प्रशन 1. मेट्रो रेलवे क्या
उत्तर:- मेट्रो रेलवे भूमि के अंदर एवं बाहर कोलकाता, दिल्ली एवं बंगलोर जैसे महानगरों में प्रदूषण मुक्त, अत्याधुनिक, स्वचालित गाड़ी नियंत्रण प्रणाली एवं यात्री - नियंत्रण प्रणाली से लैस होकर विद्युत चालित रेलगाड़ियों का परिचालन है।
प्रशन 2. महानगर किसे कहते हैं संक्षेप में बतलाइए
उत्तर:- दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर को महानगर कहते हैं। भारत में महानगर की संख्या निरन्तर बढ़ रही हैं। 1901 में केवल कोलकाता ही एकमात्र महानगर था। 1941 तक कोलकाता तथा मुम्बई दो ही महानगर थे परंतु 1951 में उनकी संख्या 5 हो गई। 1991 में 23 महानगर थे जो ग्रेटर मुम्बई, कोलकाता, दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे, कानपुर, लखनऊ, सूरत, जयपुर, कोचीन, कोयम्बटूर, बड़ोदरा, इंदौर, पटना, मदुरई, भोपाल, विशाखापट्टनम्, वाराणसी तथा लुधियाना हैं। 2001 में इनकी संख्या 35 लाख हो गई है। इन महानगरों में देश की कुल नगरीय जनसंख्या का 65% भाग रहता है ।
प्रशन 3. भारत में सिंचाई के कौन-कौन से साधन हैं ?
उत्तर:- भारत में सिंचाई के निम्न साधन हैं
(i) कुआँ,
(ii) नहर,
(iii) नदी,
(iv) ट्यूवबेल ।
4.बहुउद्देशीय योजना का क्या अर्थ है ?
उत्तर:- भारत में नियोजित आर्थिक विकास का शुभारंभ 1951 में प्रथम योजना के प्रारम्भ से हुआ लेकिन नियोजन के लिए सैद्धान्तिक प्रयास स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व ही प्रारम्भ हो गये थे । बहुउद्देशीय योजना का अर्थ सरकार द्वारा एक साथ अनेक उद्देश्य को साथ में लेकर चलना होता उस योजना के अन्तर्गत बहुत सी योजना सम्मिलित होती है।
प्रशन 5.आधुनिक निर्माण उद्योग की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ?
उत्तर:- आधुनिक निर्माण उद्योग प्रशासकीय अधिकारी वर्ग के अंतर्गत एक जटिल तकनीकी तंत्र के तहत कार्य करता है, जिसमें अधिक पूँजी की सहायता से विशिष्टीकरण एवं श्रम विभाजन के द्वारा कम समय एवं कम लागत में अधिक माल का उत्पादन किया जाता है।
प्रशन 6. विश्व जनसंख्या वितरण की प्रमुख विशेषताओं को क्या है
उत्तर:- विश्व जनसंख्या वितरण के अंतर्गत स्थल भाग के मात्र 10% क्षेत्र पर विश्व की लगभग 90% जनसंख्या निवास करती है। इनमें भी विश्व की 60% जनसंख्या 10 सर्वाधिक आबादी वाले देशों में रहती हैं। इन 10 देशों में से 6 एशिया महादेश में हैं।
प्रशन 7. जल विद्युत शक्ति का विकास उत्तर भारत में अधिक हुआ है । इसके तीन प्रमुख कारण हैं
(i) उत्तर भारत की नदियाँ सदावाहिनी हैं जो गहरी, संकरी घाटियों से होकर गुजरती हैं।
(ii) इन पर बाँध बनाना एवं विद्युत उत्पादन करना सुगम ।
(iii) उपजाऊ मैदान एवं कई महत्वपूर्ण औद्योगिक प्रदेशों से होकर बहने के कारण बिजली की माँग यहाँ अधिक है।
प्रशन 8. वृद्धि एवं विकास के मध्य का अंतर क्या है
उत्तर:- वृद्धि एवं विकास दोनों समय आधारित है। वृद्धि मात्रात्मक यानि धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनों तथा मूल्य निरपेक्ष होता है। जबकि विकास का संबंध गुणात्मक परिवर्त्तन से है । यह तब होता है जब गुणवत्ता में सकारात्मक परिवर्तन आता है ।
GROUP - C
