राजनीतिशास्त्र से लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी..... Chapter....1 ,,,,Civics..se .vvi.... Questions and Answers

WWW.NCERTNZ.IN

By WWW.NCERTNZ.IN

in

              1. लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी
प्रश्न 1. धर्म-निरपेक्ष राज्य से क्या समझते हैं ?
उत्तर-वैसा राज्य जिसमें किसी भी धर्म विशेष को प्राथमिकता न देकर सभी धर्मों को समान आदर प्राप्त हो उसे धर्म-निरपेक्ष राज्य कहते हैं। जैसे-भारत।
प्रश्न 2. सांप्रदायिकता की परिभाषा दें।
उत्तर-जब हम यह कहते हैं कि धर्म ही समुदाय का निर्माण करती है तो सांप्रदायिक राजनीति का जन्म होता है और इस अवधारणा पर आधारित सोच ही
सांप्रदायिकता है। इसके अनुसार एक धर्म विशेष में आस्था रखनेवाले एक ही पु समुदाय के होते हैं और उनके मौलिक तथा महत्त्वपूर्ण हित एक जैसे होते हैं।
प्रश्न 3. साम्प्रदायिक सद्भाव के लिये आप क्या करेंगे?
उत्तर भारत में विभिन्न धर्मों के लोग निवास करते हैं। धार्मिक पहचान के आधार पर राजनीतिक व आर्थिक स्वार्थों की पूर्ति के कारण साम्प्रदायिक सद्भाव
के स्थान पर साम्प्रदायिक संघर्ष का जन्म होता है। साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए शिक्षा व जागरुकता का विकास, विभिन्न धर्म के लोगों में आपसी समझ का विकास तथा धर्म के राजनीतिक उपयोग पर रोक लगाना आवश्यक है।
प्रश्न 4. सामाजिक विभाजन से आप क्या समझते हैं 
उत्तर प्रत्येक समाज में लोगों के जन्म, भाषा, जाति, धर्म के आधार पर विभेद होना स्वाभाविक है। इन आधारों पर लोग अलग-अलग समुदायों से संबद्ध हो जाते
हैं तो उसे सामाजिक विभाजन कहा जाता है। भारत में जाति के आधार पर सवर्ण, दलित, पिछड़ी जातियों के समुदाय सामाजिक विभाजन के उदाहरण हैं।
प्रश्न 5. लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ किस प्रकार अनेक तरह के सामाजिक विभाजनों को संभालती हैं? उदाहरण के साथ बतावें।
उत्तर-समानता और स्वतंत्रता, लोकतंत्र के दो आधार हैं। समानता का सिद्धांत जाति, धर्म, वंश, लिंग, भाषा क्षेत्र जैसे किसी भी आधार पर व्यक्ति के विभेद को
समान अस्वीकार करता है। इसकी जगह कानून के समक्ष समानता, समान अवसर, संरक्षा की स्थापना करता है।स्वतंत्रता के अंतर्गत सभी व्यक्तियों को समान स्वतंत्रता प्रदान की जाती है जिसमें भाषण एवं अभिव्यक्ति, संघ-संगठन बनाने, पेशा-व्यवसाय चुनने, मताधिकार आदि शामिल हैं।
प्रश्न 6. भारत की संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है ?
अथवा, भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है
उत्तर-यद्यपि मनुष्य जाति की आबादी में महिलाओं की संख्या आधी है, पर सार्वजनिक जीवन में खासकर राजनीति में उनकी भूमिका नगण्य है। पहले सिफ्र
पुरुष वर्ग को ही सार्वजनिक मामलों में भागीदारी करने, वोट देने या सार्वजनिक पदों के लिए चुनाव लड़ने की अनुमति थी । सार्वजनिक जीवन में हिस्सेदारी हेतु महिलाओं को काफी मेहनत करनी पड़ी। महिलाओं के प्रति समाज के घटिया सोच के कारण ही महिला आंदोलन की शुरुआत हुई। महिला आंदोलन की मुख्य माँगों में सत्ता में भागीदारी की माँग सर्वोपरि रही है। औरतों ने सोचना शुरू कर दिया कि जब तक
