आज का चेतना सत्र 2 जनवरी 2025 प्रेरक कहानी सच्चा सुख देने का आनंद Today's Consciousness Session 2 January 2025

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चेतना सत्र – 2 जनवरी 2025
प्रार्थना:
तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।

तेरी जात-ए-पाक कुरान में,
तेरा दर्श वेद पुराण में,
गुरु ग्रंथ जी के बखान में,
तू प्रकाश अपना दिखा रहा।

अरदास है, कहीं कीर्तन,
कहीं राम धुन, कहीं आवाहन,
विधि भेद का है ये सब रचन,
तेरा भक्त तुझको बुला रहा।

तू ही राम है, तू रहीम है,
तू करीम, कृष्ण, खुदा हुआ,
तू ही वाहे गुरु, तू ईश मसीह,
हर नाम में, तू समा रहा।

2. आज का विचार:
समय और धैर्य से बड़ी से बड़ी मुश्किल को हल किया जा सकता है। – संत कबीर


3. शब्द ज्ञान:

उत्साह: Enthusiasm

प्रगति: Progress

सृजन: Creation

4. सामान्य ज्ञान:
सामान्य ज्ञान:

1. प्रश्न: भारतीय संविधान में कुल कितने अनुच्छेद हैं?
उत्तर: 448 अनुच्छेद।


2. प्रश्न: भारत का राष्ट्रीय खेल क्या है?
उत्तर: हॉकी।


3. प्रश्न: ताजमहल किसने बनवाया था?
उत्तर: शाहजहां।


4. प्रश्न: भारत का सबसे बड़ा राज्य क्षेत्रफल के आधार पर कौन सा है?
उत्तर: राजस्थान।


5. प्रश्न: भारत का राष्ट्रीय पक्षी कौन सा है?
उत्तर: मोर।

5. तर्क ज्ञान:
प्रश्न: यदि 7 = 49, 6 = 36, 5 = 25, तो 4 = ?
उत्तर: 16 (संख्या का वर्ग)।

6. प्रेरक कहानी: सच्चा सुख देने का आनंद

बहुत समय पहले की बात है, एक राजा था जो अपने जीवन में कभी खुश नहीं रहता था। उसका राजमहल सोने और चांदी से भरा था, पर उसका मन हमेशा उदास रहता। उसने अपने मंत्री से पूछा, "मैं इतना अमीर हूं, फिर भी खुश क्यों नहीं हूं? लोग कहते हैं कि असली खुशी गरीबों के पास होती है। क्या यह सच है?"

मंत्री ने उत्तर दिया, "महाराज, असली खुशी का अनुभव करना हो तो आपको अपनी प्रजा के साथ समय बिताना होगा।"

राजा ने मंत्री की बात मानी और एक दिन साधारण कपड़े पहनकर अपने राज्य का दौरा करने निकल पड़ा। रास्ते में उसने देखा कि एक गरीब किसान, जिसकी झोपड़ी टूट रही थी, अपनी पत्नी और बच्चों के साथ हंसते हुए खाना खा रहा था। राजा ने उससे पूछा, "तुम्हारे पास तो ठीक से रहने और खाने का भी साधन नहीं है, फिर भी तुम इतने खुश क्यों हो?"

किसान ने जवाब दिया, "महाराज, हम खुश हैं क्योंकि हम एक-दूसरे का साथ देते हैं। जो कुछ भी हमारे पास है, उसे मिल-बांटकर खाते हैं और दूसरों की मदद करते हैं। यही हमारे जीवन का सबसे बड़ा सुख है।"

राजा को एहसास हुआ कि उसके जीवन में खुशी की कमी इसलिए थी क्योंकि वह केवल खुद के लिए जी रहा था। उसने तय किया कि अब से वह अपनी संपत्ति का उपयोग अपनी प्रजा की भलाई के लिए करेगा।

धीरे-धीरे, राजा ने अपने राज्य में अस्पताल, विद्यालय और कुएं बनवाए। गरीबों की मदद की, और भूखे लोगों को भोजन दिया। इसके बाद, राजा के चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती। उसे समझ आ गया था कि सच्ची खुशी दूसरों की सेवा में है।

शिक्षा:
सच्चा सुख दूसरों को खुशी देने में है। जब आप निःस्वार्थ भाव से किसी की मदद करते हैं, तो वही कार्य आपके जीवन को सार्थक बनाता है।

हम, भारत के लोग:

हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को:

सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय,
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई. (मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

बिहार राज्य गीत:

मेरे भारत के कंठहार
तुझको शत-शत वंदन बिहार

तू वाल्मीकि की रामायण
तू वैशाली का लोकतंत्र
तू बोधिसत्व की करूणा है
तू महावीर का शांतिमंत्र

तू नालंदा का ज्ञानदीप
तू हीं अक्षत चंदन बिहार

तू है अशोक की धर्मध्वजा
तू गुरूगोविंद की वाणी है
तू आर्यभट्ट तू शेरशाह
तू कुंवर सिंह बलिदानी है

तू बापू की है कर्मभूमि
धरती का नंदन वन बिहार

तेरी गौरव गाथा अपूर्व
तू विश्व शांति का अग्रदूत
लौटेगा खोया स्वाभिमान
अब जाग चुके तेरे सपूत

अब तू माथे का विजय तिलक
तू आँखों का अंजन बिहार
तुझको शत-शत वंदन बिहार
मेरे भारत के कंठहार

राष्ट्रगान:

जन-गण-मन अधिनायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता।
पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा,
द्रविड़, उत्कल, बंग।

विध्य, हिमाचल, यमुना, गंगा,
उच्छल जलधि तरंग।
तव शुभ नामे जागे,
तव शुभ आशीष मांगे।
गाहे तव जय गाथा।
जन-गण-मन अधिनायक जय हे,
भारत भाग्य विधाता।

जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे।

यह आज का चेतना सत्र है।
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