इतिहास के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर जो बिहार बोर्ड परीक्षा 2023 में आने वाला है लघु एवं दीर्घ का प्रश्नावली एवं उत्तर के साथ अपने नोटबुक पर अवश्य उतारने याद भी कर लें
1. वियना कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य क्या था ?
उत्तर- 1815 ई० में नेपोलियन की राजधानी वियना में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया । इसमें विजयी राष्ट्रों-ब्रिटेन, रूस, प्रशा और आस्ट्रिया के प्रतिनिधियों ने मुख्य रूप से भाग लिया । इस सम्मेलन का उद्देश्य नेपोलियन द्वारा यूरोपीय राजनीतिक व्यवस्था में लाये गये परिवर्तनों को समाप्त कर उसकी पुनर्स्थापना करना था । . वियना सम्मेलन की अध्यक्षता आस्ट्रिया के प्रतिक्रियावादी चांसलर मेटरनिख ने की । वियना की संधि द्वारा यूरोप के राजनीतिक मानचित्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किया गया । यूरोपीय कन्सर्ट की भी स्थापना की गई। मेटरनिख व्यवस्था के अनुसार, यूरोप में पुरातन व्यवस्था पुनः स्थापित की गई ।
2. शीत युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर - शीतयुद्ध की व्याख्या प्रायः यह की जाती है कि यह दो विरोधी विचारधाराओं तथा सामाजिक व्यवस्थाओं के बीच संघर्ष है । इसमें दोनों पक्ष परस्पर शांतिकालीन राजनयिक संबंध बनाए रखते हुए भी शत्रुता की भावना रखते हैं और सशस्त्र युद्ध के अतिरिक्त अन्य सभी उपायों द्वारा एक-दूसरे को कमजोर बनाने का प्रयत्न करते हैं । अतः संक्षेप में हम कह सकते हैं कि शीतयुद्ध युद्ध न होते हुए भी युद्ध जैसी परिस्थितियों को बनाए रखने की एक ऐसी कला है जिसमें प्रत्येक विषय पर गुटीय स्वार्थों को ध्यान में रखकर कार्य किया जाता है । यह शस्त्रों से लड़ा जानेवाला युद्ध न होकर एक प्रकार का वाक्युद्ध है।
विश्व राजनीति में 1945 ई० से अमेरिका और सोवियत संघ द्वारा शुरू हुआ शीत युद्ध 1991 ई० में सोवियत रूस के विघटन के साथ समाप्त हआ ।
3. साइमन कमीशन का विरोध क्यों हुआ था ?
उत्तर:- भारत में संवैधानिक सुधार के मुद्दे पर विचार करने हेतु 1919 के भारत अधिनियम में यह व्यवस्था की गई कि 10 वर्ष के बाद आयोग नियुक्त किया जाएगा। यह आयोग अधिनियम में परिवर्तन पर विचार करेगा । सर जॉन साइमन के नेतृत्व में 1927 को साइमन कमीशन बना । जिस सात सदस्यीय आयोग का गठन किया गया उसमें एक भी भारतीय नहीं था । भारत के स्वशासन के संबंध में निर्णय विदेशियों द्वारा किया जाना था । फलत: 3 फरवरी 1928 को बम्बई पहुँचने पर साइमन कमीशन का पूरे भारत में विरोध हुआ और जनता पुनः संघर्ष के लिए तैयार हो गई ।
4. उपनिवेशवाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर - उपनिवेशवाद एक ऐसी राजनीतिक आर्थिक प्रणाली थी जो प्रत्यक्ष रूप से एशिया और अविकसित अफ्रीकी तथा दक्षिण अमेरिका में यूरोपीय देशों द्वारा तैयार किया गया । इसका एक मात्र उद्देश्य था इन देशों का आर्थिक शोषण करना । ये देश कच्चे माल के प्रमुख स्रोत व महत्त्वपूर्ण बाजार थे ।
5. न्यू डील क्या है ?
