प्रश्न ::- निम्न पदों की परिभाषा दें-
(i) खनिज
(ii) अयस्क
(iv) निस्तापन
उत्तर-1. खनिज -ऐसे प्राकृतिक पदार्थ जिनमें धातुएँ अपने यौगिकों के रूप में होती हैं, खनिज कहलाते हैं। ये अधिकांश रूप में भूपर्पटी में पाये जाते हैं। कुछ
खनिज समुद्री तल में भी पाये जाते हैं। जैसे-NaCl (सोडियम क्लोराइड), फैल्सपार, अभ्रक आदि ।
(ii) अयस्क-उन खनिजों को जिनसे लाभप्रद ढंग से धातुओं का निष्कर्षण किया जाता है, अयस्क कहलाते हैं। जैसे हेमेटाइट (Fe,03) लोहे का अयस्क है।
एल्युमिनियम का अयस्क बॉक्साइट (AI,O,. 2H,O) है ।
(ii) गैंग-खनन क्रिया द्वारा पृथ्वी से निकाले गये अयस्क में उपस्थित अवांछित पदार्थों को गैंग कहते हैं।
(iv) निस्तापन-सांद्रित अयस्क को वायु की उपस्थिति या अनुपस्थिति में बिना द्रवित किए बहुत अधिक गर्म करने की क्रिया, जिससे वाष्पशील अशुद्धियाँ बाहर
निकलती हैं तथा कार्बोनेट अयस्क विघटित होकर धातु के ऑक्साइड में परिणत होते हैं, निस्तापन कहलाती है।
(v) भर्जन- मुख्यतः सांद्रित अयस्क को अकेले या किसी अन्य पदार्थ के साथ वायु की नियंत्रित मात्रा की उपस्थिति में बिना द्रवित किए गर्म करने की क्रिया,
जिससे वाष्पशील अशुद्धियाँ बाहर निकल जाती हैं तथा अयस्क ऑक्साइड में उपचयित हो जाता है, भर्जन या जारण कहलाती है। इसका ताप निस्तापन के ताप
से कुछ अधिक होता है।
प्रश्न ::- मिश्र धातु किसे कहते हैं? इसके दो उदाहरण दें। मिश्र धातु तीन उपयोगों का वर्णन करें।
अथवा ::- मिश्रधातु क्या होती है? इन्हें कैसे तैयार किया जाता है? काँसा तथा अमलगम मिश्रधातु में उपस्थित धातुओं के नाम बताएँ। इन मिश्र धातुओं
के एक-एक उपयोग लिखें।
उत्तर :- मिश्रधातु-यह दो या दो से अधिक धातुओं अथवा तथा अधातु का संभागी मिश्रण है। जैसे पीतल, ताँबा तथा जिंक की मिश्रधातु है, कांसा, ताँबा तथा टिन की मिश्रधातु है।
उदाहरण- 1.सोडियम अमलगम (Na + Hg)
2.टीन अमलगम (Sn + Hg)
मिश्रधातुओं के उपयोग-
(i) कठोरता बढ़ाने के लिए- लोहे में कार्बन की मात्रा मिलाकर स्टेनलैस स्टील बनाया जाता है जो लोहे से अधिक कठोर होता है। सोने में तांबा तथा चांदी
में सीसा मिलाने से उनकी कठोरता अधिक हो जाती है। ड्यूरेलियम ऐलुमिनियम से बना मिश्रधातु है जो अत्यधिक कठोर होता है।
(ii) शक्ति बढ़ाने के लिए- इस्पात, ड्यूरेलियम आदि मिश्रधातु कठोर होने के कारण शक्तिशाली भी होते हैं।
(iii) संधारणा रोकने के लिए - जैसे स्टैनलेस स्टील, लोहे तथा जिंक से बनी मिश्रधातु आदि पर जंग नहीं लगता।
प्रश्न ::- अयस्क क्या है? अयस्क सांद्रण की सामान्य विधियों का परिचय दीजिए।
उत्तर. अयस्क वैसे खनिज जिनसे कम खर्च में धातु का निष्कर्षण किया जाय उसे अयस्क कहते हैं।
अयस्क सांद्रण की सामान्य विधियाँ-अयस्क या खनिज पृथ्वी से निकाले जाते हैं जिनके साथ अनेक प्रकार के व्यर्थ पदार्थ होते हैं जिन्हें गैंग कहते हैं। निष्कर्षण की प्रक्रिया से पहले उन्हें हटाना आवश्यक होता है। इस प्रकार गैंग का साथ हटाने से अयस्क में धातु की मात्रा, अधिक हो जाती है जिसे सांद्रण कहते हैं
चित्र: अयस्क के सांदण मी मुंबकीय विधि
अत:, किसी अयस्क को अगले प्रक्रमों के लिए तैयार करने के लिए अयस्क का सांद्रण करना होता है। अयस्क से गैंग हटाने की विधि अयस्क के तथा गैंग के भीतर
या रासायनिक गुणों के अंतर पर आधारित होती है ।
सांद्रण की भौतिक विधियाँ-
(i) चबकीय विधि यह विधि आयरन, कोबाल्ट, निकिल; जैसे-चुंबकीय पदार्थों की अशुद्धियों को अलग करने के लिए स्वीकार की जाती है। जो खनिज चुंबकीय प्रकृति के होते हैं वे चुंबकीय क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं जबकि गैंग आदि आकर्षित नहीं होते । क्रोमाइट तथा पाइरोल्युसाइट के अयस्क इसी विधि द्वारा सांद्रित किए जाते हैं । इस विधि में पीसे हुए अयस्क को एक कन्वेयर बैल्ट के ऊपर रखते हैं। कन्वेयर बैल्ट दो रोलरों के ऊपर से गुजरती है जिनमें से एक चुंबकीय होता है। जब अयस्क चुंबकीय किनारे पर से नीचे आता है, तो चुंबकीय और अचुंबकीय पदार्थ दो अलग-अलग ढेरों में एकत्रित हो जाते हैं। लोहे के अयस्क मैग्नेटाइट का सांद्रण इसी विधि द्वारा किया जाता है।
(ii) द्वचालित धोना इस विधि में बारीक पिसे हुए अयस्क को पानी की तेज धार में धोया जाता है। इस तेज धार में हल्के गैंग कण बह जाते हैं जबकि भारी खनिज कण तली में बैठ जाते हैं। टिन और लैड के अयस्क इसी विधि द्वारा सांद्रित किए जाते हैं
Md. Nezamuddin sir,,,
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