(A) प्रथम विश्वयुद्ध साधारण छल, मुदा दोसर महाभीषण भेल। जापानक हिरोशिमा नगर अणुबमक आघातसँ नष्ट भय गेल। विश्व मे हाहाकार पसरल। धनजन सब संकटग्रस्त भय गेल रहय। आपसमे संघर्ष बढ़ल साम्राज्य-विस्तारक . लिप्सा बलबान राष्ट्रके आन्हर बना देलक। फलतः एक राष्ट्र दोसर राष्ट्रक विनाश लेल उद्यत भय गेल। आपस मे प्रतिस्पर्द्धा बढ़ल। संसार विनाशक पथ पर अग्रसर अछि।
उत्तर-शीर्षक- साम्राज्य विस्तरक लिप्सा
द्वितीय विश्वयुद्ध मे जापानक हिरोशमि नगर के अणुबम सँ नष्ट कए देल गेल । विश्वमे हाहाकार मचि गेल धन जन सभ संकटग्रस्त भय गेल छल । आपसी प्रतिस्पर्द्धा के कारणे विश्व-विनाशक पथ पर अग्रसर अछि ।
(B) सभ दिस मुँह देने कतहु कार्य साघनक सम्भावना नहि। एकहि समय मे सभ तरहक कार्य पर ध्यान देने कतहु कार्य में सफलता होइक ? कतहु सम्भव नहि। कार्य में सफलता हेतु ध्यान एकाग्र करऽ पड़ैत छैक, तखने कार्यसाधन मे सफलता भेटैत छैक। तहिना जीवनक उद्देश्यक निर्धारित पहिने करबाक चाही आ तदनुरूप कार्यमे रुचि आ दिशा तय कैनाइ आवश्यक। तैं कार्य साधन हेतु मनुक्ख साकांक्ष आ उद्देश्य परक होअय।
उत्तर-शौर्षक जीवनक लक्ष्य
जीवनक एक उद्देश्य होमक चाही । अन्यथा जीवन में सफलता नहि भेटि सकैत अछि । सभ ठाम ध्यान देला पर कतहु सफलता नहि भेटत ।
(C) पूसमासक कनकनी मे भोर मे आवृत करय हेतु गुरुजी आचार्यक द्वितीय खण्डक विद्यार्थी दिवाकान्तके कइएकबेर उठाओल, मुदा घोर नींद मे पड़ल दिवाकान्त नहि सुगुबुगैलाह। क्रोधित भेल गुरुजी दिवाकान्तक सलगा फेकिकय मुँहपर ठण्डा जल ढारला उठलापर दिवाकान्तकें खूब धूसल। तेल नहि भेटलाक कारणे पड़ल-पड़ल मनन करैत छलहुँ-दिवाकान्त कहल। गुरुजी मननक विषय पूछल। ताहिपर ओ गोङिआय लगलाह। गुरुजीक प्रचण्ड रुप धरितहिँ, दिवाकान्त कानपर जनेउ चढ़बैत जलपात्र लय घसकि गेलाह।पूस मासमे कनकनी बहुत बेसी बढ़ि जाइत छैक । ओढ़ना तर से हाथ निकालब अति कष्टदायक बुझाइत अछि। एहन समय भोर मे उठि पढ़बाक प्रयास करब संभव नहि ।
उत्तर- शीर्षक-जाड़
(D) लोकसाहित्य प्रेरणाक अक्षय भंडार धिक। सहस्र-सहस्र महाकाव्य, नाटक, उपन्यास अथवा जीवनी अइस बहार कय नाना रूपमे सर्जित कयल जा सकैत अछि। सहस्रोठों खोदाइक काज सफलतापूर्वक चलि सकैत अछि। सबसे पैघ बात ई जे लोकगाधाक आधार पर इतिहासक अमूल्य खोज भय सकैत अछि। स्मरण रखबाक थिक जे मैथिली शब्दकोशक लेल सबसँ पैघ देन लोक साहित्येक है।
उत्तर- शीर्षक-लोक साहित्यक महत्त्व
लोक साहित्य-प्रेरणाक अक्षय भंडार थिक । साहित्य मे नव-नव अनुसंधनक अपेक्षा अछि ।
4. निम्नलिखित मे कोनो गोट उद्धरणक आशय लिखू :
(A) सुनिते साइकिलक घंटी, पाँखि बिनु अँखिया
दौड़ल सड़क दिसि कतेबेर सखिया
सुरुज दुबैत भैयाकेर ताकि बटिया
