सरकारी विद्यालयों में पहली से आठवीं कक्षा में नामांकित छात्र-छात्राओं को दोपहर का भोजन कराने की राशि में वृद्धि की गई है। यानि वर्ष 2016 के बाद पहली बार मध्याह्न भोजन की राशि में वृद्धि की गई है। चावल को छोड़कर अन्य सामग्रियों की खरीदारी के मद में अब 9.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। शिक्षा विभाग ने इस आशय का आदेश जारी किया है और कहा है कि बढ़े हुए दर का भुगतान एक अक्टूबर से ही होगा। अब पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चों को भोजन सामग्री मद में प्रति छात्र पांच रुपये 45 पैसे देय होगा। वहीं छठी से आठवीं कक्षा के प्रत्येक बच्चों के भोजन सामग्री मद में आठ रुपये 17 पैसे खर्च किए जा सकेंगे। इस राशि में 60 फीसदी केंद्र और 40 फीसदी राज्य सरकार अपने स्तर से वहन करेगी। मालूम हो कि अब तक प्राईमरी स्कूल के बच्चों की भोजन सामग्री मद में चार रुपये 97 पैसा तथा मध्य विद्यालय के बच्चों पर सात रुपये 45 पैसा खर्च करने का प्रावधान था। सरकारी स्तर से स्कूलों में चावल की आपूर्ति की जाती है। इधर, डीईओ सह एमडीएम पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार ने बताया कि अक्टूबर माह से
MDM की राशि में वृद्धि हुई है कक्षा पहली से आठवीं तक 6 साल के बाद पहली बार एमडीएम की राशि में वृद्धि हुई संपूर्ण जानकारी नीचे दी गई है
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MDM की दर में वृद्धि हुई है छह साल के बाद पहली बार स्कूली बच्चों के एमडीएम की राशि में बढ़ोतरी
बढ़ती महंगाई को देखते हुए राशि में की गई वृद्धि हाल के वर्षों में महंगाई काफी बढ़ी है। गैस सिलेंडर, हरी सब्जी, तेल-मशाला, दाल आदि सामग्रियों की कीमतों में काफी इजाफा हुआ है। बढ़ी महंगाई को देखते हुए ही संभवत: मध्याह्न भोजन में परिवर्तन राशि बढ़ाई गई है। मालूम हो कि बच्चों को प्रत्येक दिन अलग-अलग मेन्यू के अनुसार स्कूलों में भोजन दिया जाता है। राज्य सरकार स्वयं के खर्च से सभी छात्र-छात्राओं को प्रत्येक शुक्रवार को फल एवं अंडा उपलब्ध कराने के लिए प्रति छात्र पांच रुपये खर्च करती है। हालांकि इस वृद्धि पर हेडमास्टरों ने उत्साह नहीं दिखाया। कई हेडमास्टरों ने कहा कि महंगाई को देखते हुए कम से कम 30 फीसदी राशि में वृद्धि की जानी चाहिए थी। कहा कि पांच रुपये में फल या अंडा उपलब्ध नहीं हो पाता है। फल या अंडा के लिए भी राशि बढ़ाए जाने की जरूरत है।
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