BSEB,CBSE Class 10th Science long and short question answer shapter 2 से मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार बोर्ड परीक्षा में आने वाले सबसे महत्वपूर्ण लघु एवं दीर्घ प्रश्न उत्तर चैप्टर 2 से मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार

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पाठ :-2 मानव नेत्र तथा रंगबिरंगा संसार
प्रश्न 1. नेत्र की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है ?
 उत्तर – जब नेत्र अनन्त पर स्थित किसी वस्तु को देखता है तो नेत्र पर गिरने वाली समान्तर किरणें नेत्र लेंस द्वारा रेटिना पर फोकस हो जाती हैं तथा नेत्र को वस्तु स्पष्ट दिखायी देती है । नेत्र लेंस से रेटिना तक की दूरी नेत्र लेंस की फोकस दूरी कहलाती है । उस समय मांसपेशियाँ ढीली पड़ी रहती है तथा नेत्र लेंस की फोकस दूरी सबसे अधिक होती है। जब नेत्र किसी समीप की वस्तु को देखता है तो माँसपेशियां सिकुड़ कर लेंस के तलों की वक्रता त्रिज्याओं को छोटी कर देती हैं, इससे नेत्र लेंस की फोकस दूरी कम हो जाती है तथा वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिम्ब पुनः रेटिना पर बन जाता है । नेत्र की इस प्रकार फोकस दूरी को कम करने की क्षमता को समंजन क्षमता कहते हैं

प्रश्न 2. सामान्य नेत्र 25cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट क्यों नहीं देख पाते ? 
 उत्तर – किसी वस्तु को आराम से सुस्पष्ट देखने के लिए इसे अपने नेत्रों से कम-से-कम 25 cm. (जो कि सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी है) दूर रखना होता है । अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी एक निश्चित न्यूनतम सीमा से नीचे तक नहीं घट सकती । यदि कोई वस्तु नेत्र के अत्यधिक निकट है, तो अभिनेत्र लेंस इतना अधिक वक्रित नहीं हो पाता कि वस्तु का प्रतिबिम्ब दृष्टि पटल पर बने, जिसके फलस्वरूप परिणामी प्रतिबिम्ब धुंधला-सा बनता है।

प्रश्न 3. तारे क्यों टिमटिमाते हैं ?  
उत्तर–जब तारे का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है तो उसे बढ़ते हुए अपवर्तनांक वाले माध्यम से गुजरना पड़ता है। इसके कारण तारों का प्रकाश लगातार पृथ्वी की त्रिज्या की तरफ मुड़ता जाता है। माध्यम के अपवर्तनांक में अनियमित उतार-चढ़ाव होते रहते हैं, जिसके कारण तारों का प्रकाश कभी हमारी : आँखों तक पहुँचता है, कभी नहीं पहुँचता। इसके कारण हमें तारे टिमटिमाते प्रतीत होते हैं।

प्रश्न 4. दीर्घ दृष्टि दोष क्या है? इस दृष्टि दोष को कैसे संशोधित किया जा सकता है? किया 
अथवा, दूर-दृष्टिदोष क्या है? इसे दूर करने के लिए किस लेंस का प्रयोग जाता है?
 उत्तर – जब आँखों से दूर की वस्तु स्पष्ट रूप से दिखाई देती है और पास की वस्तु नहीं दिखाई देती, तो इसे दूर दृष्टि दोष कहा जाता है। उपयुक्त फोकस दूरी के उत्तल लेंस के प्रयोग द्वारा इसे ठीक किया जा सकता है। 

