भारत देश को आजादी कैसे मिली हमारा देश अंग्रेजों के चुंगल से आजाद कैसे हुआ कैसे आइए भारत देश के बारे में कुछ दुखद घटना पर प्रकाश डालते हैं। कौन-कौन हीरो ने अपनी बलिदान दिए उन वीरों को शत शत नमन

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 हर साल 15 अगस्त के दिन देश अपना स्वतंत्रता दिवस (Independence day) मनाता है। यह दिन होता है उन वीरों जवानों को याद करने का जिन्होंने देश को अंग्रेजों से गुलामी से आजादी दिलाने को अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था Independence Day 2022  भारत को आजाद हुए पूरे 75 साल हो चुके हैं। हर साल 15 अगस्त के दिन देश अपना स्वतंत्रता दिवस (Independence day) मनाता है। यह दिन होता है

 उन वीरों जवानों को याद करने का जिन्होंने देश को अंग्रेजों से गुलामी से आजादी दिलाने को अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। 15 अगस्त 1947, को हमें ब्रिटिश शासन के 200 सालों के राज से आजादी मिली थी। तब से हर साल 15 अगस्त के दिन देश आजादी के इस पावन पर्व को सेलिब्रेट करता है


हमें आजादी कैसे मिली
अंग्रेजों ने लंबे समय तक भारत पर अपना राज किया और भारतीयों को अपना गुलाम बनाकर रखा। साल 1857 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों ने एक बहुत बड़े क्रांति की शुरुआत की जो बाद में काफी निर्णायक साबित हुई। बगावत एक असरदार पूरे देश में देखने को मिला। परिणामस्वरूप कई संगठन उभर कर सामने आए। देश को अंग्रेेजों मुक्त करवाने के लिए देश के वीर सपूत आगे आए और अपनी जान की परवाह किए बिना अंग्रेजों भिड़ गए। इसमें कई वीर सपूत शहीद हुए, कई नेताओं को जेल जाना पड़ा और तब जाकर कहीं हमें ये आजादी मिली। 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ 

आजादी के लिए लाखों लोगों ने दी थी कुर्बानी

देश को आजादी दिलाने के लिए लाखों वीरों ने अपने प्राणों की कुर्बानी दी और काफी संघर्ष किया। देश को आजाद कराने में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, बालगंगाधर तिलक, सुखदेव, सरदार वल्लभभाई पटेल, गोपाल कृष्ण गोखले, लाला लाजपत राय, महात्मा गांधी जैसे अनेक वीरों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। जिन्होंने अंग्रेजों को खदेड़ने में जी जान लगा दिया। आज हम स्वतंत्रता सेनानियों की वजह से आजाद हैं अगर उन्होंने आजादी की पहल नहीं की होती तो आज भी हम किसी अंग्रेजो के गुलाम होतेस्वतंत्रता दिवस का इतिहास 15 अगस्त, 1947 में ब्रिटिश शासन से भारत की आजदी मिल गई।


 यह भारत के पुनर्जन्म जैसा है। यह वो दिन है जब अंग्रेजों ने भारत को छोड़ दिया और इसकी बागडोर हिन्दुस्तानी नेताओं के हाथ में आई। 15 अगस्त, 1947 को पहली बार देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराया और भाषण दिया। उस दिन से लगातार हर साल 15 अगस्त के दिन देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर झंडा फहराते हैं और देश की जनता को संबांधित करते है

           आजादी के बाद पहली फांसी 

भारतीय स्वतंत्रता का एक बहुत विस्तृत इतिहास है. इसका इतिहास आंदोलनों और बलिदानों से भरा पड़ा है. 17 वीं सदी के आस पास भारत में यूरोपी व्यापारियों ने अपने आउटपोस्ट बनानी शुरू की. यहाँ पर सभी तरह की संभावनाएं होने की वजह से इनका व्यापार बहुत अच्छे से स्थापित हो गया. धीरे धीरे इन्होने यहाँ पर अपने मिलिट्री फोर्स भी तैनात करना शुरू कर दिया. समय के साथ इनकी लालच बढती गयी और ये देश भर में अपनी सत्ता स्थापित करने की कोशिश करने लगे.
 अंग्रेजों ने भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की और अपनी राजधानी कलकत्ता को बनाई. इस समय भारत में मुग़लिया सल्तनत कमज़ोर पड़ने की वजह से भी अंग्रेजों ने आसानी से भारत में अपनी पकड़ बनानी शुरू की. इस समय के कुछ विशेष युद्दों का वर्णन नीचे किया जा रहा है 
सबसे पहले भारत मे पुर्तगाली वास्कोडिगामा 1497 ई. में ईसाई धर्म के प्रचार और व्यापार के उद्देश्य से भारत आया था। जब भारत मे व्यापार बढ़ने लगा तो फ्रांसीसी और पुर्तगाली भारत मे व्यापार करने लगा। यहां से मसाला, कपड़े, नील, इत्यादि वस्तुओं को बहुत कम कीमतों में खरीद कर, यूरोप में ऊंचे दामों में बेचने लगे। पुर्तगालियों और फ्रंसिसियो के लाभ को देखकर अंग्रेज भी व्यापार करने के उद्देश्य से भारत आने लगा और इस प्रकार अंग्रेजो का भारत मे आगमन हुआ

भारत पर अंग्रेजी शासन

भारत आने के बाद धीरे धीरे अंग्रेज व्यापार करना प्रारंभ कर दिया और और भारतीय शासकों के बीच फुट डालना शुरू कर दिया। इधर औरंगजेब के मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य का पतन बहुत तेजी से होने लगा। छोटे छोटे राज्यो के आपसी संघर्षों के कारण भारत का राजनीतिक सत्ता डगमगाने लगा। भारत मे व्यापार के उद्देश्य से आये पुर्तगाली, फ्रंसीसी, डच आउट अंग्रेजों ने परिस्थितियों का लाभ उठाने के लिए आपसी युद्ध करने लगे। इन युद्धों में अंग्रेज विजयी हुए। इसके साथ ही 1757 में प्लासी के युद्ध के बाद बंगाल पर अंग्रेजों का प्रभुत्व स्थापित हो गया


अंग्रेजी शासन से भारत की आजादी

1857 की क्रांति भारत की आजादी के सबसे प्रथम सीढ़ी था। इस विद्रोह की आग घिरे धीरे उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, आदि जगहों तक फैल गई। इस विद्रोह में किसान, कारीगर, जमीदार, राजा, आम जनता शामिल थी। इसके साथ इस विद्रोह में रानी लक्ष्मीबाई, कुवर सिंह, तात्या टोपे, अमर शिह, वीर नारायण सिंह, मंगल पांडे आदि ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया




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