Bihar Board Social Science Class 9th Pre Secondary (Notes) Question Answer in Hindi medium बिहार बोर्ड कक्षा नौवीं के सामाजिक विज्ञान से अभ्यास 1 का भौगोलिक खोजें से प्रश्न उत्तर

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BIHAR BOARD CLASS 9TH SOCIAL SCIENCE 
अभ्यास -1 भौगोलिक खोजें 
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2 नंबर वाले प्रशन उत्तर 👈
प्रश्न 1. यूरोप में मध्यकाल को अंधकार का युग क्यों कहा जाता है ? 
उत्तर-मध्यकालीन यूरोप में सामंतवादी प्रवृत्तियाँ थीं । इस काल में न तो व्यापार-वाणिज्य गतिशील था और न ही धर्म का स्वरूप उदार एवं मानवीय था । लोगों में अन्धविश्वास था । यही कारण है कि यूरोप में मध्यकाल को अंधकार का युग कहा जाता है ।

प्रश्न 2. भौगोलिक खोजों में वैज्ञानिक उपकरणों का क्या योगदान था ? 
उत्तर-नए-नए आविष्कारों ने समुद्री यात्रा एवं नौसेना के विकास को सुगम बना दिया । यूरोपियों ने कम्पास का ज्ञान अरबों से सीखा, नाव निर्माण की खाँचा पद्धति विकसित हुई । जिससे बड़े और मजबूत जहाज बनाए जाने लगे । दूरबीन के आविष्कार ने भौगोलिक अभियामों में काफी मदद पहुँचाया । इस तरह भौगोलिक खोजों में वैज्ञानिक उपकरणों का महत्त्वपूर्ण योगदान था । 

प्रश्न 3. भौगोलिक खोजों ने व्यापार-वाणिज्य पर किस प्रकार प्रभाव
उत्तर-नए देशों की खोज एवं नए व्यापारिक सम्पर्कों ने वाणिज्य में क्रांतिकारी परिवर्तन लाये । उपनिवेशों के आर्थिक शोषण से यूरोपीय देश समृद्ध होने लगे । मुद्रा व्यवस्था का विकास हुआ । हुण्डी, ऋणपत्र आदि व्यापारिक साख का विकास हुआ । साथ ही व्यापार अपने स्थानीय स्वरूप से विकसित होकर वैश्विक रूप लेने लगा । 

प्रश्न 4. भौगोलिक खोजों ने किस प्रकार भ्रांतियों को तोड़ा डाले ?
उत्तर- भौगोलिक खोजों ने भौगोलिकं ज्ञान के संदर्भ में व्याप्त भ्रांतियों को तोड़ने का कार्य किया। इससे चर्च द्वारा प्रसारित अवधारणाओं पर अंगुली उठने लगी जो कालांतर में यूरोप में धर्मसुधार आंदोलन का प्रमुख कारण बना । भौगोलिक खोजों ने लोगों को नए-नए आविष्कारों के रास्ते पर खड़ा कर दिया और पूर्व के सारे भ्रांतियों को तोड़ डाला ।

प्रश्न 5. भौगोलिक खोजों किस प्रकार विश्व के मानचित्र में परिवर्तन लाया ?
उत्तर- भौगोलिक खोजों ने विश्व की एक नयी रूपरेखा सामने लायी । लोगों के विचारों में परिवर्तन आया और वैज्ञानिक विचारों को मान्यताएँ मिलीं। धार्मिक अंधविश्वास का अन्त हुआ। साथ ही नए क्षेत्रों के अन्वेषण तथा नवीन मार्गों के खोज के परिणामस्वरूप पूँजीवाद, वाणिज्य और साम्राज्यवाद का विकास हुआ ।

 दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर 5 नंबर वाले प्रशन उत्तर 👈
प्रश्न 1. भौगोलिक खोजों का क्या तात्पर्य है ? इसने किस प्रकार विश्व की दूरियाँ घटाई ?
उत्तर- -यूरोप के कुछ साहसिक नए-नए देशों को खोजने के लिए चिन्तित हो उठे । इसका एक विशेष कारण था । मध्य युग के प्रारंभ में अरबी लोग ही मुख्यतः व्यापारी होते थे, वे ही एशिया से माल लाद कर यूरोप पहुँचाया करते थे । यूरोप जाने का जल और स्थल मार्ग मुस्लिम देशों से होकर जाता है । जब इन मार्गों को यूरोप के व्यापारियों ने अपने अधिकार में रखना चाहा तब तुर्की शासकों ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया । इसलिए नए मार्ग को ढूँढे बिना व्यापार की उन्नति नहीं हो सकती थी । दूसरे शब्दों में वाणिज्य की आवश्यकता नए देशों की खोज में सहायक हुई । इस क्षेत्र में पुर्तगाल और स्पेन ने सबसे पहले कदम उठाया । पश्चात् इंगलैंड, हॉलैंड, फ्रांस और जर्मनी को भी नए देशों की खोज में सफलता मिली ।
बढ़े हुए सामुद्रिक गतिविधियों ने समुद्री यात्राओं में उपयोगी विभिन्न उपकरणों, जैसे-नक्शे, कम्पास, दूरबीन, नक्षत्र-प्रणाली आदि के विकसित होने का अवसर प्रदान किया । भौगोलिक खोजों के परिणाम अत्यंत दूरगामी और महत्त्वपूर्ण साबित हुए । इस घटना ने पहली बार लोगों को संसार के एक वृहत् भूखंड से परिचित कराया और विश्व के देश एक-दूसरे के सम्पर्क में आए । एशिया और यूरोप के देश एक-दूसरे के समीप आए । जलमार्ग का विकास हुआ । परिणामतः दूरियाँ कम हुईं एवं वाणिज्य-व्यापार की समृद्धि हुई । 

प्रश्न 2. भौगोलिक खोजों के कारणों की व्याख्या करें ।
उत्तर-औजारों के सुधरने और बड़े उद्यमों के उदय के फलस्वरूप यूरोपीय देशों में मालों का उत्पादन बढ़ गया । इसके कारण व्यापार का और प्रसार हुआ । भौगोलिक खोज का असली कारण भारत, चीन और पूर्वी द्वीप समूह तक सीधे जलमार्ग का खोज करना था । यूरोप में नए नगरों के उदय के परिणामस्वरूप पूर्वी देशों से आनेवाले मसालों, रेशम, रत्नों, औषधियों, सुगन्धित द्रव्य पदार्थों आदि की माँग बढ़ गयी थी। किन्तु पूर्वी देशों के स्थल मार्ग पर तुर्की का नियंत्रण हो गया था और जो थोड़ा-बहुत व्यापार भूमध्य सागर के मार्ग से होता था उस पर इटली के नगरों ने एकाधिकार जमा रखा था । वहाँ से यूरोप के अन्य नगरों तक सामान पहुँचते-पहुँचते काफी महँगा हो जाता था । पश्चिमी यूरोप के नवोदित राष्ट्रीय राज्यों के शासकों को इस समय धन की बहुत अधिक आवश्यकता थी । क्योंकि उनकी नयी सरकारों का व्यय अधिक था और राष्ट्रीय सेवाओं तथा सैनिक सेवाओं का खर्चा चलाने के लिए धन के नए स्रोतों की जरूरत थी । इसका एक ही विकल्प था और वह यह कि पूर्वी देशों को जानेवाले जल मार्ग की खोज करना और फिर सीधे उसके साथ व्यापार करना । कुछ ईसाई धर्म प्रचारक नए-नए देशों में जाकर महात्मा ईशा के उपदेशों को फैलाने की जिज्ञासा रखते थे ।