प्रश्न 5. प्रकाश के अपवर्तन से आप क्या समझते हैं? काँच के प्रिज्म के द्वारा प्रकाश के अपवर्तन का किरण आरेख खीचें।
अथवा, प्रिज्म से होकर प्रकाश के अपवर्तन का किरण आरेख खींचें।
उत्तर – जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है, अपने पथ घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं । 
प्रश्न 6. दृष्टि दोष क्या है ? यह कितने प्रकार के होते हैं तथा इनका निवारण कैसे किया जाता है ?  
अथवा, दृष्टि दोष क्या है ? यह कितने प्रकार का होता है ? 
 उत्तर – एक सामान्य स्वस्थ आँख अपनी फोकस दूरी को इस प्रकार संयोजित करती है कि पास तथा दूर की सभी वस्तुओं का प्रतिबिंब दृष्टिपटल पर बन जाए | जब आँख ऐसा करने में अक्षम हो जाती है तो उसे दृष्टि दोष का नाम दिया जाता है। .
यह चार प्रकार के होते हैं
(i) दूर-दृष्टि दोष,
(iii) प्रेस्बायोपिया तथा निवारण
(ii) निकट दृष्टि दोष,
(iv) एस्टेग्माटिज्म ।
(i) दूर-दृष्टि दोष—इसके लिए उत्तल लेंस का प्रयोग होता है । 
(ii) निकट-दृष्टि दोष—इसके निवारण के लिए अवतल लेंस का प्रयोग होता है।
(iii) प्रेस्बायोपिया इसके- निवारण के लिए बाईफोकल चश्में का प्रयोग होता है।
(iv) एस्टेग्माटिज्म–इसे ठीक करने के लिए सिलेंड्रीकल चश्मे का प्रयोग होता है। 

प्रश्न 7. रेलवे के सिग्नल का प्रकाश लाल रंग का ही क्यों होता है?
उत्तर – जब प्रकाश चिह्न (signal) पर पड़ता है तो लाल रंग की तुलना में सभी अन्य रंग अधिक मात्रा में प्रकीर्णित होते हैं। इसलिए सबसे कम प्रकीर्णित होने वाले लाल रंग से चिह्न (signal) परिबद्ध होता है।


प्रश्न 8. निकट दृष्टि दोष क्या है ? इसके इसका संशोधन किस प्रकार संभव है ? किरण आरेख द्वारा समझायें ।
अथवा, निकट दृष्टि दोष क्या है? इसे दूर करने के लिए हम किस लेंस का व्यवहार करते हैं? 
उत्तर-I पर निर्मित प्रतिबिम्ब रेटिना के आगे है। इसे अवतल लेंस के प्रयोग द्वारा समजित किया जा सकता है जो प्रकाश को अपसरित करता है तथा रेटिना के पास लाता है। दोष निवारक ऐसा प्रतीत होता है कि दूरस्थ बिन्दु की समान्तर किरण रेटिना पर प्रतिबिम्ब बनाये । निवारक लेंस की फोकस दूरी आँख की दूरस्थ बिन्दु की दूरी के बराबर होती है । 
चित्र: निकट-दृष्टि दोष युक्त नेत्र तथा उचित अवतल द्वारा इसका संशोधन 

प्रश्न 9. प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण से आप क्या समझते हैं ? इन्द्रधनुष की व्याख्या करें ।
अथवा, प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण क्या है? इन्द्रधनुष कैसे बनता है?
उत्तर - जब काँच की प्रिज्म से प्रकाश का पुंज गुजारा जाए तो यह सात रंगों में बँट जाता है जिसे प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहते हैं। इन सात रंगों को बैंगनी - .
(Violet), हल्के नीला (Indigo), नीला (Blue), हरा (Green), पीला (Yellowसंतरी (Orange) और लाल (Red) वर्ण क्रम में व्यवस्था प्राप्त होती है । वर्ण क्रम को VIBGYOR भी कहते हैं ।
N. Violet), हल्के नीला (Indigo), नीला (Blue), हरा (Green), पीला (Yellow), तरी (Orange) और लाल (Red) वर्ण क्रम में व्यवस्था प्राप्त होती है। वर्ण क्रम को VIBGYOR भी कहते हैं ।

इन्द्रधनुष – इन्द्रधनुष वर्षा के पश्चात् आकाश में जल के सूक्ष्म कणों में दिखाई देता है । वायुमंडल में उपस्थित जल की सूक्ष्म बूंदों द्वारा सूर्य के प्रकाश के परिक्षेपण के कारण प्राप्त होता है । जल की सूक्ष्म बूँदें छोटे-छोटे प्रिज्मों की भाँति कार्य करती हैं। सूर्य के आपतित प्रकाश को ये बूँदें अपवर्तित तथा विक्षेपित करती है, तत्पश्चात इसे आंतरिक परावर्तित करती है, अंततः जल की बूँद से बाहर निकलते समय प्रकाश को पुनः अपवर्तित करती हैं और इन्द्रधनुष का निर्माण होता है ।

