गरिमा-महिमा मण्डित मिथिलाक अतीत आइयो मैथिलक लेल प्रेरणाक स्रोत बनल अछि। अनेकानेक त्यागी, तपस्वी ओ मनीषीक जन्म एहि भूमि पर भेल अछि जिनक कीर्त्ति-पताका विश्वमे फहरि रहल अछि। एहने महान विभूतिमे डॉ० लक्ष्मण झा छथि ।
हिनक जन्म 5 सितम्बर, 1916 ई० मे दरभंगा जिलान्तर्गत रसियारी गाममे भेल छलनि। हिनक पिता कारी झा तथा माय कीर्त्ति देवी रहथिन ।
डॉ० लक्ष्मण झा समस्त मिथिलांचलमे लखनजीक नामसँ जानल जाइत छथि। हिनक प्राथमिक शिक्षा गामेक स्कूलमे भेलनि। माध्यमिक आ उच्च विद्यालयक शिक्षाक लेल हिनक नामांकन मधेपुरक कोरोनेशन हाई स्कूलमे कराओल गेल। ओतय छात्रावासमे रहि लखनजी अपन अध्ययनमे लीन भड गेलाह। नेनहिसँ ई प्रतिभा सम्पन्न छात्र छलाह। हिनक जीवन पद्धति अन्य छात्रसँ भिन्न छल। ताहि समय उच्च विद्यालयक संख्या बड़ कम छल । विद्यालयमे कार्यरत समस्त शिक्षक समर्पित भावसँ छात्र शिक्षा दैत छलाह। संयोगवश लखनजीक हाई स्कूलक प्रधानाध्यापक रहथिन अंग्रेजी, संस्कृत ओ मैथिलीक प्रख्यात विद्वान तथा लब्ध प्रतिष्ठ समीक्षक रमानाथ झा । हुनक शिक्षण कला ओ अनुशासन- प्रियता लोकमे चर्चाक विषय छल । विद्यालयक प्रतिभाशाली छात्रकें चीन्हि ओकरामे व्यक्तिगत रुचि लड़ प्रोत्साहित करब प्रधानाध्यापक रमानाथ झाक स्वभाव छल। हिनक एहि चेष्टाक परिणामस्वरूप हिनक छात्र लोकनि अपन-अपन क्षेत्रमे महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कयल। लखनजी ओहिमे एक छथि । एक दिस शिक्षक रमानाथ झाक आदर्श चरित्र, कठोर अनुशासन एवं सादगीपूर्ण जीवनक प्रभाव तँ दोसर दिस राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीक आदर्श जीवन पद्धति - पद्धति अपनौलनि ।
लखनजी हुनके लोकनिक अनुरूप जीवन
1937 ई० मे लखनजी एहि विद्यालयसँ इन्ट्रेंस परीक्षा प्रथम श्रेणीमे पास कयलनि । हिनक अंग्रेजीक ज्ञानसँ रमानाथ बाबू अचंभित भऽ उठैत छलाह। लखनजी अपन प्रतिभाक कारणे रमानाथ बाबूक सबसँ अधिक प्रिय छात्र रहथि ।
लखनजी भागलपुरक टी० एन० जे० कॉलेज, जे सम्प्रति टी० एन० बी० कॉलेजक नामसँ प्रसिद्ध अछि, सँ 1939 ई० मे प्रथम श्रेणीमे आई० ए० क परीक्षा पास कयलनि। 1941 ई० मे पटना कॉलेजसँ संस्कृत आनर्सक संग स्नातक (बी० ए०) परीक्षा प्रथम श्रेणीमे प्रथम स्थान प्राप्त कऽ स्वर्णपदकसँ विभूषित भेलाह। 1941 ई० मे पटना कॉलेजमे एम० ए० मे नाम लिखौलनि, मुदा गांधीक आह्वान पर 'भारत छोड़ो' आन्दोलनमे सम्मिलित भऽ किछु दिनक बाद गिरफ्तार भऽ जहल चल गेलाह। स्वतंत्रता आन्दोलनमे ई अति सक्रिय छलाह।
जहलसँ मुक्त भेलाक बाद लखनजी बिहार सरकारक स्कॉलरशिप पर लंडन विश्वविद्यालयमे एम० ए० आपी-एच० डी० करबाक लेल इंगलैंड गेलाह । ओतहि लंडन विश्वविद्यालयसँ 1947 ई० में एम० ए० आ 1949 ई० मे 'मिथिला एण्ड मगध' विषय पर पी-एच० डी० क उपाधि प्रा कयलनि । डिग्री प्रा भेलाक बाद लखनजीकें आक्सफोर्ड आ केम्ब्रिज दू विश्वविद्यालयसँ अध्यापन करबाक आग्रह कयल गेलनि । मुदा हिनक तँ देश सेवाक संकल्प छल। ओहि अवसरकें त्यागि 1949 ई० मे स्वदेश आपस भऽ गेलाह। अयलाक किछु दिनक बाद ओ पटना विश्वविद्यालयमे अध्यापन कार्य कयलनि ।
