1. 👉 नील विद्रोह आंदोलन की व्याख्या करें
19वीं शताब्दी के लगमग मघध्य से लेकर मारत की स्वतंत्रता प्राप्ति तक अंग्रेजी शासन के विरूद् अनेक किसान आंदोलन हए यथा-नील आंदोलन, पाबना आंदोलन, दक्कन विद्रोह. किसान समा आंदोलन, एका आंदोलन, गोपला विद्रोह. बारदोली सत्याग्रह, तेमाग आंदोलन, तेलंगाना आंदोलन आदि। इनमें 1859-60 में बंगाल मेंहआ 'नील- विद्रोह" किसानों का अंग्रेजी शासन के विरूद्ध पहला संगठित व सर्वाधिक जुझारू विद्रोह था। दरअसल यूरोपीय बाजारों में 'नील' की बढती मांग की पूर्तिं के लिये बंगाल के किसानों से नील उत्पादक जबरन यह अलामकारी खेती करवा रहे थें। वे किसानों की निरक्षरता का लाम उठाकर उनसे थोडे से पैसों में करार कर चावल की खेती लायक जगीन पर नील की खेती करवाते थे। यदि किसान करार के पैसे वापिस कर' शोषण से मुक्ति पाने का प्रयास करते तो नील उत्पादक उनको अपहरण, अवैध बेदखली, लाठियों से पीटकर, उनकी महिलाओं एव बच्चों को पीटकर, पश्ुओं को जब्त करनें जैसें क्रर् हथकंडे अपनाकर उन्हें नील की खेती करने के लिये मजबुर करते थे।
2.👉 नमक सत्याग्रह/दांडी मार्च आंदोलन की व्याख्या करें
दांडी मार्च जिसे नमक मार्च. दांडी रात्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है जो सन 1930 में महात्मा गांधी के द्वारा अंग्रेज सरकार के नमक के ऊपर कर लगाने के कानून के विरुद्ध किया गया सविनय कानून भंग कार्यक्रम था। ये ऐतिहासिक सत्याग्रह कार्यक्रम गाँधीजी समेत 78 लोगों के द्वारा अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुद्रतटीय गाँव दांडी तक पैदल यात्रा करके 06 अप्रैल 1930 को नमक हाथ गें लेकर नमक विरोधी कानन का भंग किया गया था। भारत में अंग्रेजों के शासनकाल के समय नमक उत्पादन और विक्रय के ऊपर बडी मात्रा में कर लगा दिया था और नमक जीवन के लिए जरूशी चीज होने के कारण भारतवासियों को इस कानून से मुक्त करने और अपना अधिकार दिलवाने हेत यें सविनय अवज्ञा का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। कानून भंग करने के बाद सत्याग्रहियों ने अंग्रेजों की 'लाठियाँ खाई थीं परंतु पीछे नहीं मुडे थे। 1930 को गाँधी जी ने इस आंदोलन को चाल किया। इस आंदोलन में लोगों ने गाँधी के साथ पैदल यात्रा की और जो नमक पर कर लगाया था। उसका विरोध किया गया। इस आंदोलन गें कई नेताओं को गिरपतार कर लिया गया। ये आंदोलन पूरे एक साल तक चला और 1931 को गांधीं-इर्विन के बीच हुए समझौते से खत्म हो गया। इसी आन्दोलन से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हई थी। इस आन्दोलन नें संपूर्ण देश में अंग्रेजो के खिलाफ व्यापक जनसंघर्ष को जन्म दिया था।
3. 👉 सावेनय अवज्ञा आन्दोलन की व्याख्या करें
सविनय अवज्ञा आन्दोलन. ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतीय राष्टीय कांग्रेस दारा चलाये गए जन आन्दोलन में से एक था। 1929 ई. तक भारत को ब्रिटेन के इरादे पर शक होने लगा कि वह औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान करने 'की अपनी घोषणा पर अमल करेगा कि नहीं । मारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने लाहौर अधिवेशन (1929 ई.) में घोषणा कर दी कि उसका लक्ष्य भारत के लिए पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करना है। 6 अप्रैल,1930 को प्रातः काल के बाद महात्मा गाँधी ने समुद्र तट पर नमक बनाकर नमक कानून को भंग किया । यहीं से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत हुइ ।