बहि गेल कमला बलान है।
उत्तर :-प्रस्तुत कवितांश काशीकांत मिश्र 'मधुप' द्वारा लिखित कविता 'भावि भरदुतिया विधान हे' शीर्षक कविता सँ उद्धृत अछि ।
एहि पाँतिक माध्यम सँ कवि भाई-बहिनक स्नेहक जीवंत चित्र प्रस्तुत कएने छथि । भैयाक प्रतीक्षा मे बहिन बेचैन रहैत अछि । बहिन बाहर मे साइकिलक घंटी बजितै बाहर दौड़ैत छथि, मुदा झमा कऽ खसैत छथि भैया के नहिं देखला पर । भरदुतिया मे भाइक नहि आयब बहिनक लेल कतेक पीड़ादायक होइत अछि तकर अभिव्यक्ति अत्यंत सरल ओ मार्मिक ढंग सँ कवि कएलनि अछि ।
(B) हम दोसरक माय-बहिन के अपन माय-बहीन नहि बुझबै तँ कतेक काल टिक सकबै, दोसराक इज्जति लऽकऽ चलबै त ओकर रक्षा में प्राणे चलि जेतै तऽ परबाहि नहि।
उत्तर:- प्रस्तुत पाँति उमाकान्त द्वारा लिखित कथा 'क्रैक' सँ लेल गेल अछि । लेखक के कहब छनि जे नैतिकता आओर कर्त्तव्यबोध मनुक्खक विशेषता थिक । टेम्पो चालक दोसराक माय-बहिनक के अपन माय-बहिन बुझि प्राणोत्सर्ग करबाक हेतु तत्पर रहैत छथि । क्रैक अपन दायित्व आ कर्त्तव्यपालन करैत एक युवतीक जान बचौलक जकरा एक गोट लफुआ छौंड़ा तंग करैत छल ।
5. निम्नलिखित 'लघूत्तरीय मे कोनो प्रश्नक उत्तर दिअ :
(i) मनुक्ख आ जीव-जन्तुके गाछ-वृक्षसँ अन्योन्याश्रय सम्बन्ध छैक, कोना?
उत्तर गाछ-वृक्षक महत्त्व मनुष्यक जीवनमे डेग-डेग पर अछि । चकला-बेलना सँ लडकऽ केवाड़, खिड़की, चौकी, सन्दूक, आलमीरा, खुरपी, हाँसु, हर, पालो आदि मे लकड़ीक उपयोग होइत अछि आ एहि ठाम त लोक गाछ-वृक्ष मे देवताक वास सेहो बुझि एकर पूजा करैत अछि । जीव जन्तु तऽ भोजन ओ आवास हेतु गाछ-वृक्ष पर आश्रित अछि । एहि तरहे मनुक्ख ओ जीव-जन्तु क गाछ-वृक्ष सँ अन्योन्याश्रय संबंध अछि ।
(ii) असहयोग आन्दोलनक मतलब लिखू। नहिं करब आओर शांति पूर्वक विरोध प्रदर्शन
(iii) सुभद्र झा भाषाविद् छलाह, कोना ? उत्तरअसहयोग आन्दोलनक अर्थ अछि सरकारी काम-काजमे सहयोग करब ।
उत्तरडॉ० सुभद्र झा भाषाविद् छलाह ओ हिन्दी, मैथिली, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, इटैलियन सहित चौदह भाषाक जानकारे टा नहि छलाह, बल्की उक्तलोकक व्यभिचार, शोषण, दुर्दशा आदि सभक समावेश कए अनेक 'वादक' आरम्भ कयलनि ते हुनका युग प्रवर्तक कहल गेल अछि । भाषा पर आधिपत्य छलनि । उक्त भाषा मे अनेकानेक ग्रंथ प्रकाशित-अप्रकाशित अछि ओ अनेक पुस्तकक सम्पादक के रूप मे सेहो अपना के प्रस्तुत कयलनि । संस्कृतमे अनेक ग्रंथ, मैथिली मे अनेक ग्रंथ, अंग्रेजी मे अनेक ग्रंथक सम्पादन कयलनि । डॉ० सुभद्र झा वस्तुतः महामानव छलाह ।
उत्तर-(क) बौद्धधर्म मे जाति ओ वर्णक कोनो स्थान नहिं अछि ।
(ख) बौद्ध धर्म सत्य ओ अहिंसा पर आधारित अछि ।
(v) वर्षा भेला पर बाध-बोन केहन भऽ जाइत अछि ?
