बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर पाठ 1 CTET,, BTET & All TETS very important question answer

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प्रिय विद्यार्थियों इसमें का सभी प्रश्न महत्वपूर्ण है यह प्रश्न बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र से लिया गया है इसका उत्तर माला प्रश्नों के अंत में पूरी व्याख्या के साथ दिया गया है इसे आप अपने कॉपी में नोट कर ले प्रत्येक दिन एक एक विषय का प्रश्न उत्तर सभी विषयों का अपलोड किया जाता है इसलिए इसे फॉलो अवश्य करें धन्यवाद
बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र
निर्देश (प्र. सं. 1-30) निम्नलिखित प्रश्नों को ध्यानपूवर्क पढ़कर सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए
1. जेण्डर है
(1) एक आर्थिक अवधारणा
(2) एक जैविक निर्धारक है
(3) एक मनोवैज्ञानिक सत्ता है
(4) एक सामाजिक संरचना है
2. निम्नलिखित में से कौन-सा विकास के व्यापक
(1) सामाजिक, शारीरिक, व्यक्तित्व, स्व
(3) संवेगात्मक, बौद्धिक, आध्यात्मिक एवं स्व
(2) शारीरिक, संज्ञानात्मक, सामाजिक और संवेगात्मक
(4) शारीरिक, व्यक्तित्व, आध्यात्मिक एवं संवेगात्मक
3. बुद्धि के बारे में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है?
(1) बुद्धि बहु-आयामी है, जिसमें बुद्धि परीक्षणों के द्वारा पूर्ण रूप से परिमेय न की जाने वाली कई योग्यताएँ शामिल हैं
(2) बुद्धि अभिसारी रूप से सोचने की योग्यता है
(3) बुद्धि अनुभव के परिणाम के रूप में व्यवहार में एक अपेक्षाकृत स्थायी परिवर्तन है
(4) बुद्धि एक आनुवंशिक विशेषक है, जिसमें मानसिक गतिविधियाँ; जैसे- स्मरण एवं तर्क शामिल होते हैं
4. निम्नलिखित में कौन प्राथमिक समाजीकरण माध्यम है ? 
( 1 ) मीडिया 
( 2 ) परिवार 
( 3 ) विद्यालय 
( 4 ) सरकार 

5. जीन पियाजे के सिद्धान्त का प्रमुख प्रस्ताव है कि 
( 1 ) बच्चों की सोच गुणात्मक रूप में वयस्कों से भिन्न होती है 
( 2 ) बच्चों की सोच वयस्कों से निम्न होती है 
( 3 ) बच्चों की सोच वयस्कों से बेहतर होती है 
( 4 ) बच्चों की सोच मात्रात्मक रूप में वयस्कों से भिन्न होती है अवस्था 
6. निम्नलिखित में से कौन - सी पूर्व - संक्रियात्मक बच्चे की विशेषता को बताती है ? 
( 1 ) विचारों की अनुत्क्रमणीयता 
( 2 ) वर्तुल प्रतिक्रिया 
( 3 ) लक्ष्य - निर्देशित व्यवहार 
( 4 ) विलम्बित अनुकरण 
7. बच्चों और उनके अधिगम के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन - सा सही है ? 
( 1 ) बच्चों को अधिगम हेतु प्रेरित करने के लिए उन्हें पुरस्कृत एवं दण्डित करना होता है 
( 2 ) सभी बच्चे सीखने के लिए स्वाभाविक रूप से प्रेरित होते हैं तथा सीखने में सक्षम हैं 
( 3 ) बच्चों को सीखने के लिए अभिप्रेरणा तथा सीखने के लिए । उनकी सक्षमता केवल आनुवंशिकता के द्वारा पूर्व निर्धारित है । 
( 4 ) बच्चों की सामाजिक - आर्थिक पृष्ठभूमि , उनकी प्रेरणा एवं अधिगम सक्षमता को निर्धारित व सीमित करती है 
8. प्रगतिशील शिक्षा में बच्चों को किस प्रकार से देखा जाता है ? 
