पाठ- 3 रेशों से वस्त्र तक
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तंतु :- एक प्रकार से रेशे होते है जिससे तागे या धागे बनाये जाते हैं।
प्राकृतिक तंतु :- जो तंतु पादपों या जंतुओं से प्राप्त होते है उन्हें प्राकृतिक तंतु कहते है।
पादपों से प्राप्त तंतु :- कपास, रुई, जुट, पटसन आदि
जंतुओं से प्राप्त तंतु :- ऊन तथा रेशम आदि ।
ऊन भेड़, बकरी, याक, खरगोश प्राप्त होता है।
रेशमी तन्तु रेशम कीट कोकून से खींचा जाता है।
संश्लिष्ट तंतु :- रासायनिक पदार्थों द्वारा बनाये गए तंतु को संश्लिष्ट तंतु कहते है।
● रेशे :- जंतुओं से प्राप्त किए जाने वाले रेशों को जांतव रेशे कहते हैं।
● ऊन के रेशे ( फ़ाइबर) भेड़ अथवा याक के बालों से प्राप्त किए जाते हैं।
• रेशम के फ़ाइबर रेशम कीट के कोकून (कोश) से प्राप्त होते हैं।
● ऊन :- जिन जंतुओं के शरीर बालों से ढके होते हैं। ऊन रोयेंदार रेशों से प्राप्त की जाती है। जैसे - भेड़, बकरी, याक, लामा, ऊँट आदि।
● भेड़ की रोयेंदार त्वचा पर दो प्रकार के रेशे होते हैं :
1. दाढ़ी के रूखे बाल।
2. त्वचा के निकट अवस्थित तंतुरूपी मुलायम बाल ।
• तंतुरूपी बाल ऊन (कर्तित ऊन) बनाने के लिए रेशे प्रदान करते हैं।
• भेड़ो की कुछ नस्लों में केवल तंतुरूपी मुलायम बाल ही होते हैं।
वरणात्मक प्रजनन :- तंतुरूपी मुलायम बालों जैसे विशेष गुणयुक्त भेड़ें उत्पन्न करने के लिए जनकों के चयन की प्रक्रिया ‘वरणात्मक प्रजनन ' कहलाती है।
ऊन प्रदान करने वाले जंतु हमारे देश के विभिन्न भागों में भेड़ो की अनेक नस्लें पाई जाती हैं।
• याक की ऊन जो तिब्बत और लद्दाख में प्रचलित है।
● अंगोरा बकरी जो जम्मू एवं कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती हैं।
● ऊँट के शरीर के बालों का उपयोग भी ऊन के रूप में किया जाता है।
• दक्षिण अमेरिका में पाए जाने वाले लामा और ऐल्पेका से भी ऊन प्राप्त होती है।
पश्मीना शॉलें :- कश्मीरी बकरी की त्वचा के निकट मुलायम बाल (फ़र ) होते हैं, इनसे बेहतरीन शॉलें बनाई जाती, जिन्हें पश्मीना शॉलें कहते हैं।
● भेड़ पालन :- जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड पर्वतीय क्षेत्रों में
हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात के मैदानी क्षेत्रों में
सिक्किम के पहाड़ी क्षेत्रों में
● ऊन की कटाई :- भेड़ के बालों को त्वचा को पतली परत के साथ शरीर से उतार लिया जाता है।
अभिमार्जन :- त्वचा सहित उतारे गए बालों को टँकियो में डालकर अच्छी तरह से धोया जाता है, जिससे उनकी चिकनाई, धूल और गर्त निकल जाए यह प्रक्रम अभिमार्जन कहलाता है।
प्रक्रम :- ऊन की कटाई – अभिमार्जन – छँटाई - बर की छँटाई – रंगाई – रीलिंग
● रेशम :- रेशम (सिल्क) के रेशे भी 'जांतव रेशे' होते है। रेशम के किट रेशम के फ़ाइबरो को बनाते हैं।
सेरीकल्चर :- रेशम प्राप्त करने के लिए रेशम के कीटों को पालना ररश्म किट पालन सेरीकल्चर कहलाता है।
• रेशम किट :- मादा रेशम किट अंडे देती है जिनसे लार्वा निकलते हैं जो कैटरपिलर या रेशम किट कहलाते हैं।
• प्यूपा :- कुछ कायान्तरण करने वाले कुछ कीटों के जीवन-चक्र की एक अवस्था का नाम है। यह कायान्तर के दौरान होने वाली चार अवस्थाओं में से एक अवस्था है।
इन कीटों के कायान्तरण की चार अवस्थाएं ये हैं - भ्रूण (embryo), डिंभ (larva), प्यूपा तथा पूर्ण कीट या पूर्णक
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