उत्तर - बुद्धि के प्रकार : थॉर्नडाइक ने बुद्धि के प्रकार को तीन वर्गों में विभाजित किया है जो इस प्रकार है
( 1 ) प्रत्यक्ष बुद्धि : इस बुद्धि द्वारा व्यक्ति को वस्तुओं एवं पदार्थों को पूर्णतः समझने की
(2) अप्रत्यक्ष बुद्धि : इस बुद्धि का संबंध ज्ञान प्राप्त करने से होती है । इसके अन्तर्गत चिन्हों एवं प्रतीकों का अध्ययन, पुस्तकीय ज्ञान कहलाता है ।
(3) सामान्य बुद्धि : इस बुद्धि को समाज के अनुरूप समायोजित होने की क्षमता प्रदान करता है । इस बुद्धि द्वारा प्राणी सामाजिक एवं सामुदायिक कार्यों को भली भाँती करने में सक्षम हो पाता है।
प्रश्न 2. बुद्धि-लब्धि क्या हैं ? किस प्रकार मनोवैज्ञानिक बुद्धिलब्धि प्राप्तांकों के 3) आधार पर लोगों को वर्गीकृत करते हैं ?
उत्तर - बुद्धि-लब्धि : किसी व्यक्ति की मानसिक आयु को उसकी कालानुक्रमिक आयु 3) से भाग देने के बाद उसको 100 से गुणा करने से उसकी बुद्धि-लब्धि प्राप्त हो जाती है ।
बुद्धि-लब्धि = मानसिक आयु (MA) /कलानुक्रमिक आयु (CA) × 100
मनोवैज्ञानिक बुद्धि लब्धि प्राप्तांकों के आधार पर लागों को वर्गीकृत करतें हैं। इसे निम्नलिखत तालिका द्वारा समझा जा सकता है
उपरोक्त तालिका से स्पष्ट है कि जनसंख्या के लगभग 12व्यक्तियों की बुद्धि-लब्धि वर्ग के लोगों को बौद्धिक रूप से प्रतिभाशाली कहा जाता है। जबकि दूसरे वर्ग के लोगों मानसिक रूप से चुनौतीग्रस्त मानसिक रूप से मंदित कहा जाता है। ये दोनों वर्ग अपने संज्ञानात्मक, संवेगात्मक तथा अभिप्रेरणात्मक विशेषताओं में समान्य लोगों की अपेक्षा पर्याप्त मिले होते हैं ।
प्रश्न 3. वैयक्तिक तथा समूह बुद्धि परीक्षण में भेद स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर - वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण वह होता है जिसके द्वारा एक समय में एक ही व्यक्ति का बुद्धि परीक्षण किया जा सकता है। वैयक्तिक परीक्षण में आवश्यक होता है कि परीक्षणकर्ता परीक्षार्थी से सौहार्द स्थापित करे और परीक्षण सत्र के समय उसकी भावनाओं, भावदशाओं और अभिव्यक्तियों के प्रति संवेदनशील रहे ।
समूह परीक्षण में परीक्षणकर्त्ता को परीक्षार्थीयों की निजी भावनाओं से परिचित होने का अवसर नहीं मिलता। परीक्षणकर्त्ता के आदेशानुसार वस्तुओं का प्रहस्तन भी कर सकता है। समूह परीक्षण में परीक्षार्थी सामान्यतः लिखित उत्तर देता है और प्रश्न भी प्रायः बहुविकल्पी स्वरूप के होते हैं।
प्रश्न 4. अशाब्दिक परीक्षण किसे कहते हैं? समझाइए ।
उत्तर- अशाब्दिक परीक्षणों का एक उदाहरण रैवेंस प्रोग्रेसिव मैट्रिसेस (आर. पी. एस.) है जिसमें परीक्षार्थी को एक अपूर्ण प्रतिरूप दिखाया जाता है और उसे दिए गए अनेक वैकल्पिक प्रतिरूपों में से उस विकल्प को चुनना होता है जिससे अपूर्ण प्रतिरूप पूरा हो सके।
प्रश्न 5. अभिवृत्ति परीक्षण (Aptitude Test) की उपयोगिता का वर्णन करें।
उत्तर - अभिवृत्ति परीक्षण की कई उपयोगिताएँ (uses) हैं जिसमे निम्नांकित प्रमुख हैं
(i) उद्योगों एवं संगठनों में अभिवृत्ति परीक्षण का उपयोग करके कर्मचारियों का चयन किया जाता है। प्रबंधकों को प्रायः यह जानने की जरूरत होती है कि उनके संभावित कर्मचारियो में विशेष अभिवृत्तियों जैसे यांत्रिक अभिवृत्ति, लिपकीय अभिवृत्ति पहले से कितनी मात्रा में मौजूद है। इसके लिए वे अभिवृत्ति परीक्षण का उपयोग करते हैं।
