प्रश्न 1. हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है ?
उत्तर-हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका निम्नलिखित हैं-
(1) हमारे आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल जठर ग्रन्थियों से प्रावित होता है और भोजन में अम्लीय माध्यम प्रस्तुत करता है जिससे जठर रस का
पेप्सिन नामक एन्जाइम अम्लीय माध्यम में कार्य कर सके।
(i) यह भोजन में उपस्थित रोगाणुओं को अक्रियाशील एवं नष्ट करता है
(ii) यह भोजन को शीघ्रता से नहीं पचने देता।
प्रश्न 2. अनुरक्षण क्या है ? अनुरक्षण के लिए कौन-कौन-सी क्रियाएँ है?
अथवा, जीवन के अनुरक्षण के लिए आप किन प्रक्रम को आवश्यक लेनि मानेंगे?
उत्तर यद्यपि जीवधारियों में अनेक क्रियाएँ की जाती हैं। जैसे-एक व्यक्ति एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा रहा है, एक कुत्ता ब्रेड खाता है, एक मक्खी उड़ बान रही है आदि। ये सभी क्रियाएँ जीवन से सम्बन्धित होती हैं। इन्हें जैविक क्रियाएँ कहते हैं; जैसे-गति, पाचन, श्वसन, परिवहन, उत्सर्जन, वृद्धि आदि । ये सभी क्रियाएँ जा
जीवन को बनाये रखने के लिए अनिवार्य होती हैं।
प्रश्न 3. प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री - हो पौधा कहाँ से प्राप्त करता है ?
उत्तर-पौधों में प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया होती है जिसके लिए निम्नलिखित चार वस्तुओं की आवश्यकता होती है-
(i) कार्बन डाइऑक्साइड (CO,) पौधे इसे वायुमंडल से प्राप्त करते हैं ।
(ii) जल-पौधा इसे भूमि से जड़ों द्वारा प्राप्त करता है।
(iii) पर्णहरित यह पौधे की कोशिकाओं में हरित लवक में उपस्थित होता है।
(iv) सूर्य-प्रकाश-पौधे इसे सूर्य के प्रकाश से फोटोन ऊर्जा कणों के रूप में प्राप्त करते हैं जो क्लोरोफिल 'a' में संचित होकर इस प्रक्रिया में आवश्यकतानुसार
उपयोग कर लिए जाते हैं।
प्रश्न 4. अत्यधिक व्यायाम के दौरान खिलाड़ी के शरीर में क्रैप होने लगता है। क्यों?
उत्तर—अत्यधिक व्यायाम के दौरान खिलाड़ी के शरीर में ऑक्सीजन का अभाव हो जाता है और शरीर में अवायवीय श्वसन प्रारंभ होता है जिसमें पायरूवेट
लैक्टिक अम्ल में परिवर्तित हो जाता है और खिलाड़ी के शरीर में कैंप इसी लैक्टिक अम्ल के कारण होता है।
प्रश्न 5. ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से विभिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न मार्ग क्या हैं ?
उत्तर ग्लूकोज के ऑक्सीकरण द्वारा जीवों में ऊर्जा की प्राप्ति होती है। इसके निम्नलिखित मार्ग हैं-
(i) वायवीय श्वसन (ऑक्सी श्वसन) ग्लाइकोलिसिस
क्रेव चक्र ग्लूकोज पायरूवेट +02 →CO2
प्रश्न 6. उच्य संगठित पादप में बहन तंत्र के पटक क्या हैं?