उत्तर-वर्षा भेला पर बाध-बोन हरियर भऽ जाइत अछि ।
(vi) भरदुतियाक दिन बहीनक उत्सुकताक उल्लेख करू।
उत्तर- भैयाक नहि ऐला पर बहिन निरास भऽ जाइत छैथि । कारण भाय बहिनक पावनि होइत अछि भरदुतिया । भरदुतिया भाय बहिनक स्नेहक पाबनि अछि । बहिन घंटीक आवाज सुनि बाहर अवैत अछि मुदा भैयाक नहि देखि झाँकऽ खसैत अछि आ भैयाक प्रति कम नैहर के प्रति (भाउज के प्रति) आक्रोश व्यक्त करैत अछि । आ अपना के निराश बुझैत छथि ।
भाई बहिनक पावनि मे एक दोसराक प्रति स्नेह प्रगाढ अछि जकर निर्वाह दुनु अपना स्तर पर करैत चाहैत छथि । भाईके नहि अएलापर बहिनक आँखि सँ कमला बलान धार बहि जाइत अछि ।
(vii) कवि जवान आ किसान दूनूक जयकारा लगबैत छथि, किएक ?
उत्तर कवि रवीन्द्र नाथ ठाकुर भारत सेनाके आ किसानक जगयबाक लेल ई कविता लिखलनि अछि । भारतक जवान देशक रक्षा करैत छथि अपन प्राणक आहुति दै ओ देशक रक्षा करैत छथि अपन भारत देशक किसान मेहनत कऽ कऽ अन्न उपजबैत अछि सभ मिलि. अन्न उपजा सैनिक के मददि करैत अछि । किसान सैनिक के खएबाक लेल अन्न उपजा कऽ पठबैत अछि जे खाकऽ भारतक रक्षा करत । अस्तु कवि किसान ओ जवान दूनूक जयकारा लगबैत छथि ।
(viii) घाम आ श्रमक सम्बन्ध कोना व्यक्त कयल अछि ?
उत्तरजखन श्रमिक कार्य करैत अछि तऽ ओकर सम्पूर्ण शरीर घमा जाइत अछि तैं श्रम आ घाम मे सम्बन्ध व्यक्त कएल गेल अछि ।
(ix) पठित पाठमे 'माँ'क प्रति केहन भाव व्यक्त कयल गेल अछि ?
उत्तर 'माँ' कवितामे कवि मातृ-शक्ति पर देखोलनि अछि जे माँ शक्ति अपन सभ सँ अधिक शक्तिशाली अछि । कारण देवी शक्ति पूरा दुनिया मे कार्य करैत अछि जाहि सँ पृथ्वीक रक्षा होइत अछि । ?
(x) पर्यावरणर्क तीन मुख्य अंग कोन-कोन अछि उत्तर पर्यावरणक तीन मुख्य अंग अछि-जल, वाय आओर गाछ-वृक्ष ।
6. निम्नलिखित दीर्घोत्तरीय प्रश्न मे कोनो प्रश्नक उत्तर दिअ :
(i) चन्दा झा युगप्रवर्त्तक छलाह, कोना ?