उत्तर- न्यू डीलजनकल्याण की एक बड़ी योजना से संबंधित नई नीति जिसमें आर्थिक क्षेत्र के अलावा राजनीतिक और प्रशासनिक नीतियों को भी नियमित किया गया । इसके प्रवर्तक अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट थे, जिसने विश्वव्यापी मंदी से लड़ने के लिए अमेरिका में इसे लागू किया था ।
6. होआ होआ आंदोलन की विवेचना करें।
उत्तर - जेनेवा समझौते के बाद दक्षिण वियतनाम में गृह कलह की स्थिति बन गई । इसमें एक धार्मिक वर्ग होआ - होआ द्वारा चलाये जा रहे आन्दोलन की मुख्य भूमिका थी । होआ - होआ आन्दोलन के काफी आक्रामक हो जाने पर न्यो दिन्ह दियम ने बड़ी क्रूरतापूर्वक इसे दबाया रूसी क्रांति पर मार्क्सवाद का क्या प्रभाव पड़ा ?
7.रूसी क्रांति पर मार्क्सवाद का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई 1818 ई० को जर्मनी में राइन प्रांत के ट्रियर नगर में एक यहूदी परिवार में हुआ था । उनके पिता हेनरिक मार्क्स एक प्रसिद्ध वकील थे जिन्होंने बाद में चलकर ईसाई धर्म ग्रहण कर लिया था । मार्क्स ने बोन विश्वविद्यालय में विधि की शिक्षा ग्रहण की परन्तु 1836 ई० में वे बर्लिन विश्वविद्यालय चले आए जहाँ उनके जीवन को नया मोड़ मिला । मार्क्स हीगल के विचारों से प्रभावित था । 1843 ई० में उसने बचपन की मित्र हेनी से विवाह किया। कार्ल मार्क्स की मुलाकात पेरिस में 1844 ई० में फ्रेडरिक एंजेल्स से हुई जिनसे जीवन भर उनकी गहरी मित्रता बनी रही । मार्क्स ने एंजेल्स के साथ मिलकर 1848 ई० में एक साम्यवादी घोषणा-पत्र प्रकाशित किया जिसे आधुनिक समाजवाद का जनक कहा जाता है । उपर्युक्त घोषणा पत्र में मार्क्स ने अपने आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक विचारों को स्पष्ट रूप से व्यक्त किया है । मार्क्स ने 1867 ई० में 'दास कैपिटल' नामक पुस्तक की रचना की, जिसे "समाजवादियों की बाइबिल" कहा जाता है । मार्क्स का विचार था कि औद्योगिक समाज पूँजीवादी समाज है फैक्ट्र में लगी पूँजी पर पूँजीपतियों का स्वामित्व है और पूँजीपतियों का मुनाफा मजदूरों की मेहनत से पैदा होता है । मार्क्स का निष्कर्ष था जब तक निजी पूँजीपति इस तरह मुनाफे का संचय करते जाएँगे तब तक मजदूरों की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता है अपनी स्थिति में सुधार लाने के लिए मजदूरों को पूंजीवाद पर निजी संपत्ति पर आधारित शासन को उखाड़ फेंकना होगा। इस तरह रूसी क्रांति पर मार्क्सवाद की विचारधारा का व्यापक प्रभाव पड़ा ।
8. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका का उल्लेख करें।
उत्तर – भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गाँधी का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा । जनवरी 1915 ई० में दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद गाँधीजी ने रचनात्मक कार्यों के लिए अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की। 1919 ई० से 1947 ई० तक राष्ट्रीय आंदोलन में गाँधीजी की अग्रणी भूमिका रही । गाँधीजी के द्वारा चंपारण में सत्याग्रह का प्रथम प्रयोग किया गया जो अन्तत: सफल रहा । चंपारण एवं खेड़ा में कृषक आंदोलन और अहमदाबाद में श्रमिक आंदोलन का नेतृत्व प्रदान कर गाँधीजी ने प्रभावशाली राजनेता के रूप में अपनी राष्ट्रीय पहचान बनाई । प्रथम विश्व युद्ध के अंतिम दौर में इन्होंने कांग्रेस, होमरूल एवं मुस्लिम लीग के नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित किए। ब्रिटिश सरकार की उत्पीड़नकारी नीतियाँ एवं रॉलेट एक्ट के विरोध में इन्होंने सत्याग्रह की शुरूआत की । महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन (1920-21 ई०), सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930 ई०), भारत छोड़ो आंदोलन (1942 ई०) के द्वारा राष्ट्रीय आंदोलन को एक नई दिशा प्रदान की और अन्ततः 15 अगस्त 1947 ई० को देश आजाद हुआ ।
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