औरतों का सत्ता पर नियंत्रण नहीं होगा तब तक इस समस्या का निपटारा नहीं होगा। फलतः राजनीतिक गलियारों में इस बात पर बहस छिड़ गयी कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने का उत्तम तरीका यह होगा कि चुने हुए प्रतिनिधि की हिस्सेदारी बढ़ायी जाए। यद्यपि भारत के लोक सभा में महिला प्रतिनिधियों की संख्या 59 हो गई है। फिर भी इसका प्रतिशत 11% के नीचे ही है। आज भी आम परिवार के महिलाओं को सांसद या विधायक बनने का अवसर क्षीण है। महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना लोकतंत्र के लिए शुभ होगा। भारत में हाल में महिलाओं को विधायिका में 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बात संसद में पारित हो चुकी है।
प्रश्न 7.किन्हीं दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्म-निरपेक्ष देश बनाता है?
अथवा, भारतीय संविधान के दो प्रावधानों का वर्णन करें जो भारत को धर्म-निरपेक्ष राज्य बनाते हैं।
उत्तर-(i) भारतीय संविधान की प्रस्तावना में सांविधान संशोधन द्वारा भारत को धर्मनिरपेक्षण राज्य घोषित किया गया है।
(ii) संविधान में इस बात का स्पष्ट उल्लेख कर दिया गया है कि भारत का अपना कोई धर्म नहीं है।
प्रश्न 8. लैंगिक असमानता क्या है
उत्तर-लिंग के आधार पर समाज में महिलाओं व पुरुषों में जो असमानता पायी और जाती है, उसे लैंगिक असमानता कहते हैं। यह असमानता सामाजिक, आर्थिक, हैं राजनीतिक व अन्य क्षेत्रों में पाई जाती है।
प्रश्न 9. भाषा नीति क्या है?
उत्तर- भारत वास्तव में विविधतापूर्ण देश है जहाँ 114 से अधिक प्रमुख भाषाओं का प्रयोग होता है। इसमें इन सभी भाषाओं के प्रति आदर होना चाहिए। अने
ये सब मिलकर हमारी भाषाई विरासत को समृद्ध बनाते हैं तथा उन्हें साथ विकसित एक होने में मदद करते हैं। अतः प्रमुख भाषाओं को समाहित करने की नीति ने राष्ट्रीय एव एकता को मजबूत किया है। भारतीय संविधान में प्रमुख भाषाओं को समाहित किया सुति
गया है। जैसे-हिन्दी, अंग्रेजी, बंगला, तेलगु, कन्नड़ आदि। यही भाषा नीति है। इसे अपना कर राष्ट्रीय एकता को सबल बनाया गया है।
प्रश्न 10. भारत को गणतंत्र क्यों कहा जाता है ?
उत्तर- भारत ने 26 जनवरी, 1950 ई. को स्वनिर्मित संविधान को अंगीकार एवं स्वीकार किया जिसमें नागरिकों के मूलभूत अधिकारों को सुरक्षित रखने पर बल दिया गया। अतः भारत को गणतंत्र कहा जाता है।
प्रश्न 11. भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 के विषय में लिखें। 
अथवा, देश के सभी नागरिकों को स्वतंत्रता का मूल अधिकार संविधान के किस अनुच्छेद में दिया गया है ?
उत्तर-हमारे संविधान के अनुच्छेद-19 में देश के सभी नागरिकों को स्वतंत्रता का मूल अधिकार दिया गया है।
प्रश्न 12.संघात्मक शासन व्यवस्था में लिखित संविधान क्यों आवश्यक है?
उत्तर-संघात्मक शासन व्यवस्था में लिखित संविधान आवश्यक है। क्योंकि इस शासन व्यवस्था में प्रान्तों व केन्द्र सरकार के मध्य शक्तियों का बँटवारा किया
जाता है। शक्तियों का बँटवारा संविधान द्वारा ही किया जाता है। यदि संविधान लिखित नहीं होगा तथा शक्तियों का बँटवारा स्पष्ट तथा सुनिश्चित नहीं होगा तो केन्द्र
