तारे क्यों टिमटिमाते हैं भौतिकी के महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर physics long type Question Answee

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प्रशन ::-  तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
उत्तर—हमारे नेत्रों को प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण तारे टिमटिमाते प्रतीत होते हैं। तारे का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के पश्चात् पृथ्वी के पृष्ठ पर पहुंचने तारों की आभासी तक लगातार अपवर्तित होता है। स्थिति P, और P, वायुमंडलीय अपवर्तन उसी
न्म के पीछे माध्यम से होता है जिसका
किरण का मार्ग उस पाव क्रमिक परिवर्ती अपवर्तनांक हो,तथा दूसर क्योंकि वायुमंडल तारे के प्रकाश
ऐसा करने को अभिलंब की ओर झुका देता है। दोनों
बढ़ता हुआ अपवर्तनांक है, इसलिए तारे की आभासी स्थिति उसकी वास्तविक स्थिति से कुछ भिन्न प्रतीत होती है। गणित होता क्षितिज के निकट देखने पर कोई प्रकाश का तारा अपनी वास्तविक स्थिति से कुछ ऊँचाई पर प्रतीत होता है। तारे की यह आभासी स्थिति भी स्थायी न होकरधीरे-धीरे थोड़ी बदलती रहती है; क्योंकि पृथ्वी के वायुमंडल की भौतिक अवस्थाएँभी बदलती रहती हैं। तारे बहुत दूर हैं, इसलिए वे प्रकाश के बिंदु स्रोत के निकट हैं। तारों से आने वाली प्रकाश किरणों का पथ थोड़ा-थोड़ा बदलता रहता है, इसलिए तारे की आभासी स्थिति विचलित होती रहती है तथा आँखों में प्रवेश करने वाले तारों के प्रकाश की मात्रा झिलमिलाती रहती है, जिसके कारण तारे टिमटिमाते प्रतीत हैं
प्रशन ::-  प्रकाश का वर्ण विक्षेपण (Dispersion of light) क्या है? इंद्र धनुष की व्याख्या करें।
उत्तर- जब कोई श्वेत प्रकाश किसी प्रिज्म से होकर गुजरती है तो वह सात रंगों में विभक्त हो जाती है। इस घटना को प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहा जाता है।
वर्षा होने के बाद सूर्य चमकता है तो हमें आकाश में कभी-कभी अर्धवृत्ताकार रंगीन पट्टी दिखाई देती है। इस
वर्षा की बूंद अर्धवृत्ताकार रंगीन पट्टी को इंद्रधनुष (rainbow) कहते है। 
वर्षा की बूंदें प्रिज्म-सा व्यवहार करती हैं। अतः सूर्य के श्वेत प्रकाश को उसके सातों रंगों में विभक्त कर देती हैं और हमें इंद्रधनुष दिखाई पड़ता
बैंगनी है। सूर्य के प्रकाश का किसी बूँद में प्रवेश करने पर अपवर्तन होता है और वह अपने घटक (component) रंगों में विभक्त हो लाल जाता है। विभिन्न रंग द से गुजरकर बूंद की दूसरी सतह पर पड़ते हैं। परावर्तित
रंग पुनः पहली सतह से अपवर्तित होकर बाहर निकलकर देखनेवालों की आँखों की ओर आते हैं। इन दो अपवर्तनों से श्वेत प्रकाश के विभिन्न घटक रंग एक- दूसरे से काफी अलग हो जाते हैं और हमें इंद्रधनुष दिखाई पड़ता है।



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