4. 👉 भारत छोडो आंदोलन की व्याख्या करें
(1912) सन 1042 में गांधी जी के नेतृत्व में शुरु हुआ यह आंदोलन बहुत ही सोची- समझी रणनीति का हिस्सा था इसमें पूरा देश शामिल हुया। 9 अगस्त 1912 को पहाता गांधी के आह्वान पर समूचे देश में एक साथ शुरु हुए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में निर्णायक भूमिका निभाने वाले भारत छोडो आंदोलन ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिलाने का काम किया था।
5. 👉 जलियांवाला बाग कांड की वयाख्या
जलियांवाला वाण अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के पास का एक छोटा सा बगीचा हे जहा 13 अप्रैल 1010 को ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड एडवर्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फोन ने गोलियां चला के निहत्थे, शांत बूढों, महिलाओं गोर बच्चों सहित सैकडों लोगों को मार डाला था और हजारों लोगों को घायल कर दिया था।
6. 👉 असहयोग आदोलन की वयाख्या
सितम्बर 1920 से फरवरी 1922 के बीच महात्मा गांधी तथा मारतीय राष्टीय कॉन्ग्रेस के नेतत्व में असहयोग आंदोलन चलाया गया, जिसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई जागति प्रदान की । जलियांवाला बाग नर संहार सहित अनेक घटनाओं के बाद गांधी जी ने अनभव किया कि ब्रिटिश हाथों में एक उचित न्याय मिलने की कोर्ड संभावना नहीं है इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से राष्ट्र के सहयोग को वापस लेने की योजना बनार्ड और डस प्रकार असहयोग आंदोलन की श्रूआत की गई और देश में प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रभाव हआ। यह आंदोलन अत्यंत सफल रहा, क्योंकि इसे लाखों भारतीयों का प्रोत्साहन मिला। इस आंदोलन से ब्रिटिश प्राधिकारी हिल गए ।
7. 👉 आजाद हिंद फौज की वयाख्या
आजाद हिन्द फौज का गठन पहली बार राजा महेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा 29 अक्ट्रबर 1915 को अफगानिस्तान में हआ था। मल रूप से उस क्त यह आजाद हिन्द सरकार की सेना थी जिसका लक्ष्य अंग्रेजों से लड़कर भारत को स्वतंत्रता दिलाना था। द्वितीय विश्व यूद्ध के दौरान सन 1942 में जापान की सहायता से टोकियो में रासबिहारी बोस ने भारत को अंग्रेजों के कब्जे से स्वतन्त्र कराने के लिये आजाद हिन्द फौज या इन्डियन नेशनल आर्मी (NA) नामक सशस्त्र सेना का संगठन किया । इसमें करीब 40,000 भारतीय स्त्री-पूरुषों की प्रशिक्षित सेना का गठन शुरू किया। इस सेना के गठन में कैप्टन मोहन सिंह, रासबिहारी बोस एवं निरंजन सिंह गिल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
8. 👉 बग-भग आदोलन 1905 (बंगाल का विभाजन)
बंगाल विमाजन के निर्णय की घोषणा 19 जलाई 1905 को भारत के तत्कालीन वाडसराय कर्जन के द्वारा किया गया था। एक मुस्लिम बहल प्रान्त का सजन करने के उद्देश्य से ही भारत के बंगाल को दो भागों में बाँट दिये जाने का निर्णय लिया गया था। बंगाल-विभमाजन 16 अक्ट्रबर 1905 से प्रमावी हआ। इतिहास में इसे बंगभंग के नाम से भी जाना जाता है। यह अंग्रेजों की "फूट डालो - शासन करो" वाली नीति का ही एक अंग था। अतरू इसके विरोध में 1908 ई. में सम्पर्ण देश में बंग-भंग आन्दोलन शुरु हो गया। इस विमाजन के कारण उत्पन्न उच्च स्तरीय राजनीतिक अशांति के कारण 1911 में दोनो तरफ की भारतीय जनता के दबाव की वजह सें बंगाल के पूर्वी एवं पश्चिमी हिस्से पुनः एक हो गए।
9. 👉 1857 का विद्रोह की वयाख्या