( 1 ) खाली स्लेटों के रूप में 
( 2 ) छोटे वयस्कों के रूप में 
( 3 ) निष्क्रिय अनुकारकों के रूप में 
( 4 ) सक्रिय अन्वेषकों के रूप में 
9. लेव वाइगोत्स्की के अनुसार , अधिगम 
( 1 ) एक अनुबन्धित गतिविधि है 
( 2 ) एक सामाजिक गतिविधि है 
( 3 ) एक व्यक्तिगत गतिविधि है 
( 4 ) एक निष्क्रिय गतिविधि है 
10. जीन पियाजे के अनुसार , बच्चे
 ( 1 ) को पुरस्कार एवं दण्ड के सिद्धान्तों का प्रयोग करते हुए विशिष्ट तरीके से व्यवहार करना एवं सीखना सिखाया जा सकता है । 
( 2 ) ज्ञान को सक्रिय रूप से संरचित करते हैं , जैसे - जैसे वे दुनिया में व्यवहार कौशल का प्रयोग करते हैं तथा अन्वेषण करते हैं
( 3 ) प्रेक्षणात्मक अधिगम की प्रक्रिया का अनुसरण करते हुए । दूसरों का अवलोकन करके सीखते हैं 
( 4 ) को उद्दीपन - अनुक्रिया सम्बन्धों के सावधानीपूर्ण नियन्त्रण के द्वारा एक विशेष तरीके से व्यवहार करने के लिए अनुबन्धित किया जा सकता है । 
11. चालक विकास की दर में व्यक्तिगत विविधताएँ होती हैं , फिर भी चालक विकास का क्रम से तक है । 
( 1 ) परिष्कृत ( सूक्ष्म ) चालक विकास ; अपरिष्कृष्त ( स्थूल ) चालक विकास 
( 2 ) शीर्षगामी , अधोगामी 
( 3 ) अधोगामी , शीर्षगामी 
( 4 ) अपरिष्कृत ( स्थूल ) चालक विकास , परिष्कृत ( सूक्ष्म ) चालक विकास 
12. वह अवधि , जो वयस्कता के संक्रमण की पहल करती है , उसे क्या कहते हैं 
( 1 ) बाल्यावस्था की समाप्ति 
( 2 ) किशोरावस्था
( 3 ) मध्य बाल्यावस्था 
( 4 ) पूर्व क्रियात्मक अवधि
13. एक प्रारम्भिक कक्षा - कक्ष में एक बालक / बालिका अपने साथ जो अनुभव लाते / लाती हैं 
( 1 ) उन्हें शामिल कर उनका संचय करना चाहिए 
( 2 ) उन्हें अस्वीकार करना चाहिए 
( 3 ) उसकी उपेक्षा करनी चाहिए । 
( 4 ) उन पर ध्यान नहीं देना चाहिए 
14. एक बच्चा तर्क प्रस्तुत करता है कि हिंज को दवाई की चोरी नहीं करनी चाहिए ( वह दवाई जो उसकी पत्नी की जान बचाने के लिए जरूरी है ) , क्योंकि यदि वह ऐसा करता है , तो उसे पकड़ा जाएगा और जेल भेज दिया जाएगा । कोलबर्ग के अनुसार , वह बच्चा नैतिक समझ की किस अवस्था के अन्तर्गत आता है ? 
( 1 ) सार्वभौम नैतिक सिद्धान्त अभिविन्यास 
( 2 ) यन्त्रीय उद्देश्य अभिविन्यास 
( 3 ) सामाजिक - क्रम नियन्त्रक अभिविन्यास 
( 4 ) दण्ड एवं आज्ञापालन अभिविन्यास 
15. जो बच्चे स्वयं से मौखिक संवाद करते हैं , उन्हें लेव वाइगोत्स्की क्या कहते हैं ? 
( 1 ) समस्यात्मक वार्ता
( 2 ) अहंकेन्द्रित वार्ता 
( 3 ) व्यक्तिगत वार्ता
( 4 ) भ्रान्त वार्ता 
16. खिलौने , पहनावे की वस्तुएँ , घरेलू सामग्रियाँ , व्यवसायों एवं रंगों को विशिष्ट लिंग के साथ सम्बन्धित करना क्या प्रदर्शित करता है ? 
