Board exam mai pass hone ke liye Tips बिहार बोर्ड परीक्षा में सफलता के लिएअचूक मंत्र ...Surefire Mantra for Success in Bihar Board Exam...

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                  अनुक्रमणिका
आप कैसे पढ़ेंगे इसमें संपूर्ण जानकारी दिया हुआ है
1.सफल छात्र की विशेषताएँ
Attitude.                         (रवैया)
Academic.                     (शैक्षिक कौशल)
Awareness                    (जागरूकता)
Accomplishment          (प्रवीण/दक्षता)
एक सफल छात्र की विशेषताएं
★ योग्यता
★ आत्माअनुशासन 
★ याद करने के बजाय समझने की क्षमता
पहल
रुचियों का विस्तार
 खुला हो दिमाग 
मन की बुरी आदत 
नियामक 
उद्देश्य 
नर्मता
2.कैसे हासिल करें पूरी सफलता ?
थोड़ा अजीब-सा लगता है ना आधी सफलता प्राप्त करना। सफलता क्या आधी हो सकती है? कुछ लोग मानत है कि पूर्ण सफलता प्राप्त नहीं हो तो क्या हुआ, हमने सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत को और प्रयास किया। वहाँ तक नहीं पहुंच पाई तो क्या हुआ? दरअसल यह एक अलग तरह की मानसिकता है जो कई युवाओं में भी देखने में आती है। वे सफलता के लिए प्रयास करते है और मन से करते हैं पर इतना ही करते हैं जितना सफलता प्राप्ति के लिए जरूरत होती है।
फिर उन्हें सफलता मिल ही जाना चाहिए मन में यह प्रश्न आना स्वाभाविक है, लेकिन ऐसा नहीं होता, अगर आपको 100 प्रतिशत सफलता प्राप्ति करना है तो आपका लक्ष्य 150 प्रतिशत होना जरूरी है ताकि आप 100 प्रतिशत पूर्ण सफलता प्राप्त करें। योर्ट की परीक्षा की तैयारी करते समय अक्सर युवा यह गलती कर
जाते हैं कि जितना जरूरी है उतना ही पड़ते हैं पर जब परीक्षा देने की बारी आती है तब ये अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं पाते बल्कि 60 से 70 प्रतिशत तक ही दे पाते है। परिणाम आने के बाद वे यह जरूर कहते हैं कि चलो 70 प्रतिशत तो आये हैं अगली बार के लिए थोड़ो और हो मेहनत करना है। लेकिन यह मानसिकता क्यों नहीं आ पाती है कि पहली बार में हो जोरदार मेहनत की जाए और अपना 150 प्रतिशत दं तब जाकर 100 प्रतिशत सफलता हासिल होगी। हम प्रवेश परीक्षा पास कर गए. बस इंटरव्यू में रह गए पर परीक्षा तो पास की ना. इस प्रकार के उत्तर युवाओं के पास आम होते हैं। वे अपने आप को आधा सफल मानकर ही पूर्ण सफलता का जल भी मना लेते हैं। पर इस बात का गौर नहीं करते है कि आखिर आधी सफलता हो क्यों मिली और क्या
आधी सफलता पूर्ण सफलता है या पूर्ण असफलता है।
एक युवा साथी थे। उन्होंने प्रतियोगी परीक्षा के लिए अपनी ओर से पूर्ण मेहनत को और प्रवेश परीक्षा पास हो गए पर बाद में आगे नहीं बढ़ पाएँ। पर महर प्रवेश परीक्षा पास करने के कारण ही कई हम-उप युवा साथी उनके पास मार्गदर्शन के लिए आये। ये मार्गदर्शन भी देने लगे और इस ओर उनका ध्यान हो नहीं गया कि उन्हें स्वयं भी आगे बढ़ना है और सफलता का अंतिम पड़ाव
