प्रतिरोध किसी पदार्थ का वह गुण जिसके कारण वह विद्युत धारा के प्रवाह का विरोध करता है, प्रतिरोध कहलाता है।
विभव (V) = प्रतिरोध (R)/धारा (1)
विभवांतर और धारा पर प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए चित्र के अनुसार वोल्टमीटर को प्रतिरोध के समांतर तथाbआमीटर को श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाता है तथा ॥ चालक तार को क्रमशः
M. N. S. T से जोड़कर धारा को बढ़ाया जाता है। 1' को बारी-बारी से M. N.S. T से सटाकर ऐमीटर में धारा तथा वोल्टमीटर का पठन लेकर हरेक स्थित में हैं तथा हरेक अवस्था में
का मान प्राप्त करते = R प्राप्त करते हैं। R अधिक रहने से
अवस्था में V/I= R समान विभवांतर के लिए धारा कम प्रवाहित होगा।
प्रशन 2. डायनेमो की बनावट, क्रिया एवं सिद्धान्त का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर - डायनेमो एक विद्युतीय उपकरण है, जिसकी सहायता से यात्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। यह उपकरण विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है।
माना कि NS एक शक्तिशाली नाल चुम्बक है, जिसके मध्य में अबकड एक कुंडली है जिसका एक सिरा वलय R तथा दूसरा सिरा वलय R2 से जुड़ा है। वलय पर कार्बन का ब्रश क्रमश: C तथा C से लगा रहता है, जिससे संयोजक तार लगाकर उसे बल्ब से जोड़ते हैं। कुंडली एक धुरी से जुड़ी रहती है, जो अपने अक्ष पर घूमने के लिए स्वतंत्र रहती है। जब कुंडली ABCD पर घूमती है
तो चुम्बकीय बल रेखाओं को संख्या में परिवर्तन के कारण उससे प्रेरित धारा प्रवाहित होने लगती है। पहले अर्धचक्र में धारा AB से CD की ओर तथा अगले अर्धचक्र में धारा DC से BA की ओर प्रवाहित होती है। इस प्रकार इससे प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न होती हैं। किसी यांत्रिक संसाधन के सहारे लोहे की वृताकार चकती को तेजी से घुमाते हैं। नल चुम्बक के अन्दर आर्मेचर तेजी से घूमता है। चुम्बक के अन्दर विद्युत चुम्बकीय प्रेरण उत्पन्न होता है और धारावाही तार से होकर विद्युतधारा का प्रवाह होता है। विद्युतीय संसाधन स्वचालित होते हैं। ज्यों ही आमंचर क्षैतिज क्रम में आता है त्यों ही आर्मेचर और नाल चुम्बक के बीच दूरी बढ़ जाती है। विद्युत चुम्बकीय प्रेरण उत्पन्न होना बंद हो जाता है, धारा का प्रवाह रूक जाता है और धारावाही तार ऋण ध्रुव की भाँति व्यवहार करता है।
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