Social science class 10th Subjective Question Answer in Hindi समाज विज्ञान वस्तुनिष्ठ प्रश्न उत्तर Bihar Board model paper previous year question paper 2019 Second sitting and second sitting सैंपल पेपर 2 अंक के प्रश्न उत्तर

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निर्देश : प्रश्न - संख्या 1 से 5 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्नों का उत्तर दें। प्रत्येक के लिए 2 अंक निर्धारित हैं। 3 x 2 = 6
1. असहयोग आंदोलन जन आंदोलन था, कैसे ?
उत्तर — गाँधीजी नेतृत्व चलाया जानेवाला यह प्रथम जनआंदोलन असहयोग और बहिष्कार की नीति प्रमुखता से अपनाई गई। इस आंदोलन का व्यापक जनाधार था। शहरी क्षेत्र में मध्यम वर्ग तथा ग्रामीण क्षेत्र में किसानों और जनजातियों का इसे व्यापक समर्थन मिला। श्रमिक वर्ग की भी इसमें भागीदारी रही। पूरे देश को एक सूत्र में पिरोनेवाली भाषा के रूप में हिंदी को मान्यता मिली। चरखा एवं करघा का प्रचलन घर-घर हो गया। इस प्रकार, यह पहला जनआंदोलन बन गया।
2. कोयला एवं लौह-उद्योग ने औद्योगिकरण को गति प्रदान की, कैसे ?
उत्तर- • कोयला एवं लोहा कारखानों को चलाने और मशीनों के निर्माण के लिए आवश्यक है। इसलिए, इंगलैंड और भारत दोनों देशों में इनका विकास हुआ जिससे औद्योगिकीकरण की गति तेज हुई । भारत में लोहा-इस्पात के अनेक कारखाने खुले, जैसे, टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी। रेलवे के निर्माण से लौह उद्योग में तेजी आई। भारत में 1814 में कोयला उद्योग आरंभ हुआ। इस वर्ष रानीगंज में कोयल खुदाई का काम शुरू हुआ। रेल के विकास के साथ कोयला उद्योग का भी विकास हुआ। 
3. शहरों ने किन नई समस्याओं को जन्म दिया ?
उत्तर – शहरीकरण के कारण अनेक नई समस्याओं का जन्म हुआ। इनमें निम्नलिखित प्रमुख है
(i) शहरीकरण ने नई सामाजिक संरचना को जन्म दिया जिससे वर्ग - विभेद गहरा हुआ। यह के विपरीत था। समाजवादी सिद्धांतों एवं लोकतांत्रिक मान्यताओं
(ii) शहरों में आवास, यातायात, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य जनकल्याण संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हुई। 
(iii) शहरीकरण ने स्पर्द्धा, अवसरवाद, व्यक्तिवाद जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों को जन्म दिया। 
(iv) शहरीकरण ने पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला। गंदगी और धूल से पर्यावरण दूषित हो गया। 
4. औद्योगिक क्रांति ने किस तरह विश्व-बाजार के स्वरूप को विस्तृत किया ?
उत्तर – विश्व बाजार के स्वरूप को विकसित करने में औद्योगिक क्रांति की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। कारखानों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराने तथा उत्पादित वस्तुओं के लिए बाजार उपलब्ध कराने का काम विश्व बाजार ने किया। इस प्रक्रिया में उपनिवेशवाद ने महत्वपूर्ण योगदान किया। एशिया और अफ्रीका में स्थापित उपनिवेशों से औपनिवेशिक देशों को अपने उद्योगों के लिए ठोस आधार मिल गया। उपनिवेशवाद के अतिरिक्त व्यापार, पूँजी के प्रवाह और श्रमिकों के पलायन ने भी विश्व बाजार के विर में सहयोग दिया।
5. गुटेनबर्ग ने मुद्रण यंत्र का विकास कैसे किया ?