प्रशन 1. भारत में गेहूँ उत्पादन की अनुकूल भौगोलिक दशाओं का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:- भारत के खाद्य फसलों में गेहूँ को दूसरा महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इसकी खेती यहाँ के कुल के 15% भाग पर की जाती है। 1950-51 के समय लगभग एक करोड़ हेक्टेयर खेती की जाती थी जो अब लगभग तीन करोड़ हेक्टेयर हो गयी है। इसी तरह, की भूमि उत्पादन भी 68 लाख टन से बढ़कर 7.5 करोड़ टन हो चुका है। गेहूँ की फसल रबी की फसल है, जिसकी खेती के लिए यहाँ निम्नलिखित भौगोलिक सुविधाएँ हैं।
बोते समय 10°C के आसपास तापमान एवं आर्द्रता तथा पकते समय शुष्कता एवं 20°-27°C तापमान की प्राप्ति होती है । भारत में यह फसल नवम्बर में बोया जाता है और मार्च-अप्रैल में काट
लिया जाता है। फसल तैयार होते समय तापमान एकाएक बढ़ने लगता है तथा शुष्क पवन चलने लगती है, जिससे भारतीय गेहूँ के दाने पतले, छोटे और कड़े होते हैं।
भारत के उत्तरी मैदान के उत्तर-पश्चिमी भाग में इसकी खेती की जाती है। इसके अंतर्गत पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं गुजरात राज्य शामिल हैं। पंजाब एवं उत्तर प्रदेश में जाड़े का तापमान कम और कम वर्षा तथा शीतकालीन वर्षा यहाँ गेहूँ के फसल की वृद्धि में सहायक है। इसके पूरब की ओर आर्द्रता एवं वर्षा बढ़ने से गेहूँ की कृषि क्रमशः घटती जाती है। महाराष्ट्र गुजरात की काली मिट्टी में इसकी खेती बिना सिंचाई के की जाती है । इन भौगोलिक सुविधाओं के कारण भारत में विश्व का 12% गेहूँ उत्पन्न किया जाता है।
लिया जाता है। फसल तैयार होते समय तापमान एकाएक बढ़ने लगता है तथा शुष्क पवन चलने लगती है, जिससे भारतीय गेहूँ के दाने पतले, छोटे और कड़े होते हैं।
भारत के उत्तरी मैदान के उत्तर-पश्चिमी भाग में इसकी खेती की जाती है। इसके अंतर्गत पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं गुजरात राज्य शामिल हैं। पंजाब एवं उत्तर प्रदेश में जाड़े का तापमान कम और कम वर्षा तथा शीतकालीन वर्षा यहाँ गेहूँ के फसल की वृद्धि में सहायक है। इसके पूरब की ओर आर्द्रता एवं वर्षा बढ़ने से गेहूँ की कृषि क्रमशः घटती जाती है। महाराष्ट्र गुजरात की काली मिट्टी में इसकी खेती बिना सिंचाई के की जाती है। इन भौगोलिक सुविधाओं के कारण भारत में विश्व का 12% गेहूँ उत्पन्न किया जाता है।
अथवा,
प्रशन 1.भारत में पेट्रोलियम के उत्पादन एवं वितरण का वर्णन करें।
उत्तर:- पेट्रोलियम एक ऐसा अकार्बनिक तरल पदार्थ है, जो अवसादी चट्टानों की विशेष संरचनाओं में पाया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार भारत के लगभग 14 लाख वर्ग मी० क्षेत्र में तेल भंडार हैं, जिसमें सबसे विशाल असम तेल क्षेत्र है। भारत के इयोसीन एवं मायोसीन काल की अवसादी चट्टानों में पेट्रोलियम के भंडार हैं। सर्वप्रथम असम के डिगबोई में इसका पता चला था । उसके बाद द्वितीय और तृतीय पंचवर्षीय योजना कालों में भारत के विभिन्न भागों में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग द्वारा खोज की गयी। रूसी विशेषज्ञों के अनुसार भारत में लगभग 6 अरब टन के बड़े-बड़े तेल भंडार हैं। अनुमान है कि महाद्वीपीय मग्नतट के लगभग 3 लाख वर्ग किमी० क्षेत्र में परतदार चट्टानें पेट्रोलियम से भरी हैं।
