चेतना सत्र 27 दिसंबर में प्रार्थना आज का विचार शब्द ज्ञान समान्य ज्ञान तर्क ज्ञान प्रेरक कहानी ईमानदारी का फल और राष्ट्रगान

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चेतना सत्र | दिनांक: 26 दिसंबर 2024

प्रार्थना:

तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।

तेरी जात-ए-पाक कुरान में,
तेरा दर्श वेद पुराण में,
गुरु ग्रंथ जी के बखान में,
तू प्रकाश अपना दिखा रहा।

तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।

अरदास है, कहीं कीर्तन,
कहीं राम धुन, कहीं आवाहन,
विधि भेद का है ये सब रचन,
तेरा भक्त तुझको बुला रहा।

तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा

आज का विचार
"संघर्ष जितना कठिन होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।"

अज्ञात
शब्द ज्ञान:
गगरी: Pitcher
चूल्हा: Stove
रोटी: Bread
झाड़ू: Broom
बाल्टी: बकेट

सामान्य ज्ञान
प्रश्न 1: भारत में सबसे लंबी नदी कौन सी है?
उत्तर: गंगा नदी

प्रश्न 2: भारत का राष्ट्रीय खेल क्या है?
उत्तर: हॉकी

प्रश्न 3: पं. जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन किस रूप में मनाया जाता है?
उत्तर: बाल दिवस

प्रश्न 4: एशियाई खेलों की शुरुआत किस वर्ष हुई?
उत्तर: 1951

प्रश्न 5: भारत का पहला उपग्रह कौन सा था?
उत्तर: आर्यभट्ट

तर्क ज्ञान

Bird : Fly :: Fish : ?
उत्तर: Swim

8:64 :: 9 : ?
उत्तर: 81

प्रेरक कहानी: ईमानदारी का फल

एक बार एक गरीब लकड़हारा नदी के किनारे पेड़ काट रहा था। अचानक, उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई। वह बहुत दुखी हो गया और भगवान से प्रार्थना करने लगा। तभी नदी से एक देवता प्रकट हुए। उन्होंने सुनहरी, चांदी और लोहे की कुल्हाड़ी दिखाते हुए पूछा, "तुम्हारी कुल्हाड़ी कौन सी है?"

लकड़हारे ने ईमानदारी से जवाब दिया, "मेरी कुल्हाड़ी लोहे की है।" उसकी ईमानदारी से प्रसन्न होकर देवता ने उसे तीनों कुल्हाड़ियां दे दीं।

शिक्षा:
ईमानदारी का फल हमेशा मीठा होता है।


हम, भारत के लोग,
भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को:

सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

राष्ट्रगान

जन गण मन अधिनायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता।
पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा,
द्रविड़, उत्कल, बंग।

विध्य, हिमाचल, यमुना, गंगा,
उच्छल जलधि तरंग।
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशीष मांगे।
गाहे तव जय गाथा।
जन गण मंगलदायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता।

जय है, जय है, जय है...


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