(ii) स्कूल एवं कॉलेज में शिक्षकों द्वारा छात्रों की अभिवृत्ति मापने के लिए प्रयोग किया जाता है। शिक्षकों को प्रायः विभिन्न तरह के विषयों में खास-खास विषयों के चयन के लिए छात्रों को परामर्श एवं निर्देशन देना होता है। इसके लिए यह अवश्यक हो जाता है कि वे छात्रों की अभिवृत्ति का मापन अभिवृत्ति परीक्षण द्वारा करे।
(iii) अभिवृत्ति परीक्षण का उपयोग नैदानिक मनोवैज्ञानिक द्वारा उपचार गृह में भी किया जाता है। नैदानिक मनोवैज्ञानिकों को ऐसे लोगों की अभिवृत्ति का भी माप करना कभी-कभी आवश्यक हो जाता है ताकि वे उनकी समस्याओं का गहन रूप से अध्ययन कर सके। इसके लिए उन्हें उचित अभिवृत्ति परीक्षण का चयन करके उनका उपयोग करना होता है ।
(iv) जीवन-वृत्ति परामर्श में भी अभिवृत्ति परीक्षणों का उपयोग होता है। प्रायः मनोवैज्ञानिक व्यस्कों का उन्हें उचित जीवन-वृत्ति अर्थात उनकी अभिवृत्ति के अनुरूप जीवन-वृत्ति के चयन की सलाह देते है।
(v) अभिवृत्ति परीक्षणों का व्यक्तिगत निर्देशन में भी होता है। उनका उपयोग करके वे ऐसे व्यक्तियों की अभिवृत्ति की पहचान करते हैं और इसके बारे में उन्हें बतलाते है। व्यक्ति इसका फायदा उठाकर अपनी मनोवृत्ति, अभिरूचि तथा व्यवहार को उचित दिशा निर्देश दे पाता है, जिससे व्यक्ति को अपने दिन प्रतिदिन की जिंदगी में काफी सफलता मिल पाती है।
प्रश्न 6. अभिक्षमता के स्वरूप का वर्णन करें।
उत्तर- अभिक्षमता का तात्पर्य किसी व्यक्ति के कुछ विशिष्ट कौशलों को अर्जित करने की संभाव्यता से होता है। अभिक्षमता विशेषताओं का ऐसा संयोजन है जो व्यक्ति द्वारा प्रशिक्षण के उपरांत किसी विशेष क्षेत्र के ज्ञान अथवा कौशल के अर्जन की क्षमता को प्रदर्शित करता है। समान बुद्धि रखने वाले व्यक्ति भी किसी विशेष क्षेत्र के ज्ञान अथवा कौशलों को भिन्न-भिन्न दक्षता के साथ अर्जित करते हैं ।
प्रश्न 7. शाब्दिक बुद्धि परिक्षणों की सीमाएँ बताएँ।
उत्तर - (i) शाब्दिक परीक्षणों में परीक्षार्थी को मौखिक अथवा लिखित रूप में शाब्दिक अनुक्रियाएँ करनी होती है। इसलिए शाब्दिक परीक्षण केवल साक्षर व्यक्तियों को ही दिया जा सकता है।
(ii) शाब्दिक समूह बुद्धि परीक्षण में बुद्धि की जाँच एक समूह में बैठा कर की जाती है, फलतः परीक्षार्थी आसानी से एक दूसरे की नकल कर लेते हैं।
(iii) शाब्दिक समूह बुद्धि परीक्षण में सामूहिक परिस्थिति होने के कारण परीक्षार्थी कभी-कभी कुछ कारणों से अपनी योग्यता का ठीक-ठीक प्रदर्शन नहीं कर पातें हैं।
प्रश्न 8. संवेगात्मक बुद्धि से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- सांवेगात्मक सांवेगिक बुद्धि सूचनाओं कर पारदर्शिता एवं कुशलता के साथ प्रक्रमण करने की योग्यता ही कहलाती है। सांवेगिक बुद्धि अनेक कौशलों का समुच्चय है। जैसेअपने एवं दूसरे व्यक्तियों के संवेगों का परिशुद्ध मूल्यांकण, प्रकटीकरण एवं संवेगों का नियमन आदि।
सैलोवी एवं मेयर ने संवेगात्मक बुद्धि के संदर्भ में कहा है कि 'अपने तथा दूसरे व्यक्तियों के संवेगों का परिवीक्षण करने, उनमें विभेदन करने की योग्यता तथा प्राप्त सूचना के अनुसार अपने चिन्तन तथा व्यवहारों को निर्देशित करने की योग्यता ही सांवेगिक बुद्धि है। '
प्रश्न 9. समूह परीक्षण के दोषों का वर्णन करें।