1951 ई० में देश में पेट्रोलियम का कुल उत्पादन 205 लाख टन था जो 2001 ई० में बढ़कर 320 लाख टन हो गया ।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पेट्रोलियम के उत्पादन में 50 गुणा से भी अधिक वृद्धि हुई है। भारत में पेट्रोलियम के तीन मुख्य उत्पादक क्षेत्र हैं
(i) असम तेल क्षेत्र,
(ii) गुजरात तेल क्षेत्र,
(iii) मुंबई हाई तेल क्षेत्र । इसके अलावा गोदावरी और कावेरी नदी के बेसिनों में तथा बंगाल की खाड़ी के मग्नतट पर भी तेल मिले हैं। बिहार के उत्तरी मैदान भाग में भी तेल की खोज का कार्य जारी है। इन क्षेत्रों से प्राप्त कच्चे तेल का परिष्करण तटीय भागों, बाजार क्षेत्र तथा उत्पादन केन्द्रों के निकट स्थापित कुल 14 तेल शोधनशालाओं में किया जाता है।
प्रशन 2.आयु- लिंग पिरामिड का वर्णन करें।
उत्तर:- जनसंख्या की आयु- लिंग पिरामिड का तात्पर्य विभिन्न आयु वर्ग में पुरुषों तथा स्त्रियों की संख्या से है। किसी भी पिरामिड के प्रत्येक आयु वर्ग में बायीं तरफ पुरुषों तथा दायीं तरफ स्त्रियों के प्रतिशत जनसंख्या का निरूपण किया जाता है। पिरामिड का आकार होने के कारण ही आयु - लिंग आरेख को पिरामिड आरेख भी कहा जाता है । पिरामिडनुमा आकार वहाँ का छोटा है जहाँ उच्च जन्म दर के कारण निम्न आयु वर्ग की जनसंख्या अधिक तथा उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण उच्च वर्ग की संख्या कम होती है । यह अल्पविकसित देशों का प्रतिनिधित्व करता है । जैसेमैक्सिको या बंगलादेश का पिरामिड । विकसित देशों का आयु- लिंग पिरामिड का आधार तुलनात्मक संकीर्ण एवं शीर्ष शुंडाकार होता है। आस्ट्रेलिया का आयु- लिंग पिरामिड घंटी के आकार का है जो समान दर और मृत्यु दर को इंगित करता है, जबकि जापान जैसे विकसित देशों का पिरामिड संकीर्ण आधार एवं शुंडाकार शीर्ष वाला होता है, जो निम्न जन्म-दर तथा निम्न मृत्यु को प्रदर्शित करता है। इन देशों में जनसंख्या वृद्धि शून्य या ऋणात्मक होती है। इस प्रकार आयु-1 1- लिंग संरचना पिरामिड के द्वारा किसी देश की आर्थिक एवं सामाजिक जनसंख्या प्रतिशत अल्प विकसित देशों का पिरामिड आयु वर्ग पुरुष महिला परिस्थितियों की जानकारी प्राप्त होती है।
अथवा,
प्रशन 2.अंतरराष्ट्रीय व्यापार में पनामा नहर की महत्ता का वर्णन करें ।
उत्तर:- पनामा नहर का निर्माण अटलांटिक एवं प्रशांत महासागर के तटीय देशों को जोड़ने के उद्देश्य से 1913. ई० में किया गया था । 72 किमी० लंबा यह नहर पनामा नगर और कोलोन के बीच फैला है। इस नगर मार्ग के मध्य 6 दरवाजे या जलबंध बनाए गए हैं जो यहाँ से समुद्री जहाजों को पार करने में मदद करती हैं। दोनों महासागरों के जलस्तर में 26 मीटर का अंतर होने के कारण इस नहर को पार करने पर जहाजों को 26 मीटर ऊपर-नीचे होकर जाना पड़ता है।
