रसायन (Chemistry)
प्रश्न 1. क्या श्वसन एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है?
उत्तर-सभी वस्तुओं को जीवित रहने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा हमें भोजन से प्राप्त होती है। पाचन क्रिया के समय खाद्य पदार्थ छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं। जैसे-चावल, आलू, ब्रेड में कार्बोहाइड्रेट होता है। इस कार्बोहाइड्रेट के टूटने से ग्लूकोज प्राप्त होता है। ग्लूकोज हमारे शरीर की कोशिकाओं में उपस्थित ऑक्सीजन से मिलकर हमें ऊर्जा प्रदान करता है। इस अभिक्रिया का विशेष नाम श्वसन है। अतः श्वसन भी एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।
प्रश्न 2. ब्लीचींग पाउडर बनाने की विधि एवं उपयोगिता लिखें। उत्तर-शुष्क बुझा हुआ चूना पर क्लोरीन गैस की क्रिया से विरंजक चूर्ण बनता है।
Ca(OH)2 + Cl2 → CaOCl2 + H2O इसके उपयोग :
(i) लाँड्री में साफ कपड़ों के विरंजन के लिए।
(ii) पीने वाले जल को जीवाणुओं से मुक्त करने के लिए रोगाणुनाशक के रूप में।
प्रश्न 3. गर्म जल का टैंक बनाने में ताँबे का उपयोग होता है परंतु इस्पात (लोहे की मिश्रधातु) का नहीं। इसका कारण बताइए।
उत्तर-गर्म जल ताँबे के साथ कोई अभिक्रिया नहीं करता है लेकिन इस्पात के साथ प्रतिक्रिया करती है। गर्म जल से भाप निकलता रहता है जो इस्पात के साथ अभिक्रिया कर फेरिक ऑक्साइड (Fe304) और हाइड्रोजन मुक्त करते हैं। यही कारण है कि गर्म जल के टैंक ताँबे के बनाए जाते हैं।
प्रश्न 4. एथेनॉल के दो रासायनिक गुणों को लिखें।
उत्तर-(i) एथेनॉल की Na के साथ अभिक्रिया : ऐल्कोहॉल सोडियम से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस उत्सर्जित करता है, साथ ही, सोडियम एथॉक्साइड भी उत्पन्न करता है।
2Na + 2CH3CH2OH →2CH3CH2ONa + H2
(ii) 443 K तापमान पर एथेनॉल को आधिक्य सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म करने पर एथेनॉल का निर्जलीकरण होकर एथीन बनता है।
गर्म सांद्र CH 3 – CH2OH H2SO4 - CH2 = CH2 + H20 (एथीन) यह वायु
(iii) CO2 एवं H2O बनाता है। में तीव्रता से जलकर नीले वर्ण की ज्वाला देता है तथा
C2H5OH+ 302 2CO2 + 3H2O
प्रश्न 5. एस्टर कैसे बनते हैं, किसी एस्टर का नाम तथा गंध बताइये
उत्तर- सांद्र H2SO4 उत्प्रेरक की उपस्थिति में एथेनॉइक अम्ल परिशुद्ध ऐल्कोहॉल से अभिक्रिया कर एस्टर बनाता है।
यह एस्टर इथाइल एसिटेट है।
इसकी गंध फलों जैसी मीठी होती है।
प्रश्न 6. समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति कैसे परिवर्तित होगी?
उत्तर-समूह में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर अधातुओं में कोशों की संख्या बढ़ती है लेकिन संयोजकता इलेक्ट्रॉन समान रहती है। अत: इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति घटती है जबकि कोशों की संख्या बढ़ती है। अधातुओं में ऋणात्मकता की प्रवृत्ति रहती है जिससे यह इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति रखता है। लेकिन समूह में ऊपर से नीचे आने पर इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति घटती है क्योंकि आयनीकरण ऊर्जा की कमी होती है।
प्रश्न 7. अभिक्रिया की कौन-कौन-सी परिस्थितियाँ हैं? इन्हेंकहाँ पर उपयोग किया जाता है?
उत्तर-रासायनिक अभिक्रिया की निम्नलिखित परिस्थितियाँ हैं-
(i) ताप,
(ii) दाब,
(iii) उत्प्रेरक ।
इसका उपयोग रासायनिक समीकरण, में तीर के निशान के ऊपर अथवा नीचे होता है।
प्रश्न 8. एथीन की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना को दर्शाएँ । उत्तर-एथीन C2H4 की इलेक्ट्रॉन बिन्दु संरचना नीचे दर्शायी जाती है
प्रश्न 9. निम्नलिखित यौगिकों के संरचना सूत्र लिखें।
(i) डायक्लोरो मिथेन
(ii) एथेनॉल
(iii) इथेन
(iv) फॉर्मल्डिहाइड
(v) प्रोपेन
प्रश्न 10. जस्ता के अयस्क से जस्ता निष्कर्षण करने के सिद्धांत का उल्लेख करें।
उत्तर-आयरन, जिंक, लेड, कॉपर आदि सक्रियता श्रेणी के मध्य में पाए जाने वाले धातु हैं। प्रकृति में यह प्रायः सल्फाइड या कार्बोनेट के रूप में पायी जाती है। सल्फाइड या कार्बोनेट की तुलना में धातु को उसके ऑक्साइड के रूप में प्राप्त करना आसान है। अत: अपचयन से पहले धातु के सल्फाइड एवं कार्बोनेट को धातु के ऑक्साइड में परिणत करना जरूरी है। सल्फाइड अयस्क को वायु की उपस्थिति में अधिक ताप पर गर्म करने पर यह ऑक्साइड में बदल जाता है। इस प्रक्रिया को भंजन कहते हैं। कार्बोनेट अयस्क को सीमित वायु में अधिक ताप पर गर्म करने पर यह ऑक्साइड में बदल जाता है। इस प्रक्रिया को निस्तापन कहा जाता है। जिंक के अयस्कों के भंजन एवं निस्तापन के समय निम्नांकित अभिक्रियाएँ होती हैं
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