बिहार प्रारंभिक विद्यालय कक्षा 1 से 8 के बच्चों के लिए भाषा एवं गणित से संबंधित गतिविधियां
👉 कक्षा 1-2 के शिक्षक बच्चों के साथ निम्न गतिविधियाँ करेंगें
• वार्मअप शारीरिक विकास, सामाजिक एवं भावनात्मक विकास से संबंधित गतिविधियाँ।
• कक्षा प्रारंभ होने से पूर्व सहज वातावरण का निर्माण (बालगीत/कविताएँ)
• आओ बातचीत करें: विषय, चित्र पर बातचीत
• कहानी सुनें सुनाएँ: कहानियाँ सुनना, सुनना व चर्चा करना।
• डिकोडिंग की गतिविधियाँ ।
कहानियों पर रोल प्ले तैयार करना व बच्चों द्वारा प्रदर्शन ।
• आओ कुछ बनाएँ और बताएँ ।
• शाब्दिक सवाल पर बातचीत
• संख्या ज्ञान (मूर्त से अमूर्त की ओर)
• खेल (भाषा एवं गणित संबंधित खेल)
गतिविधि : भाषा एवं गणित
(कक्षा 3 -8 के शिक्षक प्रत्येक दिन बच्चों के साथ निम्न गतिविधियाँ करेंगें ।)
👉 भाषा
1. शुरुआत में बच्चों के साथ भाषा एवं गणित संबंधित खेल अवश्य कराएँ ।
2. मौखिक भाषा विकास : बच्चों के पाठ्य-पुस्तक से एक कहानी का चयन कर कहानी के नाम पर बातचीत
अवश्य करें ताकि कहानी के बारे में पुर्वानुमान कर पाए तथा अपना अनुभव साझा कर सकें।
3. शिक्षक कहानी को हाव-भाव एवं स्पष्ट उच्चारण के साथ पढ़कर सुनाएंगे।
4. कहानी पढ़ने के बाद कहानी पर चर्चा करें। चर्चा के लिए अलग- अलग तरह के प्रश्न बनाएं जैसे कहानी से जुड़े
तथ्यात्मक/ शब्द भंडार/ काल्पनिक / सोचनीय / तथा राय देने वाले सवाल बच्चों से करेंगे या क्या, क्यों, कैसे से
संबंधित सवाल करेंगे। शिक्षक के अलावा बच्चे भी आपस में सवाल-जबाब करेंगे। (ऐसे चिन्हित बच्चों के
लिए शिक्षक विशेष ध्यान देकर बच्चों की दक्षता अक्षर, शब्द, अनुच्छेद एवं कहानी के पढ़ने तक शिक्षण कार्य
अनवरत करते रहेंगे। (जिन बच्चों में धाराप्रवाह पठन की दक्षता है वैसे बच्चों के साथ चिन्हित बच्चों के साथ
Peer Learning कराने में सहयोग करेंगे।)
5. चिन्हित बच्चों पर विशेष ध्यान: कहानी सुनने के बाद अंगुली फिसलाकर पढ़ने का प्रयास करेंगे। (यह
गतिविधि प्रारंभिक, अक्षर व शब्द स्तर के बच्चों के साथ की जाएगी।)
6. बच्चों को पढ़ने का अवसर दें: 4-5 बच्चों के छोटे-छोटे समूह बनाकर उन्हें पढ़ने का अभ्यास करने को कहें।
तत्पश्चात शिक्षक समूहवार पढ़ने का प्रतियोगिता कराएँ। जो समूह कम से कम समय में उस अनुच्छेद को पढ़
कर सुनाएगा वह विजेता कहलायेगा।
अनवरत करते रहेंगे। (जिन बच्चों में धाराप्रवाह पठन की दक्षता है वैसे बच्चों के साथ चिन्हित बच्चों के साथ
Peer Learning कराने में सहयोग करेंगे।)
5. चिन्हित बच्चों पर विशेष ध्यान: कहानी सुनने के बाद अंगुली फिसलाकर पढ़ने का प्रयास करेंगे। (यह
गतिविधि प्रारंभिक, अक्षर व शब्द स्तर के बच्चों के साथ की जाएगी।)
6. बच्चों को पढ़ने का अवसर दें: 4-5 बच्चों के छोटे-छोटे समूह बनाकर उन्हें पढ़ने का अभ्यास करने को कहें।
तत्पश्चात शिक्षक समूहवार पढ़ने का प्रतियोगिता कराएँ। जो समूह कम से कम समय में उस अनुच्छेद को पढ़
कर सुनाएगा वह समूह विजेता कहलायेगा।
7. शब्दों का खेल: बच्चों में शब्द भंडार बढ़ाने एवं वाक्य में इस्तेमाल करने हेतु प्रतिदिन मौखिक एवं लिखित