1857 का भारतीय विद्रोह, जिसे प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नाम से भीं जाना जाता है ब्रिटिश शासन के विरुद्द एक सशस्त्र विद्रोह था। यह विद्रोह दो वर्षों तक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में चला। इस विद्रोह का आरंभ छावनी क्षेत्रों में छोटी झडपों और आगजनी से हुआ था और आगे चलकर इसन एक बड़ा रूप ले लिया 29 मार्च, 1857 को बैरकपुर (पश्चिम बंगाल) में सैनिकों ने चर्बी वाले कारतस का इस्तेमाल करने से मना कर दिया। एक सैनिक मंगल पांडे ने अपने सार्जैेट पर हमला कर उसकी हत्या कर दी। 8 अप्रैल 1857 को मंगल पांडे की फांसी दे दी गर्ड। 34वीं देशी पैदल सेना रेजिमेंट को भंग कर दिया गया।
10. 👉 खलाफत आदोलन की व्याख्या
खिलाफत आन्दोलन (मार्च 1919- जनवरी 1921) मार्च 1919 में बंबर्ड में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया था। मोहम्मद अली और शौकत अली बंधूओ के साथ-साथ अनेक मुस्लिम नेताओं ने इस मद्दे पर संयुक्त जनकार्यवाही की संभावना तलाशने के लिए महात्मा गाँधी के साथ चर्चा शरू कर दी। सितम्बर 1920 में कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में महात्मा गाँधी ने भी दूसरे नेताओं को इस बात पर मना लिया कि खिलाफत आन्दोलन के समर्थन और स्वराज के लिए एक असहयोग आन्दोलन शूरू किया जाना चाहिये। यह आन्दोलन जनवरी 1921 को समाप्त हुआ।
11. 👉 चौरीचौरा कांड की व्याख्या
चौरी चौरा, उत्तर प्रदेश में गोरखपर के पास का एक कस्बा है जहाँ 5 फरवरी 1922 को भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार की एक पलिस चौकी को आग लगा दी थी जिससे उसमें छपे हए 22 पुलिस कर्मचारी जिन्दा जल के मर गए थे। डस घटना को चौरीचौरा काण्ड के नाम से जाना जाता है। इसके परिणामस्वरूप गांधीजी ने कहा था कि हिंसा होने के कारण असहयोग आन्दोलन उपयक्त नहीं रह गया है और उसे वापस ले लिया था. चौरी- चौरा कांड के अभियक्तों का मकदमा पंडित मदन मोहन मालवीय ने लडा और उन्हें बचा ले जाना उनकी एक बड़ी सफलता थी ।
12.👉 चिपको आन्दोलन (1970) की वयाख्या
चिपको आन्दोलन एक पर्यावरण-रक्षा का आन्दोलन है। यह मारत के उत्तराखण्ड राज्य (तब उत्तर प्रदेश का भाग) में किसानो ने वक्षों की कटाई का विरोध करने के लिए किया था। वे राज्य के वन विगाग के ठेकेदारों द्वारा वनों की कटाई का विरोघ कर रहे थे और उन पर अपना परम्परागत अधिकार जता रहे थे। पेढ कों काटने से बवाने क लिये उसरों चिपकी गागीण गहिला यह आन्दोलन तत्कालीन उत्तर प्रदेश के चमोली जिले में सन 1970 में प्रारम्म हुआ। एक दशक के अन्दर यह पूरे उत्तराखण्ड क्षेत्र गें फैल गया था। चिपको आन्दोलन की एक मुख्य बात थीं कि इसमें स्त्रियों ने भारी संख्या में भाग लिया था। इस आन्दोलन की शूरुवात 1970 में भारत के प्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुन्दरलाल बहुगुणा, कामरेड गोविन्द सिंह रावत, चण्डीप्रसाद भट्ट तथा श्रीमती गौरादेवी के नेत्रत्व मे हई थी।
12. 👉 होमरूल आन्दोलन की वयाख्या
होमरूल शब्द आयरलैंड के एक ऐसे हो आन्दोलन ये लिया गया था जिसका सर्वप्रथम प्रयोग श्यामजी कृष्ण व्या ने 1005 में लन्दन में किया या लेकिन इसका सार्थक प्रयोग करने का श्रेय बाल गंगाधर तिलक और सनी वेसेंट को है भारत में दो होमस्त लोगों को स्थापना की गयी जिनमें से एक की स्थापना वाल गंगाधर तिलक ने येत 1016 में पूना में की थी और दूसरी की स्थापना एनी कैसेट ने सितम्बर 1010 मद्रास में की थी।

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