( 1 ) जेण्डर प्रासंगिकता
( 2 ) अहंकेन्द्रित वार्ता 
( 3 ) जेण्डर रूढ़िवादिता
( 4 ) भ्रान्त वार्ता 
( 2 ) विकसित जेण्डर पहचान ( 4 ) जेण्डर सिद्धान्त 
17. एक शिक्षक को चाहिए कि 
( 1 ) यह सम्प्रेषित करे कि वह कक्षा - कक्ष में सभी संस्कृतियों का सम्मान करता है एवं महत्त्व देता है 
( 2 ) वह विद्यार्थियों के बीच तुलना को अधिकतम करे
( 3 ) वह विशेष संस्कृतियों / समुदाय के बच्चों को बढ़ावा दे
 ( 4 ) वह विद्यार्थियों के बीच सांस्कृतिक विभिन्नताओं तथा विविधता की अनदेखी करे 
18. निम्नलिखित संरचनाओं में से शिक्षा का अधिकार अधिनियम , 2009 किसकी वकालत करता है ? 
( 1 ) मुख्यधारा शिक्षा 
( 2 ) एकीकृत शिक्षा 
( 3 ) समावेशी शिक्षण 
( 4 ) पृथक्करण 
19. ...............यह विचारधारा है कि सभी बच्चों को एक नियमित विद्यालय व्यवस्था में समान शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार हो 
( 1 ) बहुल सांस्कृतिक शिक्षा 
( 2 ) समावेशी शिक्षा
( 3 ) मुख्यधारा शिक्षा 
( 4 ) विशेष शिक्षा
20. निम्नलिखित में से कौन - सी अधिगम की मुख्य प्रक्रिया नहीं है , जिसके द्वारा सार्थक अधिगम घटित होता है ? 
( 1 ) अन्वेषण एवं पारस्परिक क्रिया 
( 2 ) कण्ठस्थीकरण एवं स्मरण 
( 3 ) पुनरावृत्ति एवं अभ्यास 
( 4 ) निर्देश एवं संचालन 
21. निम्नलिखित में से कौन - सा स्तम्भ ' क ' के बच्चों को स्तम्भ ' ख ' में उनकी प्राथमिक विशेषताओं के सही मिलान को प्रस्तुत करता है ? 
22. बच्चे प्रभावी रूप से सीखते हैं जब 
( 1 ) वे विभिन्न गतिविधियों एवं कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं 
( 2 ) शिक्षक कक्षा में होने वाली सभी घटनाओं व बच्चों को पूर्ण रूप से नियन्त्रित करता है 
( 3 ) वे पाठ्य - पुस्तक में दिए गए तथ्यों को याद करते हैं 
( 4 ) वे श्यामपट्ट पर अध्यापक के द्वारा लिखे गए उत्तरों की नकल करते हैं 
23. बच्चों को कक्षा में प्रश्न 
( 1 ) पूछने से रोकना चाहिए 
( 2 ) पूछने के लिए प्रेरित करना चाहिए 
( 3 ) पूछने के लिए हतोत्साहित करना चाहिए 
( 4 ) पूछने की अनुमति नहीं देनी चाहिए 
24. संरचनात्मक दृष्टिकोण के अनुसार , अधिगम ... है । 
( 1 ) अनुभव के परिणाम के रूप में व्यवहार में एक परिवर्तन होने क प्रक्रिया 
( 2 ) एक सक्रिय एवं सामाजिक प्रक्रिया 
( 3 ) एक निष्क्रिय एवं व्यक्तिपरक प्रक्रिया 
( 4 ) जानकारी के अर्जन की प्रक्रिया 
25. जब शिक्षक को विद्यार्थियों एवं उनकी योग्यताओं के बारे में सकारात्मक विश्वास होता है , तब विद्यार्थी 
( 1 ) किसी भी रूप में प्रभावित नहीं होते हैं 
( 2 ) सीखने के लिए उत्सुक एवं प्रेरित रहते हैं । 
( 3 ) निश्चिन्त हो जाते हैं तथा सीखने के लिए किसी भी तरह का प्रयास करना बन्द कर देते हैं । 
( 4 ) का उत्साह भंग हो जाता है तथा वे दबाव में आ जाते हैं 
26. बच्चों की गलतियाँ 
( 1 ) शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में महत्त्वहीन हैं 
( 2 ) प्रदर्शित करती हैं कि बच्चे कितने लापरवाह हैं 
( 3 ) बार - बार अभ्यास करने के लिए कह कर तुरन्त सुधार देनी चाहिए 