रूप से बड़े एवं छोटे समूह में शब्द बनाने का खेल अवश्य करें। जैसे- शब्दों का अन्ताक्षरी, मिलते-जुलते शब्द
(आलू, कालू, भालू) ।
8. माइंड मैपिंग : शिक्षक बच्चों से पूछें कि “विद्यालय/ व्यापार मेला” शब्द सुनकर आपके दिमाग में और
कौन-कौन से शब्द आ रहे हैं, बताएं। शिक्षक शब्दों को बोर्ड पर लिखें, (जो बच्चे लिख सकते हैं उन्हें खुद
लिखने के लिए कहें। जब बहुत सारे शब्द बोर्ड पर आ जाएँ तो उन शब्दों का वर्गीकरण करने को कहें। माइंड
मैपिंग की गतिविधि अलग-अलग दिन अलग विषय या कहानी के नाम पर भी किया जा सकता है।
👉 लेखन (भाषा) -
किसी भी कक्षा में पढ़ने और लिखने की गतिविधियाँ साथ-साथ चलनी चाहिए। क्योंकि लिखने का संबंध सीधे तौर
पर पढ़ने से जुड़ा होता है। हम जितना अधिक पढ़ते हैं, हमारी उतनी शब्दावली बढ़ती है। हमारी यही शब्दावली हमारे
दैनिक भाषा में इस्तेमाल होने वाली भाषा का हिस्सा बन जाती है, जो हमारे लिखित एवं मौखिक अभिव्यक्ति में
सहायक होती है। जैसे - जानवर / मिठाई एवं आसपास के परिवेश जैसे-गाँव / शहर एवं अन्य गतिविधियों से
संबंधित चित्रों के आधार पर बातचीत करें। सभी बच्चों को बोलने का मौका दें। फिर बच्चों से उस विषय पर
लिखने या चित्र बनाने के लिए कहें। बच्चे जब लिख रहे या कुछ चित्र बना रहे हैं तब बच्चों के पास जाकर उनसे
बातचीत अवश्य करें कि आप क्या लिख / बना रहे हैं या इस विषय पर क्या-क्या लिखा जा सकता है ? लिखने के
बाद बच्चों ने जो बनाया या लिखा है उसकी समीक्षा भी बच्चे को करने के लिए जरूर कहें।
रोल प्ले करने का अवसर देना 4-5 बच्चों का छोटा-छोटा समूह बनाकर रोल प्ले के लिए तैयार करना। इसके
लिए सभी समूह से लीडर का चयन करना एवं दो-तीन दिन का समय अभ्यास के लिए देना जिसमें सभी बच्चें अपने
- अपने पात्र एवं संवाद का चयन कर रोल प्ले का अभ्यास करें। ध्यान रहे कि रोल प्ले में सभी बच्चों की भागीदारी
हो। रोल-प्ले के बाद सभी बच्चों को शाबाशी दें। (चिन्हित बच्चों को रोल प्ले करने का भरपूर मौका देंगे।)
👉 गणित
👉 गणित संबंधित बातचीत
जब हम बच्चों से गणित संबंधित बातचीत करते हैं तो धीरे-धीरे उनकी झिझक दूर होती है। वे बातचीत में बढ़-
चढ़कर हिस्सा लेते हैं। वे अलग-लग संदर्भों के बारे में बात करते हैं। और अपना जवाब भी अलग-अलग तरीके से
देते हैं। साथ ही अपने उत्तर की पुष्टि के लिए तर्क भी देते हैं। इससे बच्चों में गणितीय सोच का विकास होने लगता
है। जैसे- गणितीय अवधारणा को रोचक बनाने के लिए गणना करने के लिए कुछ चीजों / सामग्रियों से बच्चों को
अनुभव कराना। बातचीत की शुरुआत बड़े समूह में आसपास की चीजों से करें। जैसे- संख्या से संबंधित - आपके स्कूल में कुल कितने दरवाजे और खिड़कियाँ है? आपने कैसे पता किया ? किसकी संख्या अधिक है ? दोनों
संख्याओं की अंतर कितना है ? अगर 2 किलो आलू और 1 किलो प्याज़ खरीदना हो तो दुकानदार को कितना रुपया देने होंगे ? इस ब्लैकबोर्ड की लम्बाई कितने हाथ / बित्ते में होंगी। आसपास आपको कौन-कौन से चीजें दिखाई देते हैं ? इन चीजों के आकर कैसा है ? किन्हीं दो आकारों जैसे- तिकोन और चौकोर के बारे में पूछें?