 प्रश्न 3. अंधकार युग से क्या समझते हैं ? अंधकार युग आने में भौगोलिक खोजों ने किस प्रकार मदद की ?
उत्तर-आधुनिक युग के आगमन से पूर्व युग को अंधकार युग कहा जाता है । लोग सीमित क्षेत्र में ही सीमित थे । बाहरी दुनिया का उन्हें कुछ पता नहीं था । पृथ्वी के बारे में ज्ञान अत्यल्प एवं अंधविश्वास से युक्त था । सीमित भौगोलिक ज्ञान के कारण सामुद्रिक व्यापार भी सीमित था। लोगों का विश्वास था कि पृथ्वी चिपटी है एवं समुद्र में अधिकतम दूरी पर जाने पर पृथ्वी के किनारों से गिरकर अनन्त में विलीन हो जाने का भय बना रहता था। साथ ही समुद्र यात्रा अत्यधिक कष्टपूर्ण एवं दुःसाध्य थी । लोगों को समुद्र में दिग्भ्रमित होकर भटक जाने का भी भय बना रहता था । ऐसे ही समय को अंधकार युग कहा जाता है । विश्व इतिहास की युगांतकारी घटनाओं में समुद्री यात्राओं और भौगोलिक खोजों का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है । आधुनिक युग के आरंभ होने में जिन घटनाओं का निर्णायक योगदान रहा उनमें भौगोलिक खोजें भी शामिल हैं विश्व की प्रारंभिक सभ्यताओं के काल से ही व्यापार एवं वाणिज्य परस्पर संपर्क का कारण रहा है । यह व्यापार एक निश्चित मार्ग से होता था । परन्तु विश्व के कई ऐसे क्षेत्र थे, जिनमें जन-जीवन तो विद्यमान था लेकिन शेष विश्व से उनका जुड़ाव नहीं था, जैसे-अमेरिका, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया एवं एशिया के भी कुछ भाग । लेकिन भौगोलिक खोजों के कारण विश्व की दूरियाँ घटीं, आपसी जानकारी मिली, लोग एक-दूसरे के निकट आए । नए-नए आविष्कारों ने समुद्री यात्रा एवं नौसेना के विकास को सुगम बना दिया। यूरोपवासियों ने कम्पास का ज्ञान अरबों से सीखा । इटली, स्पेन एवं पुर्तगाल के समुद्र तटीय क्षेत्रों में नाव निर्माण कला में परम्परागत पद्धति की जगह खाँचा पद्धति विकसित हुई । दूरबीन का आविष्कार हुआ जो सामुद्रिक अभियानों में काफी सहायक था । एशिया और यूरोप की विभिन्न सभ्यताओं का जो पहले से विलग थी, परस्पर संपर्क स्थापित हुआ । नए देशों की खोजों के द्वारा न केवल नए उपनिवेशों के साथ व्यापार करने को प्रोत्साहन मिला, वरन् उन्होंने अपनी सभ्यता-संस्कृति, धर्म एवं साहित्य का प्रचार-प्रसार करने का भी प्रयास किया । इस तरह भौगोलिक खोजों के परिणामस्वरूप अधंकार युग का अंत संभव हो सका ।

प्रश्न 4. भौगोलिक खोजों के परिणामों का वर्णन करें। इसने विश्व पर क्या प्रभाव डाला ?
उत्तर- भौगोलिक खोजों के परिणामों को निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत स्पष्ट किए जा सकते हैं :
व्यापारिक 
(i) व्यापार-वाणिज्य पर प्रभाव-नए देशों की खोज एवं नए सम्पर्कों ने यूरोपीय व्यापार-वाणिज्य में क्रांतिकारी परिवर्तन लाये । उपनिवेशों के आर्थिक शोषण से यूरोपीय देश समृद्ध होने लगे । इस प्रगति ने यूरोपीय व्यापार को चरमोत्कर्ष पर पहुँचा दिया । फलस्वरूप मुद्रा व्यवस्था का विकास हुआ । हुंडी, ऋण-पत्र आदि व्यापारिक साख का विकास हुआ । व्यापार अपने स्थानीय स्वरूप से विकसित होकर वैश्विक रूप लेने लगा ।
(ii) औपनिवेशिक साम्राज्यों का विकास-भौगोलिक खोजों के पश्चात् उपनिवेशों की स्थापना के रूप में साम्राज्यवाद का विकास जारी रहा और यूरोपीय राष्ट्रों में तीव्र प्रतिस्पर्धा भी चलती रही। इसके फलस्वरूप व्यापार के माध्यम और स्वरूप में भी परिवर्तन आए । व्यक्तियों के स्थान पर अब संगठित व्यापारिक कंपनियों ने व्यापार का संचालन आरंभ किया । इंगलैंड, फ्रांस डेनमार्क आदि देशों में ऐसी कम्पनियाँ स्थापित हुईं ।