उत्तर - सामूहिक परीक्षण के दोष : सामूहिक बुद्धि परीक्षण की निम्नलिखित दोष हैं
(i) इसके द्वारा बुद्धि की सही जाँच करना कठिन है क्योंकि परीक्षक के लिए यह संभव नहीं है कि सभी बालकों की ओर ध्यान दें सके तथा इसके द्वारा हल की जाने वाली समस्याओं पर निगाह रख सके। रूप से पिछड़े होते हैं और जिन्हें निर्देशन की
(ii) जो बालक शैक्षणिक तथा संवेगात्मक आवश्यकता होती है, उनके लिए सामूहिक परीक्षण अधिक लाभप्रद नहीं होते क्योंकि ऐसे बालकों को व्यक्तिगत सावधानी की जरूरत पड़ती है, जो इस परीक्षण से संभव नहीं है।
प्रश्न 10. व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर - व्यक्तित्व के संबंध में मनोवैज्ञानिकों ने में व्यक्ति विभिन्न दृष्टिकोण रखे हैं। जैसे-" व्यक्तित्व उसके अपूर्व अभियोजनों को निर्धारित करता है । " के अन्तर्गत उन मनोदैहिक गुणों का गत्यात्मक संगठन है, जो वातावरण के प्रति होने वाले उपर्युक्त परिभाषा का विश्लेषण करने पर हम पाते हैं कि ऑलपॉर्ट मनोदैहिक शब्द के माध्यम से व्यक्तित्व में मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार के गुणों को महत्त्व प्रदान करते हैं । फिर उनके में यह सर्वोत्कृष्ट अनुसार व्यक्तित्व में इन गुणों का योग नहीं है, अपितु समन्वय है । अत: निर्विवाद् परिभाषा है।
प्रश्न 11. बुद्धि-परीक्षण के उपयोगों का वर्णन करें।
उत्तर- बुद्धि परीक्षण का उपयोग निम्नलिखित क्षेत्रों में देखा जा सकता है - है। बुद्धि परीक्षण द्वारा बच्चों की मानसिक दुर्बलता तथा
(i) श्रेणीकरण के लिए : बुद्धि परीक्षण का उपयोग बच्चों के विभाजित किया है। इस श्रेणीकरण से नि-भिन्न बौद्धिक स्तरों के बालकों की औसत, प्रतिभाशाली, तीन श्रेणियों में श्रेणीकरण में किया जाता है।
(ii) शैक्षिक निर्देशन के लिए : बुद्धि-परीक्षण से शैक्षिक निर्देशन मे सहायता मिलती है। भिन्न-भिन्न बौद्धिक योग्यता के बालकों के लिए शिक्षा की अलग-अलग व्यवस्था आवश्यक होती है। अतः बुद्धि मापकों या परीक्षणों द्वारा बच्चों की बुद्धि जाँच करके अनुकूल शिक्षा की व्यवस्था की जा सकती है। निर्देशन के लिए व्यावसायिक निर्देशन में भी बुद्धि परीक्षणों से शिक्षा-व्यवस्था में बड़ी मदद मिलती
(iii) व्यावसायिक सहायता मिलती है ।
(iv) कुर्मचारी चयन के लिए : कर्मचारी चयन के समय बौद्धिक परीक्षणों का उपयोग किया जाता है। आवश्यकता के अनुसार वैयक्तिक परीक्षण, सामूहिक परीक्षण, शाब्दिक परीक्षण या अशाब्दिक परीक्षण का उपयोग किया जाता है ।
(v) बौद्धिक दुर्बलता के निदान के लिए बच्चों की मानसिक दुर्बलता के निदान में बुद्धि परीक्षण से बड़ी सहायता मिलती है। इस आधार पर मानसिक दुर्बल बच्चों की मन्द बुद्धि (moron), मुढ़ (imbecile) तथा मूर्ख ( idiot) तीन भागों में विभाजित किया जाता है। इस प्रकार, बुद्धि-परीक्षण द्वारा बौद्धिक दुर्बलता से पीड़ित बालकों को पहचाना जा सकता है तथा किया जा सकता है।
प्रश्न 12. फ्रायड के अनुसार व्यक्तित्व के एक तत्व के रूप मे 'इड' का वर्णन करें।
उत्तर - फ्रायड के अनुसार 'इड' नामक तत्व व्यक्ति की मूल प्रवृत्तिक ऊर्जा का स्रोत होता है। इसका संबंध व्यक्ति की आदिम आवश्यकताओं, कामेच्छाओं तथा आक्रामक आवेगों को तात्कालिक तुष्टि से होता है। यह सुखेपसा सिद्धांत पर कार्य करता है जिसका अभिप्राय यह है कि व्यक्ति सुख को ढूंढ़ता है तथा कष्ट से बचता है ।