प्रश्न 10. दूर-दृष्टि दोष से आपका क्या अभिप्राय है ? इस दोष का निवारण किस प्रकार किया जा सकता है?. 
उत्तर-दूर-दृष्टि दोष इस दृष्टि दोष में नेत्र निकट वस्तु को स्पष्ट नहीं देख पाता है । इस · स्थिति में प्रतिबिम्ब दृष्टिपटल के पीछे बनता है। दीर्घ दृष्टि के लिए एक निकट बिन्दु होता है । दोष का निवारण इस दोष को उत्तल लेंस से दूर ठीक किया जाता है। यह प्रतिबिम्ब को दृष्टिपटल पर बनने में मदद करता है।
प्रश्न 12. प्रकाश का वर्ण विक्षेपण क्या है ? स्पेक्ट्रम कैसे बनता हैं ?
उत्तर – जब काँच की प्रिज्म से प्रकाश का पुंज गुजारा जाए तो यह सात रंगों में बँट जाता है जिसे प्रकाश का विक्षेपण कहते हैं । इन सात रंगों को बैंगनी (Violet), हल्के नीला (Indigo), नीला (Blue), हरा (Green), पीला (Yellow), संतरी ( Orange) और लाल (Red) वर्ण क्रम में व्यवस्था प्राप्त होती है। ये सभी रंग अलग-अलग कोण पर मुड़ते हैं। लाल रंग सबसे कम मुड़ता है और बैंगनी सबसे अधिक । वर्णक्रम को VIBGYOR के द्वारा याद रखा जा सकता है । प्रकाश का विक्षेपण प्रकाश के अपवर्तन के कारण होता है । प्रकाश के विभिन्न रंगों के द्वारा निर्वात या हवा में समान वेग से दूरी तय की जाती है। 
वे काँच, पानी आदि भिन्न अपवर्तनांक माध्यमों में अलग-अलग गति से बढ़ती हैं । बैंगनी रंग के प्रकाश की गति लाल रंग के प्रकाश की अपेक्षा कम होती है ।

 प्रश्न 13. अंतिम पंक्ति में बैठे किसी विद्यार्थी को श्यामपट्ट पढ़ने में कठिनाई होती है। यह विद्यार्थी किस दृष्टिदोष से पीड़ित है ? इसे किस प्रकार संशोधित किया जा सकता है ?
उत्तर -यह विद्यार्थी मायोपिया या निकट दृष्टि दोष से पीड़ित है । इसे उचित क्षमता वाले अवतल लेंस वाले चश्मे से संशोधित किया जा सकता है ।

 प्रश्न 14. मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिन्दु तथा निकट बिन्दु नेत्र से कितनी दूरी पर होते हैं ? 
उत्तर - मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिन्दु अनन्त है । मानव नेत्र के की सामान्य दृष्टि के लिए निकट बिन्दु 25 cm है ।

प्रश्न 15. जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र से प्रतिबिम्ब - दूरी का क्या होता है ? 
उत्तर- समंजन के कारण, सामान्य नेत्र अभिनेत्र लेंस विभिन्न दूरियों की वस्तुओं के प्रतिबिम्ब समान रेटिना पर बनाते हैं। इसलिए नेत्र में प्रतिबिम्ब - दूरी समान रहती है।

प्रश्न 16. व्याख्या कीजिए कि ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते ? 
उत्तर -- ग्रह तारों की अपेक्षा पृथ्वी के बहुत पास है और इसलिए उन्हें विस्तृत स्रोत की भाँति माना जा सकता है। यदि हम ग्रह को बिन्दु साइज के अनेक प्रकाश स्रोतों का संग्रह मान लें, तो सभी बिन्दु साइज के प्रकाश स्रोतों से हमारे नेत्रों में प्रवेश करने वाली प्रकाश की मात्रा में कुल परिवर्तन का औसत मान शून्य होगा, इसी कारण टिमटिमाने का प्रभाव निष्प्रभावित हो जाता है।