( 4 ) अधिगम प्रक्रिया का एक भाग हैं तथा उनके विचारों को एक अन्तर्दृष्टि देती हैं 
27. मूल्यांकन को .....................। 
( 1 ) वस्तुनिष्ठ प्रकार के लिखित कार्यों पर आधारित होना चाहिए 
( 2 ) एक अलग गतिविधि के रूप में लेना चाहिए । 
( 3 ) शिक्षण - अधिगम प्रक्रिया का एक भाग होना चाहिए 
( 4 ) केवल नम्बरों के सन्दर्भ में करना चाहिए 
28. नीचे लिखी हुई स्थिति किस सिद्धान्त को दर्शाती है ? “ जो विद्यार्थी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं , वे महसूस करते हैं कि वे पर्याप्त रूप से अच्छे नहीं हैं और हतोत्साहित महसूस करते हैं तब उनमें बिना प्रयास के कार्य को आसानी से छोड़ देने की सम्भावना होती है ” । ( 1 ) आनुवंशिकता एवं पर्यावरण सम्बन्धित नहीं हैं 
( 2 ) संज्ञान एवं संवेग परस्पर सम्बन्धित हैं 
( 3 ) संज्ञान एवं संवेग सम्बन्धित नहीं हैं 
( 4 ) आनुवंशिकता एवं पर्यावरण अलग नहीं हैं 
29. एक शिक्षक बच्चों को प्रभावी रूप से समस्या का समाधान करने में सक्षम बनने के लिए किस तरह से प्रोत्साहित कर सकता है ? 
( 1 ) बच्चों को समस्या के बारे में सहजानुभूत अनुमान लगाने एवं बहुविकल्पों को देखने के लिए प्रोत्साहित करके 
( 2 ) पाठ्य - पुस्तक के सभी प्रश्नों के व्यवस्थित तरीके से समाधान लिखकर 
( 3 ) पाठ्य पुस्तक से एक ही प्रकार के प्रश्नों के उत्तर के अभ्यास के लिए उन्हें पर्याप्त मात्रा में अवसर प्रदान करके 
( 4 ) पाठ्य - पुस्तक में दी गई सूचनाओं के कण्ठस्थीकरण करने पर बल देकर 
30. वे विधियाँ , जिनके प्रयोग में विद्यार्थियों की स्व पहल व प्रयास शामिल हैं , निम्न में से किसका उदाहरण हैं ? 
( 1 ) परम्परागत विधि 
( 2 ) अन्तर्वैयक्तिक बुद्धि 
( 3 ) निगमनात्मक विधि 
( 4 ) अधिगमकर्ता केन्द्रित विधि 
       By ........N.Sir (PG+D.ed+Ctet)
उत्तरमाला संकेत एवं हल के साथ दिया जा रहा है नीचे
1. (4) जेण्डर (लिंग) एक 'सामाजिक
संरचना' है, जिसमें पुरुष और महिलाएँ
शामिल होती हैं। लिंग की भूमिका को
समाज तथा सार्वजनिक एवं निजी जीवन में
महिलाओं और पुरुषों के लिए जिम्मेदार
कार्यों तथा भूमिकाओं की अवधारणा से
निर्धारित किया जाता है।
2. (2) विकास एक व्यापक अवधारणा तथा
निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है। विकास की
अवधारणा के अन्तर्गत कई आयाम शामिल
होते हैं, जिनमें शारीरिक विकास (विभिन्न अंगों
एवं लम्बाई का बढ़ना), संज्ञानात्मक विकास
(सोचने-समझने की क्षमता में वृद्धि), सामाजिक
(परम्पराओं, रीति-रिवाजों एवं विभिन्न व्यक्तियों
के साथ किए जाने वाले व्यवहारों का विकास)
और संवेगात्मक विकास (प्रतिक्रियास्वरूप
उत्तेजित होना, हँसना, रोना या क्रोधित होना)
शामिल हैं।
3. (1) बुद्धि से तात्पर्य संज्ञानात्मक व्यवहारों
के सम्पूर्ण वर्ग से होता है, जो व्यक्ति में
सूझ-बूझ द्वारा समस्या समाधान, नई
परिस्थितियों के साथ समायोजन, अमूर्त रूप
से सोचने की क्षमता तथा अनुभवों से लाभ
उठाने की क्षमता को प्रदर्शित करती है।
अतः बुद्धि बहु-आयामी है, जिसमें बुद्धि
परीक्षणों के द्वारा पूर्ण रूप से परिमेय न की
