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लिंग की परिभाषा और उसके भेद
लिंग-संज्ञा के जिस रूप से किस वस्तु के स्त्री या पुरुष होने का बोध हो, उसे लिंग कहते हैं।
लिंग के दो भेद हैं- पुल्लिंग और स्त्रीलिंग।
1.पुल्लिंग - गुल्लिंग संज्ञा के उस रूप को कहते हैं जिससे उसके पुरुष होने का बोध हो। जैसे— घोड़ा, चना, लड़का आदि।
2.स्त्रीलिंग - स्त्रीलिंग संज्ञा के उस रूप को कहते हैं जिससे उसके स्त्री होने का बोध हो। जैसे—सीता, लड़की, घोड़ी, टोपी, हवा आदि ।
पुल्लिंग
• नीचे लिखे शब्द सदा पुल्लिंग होते हैं
1 महीनों के नाम-जनवरी, फरवरी, चैत्र, वैशाख आदि ।
2. दिनों के नाम- सोमवार, मंगलवार आदि।
3. समय-सूचक नाम-क्षण, सेकण्ड, मिनट, घंटा, दिन, वर्ष, युग आदि। अपवाद - रात, दोपहर शाम, संध्या, सांझ (स्त्रीलिंग) ।
4. पर्वतों के नाम कैलाश, हिमालय, विन्ध्याचल आदि। 5. फलों के नाम-अमरूद, सेब, आम, केला आदि ।
अपवाद - लीची (स्त्रीलिंग) ।
6. देशों के नाम - भारत, कनाडा, जापान आदि।
7. द्रव्यों के नाम- घी, तेल, शर्बत आदि । अपवाद - चाय, लस्सी (स्त्रीलिंग) ।
8. वृक्षों के नाम-आम, नीम, कटहल आदि ।
9. अनाजों के नाम- चावल, गेहूँ, चना आदि। अपवाद - मकई, ज्वार (स्त्रीलिंग) ।
10. ग्रहों के नाम-चन्द्र, सूर्य, वृहस्पति आदि । अपवाद - पृथ्वी (स्त्रीलिंग) ।
11. धातुओं के नाम-लोहा, सोना, ताम्बा आदि । अपवाद --चाँदी (स्त्रीलिंग) ।
12. शरीर के कुछ अंग-सिर, मुँह, कान, ओठ, गला, हाथ, पैर इत्यादि । नोट: जिन शब्दों के अंत में आपा, खाना, त्व, आव, आ, आर न, आवा, अदान, वाला, ऐरा, ख, ज, त्र, आदि जुड़े हों, पुँल्लिंग होते हैं। जैसे- मोटापा, बुढापा, दवाखाना, शस्त्र नीरज, चायवाला, सपेरा आदि।
स्त्रीलिंग
• नीचे लिखे शब्द सदा स्त्रीलिंग होते हैं
1. तिथियों के नाम- अमावस्या, पूर्णिमा, द्वितीया आदि ।
2. नक्षत्रों के नाम- रोहिणी, अश्विनी आदि।
3. नदियों के नाम- गंगा, कृष्णा, कावेरी आदि।
4. लिपियों के नाम- देवनागरी, रोमन, गुरुमुखी आदि ।
5. भाषाओं के नाम - हिन्दी, तमिल, पंजाबी आदि।
6. शरीर के कुछ अंगों के नाम-जीभ, मूँछ, गर्दन आदि।
7. बोलियों के नाम - भोजपुरी, पहाड़ी, मगही आदि।
8. जिन शब्दों के अंत में 'ई' आते हैं-गरीबी, अमीरी आदि
9. जिन शब्दों के अंत में 'उ' आते हैं - ऋतु मृत्यु वायु आदि ।
10. जिन शब्दों के अंत में 'आ' आते हैं माला, कृपा आदि ।
11. वे फारसी शब्द जिनके अंत में 'त', 'ह' आते हैं-दौलत, फतह, सुबह, अमानत आदि।
12. जिन शब्दों के अंत में आहद आवद, आई, आरी, इया, तरी आदि आते हों—घबराहट, बनावट, थकावट, लड़ाई, तैयारी, पुड़िया, ताकत, परी आदि ।
पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के कुछ महत्त्वपूर्ण नियम
1. 'ई' जोड़कर-नर-नारी, देव-देवी आदि ।
2. आकारांत को ईकारान्त करके-लड़का-लड़की, घोड़ा-घोड़ी आदि।
3. आकारांत के 'आ' को हटाकर-भैंसा-भैंस आदि ।
4. 'आनी' जोड़कर देवर- देवरानी, जेठ-जेठानी आदि ।
वचन की परिभाषा और उसके भेद
वचन-'वचन' का अर्थ है 'बोली' किन्तु व्याकरण में इसका तात्पर्य है संख्या' । वस्तुत: संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या का हो, उसे 'वचन' कहते हैं।
वचन का अर्थ-वचन का कार्य है संख्या बतलाना, मात्रा बतलाना नहीं।
वचन के भेद - हिन्दी में वचन के दो भेद होते हैं-
(i) एकवचन और (ii) बहुवचन ।
(i) एकवचन-विकारी शब्द के लिए जिस रूप से एक का बोध हो, उसे एकवचन कहते हैं। जैसे—नदी, घोड़ा लड़का, घड़ी आदि।
(ii) बहुवचन-विकारी शब्द के लिए जिस रूप से एक से अधिक का बोध हो, उसे बहुवचन कहते हैं। जैसे—नदियाँ, घोड़े, लड़के घड़ियाँ आदि ।
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