1.भाषा, लिपि और व्याकरण (Language, Script and Grammar)
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में रहकर वह अपने मन में उठने वाले विचारों व भावों को दूसरों के सामने प्रकट करना चाहता है। इस कार्य को वह भाषा द्वारा ही कर सकता है। यदि भाषा न हो तो सामाजिक कार्य ठीक ढंग से सम्पन्न नहीं किये जा सकते ।
भाषा से अभिप्राय मानव के मुख से निकली वे ध्वनियाँ हैं जिनमें अर्थ होता है। ये ध्वनियाँ दूसरों तक अपनी बात पहुँचाने का काम करती हैं। मुख से निकलने वाली अर्थपूर्ण ध्वनियाँ अर्थपूर्ण शब्दों का निर्माण करती हैं। इन शब्दों से वाक्य बनते हैं। इनसे हम अपने भावों और विचारों को प्रकट करते हैं । यही भाषा है।
भाषा - जिस साधन से हम बोलकर, लिखकर या पढ़कर अपने मन के भावों और विचारों को दूसरों को समझाते हैं और उनके मन के भावों तथा विचारों को समझ लेते हैं, उसे 'भाषा' कहते हैं ।
भाषा के रूप
1. मौखिक भाषा (Spoken language)
2. लिखित भाषा (Written language)
3. सांकेतिक भाषा (Hint Language)
1. मौखिक भाषा – जिस भाषा को मुख से बोला जाता है और कानों से सुना जाता है, उसे 'मौखिक भाषा' कहते हैं । सामान्य बोलचाल में भी इस भाषा का प्रयोग करते हैं जैसे – भाषण, बातचीत अध्यापक का छात्रों को पढ़ाना आदि ।
2. लिखित भाषा - जिस भाषा के द्वारा हम लिखकर और पढ़कर अपने मन के भ भावों तथा विचारों को समझते हैं तथा समझाते हैं, वह 'लिखित भाषा' कहलाती है जैसे – कहानी, पत्र, निबन्ध, लेख, आदि ।
3. सांकेतिक भाषा – जिस भाषा के द्वारा हम अपने मन के भावों और विचारों को संकेतों के द्वारा प्रकट करते हैं, उसे 'सांकेतिक भाषा' कहते हैं ।
जैसे - विद्यार्थी को कक्षा से बाहर जाने के लिए कक्षाध्यापक का सिर हिलाकर स्वीकृति देना तथा ट्रैफिक पुलिस का हाथ के इशारे द्वारा संकेत देना तथा गूँगे एवं बहरों का हाथ के इशारों से संकेत करना आदि ।
नोट- व्याकरण में सांकेतिक भाषा का अध्ययन नहीं किया जाता है
संसार में अनेक भाषाएँ हैं, जैसे- अंग्रेजी, चीनी, फ्रेंच, हिन्दी, संस्कृत, उर्दू, जर्मन, रूसी, बांग्ला, पंजाबी, कन्नड़ गुजराती आदि ।
भारत की राष्ट्रभाषा हिन्दी है । यह भाषा पूरे भारत में अन्य भाषाओं की अपेक्षा अधिक बोली और समझी जाती है। इसके अतिरिक्त भारत में अन्य भाषाओं का प्रयोग भी किया जाता है। भारतीय संविधान में भारत की 18 भाषाओं को मान्यता दी गयी है। ये भाषायें हैं-हिन्दी, संस्कृत, पंजाबी, उर्दू, गुजराती, तमिल, मलयालम, नेपाली, बांग्ला, मराठी, सिन्धी, कन्नड़, उड़िया, मणिपुरी, कोंकणी, तेलुगु, कश्मीरी और असमिया आदि ।
लिपि—किसी भी भाषा के लिखने की विधि को 'लिपि' कहते हैं। मौखिक भाषा में तो ध्वनियों का प्रयोग होता है, परन्तु लिखित भाषा में अक्षरों या वर्णों का प्रयोग होता है। अतः प्रत्येक लिखित भाषा में प्रत्येक ध्वनि के लिए कोई न कोई चिह्न निश्चित होता है। ये चिह्न ही लिपि कहलाते हैं। संस्कृत और हिन्दी भाषा ‘ देवनागरी' लिपि में, अंग्रेजी भाषा' रोमन' लिपि में, उर्दू भाषा ' फारसी' ' लिपि में लिखी जाती है।
व्याकरण—व्याकरण वह शास्त्र है जिसके द्वारा प्रत्येक लिखा, बोला और समझा जाता है । भाषा को शुद्ध रूप से पढ़ा,
व्याकरण वह माध्यम है जिसकी सहायता से हम भाषा की व्यवस्था के नियमों को जानते हैं। तथा वाक्यों को शुद्ध रूप से बोलते और लिखते हैं । भाषा के शुद्ध रूप का ज्ञान कराने वाले, शुद्ध प्रयोग सिखाने वाले शास्त्र को व्याकरण कहते हैं ।
जैसे - 1. मीना दूध पीता है। 1. मीना दूध पीती है । व्याकरण से हमें पता चलता है कि भाषा का शुद्ध रूप क्या है। 2. सुरेश पढ़ती है । 2. सुरेश पढ़ता है। (अशुद्ध वाक्य7 (शुद्ध वाक्यकाशी
व्याकरण के प्रकार
1. वर्ण-विचार
2. शब्द - विचार
3. रूप- विचार
4. वाक्य - विचार
1. वर्ण - विचार - प्रत्येक शब्द वर्णों से मिलकर बनता है। वर्ण-विचार के अन्तर्गत वर्णों के आकार, उच्चारण और उनके मेल से शब्द - निर्माण का अध्ययन किया जाता है।
2. शब्द - विचार - प्रत्येक भाषा का शब्द - भण्डार कई तत्वों से बनता है । शब्द - विचार के अन्तर्गत शब्दों का बनाना, विकास, आगमन और अर्थ का अध्ययन किया जाता है ।
3. रूप- विचार - - वाक्य में प्रयुक्त शब्द को 'रूप' या 'पद' कहते हैं। जब शब्द को वाक्य में किया जाता है तो बहुधा उसके रूप में परिवर्तन आ जाता है। रूप - विचार के अन्तर्गत शब्दों के रूप-परिवर्तन, उनकी रचना और भेद तथा उनके कार्य का अध्ययन किया जाता है।
4. वाक्य - विचार - वाक्य - विचार के प्रयुक्त अन्तर्गत वाक्य के भेद, उसके गठन और पदों के - पारस्परिक सम्बन्ध का अध्ययन किया जाता है ।
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