जाने वाली कई योग्यताएँ शामिल हैं।
4. (2) समाजीकरण विकास की वह प्रक्रिया
होती है, जो जीवन-पर्यन्त चलती रहती है।
व्यक्ति में समाजीकरण की प्रक्रिया सर्वप्रथम
उसके 'परिवार' (माता-पिता) से प्रारम्भ होती
है। यद्यपि व्यक्ति के समाजीकरण में स्थानीय
तथा बाहरी परिवेश का भी महत्त्वपूर्ण योगदान
होता है, जिससे व्यक्ति में व्यवहार तथा
सोचने-समझने की प्रवृत्ति विकसित होती हैं।
5. (1) जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास
का सिद्धान्त व्यक्ति की प्रवृत्ति, विकास व
विभिन्न अवस्थाओं में ज्ञान के विकास के बारे
में विस्तार से वर्णन करता है। पियाजे ने
संज्ञानात्मक सिद्धान्त में यह बताया है कि
बच्चों की सोच गुणात्मक रूप में वयस्कों से
भिन्न होती है तथा दोनों में सोचने-समझने व
व्यवहार करने का स्तर भी अलग-अलग होता
है।

6. (1) पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था में बालक
स्व-केन्द्रित व स्वार्थी न होकर दूसरों के सम्पर्क
से ज्ञान अर्जित करता है। इस दौरान वह खेल,
अनुकरण, चित्र-निर्माण तथा भाषा के माध्यम
से वस्तुओं के सम्बन्ध में अपनी जानकारी
बढ़ाता है। इस अवस्था में अनुक्रमणशीलता
पाई जाती है। अतः पूर्व-संक्रियात्मक अवस्था में
• विचारों की अनुत्क्रमणीयता बच्चों की विशेषता
व होता को बताती है।
7. (2) अधिगम (सीखना) एक ऐसी प्रक्रिया
है, जिसके द्वारा अनुभूति या अभ्यास के
फलस्वरूप व्यवहार में परिवर्तन होता है। बच्चा
जन्म लेने के साथ ही सीखना प्रारम्भ कर देता
है तथा आजीवन कुछ-न-कुछ सीखता ही रहता
है। अतः बच्चों और उनके अधिगम के सन्दर्भ
में यह कथन सत्य है कि सभी बच्चे सीखने के
लिए स्वाभाविक रूप से प्रेरित होते हैं तथा
सीखने में सक्षम होते हैं
8. (4) प्रगतिशील शिक्षा में बच्चों को एक
'सक्रिय अन्वेषकों' के रूप में देखा जाता है।
प्रगतिशील शिक्षा का मुख्य उद्देश्य जिसमें
प्रत्येक बच्चे को उसकी स्वाभाविक प्रवृत्तियों,
इच्छाओं और आकांक्षाओं के अनुसार विकसित
होने का अवसर प्राप्त करना है।
9. (2) लेव वाइगोत्स्की के अनुसार, अधिगम
'एक सामाजिक गतिविधि' है। लेव वाइगोत्स्की
के सिद्धान्त के अनुसार, बच्चों के संज्ञानात्मक
विकास में सामाजिक कारकों एवं भाषा का
महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनके द्वारा दिए गए
सिद्धान्त को 'सामाजिक-सांस्कृतिक' सिद्धान्त भी
कहा जाता है।
10. (2) जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास
के सिद्धान्त के अनुसार, बच्चे ज्ञान को सक्रिय
रूप से संरचित करते हैं तथा जैसे-जैसे वे
| दुनिया में व्यवहार कौशल का प्रयोग करते हैं
वैसे ही वे अन्वेषण तथा विचारों की
समय-समय पर खोज व निर्माण करते रहते हैं।
11. (4) चालक विकास की दर में व्यक्तिगत
विविधताएँ शामिल होती हैं, किन्तु इन
विविधताओं के बावजूद भी चालक विकास का
क्रम निरन्तर होता रहता है, जैसे-अपरिष्कृत
(स्थूल) चालक विकास, परिष्कृत (सूक्ष्म) चालक विकास।
12. (2) किशोरावस्था की अवधि वयस्कता के
संक्रमण की पहल करती है। किशोरावस्था,