पार करना है। इसका परिणाम यह हुआ कि वे वहाँ-के-वहीं रहे और बाको लोग आगे निकल गए।
3.अपनी क्षमता को पहचानें : पहल करें और आगे बढ़ें
डरना मनुष्य की आम प्रवृत्ति है और इस डर में भी उसे एक अलग तरह का सुख मिलता है, डर का सुख। यह सुख और कुछ नहीं किसी बड़े काम या पहल न करने का सुख होता है। अगर आप कोई भी पहल करके या जोखिम लेकर काम न करेंगे तब जिन्दगी में आगे ही नहीं बढ़ सकते। परन्तु मनुष्य की प्रवृत्ति होती है कि किसी भी तरह के बदलाव को खासतौर पर जिसमें काफी
सारी हिम्मत और जोखिम शामिल हो, तब उस काम को नहीं करने का ही मन बना लेता है। कैरियर की बात हो या जिन्दगी में कुछ नया करने की बात हो मन में शंका उठना स्वाभाविक है और उस शंका का निवारण
भी हमें ही करना होता है। कुछ साथी ऐसे होते हैं जो अपनी बात पर कायम रहते हैं, फिर चाहे सफलता मिले या असफलता वे सबकुछ अपने दम पर अपनी हिम्मत पर करने का माद्दा रखते हैं। जबकि कुछ साथी किसी अन्य द्वारा भी जरा-सी शंका जाहिर करने पर
अनिर्णय की स्थिति में आ जाते हैं जबकि वे स्वयं इस बात से आश्वस्त रहते हैं कि जो काम वे करने जा रहे हैं वह अच्छा है और ऐसा किया जाना चाहिए। परन्तु केवल शंका भर जाहिर करने से सब मामला गड़बड़ हो जाता है। किसी भी कार्य को करने के पहले योजनाबद्ध तरीके से चलना चाहिए और सोच-समझकर कार्य करना ही चाहिए पर कई बार ऐसी परिस्थितियाँ आन पड़ती हैं जब सोचने-समझने का समय नहीं बल्कि केवल निर्णय लेना होता है, ऐसे समय व्यक्ति की असल परीक्षा होती है। व्यक्ति परिस्थितियों से डर बहुत जल्दी जाता है और कई बार जरा-सी प्रेरणा ही उसे इन विपरीत परिस्थितियों से सामना करने की प्रेरणा भी देती है। 'स्वामी विवेकानन्द' जब देशाटन पर निकले थे तब काशी भी गये थे। दिन भर सत्संग चलता रहता था। विभिन्न आश्रमों में जाना
लगा ही रहता था। स्वामीजी का नियम था कि प्रतिदिन अलग-अलग मंदिरों में दर्शन करने जाते थे। स्वामीजी खासतौर पर दुर्गा देवी के मंदिर जरूर जाते है। एक दिन मंदिर से दर्शन कर बाहर आये और अपने गंतव्य की ओर चल पड़े तब उनके पीछे बंदरों का झुण्ड लग गया।
स्वामीजी चोगा पहनते थे और बन्दरों को लगा कि चोगे की जेबों में खाने के लिए कुछ रखा हो। स्वामीजी ने बंदरों के इस झुण्ड से पीछा छुड़ाने के लिए अपने कदमों को तेज कर दिया परन्तु बन्दर थे कि मान ही नहीं रहे थे वे और तेजी से आगे बढ़ते आ रहे थे। स्वामीजी ने कदम और तेज कर दिए और एक स्थिति ऐसी आ गई कि स्वामीजी को दौड़ लगाना पड़ा। वे काफी देर तक भागते
रहे। अचानक एक मोड़ पर एक वृद्ध महात्मा सामने से आ रहे थे उन्होंने स्वामीजी की स्थिति देखी और कहा कि नौजवान, रूक जाओ, भागों नहीं बन्दरों की ओर मुँह करके खड़े हो जाओ। इस वाक्य ने स्वामीजी को प्रेरणा दी और वे बन्दरों की ओर मुँह करके खेड़े हो गये।
यह देखकर बन्दर ठिठक गए और कछ ही समय में इधर-उधर हो गए। इस घटना से स्वामीजी ने भी पेण्णाली
4.मन पर लगाएँ लगाम
यदि आपको खुश रहना है, तो अपने मन को उस काम पर एकापचित करना शुरू करें जो काम आप इस समय कर रहे हैं। मन की तासीर है भटकना और बड़े-बुजुर्ग हमें सदियों से कहते आये हैं कि इस मन को भटकने से रोको, एकाप करो। तभी परम् सुख प्राप्त होगा। इसके विपरीत यह भोगा हुआ सत्य है कि हमें दिवा-स्वन आनंदित करते हैं। दिवा-स्वन यानी जो काम हम कर रहे हैं, उससे मन का भटकाव। तो बात का निचोड़ यह है कि संत-महात्माओं के वचन हमारे व्यक्तिगत अनुभव से मेल नहीं खाते - । लेकिन जरा ठहरिये ! हाल ही में बिल्कुल आधुनिक यंत्र की मददद से एक ऐसा वैज्ञानिक अनुसंधान हुआ है, जो कह रहा है कि हमारे ज्ञानी-ध्यानियों की राय एकदम सही है। अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय के मैथ्यू किलिंग्सवर्थ और टैनियल गिलबर्ट बाकायदा सवा दो हजार लोगों का अध्ययन कर इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि यदि आपको खुश रहना है, तो अपने मन को उस काम पर एकाप करना शुरू करें जो काम आप इस समय कर रहे हैं। इन दोनों मनोवैज्ञानिकों ने अपने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर मित्र के साथ मिलकर 'ट्रैक योअर हैपिनेस' नाम से वेबसाइट तैयार की और लोगों को आमंत्रित किया कि वे अपने आईफोन के जरिए उनके सर्वे में शामिल हों। अपनी उम्र, शहर, नौकरी आदि के बारे में कुछ मूलभूत जानकारी देकर लोग इस शोध के लिए साइन अप हुए।
फिर उन्हें प्रतिदिन एक या अधिक बार आईफोन पर मैसेज करके कहा जाता है कि वे उक्त वेवसाइट पर जाएँ और बताएं कि इस समय वे क्या कर रहे हैं और कितने खरा है। साथ ही उन्हें यह भी बताना था कि क्या वे उसी काम के बारे में सोच रहे थे जो कर रहे थे या फिर किसी
और चीज के बारे में यदि किसी और चीज के बारे में रोच रहे थे तो वह प्रियकर थी, अप्रियकर या फिर सामान्य यानी न इधर, न उधर। इस सर्वे के परिणाम चौंकाने वाले आये। किलिप्सवर्थ और गिलबर्ट ने पाया कि औसतन लोगों का मन 47 प्रतिशत मामलों में उस काम से भटक रहा था, जो वे कर रहे थे। इनमें दफ्तर या घर के काम करने, शॉपिंग करने, खाने, टीवी देखने आदि सहित तमाम किस्म के सार्वजनिक से लेकर अत्यन्त निजी किस्म के काम शामिल थे। गिलबर्ट कहते हैं, 'यह सोचकर बड़ा अजीब लगता है कि भीड़ भरी सड़क पर जा रहे लगभग आधे लोग मानसिक स्तर पर वहाँ है ही नहीं। अब प्रत्न उठता है कि कोई नीरस या बेशिल काम करते हुए किसी का मन घटक. यह तो बात समझ में आती है। लेकिन खुशी देने काला काम करने के दौरान भी लोगों का मन कम हो सही लेकिन भटकता तो है. भला क्यों? साथ ही यह भी देखा गया है कि यह जरूरी नहीं है कि यदि रशी देने वाला काम करने के दौरान मन भटका तो किसी ऐसे विचार की तरफ हो भटकेगा जो उससे भी ज्यादा खुशी देने वाला हो। दूसरे शब्दों में कहें तो यह संभव है कि अपना प्रिय गाना सुनते-सुनते आपके मन में अचानक बिना कारण, सोमवार को दफ्तर
में होने वाली तनाव भरी मीटिंग का ख्याल आ जाए.
