अल्लाह का घर देखने की तमन्ना हर मुसलमान की होती हैं, लेकिन हजारों किलोमीटर पैदल चलने का हिम्मत किसी में नहीं होता है
लेकिन अल्लाह ताला जिसको अपने पास बुलाना चाहते हैं वह जाकर ही रहते हैं ऐसे ही चलकर हज Haj पर जाना हर किसी के बस की बात नहीं। लेकिन जब इरादे मजबूत हों तो मंजिल भी आसान हो जाती है। ऐसा ही नेक और मजबूत इरादा लेकर हज के लिए निकले हैं केरल Kerala के शिहाब छोत्तूर।
लेकिन अल्लाह ताला जिसको अपने पास बुलाना चाहते हैं वह जाकर ही रहते हैं ऐसे ही चलकर हज Haj पर जाना हर किसी के बस की बात नहीं। लेकिन जब इरादे मजबूत हों तो मंजिल भी आसान हो जाती है। ऐसा ही नेक और मजबूत इरादा लेकर हज के लिए निकले हैं केरल Kerala के शिहाब छोत्तूर।
हिंदुस्तान के आखरी छोर केरल के मलप्पुरम जिले के कोट्टक्कल के पास अठावनाड नामक इलाका है। यहीं के रहने वाले हैं शिहाब। शिहाब जोखिम और तकलीफों से भरे, लेकिन इस रूहानी सफर पर ऐसे दौर में निकले हैं, जब सारी दुनिया में आपाधापी मची है।
आज के दौर में पैदल हजयात्रा करना लगभग ना-मुमकिन सा है। फिर भी केरल के शिहाब छोत्तूर Shihab of Kerala अल्लाह के घर को देखने के लिए पैदल मक्का पहुंचने के लिए निकल पड़े। उन्होंने अकेले ही पैदल चलकर 8,600 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय की।
आज के दौर में पैदल हजयात्रा करना लगभग ना-मुमकिन सा है। फिर भी केरल के शिहाब छोत्तूर Shihab of Kerala अल्लाह के घर को देखने के लिए पैदल मक्का पहुंचने के लिए निकल पड़े। उन्होंने अकेले ही पैदल चलकर 8,600 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय की।
केरल से चलकर राजस्थान के रास्ते परदेस में दाखिल
भारत, पाकिस्तान, ईरान, इराक, कुवैत और सऊदी अरब जैसे देशों का सफर तय करते हुए शिहाब 8 महीने बाद अगले साल तक मक्का पहुंच जाएंगे। शिहाब एक साल से हज पर जाने की तैयारी में जुटे हुए थे। शिहाब का कहना है कि मेरा सफर रूहानी है जिसमें मेरा मक़सद पैदल हज करने का है। किसी ने मेरी कोई मदद नहीं की है। “मुझे सलाह देने वाला भी कोई नहीं मिला।
हमने केवल लोगों के पैदल मक्का जाने के बारे में सुना था, लेकिन इस जमाने में हिंदुस्तान में शायद ही कोई जिंदा इंसान मिले, जो यहां से पैदल हज करने का अनुभव बता सके।” ऐसा शिहाब का कहना है। गौरतलब है कि हजरत आदम ने हिंदुस्तान से कई मर्तबा पैदल हज सफर किया है।
हमने केवल लोगों के पैदल मक्का जाने के बारे में सुना था, लेकिन इस जमाने में हिंदुस्तान में शायद ही कोई जिंदा इंसान मिले, जो यहां से पैदल हज करने का अनुभव बता सके।” ऐसा शिहाब का कहना है। गौरतलब है कि हजरत आदम ने हिंदुस्तान से कई मर्तबा पैदल हज सफर किया है।
शिहाब के इरादे देख विदेश मंत्रालय भी चकराया
विदेश मंत्रालय के अधिकारी हैरान रह गए, जब उन्हें मक्का जाने की इजाजत के लिए शिहाब की दरख्वास्त मिली। पहले तो उन्हें यह नहीं पता था कि इस मसले को कैसे संभालना है ? क्योंकि उन्हें इससे पहले पैदल हज का कोई अनुभव नहीं था। आख़िर विदेश मंत्रालय ने शिहाब के पैदल सफर को हरी झंडी दे ही दी। हज के लिए निकले शिहाब का मालाबार में कई जगहों पर हीरो की तरह स्वागत किया गया। जब वह चलियाम पहुंचे तो सैकड़ों लोग उनका इस्तकबाल करने के लिए जमा हो गए।
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