इस नहर के बन जाने के बाद सबसे अधिक लाभ संयुक्त अमेरिका को हुआ है। इसके पूर्वी और पश्चिमी तट के बीच यात्रा की दूरी और समय दौनों में उल्लेखनीय कमी आयी है। न्यूयार्क तथा सेनफ्रांसिस्को के बीच लगभग 1300 किमी० की कमी आयी। इसी तरह अमेरिका के पश्चिमी दक्षिण अमेरिका के पूर्वी तटों एवं यूरोप तथा एशिया के बीच की यात्रा और समय कम हो गया इसी तरह उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट और दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तटीय देशों के बीच समय और दूरी कम हो गया है । समय और दूरी कम लगने से वस्तुओं के परिवहन पर लगनेवाले व्यय या लागत में भी की आयी है। नहर को प्रशांत महासागर का सिंहद्वार भी कहा जाता है। इस नहर मार्ग के बन जाने से न्यूयार्क एवं याकोहामा के बीच 5440 किमी०, सेन फ्रांसिस्को से लिवरपुल के मध्य 8000 किमी० तथा न्यूयार्क एवं आर्कलैंड के मध्य 4000 पनामा नहर अटलांटिक • कोलोन महासागर पनामा प्रशांत महासागर तथा है। किमी० की दूरी घट गयी है । नगर
प्रशन 3. विश्व में जनसंख्या वृद्धि की प्रकृति का वर्णन करें।
उत्तर:- वर्तमान समय में विश्व की जनसंख्या 600 करोड़ से अधिक है। ईसा की पहली सदी में जनसंख्या 30 करोड़ से कम थी जो 1750 ई० के आसपास बढ़कर 55 करोड़ हो गयी। औद्योगिक क्रांति के बाद विश्व की जनसंख्या में विस्फोटक वृद्धि दर्ज की गयी। 1830–1930 ई. के 100 वर्षों के दौरान जनसंख्या एक अरब से बढ़कर 2 अरब हो गयी। 1960-75 के 15 वर्षों के दौरान यह 3 अरब से 4 अरब हो गयी जबकि 1975-1987 ई० के 12 वर्षों की अवधि में यह 5 अरब तथा अगले 12 वर्षों के दौरान 1999 ई० में 6 अरब हो गयी है ।
इसी प्रकार, विश्व जनसंख्या को दो गुना होने की अवधि प्रवृत्ति भी उल्लेखनीय है। इसे 50 से 100 करोड़ होने में 200 वर्ष लगे । 100200 करोड़ होने में 80 वर्ष तथा 200-400 करोड़ होने में 45 वर्ष लगे हैं। जबकि 400-600 करोड़ होने में मात्र 24 वर्ष लगे । इस प्रकार विश्व की जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्ति से यह स्पष्ट है कि यह घटते हुए समयावधि के दौरान एक अरब बढ़ जाती है।
दूसरी ओर, उच्चावच, जलवायु, मिट्टी तथा अन्य भौगोलिक कारकों की विविधता के कारण कुछ देशों में धान की खेती नहीं की जाती है। ऐसे क्षेत्रों में गेहूँ तथा ज्वार-बाजरा की खेती की जाती । इसके अन्तर्गत चीन का मंचूरिया, उत्तरी कोरिया, जापान एवं भारत के उत्तरी एवं पश्चिमी क्षेत्र शामिल हैं। सिंचाई इस कृषि पद्धति की मुख्य विशेषता है।
अथवा,
प्रशन 4.गहन निर्वाहन कृषि क्या है ? विवरण दीजिए ।
उत्तर:- गहन निर्वहन कृषि मॉनसून प्रदेश की कृषि हैं। जनसंख्या दबाव अधिक होने के कारण छोटे होते जा रहे खेतों पर यहाँ परंपरागत कृषि औजारों एवं यंत्रों का प्रयोग किया जाता है। फलतः प्रति हेक्टेयर उत्पादकता यहाँ कम है। कृषि पर जनसंख्या के अत्यधिक दबाव के कारण ही इस प्रदेश में गहन निर्वहन कृषि की जाती है। यह कृषि दो प्रकार का होता है—(i) चावल प्रधान कृषि, (ii) चावल विहिन कृषि |
चावल प्रधान गहन निर्वहन कृषि में चावल की खेती प्रमुखता से की जाती है। भूमि का गहन उपयोग होते हुए भी यहाँ मानवीय श्रम का उपयोग अभी भी अधिक है। यद्यपि, इसमें परिवर्त्तन का दौर जारी है। उर्वरता को कायम रखने के लिए गोबर की खाद का अधिक प्रचलन है, जिससे प्रति 2. इकाई उत्पादन अधिक किन्तु प्रति किसान उत्पादन कम होता है । इसके अन्तर्गत मुख्य रूप से एशियाई देश शामिल हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें