प्रश्न 1. विद्युत फ्यूज का कार्य स्पष्ट करने के लिए एक प्रयोग का वर्णन कीजिए।
उत्तर विद्युत परिपथ सुरक्षा के लिए फ्यूज का प्रयोग बहुत आवश्यक है क्योंकि शॉर्ट सर्किट होने की अवस्था में इसमें लगी तार पिघल जाती है और विद्युत
धारा का प्रवाह रुक जाता है जिससे आग लगने का भय कम हो जाता है। किसी विद्युत परिपथ में कम प्रतिरोध से होकर धारा के प्रवाहित हो जाने को हैं शॉर्ट सर्किट कहते हैं। विद्युत ऊर्जा के चालक तार पुराने होने या उनका रोधी पदार्थ निकल जाने पर दो तारों को छू जाने से शॉर्ट-सर्किट हो जाता है
से सुरक्षा—एक बैटरी तथा बल्ब को चित्र के अनुसार जोड़े। धारा प्रवाहित होने पर बल्ब जल जाएगा। अब बल्ब से कुछ ऊपर संपर्क तारों पर रोधी पदार्थ को छीलकर निकाल दें। बल्ब जलता रहेगा। अब इन तारों के खुले भाग को मिला दीजिए। बल्ब जलना बंद हो जाएगा। इस अवस्था में बल्ब में कोई धारा प्रवाहित नहीं होती बल्कि सारी धारा सीधी तारों से होकर चली जाती है। संपर्क तारों का प्रतिरोध कम होने के कारण धारा का मान बहुत अधिक हो जाता है और तार शीघ्र गर्म हो जाते हैं। किसी विद्युत यंत्र में इस प्रकार कम प्रतिरोधी से होकर धारा में प्रवाहित हो जाने को शॉर्ट-सर्किट कहते हैं। फ्यूज लगे होने पर इसकी तार पिघल जाती है और आग लगने का भय कम हो जाता है
प्रश्न 2. प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण से आप क्या समझते हैं ? इन्द्रधनुष की व्याख्या करें।
अथवा, प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण क्या है? इन्द्रधनुष कैसे बनता है?
उत्तर—जब काँच की प्रिज्म से प्रकाश का पुंज गुजारा जाए तो यह सात रंगों में बँट जाता है जिसे प्रकाश का वर्ण विक्षेपण कहते हैं। इन सात रंगों को बैंगनी
(Violet), हल्के नीला (Indigo), नीला (Blue), हरा (Green), पीला (Yellow), संतरी (Orange) और लाल (Red) वर्ण क्रम में व्यवस्था प्राप्त होती है । वर्ण क्रम को VIBGYOR भी कहते हैं।
इन्द्रधनुष—इन्द्रधनुष वर्षा के पश्चात् आकाश में जल के सूक्ष्म कणों में दिखाई है देता है। वायुमंडल में उपस्थित जल की सूक्ष्म बूंदों द्वारा सूर्य के प्रकाश के परिक्षेपण
के कारण प्राप्त होता है। जल की सूक्ष्म बूंदें छोटे-छोटे प्रिज्मों की भाँति कार्य करती हैं । सूर्य के आपतित
प्रकाश को ये बूंदें अपवर्तित तथा विक्षेपित करती है, तत्पश्चात इसे आंतरिक परावर्तित करती है, अंततः जल की बूंद से बाहर निकलते समय प्रकाश को पुनः अपवर्तित करती हैं और इन्द्रधनुष का निर्माण होता है।
प्रश्न 3. दूर-दृष्टि दोष से आपका क्या अभिप्राय है ? इस दोष का निवारण किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर-दूर-दृष्टि दोष- इस दृष्टि दोष में नेत्र निकट वस्तु
को स्पष्ट नहीं देख पाता है।
इसस्थिति में प्रतिबिम्ब दृष्टिपटल के - पीछे बनता है। दीर्घ दृष्टि लिए एक निकट बिन्दु होता है रेटिना दोष का निवारण इस दोष को उत्तल लेंस से ठीक किया जाता है। यह प्रतिबिम्ब को दृष्टिपटल पर बनने में मदद करता हैं
प्रश्न 4. सौर सैल पैनल की बनावट और कार्य-विधि समझाइए।
उत्तर-सौर सैल पैनल अर्द्धचालकों की सहायता से बनाई गई ऐसी युक्ति है जो सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करके उपयोगी कार्य करती है। बनावट-सौर सैल पैनल और सौर सैलों के सामूहिक रूप से कार्य करने की योग्यता पर आधारित होते हैं। अनेक सौर सैलों के विशेष क्रम में व्यवस्थित करके सौर सैल पैनल बनाये जाते हैं। इसे ऐसे स्थान पर लगाया जाता है जहाँ पर्याप्त मात्रा में धूप आती हो। पैनल की दिशा को बदलने की व्यवस्था भी की जाती है।
कार्यविधि-सिलिकॉन तथा गैलियम जैसे अर्द्धचालकों की सहायता से बनाये गए सौर सैलों के पैनल पर जब सौर
सौर सैल पैनल ऊर्जा पड़ती है तो अर्द्धचालक के दो
भागों में विभवांतर उत्पन्न हो जाता है जिससे चार वर्ग सेमी. के एक सौर सैल के द्वारा 60 मिली ऐम्पियर धारा
लगभग 0.4-0.5 वोल्ट पर उत्पन्न होती है। सौर सैलों की कम या अधिक संख्या के आधार पर कम या अधिक
विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जाती है।
उपयोग-
(5) सड़कों पर प्रकाश की व्यवस्था की जाती है।
(ii) कृत्रिम उपग्रहों तथा अंतरिक्ष अन्वेषक यानों में विद्युत का प्रबंध किया जाता है।
प्रश्न 5. सौर जल-ऊष्मक का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर-सौर ऊष्मक युक्ति को कुछ परिवर्तनों के पश्चात् सौर जल-ऊष्मक के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है इसके लिए काली पट्टी को तांबे की ट्यूब द्वारा बदला जा सकता है। इसको बाहरी ओर से काला कर दिया जाता है। इस ट्यूब का एक सिरा जल स्रोत से जुड़ा होता है तथा दूसरा सिरा गर्म जल प्राप्त करने के लिए किसी नल से जुड़ा रहता है जहाँ से गर्म जल प्राप्त होता है।
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