NRC का फूल फॉर्म - National Register for Citizen (नागरिकों के लिए राष्ट्रीय रजिस्टर)
⟩ 26 जनवरी 1950 से [जुलाई 1987 के दरमियान में पैदा होने वाला हर लङका / लङकी जो भारत में पैदा हुआ है, वोह हिन्दुस्तानी है।
Section-03-The Indian Citizenship Act 1955.
⟩ जुलाई 1987 से लेकर दिसम्बर 2003 के दरमियान जो भी लङका / लङकी हिन्दुस्तान में पैदा हुआ हो और उस के माँ बाप में से कोई भी हिन्दुस्तानी हो वोह हिन्दुस्तानी माना जाएगा [ उसे हिन्दुस्तानी शहरियत हासिल होगी ]
Section-3-The Indian Citizenship Act-1955 (तरमीम शुदा)
⟩ 2004 से आज तक जो भी लङका / लङकी भारत में पैदा हुआ हो जिस में माँ और बाप दोनों भी हिन्दुस्तानी हो या दोनों में से कोई भी (illegal Immigrants ) ( गैर क़ानूनी तौर पर हिन्दुस्तानी सरहद में दाख़िल ना हुआ हो) वोह भी हिन्दुस्तानी माना जाएगा !
⟩ Section-3-The Indian Citizen (तरमीम IGT) The Indian Act-1955) इस के मुताबिक़ हमें NRC से ख़ौफज़दा (डरने की ज़रूरत नहीं मुसलमान इस से डर या खौफ में ना रहें। बल्के अपने अपने ज़रूरी काग़ज़ात की तैय्यारी कर के हिफाजत से रख्खें !!
યે ધ્યાન સે સમજ લ ઓર કહી સુની બાતો પર ન જાયે ઓર ન ડર ફેલાયે ઔર અપને કાગજાત જરુ૨ હ૨ફ બ હરફ ચેક કરલે,ગલતી માલુમ હોને ૫૨ કીસી સમજદાર સે હલ કરાયે
⟩ जनगणना (मर्दम शुमारी) या किसी भी Door To Door किसी भी सर-वे (इनक्वायरी) के वक़्त तमाम मुसलमान भाईय्यों और बहनों से गुज़ारिश है, के वोह सभी मालूमात को बहोत ही ध्यान से भरें और मज़हबी कालम में (ईसलाम) ही लिख्खें और ज़ात के कालम में सिर्फ (मुस्लिम) ही लिखें इस के अलावा और कुछ ना
जोड़ें_ जैसे के शिया, सुन्नी, पठान, अहल-ए-हदीस, तबलीग़ी या जमाअतए-ईस्लामी वगैरह !
बराए करम इस पोस्ट को अपने तमाम मुस्लिम भाईय्यों तक पहुँचाऐं। मज़हबी कालम में (ईसलाम) लिखें फिरक़े का या जमाअत का नाम बिल्कुल भी ना लिखें_! किसी भी "मुस्लिम" ना लिख्खें और किसी भी फार्म को भरने के लिए किसी भी सरकारी आदमी या जिम्मेदार पर भरोसा ना करें !
तमाम मालूमात ख़ुद भरें या अपने ही किसी मुस्लिम रिशतेदार या जानकार से सही भरवाएँ, फार्म भरते वक़्त सिर्फ बाल पैन का इस्तेमाल करें, पेन्सिल या जेल पेन का इस्तेमाल ना करें। क्यूँके मुमकिन है के सरकारी आदमी उस को मिटा कर कुछ और ना भर दे_!! ये बहुत ज़रूरी मालूमात है, हम फज़ूल बातों को तो बहोत क़सम दे देकर आगे भेजने के लिए कहते हैं, मगर ये बहोत ज़रूरी काम की बात है,
⟩ हर हिन्दुस्तानी मुसलमान भाई और बहन को ज़रूर भेजें । यही वक़्त की अमह ज़रूरत और तक़ाज़ा है, ख़िदमत
और सवाब का ज़रिया भी है, !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें