गणित Math Class 9th/10th गणित के सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों की परिभाषा पूरे गणित का निचोड़ एक ही जगह 2023 मैं परीक्षा देने वाली विद्यार्थियों के लिए

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1.अंकगणित की आधारभूत प्रमेय क्या है? 
हल— प्रत्येक भाज्य संख्या को अभाज्य संख्याओं के एक गुणनखण्ड (गुणनफल) के रूप में व्यक्त (गुणनखंडित) किया जा सकता है तथा यह गुणनखंडन अभाज्य गुणनखण्डों के आने वाले क्रम के बिना अद्वितीय होता है। 
2.किसी खेल के मैदान के चारों ओर एक वृत्ताकार पथ है। इस मैदान का एक चक्कर लगाने में सोनिया को 18 मिनट लगते हैं जबकि इसी मैदान का एक चक्कर लगाने में रवि को 12 मिनट लगते हैं। मान लीजिए वे दोनों एक ही स्थान और एक ही समय पर चलना प्रारंभ करके एक ही दिशा में चलते हैं। कितने समय बाद वे पुनः प्रारंभिक स्थान पर मिलेंगे? 
हल—LCM (18, 12) = 36 मिनट बाद वे प्रारंभिक स्थान पर मिलेंगे।
 3.अपरिमेय संख्या क्या है? 
जो संख्याएँ परिमेय नहीं हैं. उन्हें अपरिमेय संख्या कहते हैं। अपरिमेय संख्या का दशमलव विस्तार असांत और अनावर्ती है। 
4.परिमेय संख्या क्या है?
हल—परिमेय संख्याएँ वैसी संख्याएँ हैं जिन्हें के रूप में व्यक्त किया जा सकता q q # 0 है। परिमेय संख्या
है जहाँ p तथाq असहभाज्य पूर्णांक संख्या है और का दशमलव विस्तार सांत और आवर्ती है। 
 5.परिमेय और अपरिमेय संख्या में क्या अंतर है? 
हल— परिमेय संख्याएँ सांत और असांत आवर्ती होते हैं लेकिन अपरिमेय संख्याएँ असांत और अनावर्ती होती है। 
6.वास्तविक संख्याएँ क्या हैं? समूह होते हैं
हल— वास्तविक संख्याएँ समस्त परिमेय और अपरिमेय संख्याओं के ।
7.प्रमेयिका (Lema) क्या है? 
हल—प्रमेयिका सिद्ध किया हुआ कथन होता है तथा इसका प्रयोग अन्य कथन को सिद्ध करने में होता है।
8. एल्गोरिथ्म क्या है?
एल्गोरिथ्म सुपरिभाषित चरणों की एक श्रृंखला होती है, जो एक विशेष प्रकार की समस्याओं को हल करने की एक प्रक्रिया या विधि प्रदान करती है।
 9.धन पूर्णांक क्या है?
धन पूर्णांकों की अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में अद्वितीय रूप से व्यक्त किया जा सकता है। अर्थात् अभाज्य संख्याओं को धन पूर्णांकों के निर्माण का साँचा कहा जा सकता है।
10.एल्गोरिथ्म किस नाम से लिया गया है?
हल एक फारसी गणितज्ञ अल-ख्वारिजनी के नाम से लिया गया है
11.एक शून्येत्तर एक अथवा भागफल किस प्रकार की संख्या का निर्माण करता है? 
हल—अपरिमेय संख्या का निर्माण करता है। परिमेय संख्या और एक अपरिमेय संख्या का गुणनफल
12.बहुपद के शून्यक से क्या समझते हैं? 
किसी भी बहुपद P(x) का शून्यक चर का वह मान होता है जो बहुपद में चर की जगह रखने पर बहुपद शून्य के बराबर हो जाता है। 
 13. ax+ bx + c किस प्रकार के बहुपद का उदाहरण है? 
द्विघात बहुपद

 14.बहुपद क्या है?
किसी चरx में बहुपद का एक बीजीए व्यंजक है जिसमें x के सिर्फ अऋणात्मक पूर्णांक घात ही आरोही या अवरोही क्रम में सजे रहते हैं।
15. दो चर वाले रैखिक समीकरण के हल करने की कितनी विधियाँ हैं।
हल- दो चर वाले रैखिक समीकरण के हल करने की निम्नांकित विधियाँ 
(i) लुप्तीकरण अथवा विलोपन विधि 
(ii) बज्र गुणन विधि 
(iii) प्रतिस्थापन विधि
(iv) अनुपात निर्णय विधि

16. दो चर वाले रैखिक समीकरण का व्यापक रूप क्या है? 
यदि x और y दो चर राशियाँ हैं तो ax + by + c = 0 दो चर वाले रैखिक समीकरण के व्यापक रूप कहे जाते हैं जबकि a #0, b = 0 एवं c एक वास्तविक संख्या है।

17. संगत युग्म से क्या समझते हैं?
 दो चरों वाले रैखिक समीकरण युग्म संगत कहलायेगा यदि इस युग्म का क से कम एक हल हो ।

18. विरोधी युग्म से क्या समझते हैं?
दो चर वाले रैखिक समीकरण विरोधी युग्म कहलायेगा। यदि युग्म का व हल न हो।

19. शून्यक और मूल में क्या अंतर है? 
हल- किसी व्यंजक p(x) में चर x के वे मान जो व्यंजक को शून्य कर दे व्यंजक का शून्यक कहलाता है। किसी बहुपदीय समीकरण p(x) = 0 (q = 0) में चर x के वे मान जो p(x) = 0 को संतुष्ट करते हैं तो p(x) = 0 के मूल होते हैं।
20. समांतर श्रेढ़ी में निश्चित संख्या क्या है? 
हल—निश्चित संख्या AP का सार्वअंतर कहलाता है। 
21.समांतर श्रेढ़ी से क्या समझते हैं? 
हल—किसी समांतर श्रेढ़ी में अनुक्रम इस प्रकार होता है कि प्रत्येक पद (प्रथम छोड़कर) उसके पूर्ववर्ती पद में एक निश्चित संख्या जोड़ने पर प्राप्त होता है?