1949 ई० मे लखनजीक नियुक्ति बिहार सरकारक काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान, पटनामे उप निदेशक पद पर भेलनि। बिहार सरकारक स्कॉलरशिप पर उच्च शिक्षा प्रा करबाक लेल शर्त छलनि जे वापस अयला पर कम सँ कम पाँच वर्ष धरि बिहार सरकारक अपन योग्यतानुसार कोनो उपयुक्त पद पर कार्य करय पड़तनि। ताहि समय ओहि संस्थानक निदेशक छलाह राष्ट्रीय स्तरक ख्याति प्रा विद्वान डॉ० ए० एस० अल्तेकर लखनजी काज तँ शुरू कयलनि, मुदा ओ ओहि पदकें छोड़बाक बहाना ताकऽ लगलाह। तावत 1952 क चुनाव आबि
गेल। लखनजी सोशलिस्ट पार्टीसँ दरभंगा पूर्वी संसदीय क्षेत्रसँ उमेदवार भेलाह। एहि चुनावमे भाग लेबाक कारणे हिनका सरकारी पदसँ त्यागपत्र देमय पड़लनि । शर्त तोड़बाक कारणे चुनावक बाद बिहार सरकार सोलह हजार टाकाक लेल हिनका पर मामिला दायर कयलकनि । हिनका लेल ई एक समस्या ठाढ़ भऽ गेल । मुदा पं० हरिनाथ मिश्रक सदाशयताक कारण ई ऋण मुक्त भऽ गेलाह । एम्हर लखन जी चुनाव हारि गेलाह। पं० हरिनाथ मिश्र हिनक योग्यता - क्षमतासँ विशेष प्रभावित छलाह। ओ ओहिसमय चन्द्रधारी मिथिला कॉलेज, दरभंगाक प्रबन्ध समितिक अध्यक्ष छलाह । महाविद्यालयक डोनर बाबू चन्द्रधारी सिंहक रुचि पर लखनजीक नियुक्ति ओ इतिहास विभागमे व्याख्याताक रूपमे कयलनि, मुदा बादमे हिनका ई कहि हटा देल गेल जे ओ कोनो विश्वविद्यालयसँ इतिहासमे एम० ए० नहि छथि । तकर बाद 'इण्डियन नेशन' अंग्रेजीक दैनिक पत्रमे दूसँ चारि गोट कॉलम लिखय लगलाह आ एहि काज लेल हिनका दूसए टाका मासिक भेटय लगलनि। लखन जीक जीवन यापन लेल ई राशि पर्या छल। फरवरी 1963 ई० सँ मार्च 1972 ई० धरि हिनक 130 गोट लेख विभिन्न विषय पर 'इंडियन नेशन' मे प्रकाशित भेलनि । मुदा अपन स्वभावक कारणे हिनक ईहो काज छुटि गेलनि।
जननायक कर्पूरी ठाकुर 1977 मे मुख्यमंत्री भेलाह। ओ डॉ० लक्ष्मण झाक व्यक्तित्व आ कृतित्वसँ परिचित प्रभावित छलाह। ते मुख्यमंत्री भेलाक बाद लक्ष्मण झाक खोज कयलनि । लक्ष्मण झा ल० ना० मि० विश्वविद्यालयक वाइस चान्सलर भेलाह। एहि पद पर ओ बेस यशस्वी भेलाह। -
लखनजी छात्रावस्थहिसँ देशभक्त छलाह। सर्वप्रथम 12 दिसम्बर 1928 ई० कें साइमन कमीशनक विरोधमे प्रदर्शन कार्यक्रममे भाग लेबाक कारणे * ई पटनामे गिरफ्तार भेलाह, मुदा छोट अवस्था रहलाक कारणे छोड़ि देल गेलाह । दोसर बेर सविनय अवज्ञा आंदोलनमे भाग लेबाक कारणे 1931 ई० मे दरभंगा शहरक नाका नम्बर पाँच लग गिरफ्तार भेलाह आ जेलक सजा भेलनि। पुनः 1942 क अगस्त क्रान्ति अर्थात् 'भारत छोड़ो आन्दोलनमे हिनक सक्रिय सह भागिता रहल। हिनका बिहार काँग्रेसक मुख्यालय सदाकत आश्रममे काज करबाक अवसर भेटल छलनि। 10 अगस्त 1942 ई० कें बिहार प्रदेश काँग्रेस कमिटी द्वारा हिनका सर्वसम्मतिसँ बिहार प्रदेशक आन्दोलन संचालनक महासचिव बनाओल गेलनि। ओहि समय लखन जी पटना कॉलेजक स्नातकोत्तर कक्षाक छात्र छलाह। भारत छोड़ो आन्दोलनमे हिनक सक्रिय सहयोग प्रशंसनीय रहल | हिनक प्रयाससँ दरभंगा जिलाक बिरौल थानामे 10 अगस्तकें जनता राज स्थापित भेल जे 4 सितम्बर 1942 धरि चलल । 