बाल्यावस्था व वयस्कता की अवस्था के बीच
की अवस्था होती है। यह अवस्था 13 वर्ष से
प्रारम्भ होकर 21 वर्ष तक चलती रहती है।
13. (1) उन बच्चों का संज्ञानात्मक विकास
विद्यालय में बेहतर होता है, जिनके माता-पिता
उनके स्कूली शिक्षा में शामिल होते हैं, क्योंकि
प्राथमिक शिक्षा (प्रारम्भिक कक्षा-कक्ष) की
कुछ अवस्था में बच्चे अपने परिवेश में जो
देखते या सुनते हैं, उसके बारे में वह अपने
माता-पिता या शिक्षक से पूछते हैं और उसे
समझने का प्रयास करते हैं। अतः एक
बालक/बालिका अपने साथ जो अनुभव
लाते/लाती हैं, उन्हें शामिल कर उनका संचय
करना चाहिए।
14. (4) एक बच्चा तर्क प्रस्तुत करता है कि
हिंज को दवाई की चोरी नहीं करनी चाहिए
(वह दवाई जो उसकी पत्नी की जान बचाने के
लिए जरूरी है), क्योंकि यदि वह ऐसा करता
है, तो वह पकड़ा जाएगा और जेल भेज दिया
कोहवर्ग के अनुसार, वह बच्चा भौतिक
समझ की दण्ड एवं आज्ञापालन अभिविन्यास
की अवस्था के अन्तर्गत आता है।
15. (3) लेव वाइगोत्स्की के
बच्चे स्वयं से मौखिक संवाद करते हैं, उसे
"व्यक्तिगत वार्ता" कहते हैं। वाइगोत्स्की ने
अपने संज्ञानात्मक विकास के सिद्धान्त में स्पष्ट
किया है कि छोटे बच्चों के द्वारा भाषा का
उपयोग केवल सामाजिक संचार के लिए ही
नहीं किया जाता, बल्कि इसका उपयोग वे
अपने व्यवहार को नियोजित एवं निर्देशित
करने के लिए भी करते हैं।
16. (3) खिलौने, पहनावे की वस्तुएँ, घरेलू
सामग्रियों, व्यवसायों एवं रंगों को विशिष्ट
रूढ़िवादिता' प्रदर्शित करता है।
17. (1) शिक्षण की प्रक्रिया में शिक्षक की
भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है तथा एक अच्छा
शिक्षक कक्षा-कक्ष में ऐसे वातावरण का
निर्माण करता है, जिससे विविध संस्कृतियों के
बच्चों को उनकी संस्कृति को प्रभावित किए बिना सभी बच्चे आपस में एक-दूसरे की
भावनाओं, भाषा, संस्कृति तथा धर्म का सम्मान
करते हैं।
18. (3) शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009
'समावेशी शिक्षण' पर बल देता है। वर्ष 2009
में बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा
का अधिकार अधिनियम 2009 पारित किया
गया तथा अप्रैल, 2010 में इसे लागू कर दिया
गया। इस अधिनियम के अनुसार 6 से 14 वर्ष
की आयु
के बच्चों को कक्षा 1 से 8 की
निःशुल्क शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है।
19. (2) समावेशी शिक्षा की अवधारणा उस
विचारधारा से प्रेरित है, जिसमें सभी बच्चों को
एक नियमित विद्यालय व्यवस्था में समान शिक्षा
प्राप्त करने का अधिकार हो ।
20. (2) 'कण्ठस्थीकरण एवं स्मरण' अधिगम
की मुख्य प्रक्रिया नहीं है, जिसके द्वारा सार्थक
अधिगम घटित होता है, जबकि अन्वेषण एवं
पारस्परिक क्रिया, पुनरावृत्ति एवं अभ्यास तथा
निर्देश एवं संचालन अधिगम की मुख्य प्रक्रियाएँ
हैं।
22. (1) जो बच्चे विभिन्न गतिविधियों एवं
कार्यों में सक्रिय रूप से भाग (हिस्सा) लेते हैं,
वे किसी भी विषय को प्रभावी रूप से सीखते
हैं, जबकि इसके विपरीत ऐसे बच्चे, जो केवल
स्कूली शिक्षा पर निर्भर रहते हैं तथा विभिन्न
प्रकार की होने वाली गतिविधियों एवं कार्यों में
