प्रशन ::- प्रकाश का अपवर्तन (परावर्तन) क्या है? इसके नियमों को लिखें।
उत्तर-प्रकाश किरण जब एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में तिरछी प्रवेश करती है, तो दोनों माध्यमों को अलग करनेवाली सतह पर किरण मुड़ जाती है; सघन माध्यम में आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब
की ओर मुड़ती है जबकि विरल माध्यम में अभिलम्ब से दूर मुड़ती है। इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।
अपवर्तन के नियम-1) आपतित किरण अपवर्तित किरण तथा आपतन
बिन्दु पर खींचा गया अभिलम्ब सभी एक ही तल में होते हैं।
(ii) किन्हीं दो
माध्यमों और प्रकाश के किसी निश्चित वर्ण के लिए आपतन कोण की ज्या (Sine) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (Sine) का अनुपात एक नियतांक होता
है जो अपवर्तनांक कहलाता है। इसे लेल का नियम भी कहते हैं।
प्रशन ::- दृष्टि दोष क्या है? यह कितने प्रकार का होता हैं
उत्तर-जब किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब आँख की रेटिना पर स्पष्ट रूप सेबनहीं बनता है तो इस दोष को दृष्टि दोष कहते हैं। दृष्टि दोष मुख्यत: तीन प्रकार
,👉 निकट दृष्टि दोष—इसमें प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है। इसमें दूर की वस्तु स्पष्ट परन्तु निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है।
👉(i) दीर्घ दृष्टि दोष—इसमें प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है। इसमें दूर
की वस्तु स्पष्ट परन्तु निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है
👉(ii) अबिन्दुकता—आँख की लेंस में सममिति के अभाव के कारण किसी एक वस्तु का प्रतिबिम्ब एक न बनकर कई बनने लगते हैं। इसमें कोई भी वस्तु स्पष्ट दिखायी नहीं देती है। दृष्टि दोष क्या है? यह कितने प्रकार का होता हैं
उत्तर-जब किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब आँख की रेटिना पर स्पष्ट रूप सेबनहीं बनता है तो इस दोष को दृष्टि दोष कहते हैं। दृष्टि दोष मुख्यत: तीन प्रकार
(i) निकट दृष्टि दोष—इसमें प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है। इसमें दूर की वस्तु स्पष्ट परन्तु निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है।
(i) दीर्घ दृष्टि दोष—इसमें प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है। इसमें दूर
की वस्तु स्पष्ट परन्तु निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है
(ii) अबिन्दुकता—आँख की लेंस में सममिति के अभाव के कारण किसी एक वस्तु का प्रतिबिम्ब एक न बनकर कई बनने लगते हैं। इसमें कोई भी वस्तु स्पष्ट दिखायी नहीं देती है।
👉दृष्टि दोष क्या है? यह कितने प्रकार का होता हैं
उत्तर-जब किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब आँख की रेटिना पर स्पष्ट रूप सेबनहीं बनता है तो इस दोष को दृष्टि दोष कहते हैं। दृष्टि दोष मुख्यत: तीन प्रकार
(i) निकट दृष्टि दोष—इसमें प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है। इसमें दूर की वस्तु स्पष्ट परन्तु निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है।
(i) दीर्घ दृष्टि दोष—इसमें प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है। इसमें दूर
की वस्तु स्पष्ट परन्तु निकट की वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है
(ii) अबिन्दुकता—आँख की लेंस में सममिति के अभाव के कारण किसी एक वस्तु का प्रतिबिम्ब एक न बनकर कई बनने लगते हैं। इसमें कोई भी वस्तु स्पष्ट दिखायी नहीं देती है।
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