4 सितम्बर 1942 ई० कें पुलिस हिनक गाम रसियारी पहुँचल । ई कोनो बाटे निकलि गेलाह। नेपालमे सोशलिस्ट पार्टीक नेता आ कार्यकत्ता द्वारा संगठित तथा संचालित 'आजाद दस्ता' मे सम्मिलित होयबाक लेल ई विदा भेलाह, मुदा बीचहिमे भगवानपुर गाममे गिरफ्तार भऽ गेलाह । हिनका भागलपुर सेन्ट्रल जेलमे राखल गेलनि आ 1944 ई० मे कारागारसँ मुक्त भेलाह। -xxx
बादमे मिथिलाक उत्थानक लेल ओ मिथिला-मंडल संस्थाक स्थापना कयलनि जकर उद्देश्य छल मिथिला, मैथिल ओ मैथिलीक उत्थान ।
लखनजीक समस्त जीवन समाजक लेल समर्पित छल। कोना मिथिलाक विकास होयत, एहि दिस अहर्निश चिन्तन मनन ओ क्रियाशील रहैत छलाह। पद ओ पाइ हिनका कहिओ आकृष्ट नहि कयलक। सतत् ई 'एकला चलो रे' क सिद्धान्त पर चलैत रहलाह।
मैथिली भाषा ओ एकर लिपि तिरहुता वा मिथिलाक्षरक विकासक लेल ई सदैब सक्रिय रहलाह। ओ मिथिलाक्षरक लेल वर्णमाला छपौलनि तथा गामे-गामे तकर वितरण करौलनि । मैथिली भाषाक प्राचीनता एवं नेना सभक मानसिक विकासमे मातृभाषाक महत्त्व की छैक, ताहि दिस लोकक ध्यान ई आकृष्ट करबाक प्रयास कयलनि। एहि भूभागक विकासक लेल मिथिला राज्यक निर्माण हुनक कल्पना छल। एहि हेतु ओ किछु पोथी सेहो प्रकाशित करौलनि जाहिने 'मिथिला ए यूनियन रिपब्लिक', 'मिथिला इन इंडिया', 'मिथिला ए सोन रिपब्लिक', 'मिथिला विल राइज' आदि प्रमुख अछि।
हिनक सारस्वत अवदान सदा स्मरणीय रहत। 1952 ई० मे 'मिथिला' नामक मैथिली सा ाहिक शुरू कयलनि जे 1953 ई० धरि मिथिला आ मैथिलीक सेवा कऽ सकल। एकर कारण छल लखन जीक उग्र स्वभाव आ दृढ़ विचारधारा । मुदा जतबे दिन चलल, ई पत्रिका समाज ओ मातृभाषाक उल्लेखनीय सेवा कयलक। एहि सा ाहिकमे प्रकाशित समस्त सम्पादकीय टिप्पणी आ हुनक आलेख 'विचार-चिन्तामणि' मे संकलित अछि। समस्त आलेखमे क्रान्तिकारी विचार ओ मैथिली गहाक सुन्दर स्वरूप दृष्टिगोचर होइत अछि ।
हिनक अंग्रेजीमे एगारह, मैथिलीमे चारि, हिन्दीमे एक पोथी प्रकाशित छनि । मुदा हिनक अप्रकाशित पोथीक विशाल भंडार प्रकाशनक बाट ताकि रहल अछि। जेना अंग्रेजीमे अट्ठाइस, संस्कृतमे सात, मैथिलीमे छओ हिन्दीमे दस अप्रकाशित पोथी छनि ।
ओ परिवारक मोहमायासँ मुक्त रहलाह। ते विवाह नहि कयलनि । ऋषितुल्य जीवन यापन कयलनि। अपन सिद्धान्त पर सदा अडिग रहनिहार छलाह। लखनजीक आदर्श छलथिन महात्मा गाँधी; हुनक चिंतन ओ जीवन ।
जीवन पद्धतिक लेल हिनक प्रेरक गाँधी छलथिन । क्षण-क्षणक उपयोग ई करैत रहलाह। अपन आदर्श चरित्र ओ अलौकिक प्रतिभाक कारण ओ युवावस्थेसँ चर्चित आ अर्चित भेलाह। 23 जनवरी 2000 ई० कें अपन गाम रसियारीमे चौरासी वर्षक अवस्थामे लखनजीक निधन भ गेल ।
देशभक्त, राष्ट्रभाषाक प्रति अपार श्रद्धा, भातृभाषाक प्रति अनन्य अनुराग, मिथिला ओ मैथिलीक उत्थानक लेल सतत जागरूक रहनिहार, सफल पत्रकार, उत्कृष्ट कोटिक गद्यकार आ सबसँ बेसी सैद्धान्तिक डॉ० लक्ष्मण झाक आदर्श चरित्र आजुक पीढ़ीक लेल प्रेरणाक अक्षय स्रोत अछि ।
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