हिंदी पाठ:- ईदगाह के लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रशन उत्तर ,,,,,,,,Hindi long type Question And Answer Eidgah

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                             ईदगाह
1. हामिद ने चिमटे को किन-किन रूपों में उपयोग करने की बात कही है?
उत्तर-हामिद ने चिमटे को बंदूक, मंजीरे, बहादुर शेर के रूप में उपयोग करने की बात कही। जैसे—कंधे पर रखो तो बंदूक हो गई। हाथ में लिया तो फकीरों का चिमटा हो गया। यह मंजीरा के काम भी आ सकता है।
2. ईदगाह कहानी की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-'ईदगाह' मानवीय धरातल पर आधारित एक यथार्थवादी कहानी है। सम्पूर्ण समाज का प्रतिनिधित्व करनेवाली यह कहानी धार्मिक न होकर मानवीय है। पूरी कहानी का वातावरण बड़ा ही सघन है। कहानीकार ने
बाल-मनोविज्ञान का सूक्ष्म निरीक्षण किया है। कहानी में कहीं भी गंभीर कौतूहल नहीं है। कहानी के अन्तिम अनुच्छेद का यह वाक्य "बच्चे ने बूढ़े हामिद का पाठ खेला था" इसके आधार-बिन्दु को समझने की कुंजी है। एक छोटे-से बालक का बड़े-बूढ़ों जैसा व्यवहार और विवेक उसकी गरीबी ने उत्पन्न किया था। प्रस्तुत कहानी की भाषा सरल, सुबोध एवं पात्रोचित है। मुहावरों की भरमार ने कहानी को और भी रोचक बना दिया है।
3. ईद के दिन अमीना क्यों उदास थी?
उत्तर-अमीना अपनी दीनता, बेसहारापन तथा आर्थिक दुर्दशा के कारण उदास थी। वह सोच रही थी कि अपने अनाथ पोते को ईद पर्व के अवसर पर मेले जाने के लिए पैसे कहाँ से देगी, क्योंकि उसके घर में एक दाना भी
नहीं था।
4. चिमटा देखकर अमीना के मन में कैसा भाव जगा? 
उत्तर-चिमटा देखकर अमीना के मन में क्रोध तथा स्नेह का भाव जगा। उसने छाती पीटकर कहा बेसमझ लड़का तुमने कुछ खाया-पिया नहीं। लेकिन हामिद की बात सुनकर उसका क्रोध स्नेह में बदल गया कि "तुम्हारी उँगली तवे से जल जाती है, इसलिए मैंने चिमटा खरीद लिया।" उसका मन गद्गद्हो  गया कि बच्चे में कितना त्याग, सद्भाव और विवेक है।
5. मेले में चिमटा खरीदने से पहले हामिद के मन में कौन-कौन से विचार आये? वर्णन कीजिए।
उत्तर मेले में चिमटा खरीदने से पहले हामिद को खिलौने खरीदने तथा मिठाई खाने के विचार आए, लेकिन उसके पास तीन पैसे ही थे, इसलिए इन चीजों को खरीदने का विचार छोड़कर वह लोहे की दूकान पर गया। वहाँ
चिमटा देख उसे ख्याल आया कि दादी के पास चिमटा नहीं है। तवे से रोटियाँ उतारते समय हाथ जल जाती है। अगर वह चिमटा ले जाकर दादी को देता है तो वह काफी प्रसन्न होगी और तब उसकी उँगलियाँ नहीं जलेंगी। खिलौने से क्या फायदा। व्यर्थ में पैसे बर्बाद होते हैं।
6. हामिद मिठाई या खिलौने के बदले चिमटा पसंद करता है, क्यों?
उत्तर-हामिद मिठाई या खिलौने के बदले चिमटा पसंद करता है क्योंकि रोटी सेंकते समय दादी की उँगली जल जाती थी। अगर वह चिमटा लेकर दादी को देगा, तो उनकी उँगली नहीं जलेगी। मिठाई या खिलौने क्षणिक सुख देने वाले हैं। इसीलिए उसने चिमटा ही पसंद किया।
7. मेला जाने से पहले हामिद दादी से क्या कहता है?