22. अनुक्रम क्या है?
संख्याओं के एक निश्चित नियमानुसार क्रम को अनुक्रम कहते हैं। 
23. सार्वअंतर की प्रकृति क्या हो सकती है? 
हल–सार्वअंतर धनात्मक, ऋणात्मक या शून्य हो सकती है। 
24. परिमित और अपरिमित AP से क्या समझते हैं? 
हल—परिमित, AP में पदों की संख्या निश्चित होती है जबकि अपरिमित, AP की संख्या निश्चित नहीं होती है तथा इसमें अंतिम पद नहीं होता है
25.सर्वांगसमता का क्या अर्थ है? 
हल- सर्वांगसमता का अर्थ होता है आकार और आमाप में समान होना। 
26. स्केल गुणक अथवा प्रतिनिधित्व भिन्न क्या है? 
हल बहुभुजों के लिए संगत भुजाओं के इस एक ही अनुपात को स्केल गुणक अथवा प्रतिनिधित्व भिन्न कहा जाता है। 
27. समरूपता का क्या अर्थ है? का अर्थ होता है
समरूपता हो सकते हैं। आकार में समान होना, आमाप समान या असमान

28. 'निर्देशांक ज्यामिति के कुछ उपयोगों को लिखें। 
हल— इसका उपयोग, भौतिकी, इंजीनियरिंग, समुद्री-परिवहन, भूकंपशास्त्र संबंधी और कला में होता है।

29.आधारभूत ठोसों के नाम लिखें। 
 हल—घनाभ, बेलन, शंकु, गोले, अर्द्धगोले आदि।
30. सांख्यिकी क्या है?
हल सांख्यिकी गणित की वह शाखा है जिसमें संख्यात्मक आँकड़ों के संग्रह, प्रस्तुतीकरण एवं विश्लेषण में उपयोगी विधियों एवं तकनीकी का अध्ययन कर उनपर आधारित निष्कर्ष निकालते हैं। 
31. बहुलक क्या है?
हल—किसी चर वितरण में वह विचर है जो सबसे अधिक बार दुहराया जाता है अर्थात् किसी बंटन में जिस विचर की बारंबारता अधिकतम हो बहुलक कहलाता है। 
32. माध्य क्या है?
हल–दिए गए प्रेक्षणों का माध्य सभी प्रेक्षणों के मानों के योग को प्रेक्षणों की कुल संख्या से भाग देकर प्राप्त किया जाता है।
33. बहुलक के गुणों को लिखें। 
(i) यह दैनिक जीवन में काफी उपयोगी है।
(ii) यह पूर्ण समूह का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व करता है चूँकि यह सबसे ज्यादा संबंधित मानों का निरूपण करता है।
(iii) इसके निर्धारण में सभी पदों की जानकारी आवश्यक नहीं है। 
34. माध्य ज्ञात करने की कौन-कौन सी विधियाँ है? 
हल—माध्य ज्ञात करने की विधियाँ :
(i) प्रत्यक्ष विधि, (ii) कल्पित माध्य विधि, (iii) पद विचलन विधि। 
35. तोरण के कुछ अनुप्रयोगों को लिखें।
हल तोरण की मदद से हम माध्यिका प्राप्त कर सकते हैं। बारंबारता बंटन की माध्यिका पाने में तोरण का उपयोग किया जाता है।
36. केंद्रीय प्रवृति की माप क्या है?
हल-आँकड़े मूलतः एक केंद्रीय मान के ईद गिर्द घूमते हैं। इस केंद्रीय मान को ज्ञात करना केंद्रीय प्रवृति की माप कहलाती है। केंद्रीय प्रवृत्ति की माप, माध्य, माध्यिका और बहुलक से होती है।
37. माध्यिका के तीन गुणों को लिखें।
हल–(i) माध्यिका आसानी से ज्ञात की जाती है।
(ii) यह चरम मानों से प्रश्न प्रभावित नहीं होती है
(iii) यह निश्चित है।
38. वर्ग चिन्ह क्या है?
 हल—ऊपरी वर्ग सीमा और निचली वर्ग सीमा का औसत मान वर्ग चिन्ह कहलात है।
39. संचयी बारंबारता वक्र क्या कहलाती है?
 हल–वर्ग अंतरालों की संचयी बारंबारताओं तथा वर्ग अंतराल की उच्च या नि सीमा को क्रमशः y-अक्ष तथा x-अक्ष पर लेकर ग्राफ पेपर पर एक वक्र प्रा करते हैं। इसी वक्र को संचयी बारंबारता वक्र या तोरण कहते हैं।



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