भाग नहीं लेते हैं, वे अपेक्षाकृत प्रभावी तरीके
से नहीं सीख पाते हैं। अतः बच्चों को इन
कार्यक्रमों एवं गतिविधियों में भाग लेने के लिए
प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

23. (2) बच्चों के सम्पूर्ण विकास एवं
रचनात्मक शिक्षा प्रदान करने हेतु कक्षा का
वातावरण ऐसा होना चाहिए, जिसमें बच्चों
के सोचने की शक्ति को प्रोत्साहित किया जा
सके। ऐसा करने के लिए शिक्षक को चाहिए कि
वह बच्चों को किसी विषय पर अधिक-से-अधिक
प्रश्न पूछने के लिए प्रेरित करें।
24. (2) संरचनात्मक दृष्टिकोण के अनुसार
अधिगम एक सक्रिय एवं सामाजिक
प्रक्रिया है, जो जीवन-पर्यन्त चलती रहती
है। यह व्यक्तित्व के विकास में सहायक
होती है। इसके द्वारा जीवन के लक्ष्यों की
प्राप्ति में सहायता मिलती है।
25. (2) शिक्षण की अधिगम प्रक्रिया में
शिक्षक को चाहिए कि वह विद्यार्थियों को
सीखने के लिए प्रोत्साहित करें। शिक्षक
विद्यार्थियों को कई तरीके से प्रोत्साहित कर
सकते हैं, जब शिक्षक को विद्यार्थियों एवं
उनकी योग्यताओं के बारे में सकारात्मक
विश्वास होता है, तब बच्चों में सीखने की
इच्छा तीव्र हो जाती है और वे अधिक
सीखने के लिए उत्सुक होते हैं
26. (4) अधिगम की प्रक्रिया में बच्चे
विभिन्न प्रकार के प्रयोग करते हैं, जिनमें से
कुछ प्रयोगों में वह सफल तथा कुछ में
असफल होते हैं, जिसमें वह असफल होते
हैं, उसे वह शिक्षक व अपने माता-पिता से
समझने का प्रयास करते हैं एवं उन गलतियों
को दोहराने से बचते हैं। इस प्रकार बच्चों की
गलतियाँ 'अधिगम प्रक्रिया का एक भाग है
तथा उनके विचारों को एक अन्तर्दृष्टि देती
हैं।
27. (3) मूल्यांकन शिक्षण-अधिगम
प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण भाग है।
मूल्यांकन के तहत् बच्चों द्वारा पूर्व में सीखे
गए विषयों और तथ्यों का परीक्षण किया
जाता है तथा इसके आधार पर बच्चों की
प्रगति एवं कमियों को दूर करने हेतु योजना
बनाई जाती है।
28. (2) प्रश्न में दी गई स्थिति- "संज्ञान एवं
संवेग परस्पर सम्बन्धित है," सिद्धान्त को
दर्शाती है। क्योंकि इस स्थिति में जब
बालक को संज्ञान होता है कि वह पर्याप्त
प्रदर्शन नहीं कर पा रहा है, तो उसमें कुण्ठा,
निराशा एवं द्वेष आदि का भाव उत्पन्न होता
है, जो एक कार्य को बिना प्रयास के छोड़ने
के रूप में प्रकट होता है।
29. (1) शिक्षा का यह दायित्व होता है कि
वह बालक का उस स्तर तक विकास करने में
सहायक हो, जिससे बालक अपने व्यक्तित्व
का सर्वांगीण विकास कर सके तथा सभी प्रकार
की परिस्थितियों में अपने आपको समायोजित
कर सके। अतः एक शिक्षक को चाहिए की
वह बच्चों को प्रभावी रूप से समस्या के बारे
में सहज रूप से अनुमान लगाने एवं
बहुविकल्पों को देखने के लिए प्रोत्साहित करे।
30. (4) वे विधियाँ, जिनके प्रयोग में
विद्यार्थियों की स्व पहल व प्रयास शामिल होते
हैं, अधिगमकर्ता केन्द्रित विधि के अन्तर्गत
आते हैं। इस विधि में बालक को सीखने की
प्रक्रिया (केन्द्र में) के अन्तर्गत रखने पर बल
दिया जाता है।




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