उत्तर मेला जाने से पहले हामिद दादी से कहता है कि अम्मा तुम विल्कुल डरना नहीं। मैं सबसे पहले मेला देखकर आ जाऊंगा।
             दीर्घ उत्तरीय प्रशन उत्तर 5
1. 'त्योहार हमारे जीवन के अभिन्न अंग हैं।' इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर—'त्योहार हमारे जीवन के अभिन्न अंग हैं।' इस कथन के माध्यम से यह बताया गया है कि त्योहार मानव जीवन में खुशियाँ लाते हैं। खुशी के समय मानव सारे भेदभावों से ऊपर उठकर सहज मानव बन जाता है। ये त्योहार ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामयिक तथा पौराणिक गाथाओं पर आधारित हैं जो हमें त्याग, सद्भाव सहिष्णुता, उल्लास तथा सबसे प्रेम करने की सीख देते हैं। इन त्योहारों के अवसर पर लोग अपने आस-पास के परिवेश तथा अपने-अपने घरों की सफाई करते हैं, जिससे वातावरण स्वच्छ होता है। हम जानते हैं कि
स्वच्छ वातावरण में ही हमारा स्वास्थ्य एवं विचार उत्तम होता है। इस प्रकार कुछ त्योहार हमें त्याग करना सिखाते हैं तो कुछ प्रेम करना, कुछ अन्याय का
लकड़ियों को एकत्र करने लगे। संयोगवश वर्षा होने लगी। तेज हवा चलने के कारण ठंडक बढ़ गई। श्रीकृष्ण पेड़ पर ही थे और पेड़ के तने के पास खड़े सुदामा गुरुमाता द्वारा दिए गए चने चबाने लगे। चने चबाने से होनेवाली आवाज सुनकर श्रीकृष्ण ने मित्र से पूछा-'मित्र क्या खा रहे हो?' सुदामा ने कहा—'कुछ भी नहीं।' सर्दी के कारण दाँत किटकिटा रहे हैं। सुदामा श्रीकृष्ण से चोरी-चोरी सब चने खा गए। इसी प्रकार सुदामा अपनी पत्नी द्वारा दिए गए चावलों की पोटली को छुपाने का प्रयास कर रहे थे। यह देखकर बचपन की घटना की याद दिलाते हुए श्रीकृष्ण ने कहा कि 'चोरी के काम में तुम बचपन से ही निपुण हो।'
3. अपने गाँव वापस आने पर सुदामा को क्यों भ्रम हुआ?
उत्तर-द्वारका से लौटने पर जब सुदामा अपने गाँव आए तो अपनी झोपड़ी खोजने लगे। लाख प्रयास के बावजूद उन्हें अपनी झोपड़ी नहीं मिली, क्योंकि झोपड़ी की जगह प्रभु, श्रीकृष्ण की कृपा से महल तैयार हो गया था।
उस चमचमाते महल को देखकर उनके मन में विचार आया कि कहीं वे रास्ता तो नहीं भूल गए और वापस पुन: द्वारका श्रीकृष्ण के राजमहल के पास आ
गए। क्योंकि वह महल भी द्वारका जैसा ही था। अत: उनके मन पर संदेह का बादल छाया हुआ था। श्रीकृष्ण ने उन्हें जो कुछ दिया, वह परोक्ष रूप में दिया
था। स्वयं तो खाली हाथ आए थे। इसीलिए झोपड़ी की जगह महल देखकर उन्हें भ्रम हो गया।
4. सुदामा को कुछ न देकर उनकी पत्नी को सीधे वैभव सम्पन्न करने का क्या औचित्य था?
उत्तर-सुदामा को कुछ न देकर कृष्ण ने सीधे ही उनकी पत्नी को वैभव सम्पन्न कर दिया। इसके कई कारण हो सकते हैं। एक तो इससे कृष्ण का बड़प्पन प्रकट होता है। दरिद्र और संकोची स्वभाव के सुदामा को प्रत्यक्ष वैभव सम्पन्न कर वे सुदामा को और भी संकोच में नहीं डालना चाहते थे। मित्र को सीधे देने में सहृदय कृष्ण को स्वयं भी संकोच हुआ होगा। उन्हें यह भी संदेह हुआ होगा कि जितना वह देना चाहते हैं उतना सुदामा स्वीकार करेंगे कि नहीं? उनकी पत्नी को सीधे वैभव सम्पन्न करने का यही औचित्य है। इससे कृष्ण की कौतुकप्रियता प्रकट होती है।
                   Md.Nezamuddin Sir


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