भौतिकी शास्त्र आठ सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर प्रत्येक वर्ष पूछे जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रशन 1. विद्युत धारा एवं प्रतिरोध को परिभाषित करें एवं उसका SI मात्रक लिखें।
उत्तर - विद्युत आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहा जाता है। धारा काS. I मात्रक एम्पियर है। यदि किसी चालक के किसी अनुप्रस्थ काट से होकर समय में आवेश प्रवाहित होता हो तो चालक से होकर जाने वाली धारा
I = आवेश q /समय t
किसी चालक के छोरों के बीच विभवान्तर (V) और उससे होकर प्रवाहित धारा (1) के अनुपात को उस चालक का प्रतिरोध कहते हैं। प्रतिरोध का S.I मात्रक ओम (2) है।
प्रशन 2. विद्युत फ्यूज क्या होता है? इसके उपयोगिता को लिखें।
उत्तर - फ्यूज सीसे और टिन का एक मिश्रधातु है। इसका गलनांक कम होता है तथा शार्ट- परिपथ में होने वाली हानि से रक्षा करता है फ्यूज का उपयोग परिपथ को अतिभारण तथा लघुपथन से बचाने के लिए किया जाता है। फ्यूज के रूप में अधिक प्रतिरोधकता एवं कम गलनांक वाले
पदार्थ का व्यवहार किया जाता है। फ्यूज हमेशा विद्युन्मय तार के साथ श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। जब भी क्षमता से अधिक विद्युत धारा तार से प्रवाहित होती है, तो विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव के कारण फ्यूज का तार गल जाता है और परिपथ भंग हो जाता है। इससे महँगे उपकरण आवश्यकता से अधिक विद्युत धारा के कुप्रभाव से बच जाते हैं।
प्रशन 3. उत्तम ईंधन के कौन-कौन से लक्षण हैं ?
उत्तर - निम्नलिखित प्रकार के हैं
(i) इसका ऊष्मीय मान अधिक होना चाहिए ।
(ii) इसका ज्वलन ताप उचित होना चाहिए।
(iii) इसके दहन की दर संतुलित होना चाहिए ।
(iv) यह सस्ता होना चाहिए ।
(v) दहन के बाद विषैली गैस नहीं निकलनी चाहिए।
(vi) इसका भंडारण तथा प्रयोग विधि सरल तथा सुरक्षित होनी चाहिए।
(vii) इसके जलने के बाद अवशेष पदार्थ कम-से-कम बचना चाहिए ।
(viii) यह सरलता से पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होना चाहिए ।
प्रशन 4. विद्युत मोटर में विभक्त वलय क्यों लगाया जाता है?
उत्तर - विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक्परिवर्तक का कार्य करता है। यह परिपथ में विद्युत धारा के प्रवाह को उत्क्रमित करने में सहायता देता है। विद्युत धारा के उत्क्रमित होने पर दोनों भुजाओं पर आरोपित बलों की दिशाएँ भी
उत्क्रमित हो जाती है। इस प्रकार कुण्डली की पहली भुजा जो पहले नीचे की ओर धकेली गई थीं अब ऊपर की तरफ धकेली जाती है तथा कुण्डली की दूसरी भुजा जो पहले ऊपर की ओर धकेली गयी थी अब नीचे की ओर धकेली जाती हैं। इसलिए कुण्डली तथा घुरी उसी दिशा में अब आघा घूर्णन और पूरा कर लेती है। प्रत्येक आधे घूर्णन के बाद विद्युत धारा के उत्क्रमित होने का क्रम दोहराता रहता है जिसके कारण कुण्डली और धुरी का लगातार घूर्णन होता रहता है।
प्रशन 5. घड़ीसाज उत्तल लेंस का व्यवहार करता है। कारण बताएँ
उत्तर - जब कोई वस्तु उत्तल लेंस की फोकस दूरी के भीतर रखी जाती है तो इसका आवर्धित एवं सीधा काल्पनिक प्रतिबिंब लेंस के उधर ही बनता है, जिधर वस्तु है। वस्तु और लेंस के बीच की दूरी समायोजित कर प्रतिबिंब को स्पष्ट दर्शन की न्यूनतम दूरी पर प्राप्त किया जाता है। इस प्रकार घड़ीसाज आवर्धक लेंस की सहायता से घड़ी के बारीक पुर्जे को आँख पर बिना कोई तनाव डाले साफ-साफ देख सकता है। अतः घड़ीसाज घड़ी की मरम्मत करते समय आवर्धक लेंस का उपयोग करता है।
प्रशन 6. अवतल दर्पण को अभिसारी दर्पण क्यों कहा जाता है ?
उत्तर - अवतल दर्पण में एक परावर्तक सतह अंदर की ओर वक्रित होती है । इसलिए, यह उस पर आधारित सारे प्रकाश को एक ही बिंदु पर अभिसरित करता है। इसलिए इसे अभिसारी दर्पण कहते हैं।
प्रशन 7. उत्तल दर्पण का उपयोग 'साइड मिरर' के रूप में क्यों किया जाता है?
उत्तर - हम वाहनों में उत्तल दर्पण को साइड मिरर के रूप में उपयोग इसलिए करते हैं, क्योंकि ये सदैव सीधा प्रतिबिम्ब बनाते हैं यद्यपि वह छोटा होता है। इनका दृष्टि क्षेत्र भी बहुत अधिक होता है क्योंकि ये बाहर की ओर वक्रित होते हैं। उत्तल दर्पण ड्राइवर को अपने पीछे के बहुत बड़े क्षेत्र को देखने में समर्थ बनाता हैं।
प्रशन 8. प्रकाश का वर्ग-विक्षेपण किसे कहते है ?
उत्तर - प्रिज्म के भीतर से गुजरने पर श्वेत प्रकाश का अपने विभिन्न घटकों (रंगों) में विभाजन को प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण कहते हैं।
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