संख्या चार्ट - शुरुआत में 1-20 तक की संख्या चार्ट में अंगुली रखकर पढ़कर सुनाएँ, बच्चे केवल ध्यानपूर्वक सुनें
और पीछे-पीछे न दुहराएँ। इसके बाद बच्चों को बारी-बारी से मौका दें। यह क्रिया छोटे समूह में भी किया जा सकता
है। यह गतिविधि 1-100 या 100 से 1000 अधिक के संख्या के साथ भी किया जाना है।
👉 नोट
- कुछ दिनों के बाद चार्ट को अलग-अलग तरीकों से पढ़ें जैसे- बढ़ते, क्रम, घटते क्रम आड़ी, खड़ी, एवं बीच-
बीच से अभ्यास कराना ।
संख्या ज्ञान: प्रत्येक दिन बच्चों के साथ संख्या ज्ञान से संबंधित दो तरह की गतिविधियाँ करेंगे।
1. ठोस वस्तुओं के माध्यम से अर्थात बंडल- तीली
2. अमूर्त वस्तुओं के माध्यम से अर्थात संख्या चार्ट
अनुमान लगाएँ : सबसे पहले हाथ में कुछ तीलियाँ/कंकड़ / पत्ते या अन्य ठोस चीजों को उठाएँ और बच्चों को
अंदाज़ा लगाने को कहें। (नोट- ठोस वस्तुओं के लिए आप स्कूल में मौजूद FLN kit का इस्तेमाल कर सकते हैं)
शून्य की पहचान - आसपास की चीजों के बारे में पूछें जो वहाँ एक भी नहीं है। जैसे- यहाँ TV कितने हैं?
संख्या चार्ट: शुरुआत में 1-20 तक की संख्या चार्ट में अंगुली रखकर पढ़कर सुनाएँ, बच्चे केवल ध्यानपूर्वक सुनें
और पीछे-पीछे न दुहराएँ। इसके बाद बच्चों को बारी-बारी से मौका दें। यह क्रिया छोटे समूह में भी किया जा सकता
है । यह गतिविधि 1-100 या 100 से 1000 अधिक के संख्या के साथ भी किया जाना है। (नोट- कुछ दिनों के बाद
चार्ट को अलग-अलग तरीकों से पढ़ें जैसे- बढ़ते, क्रम, घटते क्रम, आड़ी, खड़ी, एवं बीच-बीच से अभ्यास कराना।)
गणितीय संक्रिया ( जोड़-घटाव, गुणा-भाग) परिवेश से संबंधित शिक्षक जोड़-घटाव, गुणा-भाग के शाब्दिक
सवाल बनाकर मौखिक एवं लिखित चर्चा करते हुए ठोस वस्तुओं के माध्यम से हल करना।
मापन एवं अनुमान: बच्चों के आसपास के चीजें जैसे-खिड़की की लम्बाई, चौड़ाई, पेंसिल बॉक्स की लम्बाई, चूड़ी की गोलाई, छोटा-बड़ा, हल्का भारी मोटा-पतला आदि को अंदाज़ा लगाने को कहें।
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