उत्तर:- उच्च संगठित पादयों में परिवहन के निम्नलिखित भाग होते हैं-
(i)जाइलम पाहिनियाँ जो खनित तथा जल को भूमि से शोपित करके पादप रुधिर के शिखर तक ले जाती हैं।
(i) लोयम वाहिनियाँ पत्तियों में तैयार भोजन पादप के अन्य भागों तक ले के लिए जाती है जिन्हें संचित करने की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 7. हमारे शरीर में वसा का पाचन कसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता हैं
उत्तर:- हमारे शरीर में वसा का पाचन आहार नाल की छुद्रात्र में होता है यकृत से निकलनेवाला पित्तरस, जो क्षारीय होता है, आये हुए भोजन के साथ मिलकर
उसको अम्लीयता को निष्क्रिय करके उसे क्षारीय बना देता है। इसी क्षारीय प्रकृति पर हो अग्नाशयिक रस सक्रियता से कार्य करता है। आनाशयिक रस में तीन निर्भर कहते हैं तथा इसे इमल्सीफाइड वसा कहते हैं। लाइपेज एंजाइम इमल्सीफाइड वसा एंजाइम्स होते हैं-ट्रिप्सिन, एमोलोप्सिन तथा लाइपेज । पित्तरस वसा को सूक्ष्म कणों में तोड़ देता है । इस क्रिया को इमल्सीकरण क्रिया को वसीय अम्ल तथा ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर देता है।
प्रश्न 8. किसी जीव द्वारा किन कच्ची सामग्रियों का उपयोग किया जाता हैं
इतर जीवधारी के शरीर की प्रत्येक कोशिका कार्बनिक यौगिकों द्वारा निर्मित होती है जिनमें कार्बन प्रमुख अवयव होता है। इन कोशिकाओं का जीवनकाल
के लि निश्चित होता है जिसके पश्चात् जीव को मृत्यु हो जाती है। कुछ कोशिकाएं कुछ निश्चित सीमा तक विकसित होती है तत्पश्चात् वह विभाजित होती हैं। उसके जीवन जाती काल में उसे सभी जैविक कार्यों को करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है
जो उसे कार्बनिक यौगिकों के विघटन से प्राप्त होती है। ये कार्बनिक यौगिक भोजन कार्बन का रूप धारण करते हैं। ये भोजन ऊर्जा प्राप्ति का बाह्य यौगिक बनाते हैं
स्वयंपोषो (हरे पौधों) में कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण से प्राप्त होती है तथा जल जड़ों द्वारा भूमि से प्राप्त करते हैं जिसके साथ खनिज भी अवशोषित कर लिए
जाते हैं। ये पौधे हरे भागों में सूर्य-प्रकाश की उपस्थिति में परस्पर संयोग करके प्रयोग जटिल कार्बनिक पदार्थ बनाते हैं। इस प्रक्रिया को प्रकाश-संश्लेषण कहते हैं।
प्रश्न 9. भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है ?
उत्तर::- भोजन के पाचन में लार की अति महत्त्वपूर्ण भूमिका है। लार एक रस है जो तीन जोड़ी लाल धियों से मुंह में उत्पन्न होता है। लार में एमिलेस नामक एक
एंजाइम होता है जो मंड जटिल अणु को लार के साथ पूरी तरह मिला देता है। लार के प्रमुख कार्य हैं-
• यह मुख के खोल को साफ रखती है।
(a) यह मुख खोल में चिकनाई पैदा करती है जिससे चबाते समय रगड़ कम होती है।
(1) यह भोजन को चिकना एवं मुलायम बनाती है।
(1) यह भोजन को पचाने में भी मदद करती है।
(v) यह भोजन के स्वाद को बढ़ाती है।
() इसमें विद्यमान ययलिन नामक एंजाइम स्टार्च का पाचन कर उसे माल्टोज हैं में बदल देता है।
प्रश्न 10. पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुद्रांत्र को कैसे अभिकल्पित किया गया है?
उतर:-छुद्रांत्र में आंतरिक कला में अंगुली की आकृति के प्रवर्ध होते हैं जो छुद्रांत्र की सतह को फैलाकर बड़ा कर देते हैं जिससे पचित भोजन का अवशोषण अधिक मात्रा में हो सके। अंगुलाकृतियों में रुधिर कोशिकाओं का जाल बिछा होता है जो पर्च हुए भोजन का अवशोषण करती हैं। यह सभी कोशिकाओं में वितरित कर दिया जाता है। इन कोशिकाओं में भोजन का प्रयोग ऊर्जा प्राप्ति के लिए किया जाता है तथा नये ऊतकों के निर्माण तथा टूटे हुए ऊतकों की मरम्मत हेतु होता है।
प्रश्न 11. स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर स्तनधारी तथा पक्षियों का हृदय चार वेश्मी होता है। ऊपर के दो कक्ष को दाहिना तथा बायाँ अलिन्द कहते हैं जबकि नीचे की ओर के कक्ष दाहिना तथा
बन जाती है। बायाँ निलय कहलाते हैं। दाहिना अलिन्द में शरीर से आनेवाला असुद्ध रुधिर एकत्र होता है जबकि बाएँ अलिन्द में फेफड़ों से आने वाला शुद्ध रक्त एकत्र होता है। इस प्रकार से दोनों प्रकार का रुधिर (शुद्ध तथा अशुद्ध) परस्पर मिल नहीं पाते। दप रुधिर के दोनों प्रकार के न मिलने से ऑक्सीजन के वितरण पर किसी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इस प्रकार का रुधिर संचरण विशेष रूप से उन जन्तुओं के लिए अधिक लाभदायक होता है जिनमें दैनिक कार्यों के लिए अधिक ऊर्जा को आवश्यकता होती है। उदाहरणार्थ स्तनधारी, पक्षी आदि । ऊर्जा की अधिक आवश्यकता हाँ शरीर के तापक्रम को सम बनाए रखने के लिए होती है।
प्रश्न 12, मत्र बनने की मात्रा का नियम किस प्रकार होता है?