प्रश्न 13. अन्तर्मूखी और बहिर्मुखी व्यक्तित्व के बीच अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - (i) अन्तर्मुखी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति सामाजिक कार्यों में भाग लेना पसन्द नहीं करते, जबकि बहिर्मुखी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति सामाजिक कार्यों में अधिक भाग लेते हैं ।
(ii) अन्तर्मुखी व्यक्ति अधिक चिन्तनशील तथा कम क्रियाशील होते हैं, जबकि बहिर्मुखी व्यक्ति अधिक क्रियाशील तथा कम चिन्ताशील होते हैं ।
प्रश्न 14. व्यक्तित्व मूल्यांकण से आप क्या समझते हैं स्पष्ट करें ।
उत्तर - व्यक्तित्व के मुल्यांकन से आशय उस प्रक्रिया से है, जिसके माध्यम से कुछमनोवैज्ञानिक विषेशताओं के रूप मे व्यक्ति (व्यक्तियों) का विशलेषण तथा मूल्यांकन किया जाता है। इसमें व्यक्ति के व्यवहार की उच्चस्तरीय परिशुद्धता के साथ भविष्यवाणी करने की भी विशेष महत्व दिया जाता है।
प्रश्न 15. व्यक्तित्व मूल्यांकण में प्रयुक्त की जाने वाली प्रमुख प्रेक्षण विधियों का विवेचना करें।
उत्तर - व्यवहार प्रेक्षण का व्यक्तित्व के मूल्यांकन के लिए बहुत अधिक उपयोग किया जाता है। यह एक अन्य भिन्न विधि है। अगर हम किसी व्यक्ति को ध्यानपूर्वक देखते हैं तो हम अपने मस्तिष्क में उनके व्यक्तित्व की एक छवि का निर्माण करतें हैं तथापि व्यक्तित्व मूल्यांकन के लिए प्रेक्षण विधि का प्रयोग एक अत्यधिक परिष्कृत प्रक्रिया है जिसको अप्रशिक्षित लोगों के माध्यम से उपयोग में नहीं लाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एक नैदानिक मनोवैज्ञानिक अपने सेवार्थी को उसके परिवार के सदस्यों के साथ होने वाली अंतःक्रियाओं का प्रेक्षण कर सकता है। एक नैदानिक मनोवैज्ञानिक अपने सेवार्थी के व्यक्तित्व के विषय मे पूर्ण रूप से अंतर्दृष्टि विकसित कर सकता है।
प्रश्न 16. Type - A तथा Type - B प्रकार के व्यक्तित्व में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-(i) टाइप 'ए' व्यक्तित्व वाले लोगों में उच्चस्तरीय अभिप्रेरणा, धैर्य की कमी, समय की कमी का अनुभव करना, उतावलापन और कार्य के बोझ से हमेशा लदे रहने का अनुभव करना पाया जाता है। ऐसे लोग निश्चित होकर मंदगति से कार्य करने में कठिनाई का अनुभव करते हैं। टाइप 'ए' व्यक्तित्व वाले लोग अति रक्तदान और कॉरोनारी हृदय रोग के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
(ii) टाइप 'बी' व्यक्तित्व को टाइप 'ए' व्यक्तित्व की विशेषताओं के अभाव के रूप में समझा जा सकता है ।
प्रश्न 17. किन्हीं तीन प्रकार की रक्षा युक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर- फ्रायडु ने विभिन्न प्रकार की रक्षायुक्तियों का वर्णन किया है। प्रमुख तीन की चर्चा नीचे की जा रही है।
(क) दमन रक्षा युक्तियों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसमे दुश्चिंता उत्पन्न करने वाले व्यवहार - एवं विचार पूरी तरह चेतना के स्तर से विलुप्त कर दिए जाते हैं। जब लोग किसी भावना या इच्छा का दमन करते हैं तो वे उस भावना या इच्छा के प्रति बिल्कुल जागरूक नहीं होते हैं।
(ख) प्रक्षेपण में व्यक्ति अपने विशेषकों को दूसरों पर आरोपित कर देता है। जैसे किसी व्यक्ति में अगर प्रबल आक्रामक प्रवृत्तियाँ हैं, तो वह दूसरे लोगों में अत्यधिक रूप से अपने प्रति होने वाले व्यवहारों को आक्रामक रूप में देखता है।