गिलबर्ट का मानना है कि आपके द्वारा किया जा रहा कार्य आपको उतनी खुशी नहीं देता, जितना आपके मन में आ रहा विचार देता है और यदि आपका मन उसी कार्य पर एकाग्र है तो आपको प्रसन्नता का स्तर सर्वाधिक है। तो निष्कर्ष यही निकलता है कि मन को भटकने न दें, अन्यथा आपकी खुशी का स्तर गिर जाएगा। पर जरा ठहरिये... क्या यह स्थापित तथ्य नहीं है कि किसी जटिल समस्या का हल हमें अक्सर तब मिलता है जब हम किसी और कार्य में रत होते हैं। यानी मन मौजूदा काम से भटका तो समस्या हल हुई।
5.अधिक अंकों के लिए जरूरी अधिक मेहनत
बदलते जमाने के साथ अब सफलता का पैमाना भी बदल गया है। अब 100 प्रतिशत की बात नहीं होती बल्कि 125 प्रतिशत मेहनत करने की बात होती है तब जाकर सफलता की गारंटी मानी जाती है। सफलता प्राप्त करने के लिए अब सभी अपनी ओर से जोर-शोर से मेहनत करते हैं, इस कारण प्रतिस्पर्धा भी काफी बढ़ गई है। ऐसे में बोर्ड परीक्षा में उत्कृष्ट सफलता के लिए प्रयास कर रहे हों तो आपको 125 प्रतिशत मेहनत करना होगा तब जाकर 100% सफलता की आशा कर सकते हैं। मेहनत करके सफलता पाना आदर्श स्थिति है। प्रत्येक युवा के मन में चाहे परीक्षा में उत्तीर्ण होना हो या फिर जॉब में सफलता प्राप्त करना, सपने पूर्ण होने जैसा है। पर क्या कभी आपने सोचा कि सफलता प्राप्त
करने के दौरान जो मेहनत करते हैं उससे एक कदम आगे बढ़ने पर परिणाम क्या होगा? उदाहरण के तौर पर, कॉर्पोरेट वर्ल्ड में कम्पनियाँ अपने ग्राहकों को खुश करने के लिए न जाने कितने तरह के प्रयल करती हैं। वे अच्छी
सेवा के अलावा ग्राहक को इस बात का गर्व अनुभव करवाती हैं कि वे उसके ग्राहक हैं। चलिए एक छोटी-सी कहानी के माध्यम से समझते एक बार एक व्यक्ति ने अपनी कार को गैराज पर सुधारने के लिए दिया। गैराज में कई लोग काम करते थे। इनमें एक युवा साथी भी था। गैराज में वह कार उसी के पास सुधरने के लिए आई। गाड़ी मालिक को गैराज मालिक ने शाम को आने के लिए कहा था। युवा साथी पूर्ण तन्मयता के साथ गाड़ी की खराबी दूर करने में जुट गया। उसके साथियों ने उससे कहा कि तुम इतनी मेहनत क्यों कर रहे हो गाड़ी शाम को देना है। युवा साथी अपने काम में जुटा रहा। उसने न कवेल गाड़ी को बेहतरीन तरीके से सुधारा बल्कि उसने कार की सफाई इतनी अच्छी तरह से कर दी कि कार बिल्कुल नई जैसी लगने लगी। कार की सफाई के लिए कार मालिक ने नहीं कहा था और इस बात
को लेकर उसके साथियों ने उसका खूब मजाक उड़ाया। युवा साथी ने इस मजाक को दिल में नहीं लगाया। शाम को गाड़ी मालिक जब कार लने आया तब आश्चर्य में पड़ गया कि उसकी कार बिल्कुल नई जैसी दिखने लगी।
गाड़ी मालिक ने पूछा की कार का काम किसने किया। गैराज मालिक ने युवा साथी की ओर इशारा किया। गाड़ी मालिक ने उस युवा साथी से बातचीत की और उससे यह पूछा कि आखिर तुमने किसके कहने पर गाड़ी की सफाई की। युवा साथी का कहना था कि वह बस अपना काम कर रहा था और उसे लगा कि गाड़ी को न केवल सुधारना चाहिए बल्कि उसे पूर्ण रूप से साफ करके
ही गाड़ी मालिक को देना चाहिए। उसके जवाब से गाड़ी मालिक न केवल संतुष्ट हुआ बल्कि उसने ज्यादा वेतन पर अपनी फैक्टरी में उसे नौकरी दे दी।
6.छात्र पढ़ाई के सही तकनीक को अपनाएँ

(1) पढ़ाई करते वक्त हर 40 से 50 मिनट के बाद एक बेक जरूरी लें। ब्रेक में आप शारीरिक व्यायाम कर सकते हैं। योग कर सकते हैं, घूम सकते हैं, विश्राम कर सकते हैं। याद रखें आपको किसी से बात नहीं करना है, पढ़ाई के माहौल से बाहर नहीं आना है और मन को चंचल नहीं होने देना है। आप हल्का संगीत भी सुन सकते हैं। पानी जरूरी पीएँ। ब्रेक 5-7 मिनट से ज्यादा का नहीं होना चाहिए।
(2) पढ़ाई करते वक्त जो भी तथ्य आपको महत्त्वपूर्ण लगते हैं, उनके नोट्स बनाएँ, हाई लाइटर से उन्हें हाई लाईट करें, विभिन्न रंगों का उपयोग करें, उनके चित्र बनाएँ, चार्ट्स भी बना सकते हैं। किसी उदाहरण के द्वारा अपने दैनिक जीवन से जोड़ते हुए मनोरंजक तरीके से उसका एक काल्पनिक चित्र मस्तिष्क में बैठा ले। कठिन उत्तर को पहले सरल करें फिर विन्दुवार उसे याद करें।
हमारा मस्तिष्क कठिन चीजों को नहीं समझ पाता हैं इसलिए हमें कठिन उत्तरों को पहले सरल करना होगा। वह चाहे हम हमारे दोस्त की मदद से करें, शिक्षक की मदद से करें या फिर शैक्षणिक सी.डी. को सहायता से उसे समझने का प्रयास करें। हमारा मस्तिष्क रंगीन वस्तुओं को, बड़ी-बड़ी वस्तुओं को, दैनिक जीवन से हट कर मनोरंजक चीजों को, हमारे जीवन से जुड़ी हुई वस्तुओं को ज्यादा अच्छे से याद रख पाता है, अतः हमें पढ़ाई करते वक्त इन तकनीकों को

7.योजनाबद्ध तरीके से करें तैयारी
बोर्ड परीक्षा की सभी तैयारियों के बाद भी कभी-कभी उतना अच्छा नहीं कर पनि किनेर या वे कर सकते हैं। बोर्ड परीक्षा में अब नम्बर लाने के लिए अच्छी तैयारी की योजना बनानो भी बहुत जल्दी baon को परीक्षा से पहले पूरी तैयारी कर लने के बाद भी तनाव रहता है। परीक्षा का तनाव, अभियायकों की माने समय
अच्ा करने की होड़ की वजह से छात्रों को तनाव घेर लेता है। इन सब का असर उनकी परीक्षा पर नकारात्मक प्रचार पड़ता है। शिक्षा के नांव के रूप में भी देखा जाना चाहिए क्योंकि आगे की समस्त पढ़ाई और प्रतियोगी
परीक्षाएँ काफी हद तक इन्हीं मूल तथ्यों पर
आधारित होती हैं। अगर यही आधार कमजोर
रह गया तो जीवन भर उस विषय को समझने
में परेशानी होनी निश्चित है। दसवों कक्षा का अधिकांश शुरुआती समय सत्र इस सोच में निकाल देते हैं कि
अतिम समय में थोडा ज्यादा समय लगाकर सब
कुछ तैयार कर लेंगे। लेकिन बाद में उनके
हाथ पांव फूल जाते हैं जब वाकई कम समय
शेष बचता है। वैसे अगर बोर्ड परीक्षा की बात
नहाँ भी करें तो भी इस परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन
करने का दबाब तो गंभीर जात्रों पर बना ही रहता है। इसके अलावा दसवीं के नतीजों से तीवीर सिधा को पार करो यह भी नहीं भूलना चाहिए।
8.इनका ध्यान रखेंगे तो लक्ष्य प्राप्ति में होंगे सफल
योजनाबद्ध तरीके से पढ़ाई परीक्षा में सफलता के लिए योजनाबद्ध तरीके से अध्ययन करना जरूरी है। विषयवार समय बाँटकर नित्य अध्ययन करना अधिक लाभदायक होता है। कोर्स का डिवाइडेशन अच्छी सफलता के लिए कोर्स को तीन स्तरों में बाँटकर पढ़ाई करना चाहिए। घंटे महत्वपूर्ण नहीं हैं परीक्षा में अच्छी सफलता के लिए दिन-रात पढ़ते रहना जरूरी नहीं है। पढ़ाई के लिए घंटे उतने अहम् नहीं होते जितना
एकाग्रता और लक्ष्य को पाने की धुन। लिहाजा भले ही कम पढे, लेकिन नियमित, ईमानदारी और एकाग्रता से पढ़ें। नोट्स तैयार करना अहम सवालों की लिस्ट बनाकर उनके नोट्स तैयार किये जाने चाहिए और उन्हें समझ कर याद करना परीक्षा में सफलता की कुंजी होती है।
अध्ययन के साथ-साथ लिस्वना भी जरूरी परीक्षा में विद्यार्थी को समय सीमा में प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं। इसके लिए लेखन का अभ्यास जरूरी है। ज्यादातर विद्यार्थी लिखने में कतराते हैं। यदि लेखन का अभ्यास निरंतर किया जाए तो परीक्षा में प्रश्नों के उत्तर देने में कठिनाई नहीं होती है। सभी विषयों की करें तैयारी
विद्यार्थी को शुरूआत से ही सभी विषय तैयार करना चाहिए। आमतौर पर देखा जाता है कि छात्र सभी विषयों पर ध्या
9.टाईम मैनेजमेंट है सबसे जरूरी 

किन बातों का रखें ख्याल :-
पढ़ाई के दौरान न तो बार-बार पड़ने से उठे और न ही फोन पर बात करें। बहुत कम बचे हुए दिनों में सभी विषयों को बराबर समय । अन्यथा पड़े हर विषय बाद नहीं रहेगा। परीक्षा को सामान्य रूप से लो इस बात को मन से निकाल दें कि वाह विषय मुश्किल है या यह विषय आसान है। पुढे गये प्रश्न आपको किताब के अन्दर से ही आदेगा और खुद से यह बार-बार कह। उच्चस्तरीय गाईड मारती बुक डिपो द्वारा प्रकाशित बिहार सेकेण्डी स्कूल एक्जामिनेशन गाईड वाया मी बहुत जरूरी है। छात्र घर का बना खान पान बाजार के बने खाद्य पदार्थों से जहाँ तक हो सके परहेज कर अधिक-से-अधिक तरल पदार्थ न इसके बाद ही पूरी नौदल। पाड़ने के साथ ही लिखने का भी वशवर यास करें। स्कूल शिक्षकों द्वारा बताए गए सवाल को अच्छे से पह, साथ
हो तीन घोट बैटकर परीक्षा के माहौल में मॉडल टेस्ट पेपर को हल कर अपनी पारी के दौमान पाठ कितने अंक कम अंक वाले विषय-वस्तु में बहुत ज्यादा र बना।
अगर आप किसी तरह के तनाव में हैं या आप बनी हो रही है तो उसे एयर नहीं। अभिभावक, शिक्षक र
काउंसलर से जरूर बात करें। इससे आपका महल्का होगा और इस बदैलों का कोई-न-कोई हल जरूर निकल
10.पुनरावलोकन (रिविजन प्लान) की मदद जरूर लें

बोर्ड परीक्षाओं के नजदीक आते ही छात्र मौज-मस्ती छोड़कर परीक्षाओं की तैयारी में जुट जाते हैं। अभिभावक भी इस दौरान छात्रों को परीक्षाओं के तनाव से मुक्त रहने के लिए उन पर विशेष ध्यान देते रहे, जिसमें सेहतमन्द भोजन से लेकर छात्रों को
आराम या नींद मिले, इसका अभिभावक ख्याल रखें।
परीक्षाओं से ठीक पहले बच्चों को कुछ नया नहीं पढ़ना चाहिए। पूरे साल जो उन्होंने पढ़ा है सिर्फ उसकी पुनरावलोकन (रिवीजन) कर परीक्षाओं में बड़ी आसानी से अच्छे अंक प्राप्त किये जा सकते हैं। सभी विषयों की रिवीजन बेहद जरूरी है। प्रत्येक विषय की रिवीजन के लिए बच्चों को टाइम टेबल बनाना चाहिए। साथ
ही बच्चों को रात में देर रात तक जागकर पढ़ने की बजाए सुबह जल्दी उठकर पढ़ना चाहिए। यह बहुत जरूरी है कि जब आप किसी विषय की रिवीजन कर रहे हों तब आपका दिमाग तन्दुरुस्त हो, और सुबह का वक्त याद करने के लिए सबसे बेहतर होता है। रात की अच्छी नींद के बाद सुबह दिमाग पूरे दिन के मुकाबले सबसे ज्यादा गति से काम करता है। इसके अलावा बच्चों
को लगातार पाँच-छह घंटे तक नहीं पढ़ना चाहिए। कई घंटों तक लगातार पढ़ने से दिमाग तो थक ही जाता है, साथ ही उसकी क्षमता पर भी दबाव पड़ता है और वह अपनी पूर्ण क्षमता के अनुसार काम नहीं कर पाता।
बच्चों को कोशिश करनी चाहिए कि दो घंटे पढ़ने के बाद कुछ मिनट का आराम लें और फिर दोबारा पढ़ने बैठें। ऐसा करने से न तो दिमाग में थकान महसूस होगी और न ही उसकी क्षमता कम होगी। रिवीजन करने के बाद बच्चों को सभी विषयों के कम-से-कम दो या तीन सैम्पल पेपर जरूर हल कर लेने चाहिए। इससे उन्हें काफी लाभ मिलेगा और उन्हें अपनी गति का भी अनुमान
हो जाएगा। बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियों के लिए छात्र तरह-तरह के तरीके अपनाकर तैयारी करते हैं। इसके लिए स्कूल भी कुछ समय पहले ही कक्षाओं में पुनरावलोकन (रिवीजन प्लान) के तहत् तैयारी करवानी शुरू कर देते हैं, कहीं छात्र नोट्स बनाकर
तैयारी करते हैं तो कहीं दिनचर्या के हिसाब से प्रत्येक विषय को बराबर समय देकर अच्छे अंक प्राप्त किया जा सकता है। इसके साथ ही कमजोर विषयों की तैयारी के
लिए समझकर अध्ययन करने के साथ-साथ लिखकर भी अभ्यास करना बच्चों के
लिए फायदेमन्द होता है।
11.परीक्षा की तैयारी : क्या करें, क्या न करें?
::::::------संगीत सुनते हुए पढ़ाई
कई लोगों का मानना है कि इस प्रकार पढ़ने से ध्यान
केन्द्रित करने में काफी मदद मिलती है। हो सकता है
कि यह बात कुछ फीसदी लोगों पर सच हो लेकिन इस बारे में वैज्ञानिक तर्क यही है कि दिमाग की ग्रहण करने
या ध्यान केन्द्रित करने की क्षमता असीमित नहीं होती है ऐसे में पढ़ाई के साथ संगीत से न सिर्फ सामान्य तौर पर पूरी तरह से ध्यान केन्द्रित नहीं हो पाता बल्कि भटकने में भी ज्यादा वक्त नहीं लगता।
::::------शैक्षणिक कम्प्यूटर सी0 डी0
निस्संदेह इस प्रकार की सी० डी० कई बार कठिन विषयों को ग्राफिक्स या एनीमेशन के माध्यम से समझाने का काम बखूबी करती हैं। लेकिन परीक्षा तैयारी के अंतिम दौर में नोट्स या पाठ्य-पुस्तक, अपनी कक्षा कार्य की कॉपी के बजाय इस तरह की डिजिटल पढ़ाई करने से ज्यादा फायदा नहीं हो पाता। क्योंकि उनमें सही उत्तरों का फॉर्मेट नहीं होता है।
::::::----बिना नोट्स सीधे पाठ्य-पुस्तक से तैयारी
ऐसा युवा भी देखने में आते हैं जो नोट्स बनाने में विश्वास नहीं रखते और सीधे पाठ्य-पुस्तकों से एक या दो बार अध्यायों को पढ़ लेने को ही अंतिम तैयारी मानते हैं। इस प्रकार की पढ़ाई से दिमाग में कितना संजोकर रखा जा सकता है यह समझना कोई ज्यादा मुश्किल नहीं है।
::::::::------बिना लिखे पढ़ाई की आदत
कम्प्यूटर और इंटरनेट के इस डिजिटल युग में युवाओं की लिखने की आदत लगभग समाप्त हो चुकी है। ऐसे में सही तरह से प्रश्नों के उत्तर लिखना या नोट्स बनाना या रिविजन के दौरान लिखना नहीं के बराबर ही दिखाई पड़ता है। इस गलत प्रवृत्ति का भयंकर नुकसान उन्हें परीक्षा हॉल में लगातार 3 घंटे तक नहीं लिख पाने, लिखने में थकावट महसूस करने या
12.परीक्षा की तैयारी : क्या खाएँ, क्या न खाएँ?
::::::::----ऐसा हो खान-पान
◆ दूध, दही, फल आदि भरपूर मात्रा में लें। है 
◆ नाश्ते में घर की बनी टोस्ट, पनीर, सलाद, शहर के साथ सूखे मेवे आदि लिये जा सकते हैं।
◆ फास्टफूड कम-से-कम लें।
◆ फल, फलों का रस, नींबू पानी, सूप को बार-बार लिया जा सकता है।
◆ अगर चाय पीने की आदत है तो हर्बल टी लेना ज्यादा अच्छा होगा।
◆ खाना छोड़ने से एकाग्रता में कमी आती है।
◆ रात का खाना हल्का लेना अच्छा होता है। इसमें दलिया, कॉर्न या सादी रोटी-सब्जी खाई जा सकती है।
◆ अधिक मसालेदार और चिकनाई वाले पदार्थ न लें।
◆ मैदे या कब्ज करने वाले पदार्थ न खायें। रेसेदार भोजन, साग आदि भरपूर खायें। पेट साफ रहने पर अध्ययन में विद्यार्थी अच्छी तरह से ध्यान लगा सकते हैं।
13.कैसे बचे परीक्षा के तनाव से
मन को रखें दुरुस्त
 दिनचर्या में बदलाव ना करें
 पिछला याद रखने के टिप्स
 जल्दी के फेर में ना पड़े
 जबरन पढ़ाई ना करें
14.बच्चे कोचिंग क्लास कब बन्द करें?

10वीं के बच्चे पूरी तरह से एन.सी.ई.आर.टी. बी.टी.बी.सी./बिहार सेकेण्ड्री स्कूल एक्जामिनेशन गाईड पर पूरी तरह खुद को एकाग्र कर लें। प्रतिदिन छह से सात घंटे की स्वाध्याय पर फोकस करें। लेकिन इसके लिए खुद पर अधिक दबाव न डालें। रात-रात भर जागने की जगह टाइम टेबल बनाकर पढ़ें। रात 11 बजे तक हर हाल में सो जाएँ। प्रतिदिन कम-से-कम छह घंटे की नींद आवश्य लें। मनियारा अभितो तिमि संग गणित
15.प्रस्तुतीकरण दिलाये आपको विशेष अंक
16.बेहतर नतीजे के लिए हिन्दी को न करें नजरअंदाज
17.अंग्रेजी की तैयारी कैसे करें?
18.विज्ञान को समझें, रटे नहीं
19.गणित में अच्छे अंक लाने का हिट फार्मूला
20.कैसे करें सामाजिक विज्ञान में बेहतरीन प्रदर्शन ?


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