चन्दा झा मैथिलीक आधुनिक युगक रचनाकार छथि । मैथिली साहित्यक आधुनिक काल हिनके रचनासँ शुरू होइत अछि । ई युग प्रवर्तक रचनाकार छथि । हिनक जन्म दरभंगा जिलाक पिण्डारुच गाम मे 20 जनवरी, 1831 ई० कऽ भेलनि। बादमे ई मधुबनी जिलाक ठाढ़ी गाममे बसि गेलाह। हिनक शिक्षा-दीक्षा भेलनि मातृकमे-सहरसा जिलाक बड़गाममे। ओतहि ई संस्कृत व्याकरण आ साहित्य पढ़लनि। गन्धवारि आ नरहन ड्योढ़ीमे पण्डित- शिक्षकक रूपमे काज कयलाक बाद दरभंगा राज दरबारमे आबि गेलाह। महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह आ रामेश्वर सिंहक समयमे ई ओहिठामक सभा पण्डित छलाह। विद्वानक रूपमे हिनक आदर छलनि। 14 दिसम्बर, 1907 कऽ हिनक निधन भेलनि। -
चन्दा झा बहुआयामी व्यक्तित्वक लोक छलाह। मैथिली भाषा आ साहित्यक विकासक लेल ई कतेक प्रकारक काज कयलनि। पहिल काज छल मैथिलीक प्राचीन साहित्यक खोज करब । मिथिलाक गामे गाम घूमि कऽ ओ जे अनुसन्धान कयलनि ताहिमे प्रमुख अछि विद्यापतिक गीत । बंगाली विद्वान शारदा चरण मित्र तथा विमान बिहारी मजुमदारक संग विद्यापति गीतक खोज तऽ करने कयलनि, विद्यापतिक हाथक लिखल 'भागवत' सेहो उपलब्ध कयलनि । यैह कृति देखि कऽ बंगाली सभ मानि गेलाह, जे विद्यापति मैथिल छलाह। विद्यापतिक 'लिखनावली' एवं 'कीर्त्तिलता' नामक पोथी तकबाक श्रेय चन्दा झाकेँ छनि । गोविन्द दासक गीतक जे संग्रह चन्दा झा कयलनि से बादमे 'शृंगारभजन' नाम सँ छपल। एहि प्रकारक अनुसन्धान कार्यक अतिरिक्त चन्दा झा अनेक मौलिक पोथीक रचना सेहो कयने छथि । ताहिमे मुख्य अछि 'मिथिलाभाषा रामायणक लेखन तथा विद्यापति लिखित 'पुरुष परीक्षा ' क अनुवाद | मैथिलीमे रामकथा पर महाकाव्य सभसँ पहिने चन्दे झा लिखलनि। सीता आ रामक जीवन-रचित कें विषय बनायब, हुनका सभक महत्वक प्रतिपादन करब सम्पूर्ण भारतक साहित्यकारक लेल आकर्षणक वस्तु छल । मैथिलीमे एकर श्रीगणेश चन्दा झा कयलनि । साहित्यमे एकटा बड़ड़ पैघ अभावक पूर्ति भेल। एतबे नहि, चन्दा झा तेहन सरल, सरस आ सुन्दर भाषामे राम कथा लिखलनि जे ओ मैथिलीक सर्वाधिक लोकप्रिय पोथी बनि गेल । तहिना पुरुष परीक्षाक अनुवादसँ मैथिलीमे कथा लेखनक मार्ग प्रशस्त भेल। ई दुनू कृति चन्दा झाक कालजयी अवदान अछि।
कहल जा चुकल अछि जे चन्दा झा मैथिलीक युग प्रवर्तक कवि छथि। एहि मान्यताक सत्यापन हिनक पूर्वोक्त कार्यकलाप एवं साहित्य-रचनासँ तँ होइतहिं अछि हिनक मुक्तक कवितासँ होइत अछि। हिनक मुक्तक कविताक दूटा संग्रह उल्लेखनीय अछि-चन्द्रपद्यावली तथा चन्द्र रचनावली | दुनू पोथी हिनक मृत्युक बादक संकलन थिक। एहिमे भक्ति गीतसँ देश-दशा विषयक गीत धरि संगृहीत अछि। जीवन औ जगतक प्रति चन्दा झाक दृष्टिकोण, वैचारिकता तथा भावाकुलता हिनक मुक्तक कवितामे मुखर भेल अछि। कहल जाइत अछि जे चन्दा झा अपन समयक आँखि आ मुँह दुनू छलाह। ओहि कालक सामाजिक, आर्थिक आ राजनीतिक स्थितिकेँ चन्दा झा मनोयोगपूर्वक देखलनि । जमीन्दार आ ब्रिटिश शासनकीय जाँतक दूटा पट्टा छल जाहिमे आमलोक पिसाइत रहय। चन्दा झा अपन अनेक पदमे एहि स्थितिक वर्णन कयलनि अछि। ओहिमे कविक जे चिन्ता व्यक्त भेल अछि, ओहिसँ मुक्तिक जे व्यग्रता आ छटपटाहटि देखार भेल अछि से हिनक लोक-प्रेम, विकास कामना तथा मनुक्खक हेम-क्षेमक लेल सक्रियताक साक्षी अछि।
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