(iii) वाणिज्यदाद का विकास-नए देशों की खोज तथा व्यापार के वैश्विक विस्तार के परिणामस्वरूप पूँजीवाद का उदय हुआ । इस आर्थिक व्यवस्था में बुलियन की महत्ता में वृद्धि हुई । सोने की महत्ता ने यूरोपीय देशों का ध्यान इस ओर खींची और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सोने एवं चाँदी की लूट हुई । साथ-साथ इनका भंडारण भी किया जाने लगा । इन भंडारों की प्राप्ति में स्पेन अग्रणी था ।
(iv) ईसाई धर्म एवं पश्चिमी सभ्यता का प्रसार-भौगोलिक खोजों ने यूरोपीय देशों की सभ्यता, संस्कृति, धर्म एवं साहित्य का प्रचार-प्रसार किया । धर्म युद्धों की असफलता के कारण ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार धीमा पड़ गयाथा । नए भौगोलिक खोजों ने इसमें प्राण डाल दिए। ईसाई धर्मप्रचारकों ने अफ्रीका, एशिया तथा अमेरिका के दुर्गम स्थानों में जाकर अपना धर्म प्रचार किया । परन्तु इसका नकारात्मक प्रभाव यह रहा कि इन क्षेत्रों में धन का प्रलोभन देकर जबरन धर्मान्तरण एवं सांस्कृतिक अतिक्रमण किया गया और इसका विरोध भी हुआ। दूसरी तरफ धर्म के व्यापक प्रसार ने चर्च की प्रभुसत्ता को कम किया । भौगोलिक खोजों के कारण हुई ज्ञान में वृद्धि से तत्कालीन धर्म के विषय में कई प्रश्न उठ खड़े हुए। इसीं ने धर्मसुधार-आन्दोलन की पृष्ठभूमि का निर्माण किया ।
(v) वाणिज्य-व्यापार में मानव-श्रम की महत्ता ने दास-व्यापार को प्रोत्साहित किया । नए अन्वेषित क्षेत्रों अमेरिका, अफ्रीका तथा आस्ट्रेलिया के मूल निवासियों को पकड़कर उन्हें यूरोप के बाजारों में बेचा जाना शुरू हुआ । दासों के साथ अमानवीय बर्बर अत्याचार किए जाते थे। इनका शोषण किया जाता था ।
(vi) भ्रांतियों का अन्त एवं भौगोलिक ज्ञान में वृद्धि-भौगोलिक खोजों ने भौगोलिक-ज्ञान के संदर्भ में व्याप्त भ्रांतियों को दूर किया । चर्च द्वारा प्रसारित अवधारणाओं पर अंगुली उठने लगी । कालान्तर में यह यूरोप में ध र्म सुधार आन्दोलन का कारण बना । बढ़े हुए सामुद्रिक गतिविधियों ने समुद्री यात्रियों में उपयोगी विभिन्न उपकरणों, जैसे-नक्शे, कम्पास, नक्षत्र-प्रणाली आदि के विकसित होने का अवसर प्रदान किया । इससे संबंधित विद्वानों एवं पेशेवर वैज्ञानिकों के वर्ग का जन्म हुआ। इसी वर्ग ने 'पुनर्जागरण' में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।

                                                                      वर्ग :- 9 वीं


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