(ग) प्रतिक्रिया निर्माण में व्यक्ति अपनी वास्तविक भावनाओं और इच्छाओं के ठीक विपरीत प्रकार का व्यवहार अपनाकर अपनी दुश्चिता से रक्षा करने का प्रयास करता है। जैसेकोई प्रबल कामेच्छा से ग्रस्त व्यक्ति यदि अपनी ऊर्जा को धार्मिक क्रियाकलापों में लगाता है तो ऐसा व्यवहार प्रतिक्रिया निर्माण का उदाहरण है।
प्रश्न 18. व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं ? व्यक्तित्व की विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर - व्यक्तित्व के संबंध में मनोवैज्ञानिकों ने विभिन्न दृष्टिकोण रखें हैं। जैसे–‘‘व्यक्तित्व में व्यक्ति के अन्तर्गत उन मनोदैहिक गुणों का गत्यात्मक संगठन है, जो वातावरण के प्रति होने वाले उसके अपूर्व अभियोजनों को निर्धारित करता है । उपर्युक्त परिभाषा का विश्लेषण करने पर हम पाते हैं कि ऑलपोर्ट मनोदैहिक शब्द के माध्यम से व्यक्तित्व में मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार के गुणों को महत्व प्रदान करते हैं। फिर उनके अनुसार व्यक्तित्व में इन गुणों का योग नहीं है अपितु समन्वय है। अतः निर्विवाद में यह सर्वोत्कृष्ट परिभाषा है
व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं को बताया जा सकता है
(i) इसके अंतर्गत शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक दोनों ही घटक होते हैं ।
(ii) किसी व्यक्ति विशेष में व्यवहार के रूप में इसकी अभिव्यक्ति पर्याप्त रूप से अनन्य
(iii) इसकी प्रमुख विशेषताएँ साधारणतया समय के साथ परिवर्तित नहीं होती है।
(iv) यह इस अर्थ में गत्यात्मक होता है कि इसकी कुछ विशेषताएँ आंतरिक अथवा बाह्य स्थितिपरक माँगों के कारण परिवर्तित हो सकती है। इस प्रकार व्यक्तित्व स्थितियों के प्रति अनुकूलनशील होता है।
प्रश्न 19. व्यक्तित्व मूल्यांकन की प्रमुख प्रेक्षण विधियों की दोष को स्पष्ट करें।
उत्तर - व्यक्तित्व के निम्न दोष हैं
(i) इन तकनीकों के माध्यम से वैद्य प्रदत्त प्राप्त करने के लिए मनोवैज्ञानिकों में भी परिपक्वता आवश्यक होती है।
(ii) अपरिचित रूप में प्रेक्षक प्रेक्षण किए जाने वाले व्यक्ति के व्यवहार पर असर डाल सकता है जिसके कारण प्रदत्त अनुपयोगी हो सकते हैं।
(iii) प्रेक्षक की उपस्थिति केवल परिणामों को दूषित करती है।
(iv) इन विधियों के माध्यम से प्रयोग प्रदत्त के संग्रह के लिए अपेक्षित व्यावसायिक प्रशिक्षण समय माध्यम तथा कठिन होता है।
प्रश्न 20. प्रक्षेपी तकनीक किस प्रकार व्यक्तित्व का मूल्यांकन करती है ?
उत्तर - अचेतन अभिप्रेरनाओं और भावनाओं का मूल्यांकन करने के लिए प्रक्षेपी तकनीकों का विकास किया जाता है। ये तकनीकें इस अभिग्रह पर आधारित है कि कम संरचित अथवा असंरचित उद्दीपक अथवा स्थिति व्यक्तियों को अपनी भावनाओं और इच्छाओं को उस स्थिति पर प्रक्षेपण करने का अवसर देती है। कई प्रकार की प्रक्षेपी तकनीकों का विकास किया गया है जिनके द्वारा व्यक्तित्व के मूल्यांकन के लिए कई प्रकार के उद्दीपक सामग्रियों और स्थितियों का प्रयोग किया जाता है। इन तकनीकों में से कुछ तकनीकों में उद्दीपकों के साथ प्रयोज्य को अपने साहचर्यों को बताने की आवश्यकता होती है
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