व प्रान्तों के मध्य अधिक विवाद उत्पन्न होंगे।
प्रश्न 13. रंग भेद क्या है?
उत्तर--रंग-भेद का तात्पर्य चमड़ी (Skin) के रंग के आधार पर लोगों में भेदभाव करना है। दक्षिण अफ्रीका में गोरे लोगों की सरकार ने बहुसंख्यक काले
लोगों के प्रति विभिन्न प्रकार के भेदभावों की नीति अपनायी थी। इसे रंग-भेद नीति के नाम से जानते हैं।
प्रश्न 14. सामाजिक विविधता राष्ट्र के लिये कब घातक बन जाती है ?
उत्तर--सामाजिक विविधता वैसे तो समाज के विकास का लक्षण है; लेकिन जब यह विविधता लोगों में तनाव, संघर्ष व अलगाववाद को जन्म देती है तो यह राष्ट्र के लिये घातक बन जाती है। भारत में जाति, धर्म, संस्कृति, भाषा आदि की विविधताएँ पायी जाती हैं। लेकिन निहित स्वार्थों तथा सहनशीलता के अभाव में ये विविधताएँ सामाजिक तनाव का कारण बन जाती हैं जो कि राष्ट्रीय एकता के लिए घातक है।
प्रश्न 15. नारी सशक्तीकरण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-नारी सशक्तीकरण का तात्पर्य यह है कि महिलाओं को उनको प्रभावित करने वाले आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व पारिवारिक मामलों में नीति निर्माण
प्रक्रिया में भागीदारी प्रदान की जाए । वर्तमान युग में नारी सशक्तीकरण की धारणा को राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन प्राप्त हो रहा है। भारत सरकार ने वर्ष
2000 में नारी सशक्तीकरण की नई नीति की घोषणा की है। पंचायतों व नगरपालिकाओं में महिला आरक्षण नारी सशक्तीकरण का उदाहरण है।
प्रश्न 16. "हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं लेती।" कैसे?
उत्तर-यह कोई आवश्यक नहीं है कि सभी सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का आधार होता है। संभवतः दो भिन्न समुदायों के विचार भिन्न हो सकते
हैं, परंतु हित समान होगा। उदाहरणार्थ मुंबई में मराठियों के हिंसा का शिकार व्यक्तियों की जातियाँ भिन्न थीं, धर्म भिन्न होंगे, लिंग भिन्न हो सकता है, परंतु उनका
क्षेत्र एक ही था। वे सभी एक ही क्षेत्र उत्तर भारतीय थे। उनका हित समान था और वे सभी अपने व्यवसाय और पेशा में संलग्न थे। इस कारण हम कह सकते हैं कि हर सामाजिक विभिन्नता सामाजिक विभाजन का रूप नहीं हो सकती।
प्रश्न 17. सामाजिक अंतर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं?
उत्तर-सामाजिक विभाजन तब होता है जब कुछ सामाजिक अन्तर दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते हैं। सवर्णों और दलितों का अंतर
एक सामाजिक विभाजन है, क्योंकि दलित संपूर्ण देश में आमतौर पर गरीब, वंचित हैं।
एवं बेघर हैं और भेदभाव का शिकार हैं, जबकि सवर्ण आम तौर पर सम्पन्न एवं सुविधायुक्त हैं, अर्थात् दलितों को महसूस होने लगता है कि वे दूसरे समुदाय के हैं
अतः, हम कह सकते हैं कि जब एक तरह का सामाजिक अंतर अन्य अंतरों से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बन जाता है और लोगों को यह महसूस होने लगता है कि वे दूसरे समुदाय
के हैं तो इससे सामाजिक विभाजन की स्थिति पैदा होती है।
प्रश्न 18. दो कारण बताएं कि क्यों सिर्फ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते।
उत्तर-जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते, इसके दो कारण हैं-