उत्तर चन्दा झाके युग प्रवर्त्तक कवि कहल जाइत छैनि कारण हिनक मैथिली भाषा रामायण एकटा नव ग्रंथ छल जकरा कोनो मिथिलावासी वा मैथिली कवि नहि लिखि सकलाह । एकर सत्यापन हिनक पूर्वोक्त कार्य-कलाप एवं साहित्य-रचना सँ तँ होइतहि अछि हिनक मुक्तक कविताक दूटा संग्रह उल्लेखनीय अछि-चन्द्रापद्यावली तथा चन्द्ररचनावली । दूनू पोथी हिनक मृत्युक बादक संकलन थिक । एहि पोथी मे भक्ति-गीत सँ देश-दशा विषयक गीत ध रि संग्रहित अछि । लोकक जीवन आ जगतक प्रति चन्दा झाक दृष्टिकोण वैचारिकता ओ भावाकुलता हिनक मुक्तक कवितामे मुखर भेल अछि । पुरुष परीक्षाक अनुवाद कए कथा लेखन विधाक आरम्भ कयल अपन कविता सभमे
(ii) पर्यावरण पर निबन्ध लिखू।
उत्तर- पर्यावरणक महत्त्व अनादि कालसँ अछि । वेद मे कामना कयल गेल अछि मधुवाता ऋतायते मधुक्षरन्ति सिन्धवः....
पर्यावरण में मुख्य रूप सँ बसात, पानि आ वनस्पति-प्रकृतिक ई तीनू वस्तु प्रत्येक लेल जरूरी अछि। मनुष्य हो वा पशु गाछ-वृक्ष हो वा घास-पात सभमे जीवन होइत छैक, जीवनी शक्ति होइत छैक । एहि वातावरणक सुरक्षाक लेल एक प्रकारक वातावरणक आवश्यकता होइत छैक ।
प्रत्येक जीव-जन्तु लेल सभसँ आवश्यक वस्तु अछि वायु । वायु बिना केओ जीवित नहि रहि सकैत अछि । वायु के स्वच्छता पर ध्यान देनाई आवश्यक अछि । किएक तऽ हम बसात पीबाक लेल साँस लैत छी आ ओकर शुद्ध भेनाई आवश्यक अछि । हम आक्सीजन लैत छी आ कार्बनडायऑक्साइड छोड़ैत छी जे हमरा वायु के द्वारा भेटैत अछि । तैं वातावरण के शुद्ध रहनाई आवश्यक अछि । आई कार, स्कूटर, गाड़ी ततेक भऽ गेल अछि जाहि मे पेट्रोल डीजल जरैत अछि आ धूआँ सँ वातावरण प्रदूषित भऽ जाइत अछि । फलतः हम बीमार पड़ जाइत छी । यत्र-तत्र मल-मूत्रक त्याग, यत्र-तत्र पाइन सड़ब, कचरा इकट्ठा करब आ ओहि सँ निकलल दुर्गन्ध हमरा सभके वातावरण के प्रदूषित कऽ दैति अछि । तैं एहि बात पर ध्यान देब आवश्यक अछि । ।
एकर बाद जलक आवश्यकता अछि । अशुद्ध जलक उपयोग कयला सँ हानि होइत अछि । जल हमेशा प्रदूषण मुक्त होयबाक चाही । नदी, तालाब, पोखरि, कुआँ आदि लोक साफ रखैत अछि जाहिसँ स्नान, पिनाई आदि कार्य मे व्यवहार कयला सँ मनुष्य सँ लऽ कऽ पशु तक स्वस्थ रहैत छथि ।
पर्यावरण के स्वच्छ रखबाक लेल सर्वाधिक उपयोगी अछि गाछ-वृक्ष । पहिने लोक गाछ-वृक्ष लगबैत छल । कहबि छैक जे "एक वृक्ष सौ पुत्र समान" तैं हमेशा गाछ-वृक्ष लगेबाक चाही । मनुष्य ऑक्सीजन लैत अछि, आ कार्बनडाइऑक्साइड छोडैत अछि । गाछ सभ कार्बनडाइऑक्साइड लैत अछि आ ऑक्सीजन छोड़ैत अछि तैं गाछ वृक्ष आवश्यक अछि। हम लकड़ीक प्रयोग करैत छी जेना केवाड़-खिड़की, चौकी-सन्दूक, खुरपी-हाँसू, पलंग कुरसी टेबुल सभ लकड़ी सँ बनैत अछि । भोजन बनएबाक लेल जलावनक उपयोग करैत अछि । मरला बादो लकड़ी सँ जरैत अछि । तैं सभ पर ध्यान दऽ एकरा प्रदूषण मुक्त करबाक प्रयास करक चाही ।