प्रश्न 17. स्वच्छ आकाश का रंग हमें नीला दिखाई पड़ता है जबकि किसी अन्तरिक्ष यात्री को काला प्रतीत होता है, क्यों ? 
 उत्तर — सूर्य का प्रकाश जब वायुमंडल में प्रवेश करता है तब प्रकाश का प्रकीर्णन होता है । लाल रंग का प्रकीर्णन सबसे कम और नीले रंग का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है । रंग के प्रकीर्णन में नीले रंग की अधिकता होती है, इसलिए आकाश का रंग नीला दिखाई देता है । अंतरिक्ष में प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं होता है, इसलिए अंतरिक्ष यात्री को आकाश काला दिखाई देता है । दोषों के नाम लिखें ।

प्रश्न 18. आँख के मुख्य उत्तर – आँख के मुख्य चार दोष हैं
(i) निकट-दृष्टि दोष
(ii) दूर-दृष्टि दोष 
(iii) प्रेसबायोपिया 
(iv) ऐस्टग्माटिज्म । 

प्रश्न 19. आँखों की सुग्राहिता से क्या अर्थ है ?
उत्तर – आँखों की सुग्राहिता का संबंध रंगों से है । आँखें किसी रंग के लिए अधिक सुग्राही होती हैं और किसी के लिए कम । कहते हैं ?

प्रश्न 20. नेत्र का निकट बिंदु किसे कहते हैं 
उत्तर – वह न्यूनतम दूरी जिस पर रखी वस्तु बिना किसी तनाव के अत्यधिक स्पष्ट देखी जा सकती है उसे नेत्र का निकट बिंदु कहते हैं। किसी सामान्य दृष्टि के लिए यह दूरी लगभग 25 cm होती है । 

प्रश्न 21. दो आँखों कीक्या उपयोगिता है ?
उत्तर - वस्तु को दो आँखों से देखने की उपयोगिता निम्न हैं। 
(i) वस्तु की दूरी का अंदाजा ठीक लगाया जा सकता
(ii) वस्तु त्रिदिशाओं का प्रभाव ठीक से प्राप्त किया जा सकता है । 
(iii) दोनों आँख एक-दूसरे को सैकेण्ड के एक भाग के लिए आराम देती रहती हैं।

प्रश्न 22. जरा दूरदर्शिता तथा दीर्घ-दृष्टि दोष में अंतर स्पष्ट कीजिए ।
 उत्तर – दोनों स्थितियों में नजदीक की वस्तुओं को न देख पाना तथा अभिनेत्र की लेंस की अधिक फोकस दूरी के कारण है। दीर्घ दोष में, अभिनेत्र लेंस बीच में पतला हो जाता है या नेत्र गोलक छोटा हो जाता है । यदि दोष पक्ष्माभी पेशियों के कमजोर पड़ जाने से है तो वह लेंस की फोकस दूरी को कम नहीं कर पाती और इस दोष को जरा-दूरदर्शिता दोष कहते हैं । ऐसा दोष अधिकतर आयु में वृद्धि होने पर हो जाता है । दोष का व्यक्ति पुस्तक पढ़ते समय चश्मे को क्यों .

प्रश्न 23. निकट दृष्टि हटा देता है ?

उत्तर–सामान्य निकटस्थ बिन्दु 25 cm. है । यदि अवतल लेंस के चश्मे से पुस्तक पढ़े तो उसे पुस्तक अधिक दूरी पर रखनी होगी। इसके अतिरिक्त पुस्तक का प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे धुंधला दिखाई देगा । इसलिए निकट दृष्टि दोष वाला व्यक्ति चश्मे को उतारकर पढ़ना पसन्द करता है ।

