया था कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है। उन्हें एक खास फल को खाने के लिए मना किया था। पर जैसा कि मनुष्य का स्वभाव होता है, मना किए गए काम को करने के लिए मन ललचाता है। आदम-हव्वा ने भी वही किया। दोनों ने उस फल का स्वाद चख लिया। उनके इस काम से खुदा उनसे नाराज हो गया। फिर क्या था, उन्होंने दोनों को जन्नत से निकाल दिया। इसके बाद उन्हें दो दिशाओं में अलग-अलग करके भटकने के लिए छोड़ दिया। इस तरह वे एक-दूसरे को पाने के लिए वर्षों भटकते रहे वे अपनी गलती पर रोते रहे। उन्होंने अपनी गलतियों के लिए खुदा से माफी मांगा अंत में , खुदा ने उनकी प्रार्थना सुन ली। खुदा ने दोनों को आपस में मिला दिया उन्होंने खुदा की मेहरबानियों को खुशी-खुशी कबूत किया। दोनों ने खुदा के अहसान के प्रति आभार जताया। इस तरह दुनिया के पहले स्त्री-पुरुष का मिलन हो गया।
इसी खुशी में मुसलमान लोग हर साल खुदा की इबादत करते हैं। खुदा के प्रति उनकी मेहरबानियों के लिए वे लोग शुक्रिया अदा करते हैं। इसी खुशी के दिन को ‘ईद’ के रूप में मनाया जाता है।
ईद का पर्व रमजान के ठीक बाद वाले महीनें में मनाया जाता है। रमजान का महीना मुसलमानों के लिए बहुत ही अहम होता है। यह रहमोरकरम से भरा हुआ महीनो है। माना जाता है कि इस महीने जन्नत के सारे दरवाजे खोल दिए जाते हैं। जहन्नुम के सारे दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं। इस रूप से शैतान को कैद कर लिया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि लोग महीने भर ‘रोजा’ रखते हैं, उनके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। इस पूरे महीने में मुसलमान लोग खुदा की इबादत करते हैं। वे खुदा से दुआ मांगते हैं। वे भलाई का काम करते हैं। जहां तक होता है नेगी करते हैं और बदी से बचते हैं।
रमजान के महीने में खुदा अपने बंदों को निरश नहीं करता। कहा जाता है कि इस अवसर पर खुदा हर मुसलमान की दुआ कबूल फरमाता है।
रमजान के पूरे महीने रोजा रखना हर मुसलमान का फर्ज होता है। इस अवसर पर मुसलमान लोग पांच वक्त की ‘नमाज’ पढ़ते हैं। रोजमें दिनभर खाना-पीना बंद रहता है। रोजा रखनेवाले सूर्य निकलने के एक घंटा पहले नाश्ता लेते हैं। इसी तरह सूर्य डूबने के बाद ही खाते हैं। बाकी समय भूखे रहकर खुदा का ध्यान करना पड़ता है। मन में बुरे विचार न आंए, किसी की बुराई न करें। इसका ध्यान रखना पड़ता है।
जैसे ही चांद दिखता है, अगले दिन ईद मनाई जाती है। इस अवसर पर मुसलमाल गरीबों और जरूरतमंदों को अपनी हैसियत के मुताबिक दान करते हैं।
ईद के दिन प्रात: ही लोग ‘गुस्ल’ करते हैं। सुंदर-सुंदर कपड़े पहनते हैं। तरह-तरह के इत्र लगाते हैं। अच्छी तरह से सज-धजकर नमाज पढऩे के लिए निकलते हैं। नमाज खत्म होते ही सब आपस में गले मिलते हैं। मुसलमान लोग इस दिन आपसी दुश्मनी भूलकर आपस में एक-दूसरे के गले लग जाते हैं।
दरअसल, ईद का त्योहार मन की पवित्रता और आत्मा की शुद्धता का है। इस अवसर पर घरों में सेवइयां बनाई जाती हैं। इस अवसर पर बच्चों को ‘ईदी’ दी जाती है। अत: बच्चों को ईद की लंबे समय से प्रतीक्षा रहती है।
Md. Nezamuddin sir
عید مسلمانوں کا سب سے بڑا تہوار مانا جاتا ہے۔ انسان مرد تھا ، حوا عورت تھی۔ دونوں جنت میں رہتے تھے۔ کھوڈا نے دنیا بناتے ہوئے ان دونوں کو بتایا تھا کہ انہیں کیا کرنا ہے اور کیا نہیں۔ اسے ایک خاص پھل کھانے سے منع کیا گیا تھا۔ لیکن جیسا کہ یہ انسان کی فطرت ہے ، ذہن حرام کام کرنے کی طرف مائل ہوتا ہے۔ آدم اور حوا نے بھی ایسا ہی کیا۔ دونوں نے اس پھل کو چکھا۔ خدا اس کے اس عمل پر اس سے ناراض ہوا۔ پھر کیا تھا ، انہوں نے ان دونوں کو جنت سے نکال دیا۔ اس کے بعد انہیں الگ کر دیا گیا اور دو سمتوں میں بھٹکنے کے لیے چھوڑ دیا گیا۔ اس طرح وہ ایک دوسرے کو ڈھونڈنے کے لیے برسوں بھٹکتے رہے ، وہ اپنی غلطی پر روتے رہے۔ اس نے اپنی غلطیوں کے لیے خدا سے معافی مانگی۔آخر میں خدا نے اس کی دعا سنی۔ خدا نے دونوں کو ملا دیا ، انہوں نے خوشی سے خدا کا فضل قبول کیا۔ دونوں نے خدا کے احسان کا شکریہ ادا کیا۔ اس طرح دنیا کے پہلے مرد اور عورت کی ملاقات ہوئی۔
اس خوشی میں مسلمان ہر سال خدا کی عبادت کرتے ہیں۔ وہ لوگوں کا خدا کے ساتھ احسان کرنے پر شکریہ ادا کرتے ہیں۔ یہ خوشی کا دن 'عید' کے طور پر منایا جاتا ہے۔
عید کا تہوار رمضان کے فورا بعد مہینے میں منایا جاتا ہے۔ رمضان کا مہینہ مسلمانوں کے لیے بہت اہم ہے۔ یہ رحمتوں سے بھرا مہینہ ہے۔ خیال کیا جاتا ہے کہ اس مہینے میں جنت کے تمام دروازے کھل جاتے ہیں۔ جہنم کے تمام دروازے بند ہیں۔ اس طرح شیطان قید ہو جاتا ہے۔
یہ مانا جاتا ہے کہ لوگ ایک ماہ تک 'روزہ' رکھتے ہیں ، ان کے تمام گناہ ختم ہو جاتے ہیں۔ اس پورے مہینے میں مسلمان خدا کی عبادت کرتے ہیں۔ وہ خدا سے دعا کرتے ہیں۔ وہ اچھا کام کرتے ہیں۔ نیگی جہاں تک ہو سکے کرتا ہے اور بادی سے بچتا ہے۔
رمضان کے مہینے میں خدا اپنے بندوں کی حوصلہ شکنی نہیں کرتا۔ کہا جاتا ہے کہ اس موقع پر خدا ہر مسلمان کی دعائیں قبول کرتا ہے۔
ہر مسلمان کا فرض ہے کہ وہ پورے رمضان کے روزے رکھے۔ اس موقع پر مسلمان پانچ بار نماز پڑھتے ہیں۔ دن بھر کھانا پینا بند ہے۔ روزہ دار طلوع آفتاب سے ایک گھنٹہ پہلے ناشتہ کرتے ہیں۔ اسی طرح سورج غروب ہونے کے بعد ہی کھائیں۔ بقیہ وقت کے لیے بھوکے رہ کر خدا کا ذکر کرنا پڑتا ہے۔ اپنے ذہن میں برے خیالات نہ آنے دیں ، کسی کو نقصان نہ پہنچائیں۔ اس کا خیال رکھنا ہوگا۔
چاند نظر آتے ہی اگلے دن عید منائی جاتی ہے۔ اس موقع پر مسلمان اپنی حیثیت کے مطابق غریبوں اور ضرورت مندوں کو عطیات دیتے ہیں۔
عید کے دن لوگ غسل صرف صبح کرتے ہیں۔ خوبصورت کپڑے پہنیں۔ مختلف قسم کے پرفیوم پہننا۔ اچھے کپڑے پہنے ، وہ نماز پڑھنے کے لیے باہر جاتے ہیں۔ نماز کے اختتام پر سب ایک دوسرے کو گلے لگاتے ہیں۔ اس دن مسلمان ایک دوسرے کی دشمنی بھول جاتے ہیں اور ایک دوسرے کو گلے لگاتے ہیں۔
دراصل عید کا تہوار دماغ کی پاکیزگی اور روح کی پاکیزگی کا ہے۔ اس موقع پر ورمسیلی گھر پر بنائی جاتی ہے۔ اس موقع پر بچوں کو عیدی دی جاتی ہے۔ اس لیے بچے طویل عرصے تک عید کا انتظار کرتے ہیں۔
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