(iii) 'बच्चा' शीर्षक कविताक भाव लिखू।
उत्तर-उदयचन्द्र झा 'विनोद', 'बच्चा' शीर्षक कविताक कवि छथि जे हिनक 'पत्नी' नामक कविता संग्रह सँ लेल गेल अछि ।
प्रस्तुत कविता मे बच्चाक महत्त्व देखाओल गेल अछि । बच्चा ओ आधार अछि जे व्यक्तिगत रूपमे माय-बाप नहिं, सामूहिक रूप मे सम्पूर्ण सृष्टि के विकसित होयबाक, फुलयबाक आ फड़बाक अवसर दैत अछि । बच्चा जीवनक आधार अछि । कवि कहैत छथि
'संघर्ष जीवनक नारा होइछ बुढापाक सहारा होइछ ।
जीवन-धाराक फूल-प्रकृतिक वनफूल सृष्टिक अनुकूल होइछ बच्चा'
बच्चा सभ क्षेत्रक कारोबारक प्रेरणा होइछ । जीवन रूपी आधारक ध्रुवतारा होइत अछि बच्चा । जँ बच्चा नहि रहत तऽ मनुक्ख नहि रहत, संसार नहि रहत। बच्चा संघर्षशील बनबैत अछि । जीवनक लेल स्नेह-रागक भावना भड़ैत अछि । तैं बच्चाकं महत्त्व बुझबाक चाही । ओकर विकास लेल सचेष्ट रहबाक नाही ।कवि कहैत छथि जे बच्चाक पढ़वाक-लिखवाक पर ध्यान देवाक चाही। कवि आई कविताक माध्यम से संदेश दैइत छथि जे बच्चा के हमेशा विकासक लेल तैयार रहबाक चाही हमरा सभकें ।
बच्चा के लोग भगवान मानैत अछि ओकरा पूजा कयल जाइत अछि । भगवान् कृष्ण कोना बाललीला कयलनि आ अपनाके पूजलनि, तैं" बच्चा पूजनीय होइत अछि ।
कवि बच्चा के परम्पराक कड़ी मानने छथि । कारण जॅ संसार में बच्चा नहि रहत तऽ मनुक्ख नहि रहत, आ मनुक्ख नहि रहत तँ संसार नहि रहत, जाहि सँ सृष्टि चलैत अछि ।
बच्चा संघर्षशील बनबैत अछि जीवाक लेल स्नेह भावना भरैत अछि । ते बच्चा के महत्त्व देबाक चाही आ ओकरा सम्मान भेटबाक चाही। वर्तमान, भविष्य आ जीवनक अर्थ होइछ बच्चा ।
(iv) 'माँ' शीर्षक कविताक भावार्थ लिखू।
उत्तर- माँ कविताक लेखक तारानन्द वियोगी छथि । एहि कवितामे मायक प्रति उद्गार व्यक्त कयल गेल अछि । कविता मे सम्बोधित कयल गेल अछि दीदी कें ।
एहि कविता मे दीदी के माँ पर कविता लिखबाक उत्प्रेरण भेटैत अछि । कवि दीदी सँ कहैत छथि जे अपने मनक भाव के कागज पर लिख लिअ । अपन सोचके मनसँ व्याख्या क लिअऽ । मुदा तैइयो माँ पर आहाँ एकोटा कविता नहि लिख सकैत छी । कारण 'माँ' शब्द तेहन शब्द छैक जे एकरा लेल छन्द आ अलंकार हेरा जाइत अछि । तैं माँ पर कविता लिखब कठिन अछि ।
माँ तेहन इतिहास छैक जे किओ एक प्रदक्षिणा नहि कऽ पबैत अछि एकर कोनो मंत्रो नहि छैक ।
हमर प्रिय दीदी अहाँ जँ माँ पर कविता लिखबाक चेष्टा करैत छी तऽ एक-एकटा अर्थ निकालि लिअ कारण माँ प्राण थिकीह, स्वास थिकीह, अहाँक अस्तित्व गरिमा थिकीह-माँ एकर प्रारूप तैयार करबाक लेल सर्वविध सम्बन्ध क पोस्टमार्टम रिपोर्ट बना लिअ तैइयो हमर उम्मीद अछि जे अहाँ माँ पर कविता नहि लिखि सकैत छी ।
एहि तरहे कवि माँ पर कविता नहि भऽ सकैत अछि से कहि रहल छथि ।
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