प्रश्न 24. समंजन क्षमता को परिभाषित कीजिए। एक वयस्क में सामान्य क्या होता है ?
उत्तर – अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता, जिसके द्वारा विभिन्न दूरियों पर स्थित वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखने के लिए लेंस की फोकस दूरी को कम अथवा अधिक किया जाता है, समंजन क्षमता कहलाती है । सामान्य दृष्टि के लिए, युवा-वयस्कों में समंजन 25 cm. तथा अनन्त के बीच होता है, इसलिए समंजन क्षमता 4 डाइऑप्टर होती है 
प्रश्न 25. क्या कारण है कि सूर्य क्षैतिज के नीचे होते हुए भी हमको सूर्यास्त तथा सूर्योदय के समय दिखाई देता है  उत्तर — पृथ्वी के ऊपर वायुमंडल में जैसे-जैसे हम ऊपर जाते हैं, वायु हल्की होती जाती है। अतः अपवर्तनांक भी कम होता जाता है। सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से पहले, सूर्य से चलने वाली किरणें पूर्ण आंतरिक परावर्तित होकर हमारी आँख तक पहुँच जाती हैं । जब हम इन किरणों को सीधा देखते हैं तो हमें सूर्य, क्षैतिज से ऊपर दिखाई देता है ।

प्रश्न 26. दूर-दृष्टि दोष वाला व्यक्ति आकाश में देखते समय चश्मा उतारना पसन्द करता है, क्यों ? 
उत्तर – मानव जो निकट-दृष्टि दोष का नहीं है, उसका दूरस्थ बिन्दु सामान्यतया अनन्त पर होता है । सब समान्तर किरणें दूर की वस्तु से रेटिना पर बिना चश्मे के फोकस होती हैं । ऐसा व्यक्ति यदि चश्मे के साथ आकाश में देखेगा तो उत्तल लेंस से समान्तर किरण रेटिना से पहले फोकस हो जाएगी। अभिसरण से यह धुंधला प्रतिबिम्ब बनेगा | इस कारण दूर दृष्टि दोष वाला व्यक्ति आकाश में देखते समय चश्मा उतारना पसन्द करता है 

प्रश्न 27. दृष्टि निर्बंध क्या है ? किस प्रकार चलचित्र संभव होता है ? 
उत्तर – रेटिना पर बना प्रतिबिम्ब वस्तु के हटाए जाने के 1/10 सेकेण्ड तक स्थिर रहता है । इसे दृष्टि निर्बंध कहते हैं। यदि चलचित्र कैमरे द्वारा खींचे गए अचल चित्रों में दृश्यों के क्रम को किसी परदे पर लगभग 24 प्रतिबिम्ब बनाता प्रति सेकेण्ड अथवा इससे अधिक दर पर प्रक्षेपित किया जाए तो प्रतिबिम्बों के क्रमागत प्रभाव निर्बाध रूप से एक-दूसरे में मिश्रित अथवा विलीन होते प्रतीत होते हैं । इस सिद्धान्त से चलचित्र संभव हो पाता है 

प्रश्न 28. निकटं दृष्टि दोष तथा दूर-दृष्टि दोष क्या है ? इन दोषों को किस प्रकार दूर किया जाता है ?
उत्तर – जब आँखों से केवल पास की वस्तु स्पष्ट रूप से दिखाई देती है और दूर की वस्तु दिखाई नहीं देती, तो इसे निकट दृष्टि दोष कहते हैं । उपयुक्त फोकस दूरी के अवतल लेंस के प्रयोग द्वारा इसे ठीक किया जा सकता है ।
जब आँखों से दूर की वस्तु स्पष्ट रूप से दिखाई देती है और पास की वस्तु नहीं दिखाई देती, तो इसे दूर दृष्टिदोष कहा जाता है । उपयुक्त फोकस दूरी के उत्तल लेंस के प्रयोग द्वारा इसे ठीक किया जा सकता है।

प्रश्नं 29. मानव नेत्र के सामान्य दृष्टि दोष क्या हैं ? इनमें से तीन के दोष के कारण तथा उनका सुधार लिखिए।  उत्तर- निकट दृष्टि दोष, दूर-दृष्टि दोष तथा जरा-दृष्टि दोष ये मानव नेत्रों के सामान्य दृष्टि दोष हैं 


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