उपलब्धियां : ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध
खड़ा सत्याग्रह और बरडोली विद्रोह का
सफलतापूर्वक नेतृत्व किया, 1922, 1924
और 1927 में अहमदाबाद नगर निगम के
अध्यक्ष चुने गए, 1931 में कांग्रेस के अध्यक्ष
चुने गए, स्वतंत्र भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री
और गृह मंत्री बने, भारत के राजनैतिक
एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई,
1991 में भारतरत्न के लिए पुष्टि की गईभारत
के प्रथम उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार
पटेल लोकप्रिय लौह पुरुष के रूप के नाम से
भी जाने जाते हैं। उनका पूरा नाम वल्लभ भाई
पटेल था। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में
महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारत के प्रथम
उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री बने। उन्हें भारत
के राजनैतिक एकीकरण का श्रेय दिया जाता
है।
प्रारंभिक जीवन :वल्लभ भाई पटेल का
जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के एक
छोटे से गाँव नाडियाड में हुआ था। उनके पिता
झावेरभाई एक किसान और मां लाडबाई एक
साधारण महिला थी। सरदार वल्लभ भाई की
प्रारंभिक शिक्षा करमसद में हुई। फिर उन्होंने
पेटलाद के एक विट्यालय में प्रवेश लिया। दो
वर्ष के पश्चात उन्होंने नाडियाड शहर के एक
हाई स्कूल में प्रवेश लिया। उन्होंने अपनी हाई
स्कूल की परीक्षा 1896 में उत्तीर्ण की। सरदार
वल्लभ भाई पटेल अपनी पूरी शिक्षा के दौरान
एक मेधावी छात्र रहे।वल्लभ भाई वकील
बनना चाहते थे और अपने इस सपने को पूरा
करने के लिए उन्हें इंग्लैंड जाना था किंतु उनके
पास इतने भी वित्तीय साधन नहीं थे कि वह
एक भारतीय महाविद्यालय में प्रवेश ले सकें।
उन दिनों एक उम्मीदवार व्यक्तिगत रूप से
अध्ययन कर वकालत की परीक्षा में बैठ
सकता था। अतः सरदार वल्लभ भाई पटेल ने
अपने एक परिचित वकील से पुस्तकें उधार
ली और घर पर अध्यन आरम्भ कर दिया।
समय-समय पर उन्होंने अदालतों के कार्यवाही
में भी भाग लिया और वकीलों के तर्कों को
ध्यान से सुना। तत्पश्चात वल्लभ भाई ने
वकालत की परीक्षा सफलतापूर्वक उत्तीर्ण कर
की।
कैरियर :इसके बाद सरदार पटेल ने
गोधरा में अपनी वकालत शुरू की और जल्द
ही उनकी वकालत चल पड़ी। उनका विवाह
झबेरबा से हुआ। 1904 में पुत्री मणिबेन और
1905 में उनके पुत्र दहया भाई का जन्म
हुआ। वल्लभ भाई ने अपने बड़े भाई
विट्ठलभाई, जो स्वयं एक वकील थे, को कानून
की उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेजा। पटेल
सिर्फ 33 साल के थे जब उनकी पत्नी का
देहांत हो गया। उन्होंने पुनः विवाह की कामना
नहीं की। अपने बड़े भाई के लौटने के पश्चात
वल्लभ भाई इंगलैंड चले गए और एकचित्त
होकर लगन के साथ पढाई की और क़ानूनी
परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया।सरदार
पटेल 1913 में भारत लौटे और अहमदाबाद
में अपनी वकालत शुरू की। जल्द ही वह
लोकप्रिय हो गए। अपने मित्रों के आग्रह पर
पटेल ने 1917 में अहमदाबाद के सैनिटेशन
कमिश्नर का चुनाव लड़ा और उसमे विजयी
हुए। सरदार पटेल गांधीजी के चंपारण
सत्याग्रह की सफलता से काफी प्रभावित थे।
1918 में गुजरात के खेड़ा खंड में सूखा पड़ा।
किसानों ने करों से राहत की मांग की लेकिन
ब्रिटिश सरकार ने मना कर दिया। गांधीजी ने
किसानों का मुद्दा उठाया पर वो अपना पूरा
समय खेड़ा में अर्पित नहीं कर सकते थे
इसलिए एक ऐसे व्यक्ति की तलाश कर रहे थे
जो उनकी अनुपस्थिति में इस संघर्ष की
अगुवाई कर सके। इस समय सरदार पटेल
स्वेछा से आगे आये और संघर्ष का नेतृत्व
किया। इस प्रकार उन्होंने अपने सफल
वकालत के पेशे को छोड़ सामाजिक जीवन में
प्रवेश किया।
राजनैतिक जीवन :वल्लभ भाई ने खेड़ा
में किसानो के संघर्ष का सफलतापूर्वक नेतृत्व
किया जिसके परिणामस्वरूप ब्रिटिश सरकार
ने राजस्व की वसूली पर रोक लगाई और करों
को वापस लिया और वर्ष 1919 में संघर्ष
खत्म हुआ। खेड़ा सत्याग्रह से वल्लभ भाई
पटेल राष्ट्रीय नायक के रूप में उभर कर सामने
आये। वल्लभ भाई ने गांधीजी के असहयोग
आंदोलन का समर्थन किया और गुजरात
कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में अहमदाबाद में
ब्रिटिश सामान के बहिस्कार के आयोजन में
मदद की। उन्होंने अपने विदेशी कपड़ों का
त्याग किया और खादी पहनना शुरू किया।
सरदार वल्लभ भाई पटेल 1922, 1924 और
1927 में अहमदाबाद के नगर निगम के
अध्यक्ष चुने गए। उनके कार्यकाल में
अहमदाबाद में बिजली की आपूर्ति को बढ़ाया
गया और शिक्षा में सुधार हुआ। जल निकासी
और स्वछता व्यवस्था का पूरे शहर में विस्तार
किया गया।वर्ष 1928 में गुजरात का बरदोली
तालुका बाढ़ और अकाल से पीड़ित था।
संकट की इस घडी में ब्रिटिश सरकार ने
राजस्व करों को तीश प्रतिशत बढ़ा दिया।
सरदार पटेल किसानो के समर्थन में उतरे और
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