(i) जिस निर्वाचन क्षेत्र में जिस जाति के मतदाताओं की संख्या अधिक होती
है, प्रायः सभी राजनीतिक दल उसी जाति के उम्मीदवार को टिकट देते हैं। अतः जाति विशेष के मतदाताओं के वोट विभिन्न दलों के उम्मीदवारों के बीच बँट जाते हैं।
(ii) उम्मीदवार को अपनी जाति के मतदाताओं के साथ-साथ अन्य जातियों के मतदाताओं के मतकआवश्यकता जीतने के लिए होती है।
प्रश्न 19. सत्तर के दशक से आधुनिक दशक के बीच भारतीय लोकतंत्र का सफर (सामाजिक न्याय के संदर्भ में) का संक्षिप्त वर्णन करें। 
उत्तर-सत्तर के दशक के पूर्व भारत की राजनीति अवचेतना सुविधा-परस्त हित समूह के बीच झूलती रही । दूसरे शब्दों में कहें तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी
कि 1967 तक राजनीति में सवर्ण जातियों का वर्चस्व रहा । सत्तर से नब्बे तक के दशक के बीच सवर्ण और मध्यम पिछड़े जातियों में सत्ता पर कब्जा के लिए संघर्ष
चला । नब्बे के दशक के उपरांत पिछड़े जातियों का वर्चस्व तथा दलितों की जागृति की अवधारणाएँ राजनीतिक गलियारों में उपस्थिति दर्ज कराती रहीं और नीतियों को प्रभावित करती रहीं। भारतीय राजनीति के इस महामंथन में पिछड़े और दलितों का संघर्ष प्रभावी रहा। आधुनिक दशक के वर्षों में राजनीति का पलड़ा दलितों और महादलितों (बिहार के संदर्भ में) के पक्ष में झुकता दिखाई दे रहा है। सरकार के नीतियों के सभी परिदृश्यों में दलित न्याय की पहचान सबके केन्द्र-बिन्दु का विषय बन गया है।
प्रश्न 20. बेल्जियम में सामाजिक विभाजन का आधार क्या है ?
उत्तर-बेल्जियम में सामाजिक विभाजन का आधार नस्ल और जाति न होकर भाषा विभाजन का आधार है
प्रश्न 21. सामाजिक विभाजन कब होता है ?
उत्तर—सामाजिक विभाजन तब होता है जब सामाजिक अन्तर दूसरी अनेक विभिन्नताओं से ऊपर और बड़े हो जाते हैं।
प्रश्न 22. नस्ल के आधार पर भेदभाव का उदाहरण कहाँ देखने को मिलता है?
उत्तर-नस्ल या रंग के आधार पर भेदभाव का सटीक उदाहरण मेक्सिको ओलंपिक 1968 ने पदक समारोह में देखा गया।
प्रश्न 23. माँगें आसान कब बन जाती हैं?
उत्तर-माँगें आसान एवं स्वीकृति योग्य तब बन जाती हैं जब ये संविधान के दायरे की होती हैं तथा दूसरे समुदाय को नुकसान पहुँचाने वाली नहीं होती हैं।
प्रश्न 24. क्या सामाजिक विभाजन राजनैतिक शक्ल अख्यितार करती है ?
उत्तर–हाँ, दुनिया के तमाम देशों में सामाजिक विभाजनों के आधार अलग-अलग होते हैं, किन्तु अन्ततः ये सामाजिक विभाजन राजनैतिक शक्ल अख्तियार करने लग जाते हैं।


You May Like These


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

About US

About US

I am Teacher. i have been Selected by Bihar BPSC. I prepare notices and important questions of NCERT and Bihar Board BSEB subjects and also keep giving information about GK GS. I will bring to you all the complete knowledge related to education And I prepare for you all the notices of all the classes and important questions and the most important questions asked in the exam and model type questions. Every day I bring a new question for you.

Read More
About US