उत्तर-मूत्र को मात्रा पानी के पुनः अवशेषण पर प्रमुख रूप से निर्भर करती है। वृक्काणु नलिका द्वारा पानी की मात्रा का पुनः अवशोपण निमलिखित निर्भर करता है-
शरीर में अतिरिक्त पानी की कितनी मात्रा है जिसको निकालना है। जब शरीर के ऊतकों में पर्याप्त जल है, तब एक बड़ी मात्रा में तनु मूत्र का उत्सर्जन होता है। जब शरीर के ऊतकों में जल की मात्रा कम है, तब साद मूत्र को थोड़ी-सी मात्रा उत्सर्जित होती है।
(i) कितने पुलनशील उत्सर्जक, विशेषकर नाइट्रोजनयुक्त उत्सर्जक; जैसे-
यूरिया तथा यूरिक अम्ल तथा लवण आदि का शरीर से उत्सर्जन नंत होता है।
जब शरीर में घुलनशील उत्सर्जक को अधिक मात्रा हो, तब उनके उत्सर्जन छ के लिए जल को अधिक मात्रा की आवश्यकता होती है। अतः, मूत्र की मात्रा बढ़ है
स्वपोषी पोषण के आवश्यक परिस्थितियाँ है—सूर्य-प्रकाश, क्लोरोफिल, न कार्बन डाइऑक्साइड और जल । इसके उपोत्पाद आणविक ऑक्सीजन है।
प्रश्न 13. उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा पाने के लिए पादप किन विधियों का उपयोग करते हैं?
उत्तर-उत्सर्जक पदार्थों से मुक्ति पाने के लिए पादप निम्नलिखित तरीकों का के प्रयोग करते हैं-
0 अनेकों उत्सर्जक उत्पाद कोशिकाओं के धानियों में भण्डारित रहते हैं। 7 पादप कोशिकाओं में तुलनात्मक रूप से बड़ी धानियाँ होती हैं।
(i) कुछ उत्सर्जक उत्पाद पत्तियों में भण्डारित रहते हैं। पत्तियों के गिरने के साथ ये हट जाते हैं।
(ii) कुछ उत्सर्जक उत्पाद, जैसे रेजिन या गम, विशेष रूप से निष्क्रिय पुराने जाइलम में भण्डारित रहते हैं।
(iv) कुछ उत्सर्जक उत्पाद जैसे टेनिन, रेजिन, गम छाल में भण्डारित रहते हैं। छल के उतरने के साथ हट जाते हैं।
(v) पादप कुछ उत्सर्जक पदार्थों का उत्सर्जन जड़ों के द्वारा मृदा में भी करते हैं।
प्रश्न 14. जल-रंग किसे कहते हैं?
उत्तर-ये विशेष रचनाएँ जलीय पौधों या छायादार शाकीय पौधों में पाई जाती । हैं। ये पत्तियों को शिराओं के शीर्ष पर अति सूक्ष्मछिद्र के रूप में होती हैं जिसमें पानी बूंदों के रूप में नि:स्राव होता है। इसी कारण उन्हें जलमुख या जलरंघ्र कहते हैं।
प्रश्न 15. वाष्पोत्सर्जन क्या है ?
उत्तर-वाष्पोत्सर्जन एक जैविक क्रिया है। इस क्रिया में पानी पौधों के वायवीय भागों से वाष्य के रूप में बाहर निकलता है। यह क्रिया रक्षक कोशिकाओं के द्वारा बाहर निकलती है।
प्रश्न 16. विसरण किसे कहते हैं?
उत्तर-विसरण वह क्रिया है जिसमें उच्च सांद्रता क्षेत्र से निम्न सांद्रता को और आयनों और अणुओं का अभिगमन होता है। विसरण में अर्द्धपारगम्य झिल्ली से
होकर अभिगमन नहीं होता है। यह क्रिया ठोस, द्रव और गैस तीनों में हो सकती है।
प्रश्न 17. आंत में विलाई पाये जाते हैं, लेकिन अमाशय में नहीं, क्यों?
उत्तर-आंत में पचे हुए भोजन के अवशोषण के कार्य को पूरा करने के लिए विलाई पाये जाते हैं। ये अवशोषण सतह को बढ़ाते हैं। आमाशय में अवशोषण का कार्य नहीं के बराबर होता है। इस कारण इसमें विलाई नहीं पाये जाते हैं।
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