उत्तर – योहान गुटेन्बर्ग ने जैतून पेरने की मशीन को आधार बना कर प्रिंटिंग प्रेस का इजाद किया। इस मशीन में पेंच की सहायता से लंबा हैंडल लगा होता था। पेंच को घुमा कर प्लाटेन (बोर्ड, लकड़ी या इस्पात का) को गीले कागज़ पर दबाया जाता था। साँचे का उपयोग कर अक्षरों (टाइप) की धातु की आकृतियों को ढाला गया। इन टाइपों को घुमाने या 'मूव' करने की व्यवस्था भी की गई। इसलिए, इस प्रेस को 'मूवेबल टाइप प्रिंटिंग मशीन' कहा गया। मुद्रण स्याही भी बनाई गई।
निर्देश प्रश्न संख्या 6 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न है, जो अनिवार्य है, इनमें एक विकल्प भी है।
6. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में गाँधी जी के योगदान की विवेचना करें। 
उत्तर — 1919 से 1947 तक भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का कालखंड 'गाँधी युग' के नाम से जाना जाता है। इस अवधि में उन्हीं के नेतृत्व में आंदोलन चला और अंततः भारत विदेशी शासन से मुक्ति प्राप्त कर सका। गाँधीजी (1869-1948) ने स्वतंत्रता संग्राम में दो नए अस्त्रो, सत्य और अहिंसा, का बार-बार प्रयोग किया। 1917 में उन्होंने किसानों के समर्थन में चंपारण और खेड़ा में सत्याग्रह किया। 1920 में उन्होंने असहयोग आंदोलन चलाया जिसे व्यापक जनसमर्थन मिला। इस आंदोलन में बहिष्कार, स्वदेशी और रचनात्मक कार्यक्रमों पर बल दिया गया। आंदोलन में चौरीचौरा की घटना और हिंसा के प्रवेश से दुखी होकर उन्होंने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया। 1922 में सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। जेल से छूटकर गाँधीजी पुनः सामाजिक सुधार के कार्यों तथा राजनीति में सक्रिय हो गए। 1930 में उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ किया। 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से उन्होंने 'दांडी मार्च' आरंभ किया। 6 अप्रैल को दांडी पहुँचकर उन्होंने समुद्र के पानी से नमक बनाकर नमक कानून भंग किया। इससे देश में नई स्फूर्ति जगी। आंदोलन की व्यापकता को देखकर वायसराय इरविन ने समझौता का किया। गाँधी-इरविन समझौता के बाद गाँधीजी द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने लंदन गए, परंतु निराश होकर वापस लौटे। 1942 में गाँधीजी ने अँगरेजों के विरुद्ध अंतिम निर्णायक संघर्ष आरंभ कर दिया। उन्होंने 'अँगरेजों भारत छोड़ो' तथा 'करो या मरो' का नारा दिया। आंदोलन की व्यापकता से घबड़ाकर सरकार ने भारत को स्वतंत्र करने की दिशा में प्रयास आरंभ कर दिया। गाँधीजी दलितोद्धार करना चाहते थे। वे हिंदू-मुसलिम एकता के कट्टर हिमायती थे। वे आदर्श भारत का स्वप्न देखते थे और 'रामराज्य' की कल्पना करते थे। गाँधीजी के प्रयासों से भारत को आजादी मिली, परंतु गाँधीजी भारत का विभाजन नहीं रोकवा सके।
7.1929 के आर्थिक संकट के कारण एवं परिणामों को स्पष्ट करें।
उत्तर- - 1929 का आर्थिक संकट अनेक कारणों से हुआ। इसका विश्व अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ा। 
संकट के कारण
(i) कृषि क्षेत्र में अतिउत्पादन प्रथम विश्वयुद्ध के बाद कृषि उत्पाद में बढ़ोतरी के कारण खाद्यान्नों, जैसे गेहूँ, की आपूर्ति आवश्यकता से अधिक हो गई। इससे अनाज के मूल्य में कमी आई और अनाज का खरीददार नहीं रहा। अर्थशास्त्री काडलिफ के अनुसार कृषि उत्पादन एवं खाद्यान्नों के मूल्य की विकृति 1929-32 के आर्थिक संकटों के प्रमुख कारण थे।
(ii) उपभोक्ता की कमी उपभोक्ता वस्तुओं का भी अतिउत्पादन हुआ, परंतु गरीबी, बेरोजगारी से इन्हें खरीदनेवाला नहीं रहा। इससे बाजार आधृत अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई।
(iii) अमेरिकी पूँजी के प्रवाह में कमी- 1923 के बाद अमेरिका जो 'विश्व कर्जदाता' था, ने कर्ज देना बंद कर दिया। 1928-29 के मध्य अमेरिकी कर्ज में भारी कमी आई। इससे अमेरिकी कर्ज पर आश्रित देशों के लिए तथा स्वयं अमेरिका के लिए आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया। 
परिणाम
(i) आर्थिक महामंदी से यूरोपीय अर्थव्यवस्था चरमरा गई। यूरोप के अनेकों बैंक रातों-रात बंद हो गए, मुद्रा का अवमूल्यन हो गया। इससे विश्व बाजार आधृत अर्थव्यवस्था को गहरी ठेस लगी।
(ii) अमेरिका पर महामंदी का सबसे अधिक बुरा प्रभाव पड़ा। अमेरिकी बैंकिंग व्यवस्था चौपट हो गई, सट्टाबाज़ी बढ़ी, न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज शेयरों के मूल्य गरी गिरावट आई। गरीबी और बेरोजगारी बढ़ गई।
(iii) जर्मनी और ब्रिटेन भी आर्थिक संकट से प्रभावित हुए। जर्मन मुद्रा मार्क का अवमूल्यन हो गया। जर्मनी में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई जिसका लाभ हिटलर ने उठाया। ब्रिटेन
ने महामंदी से बचने के लिए आर्थिक संरक्षणवाद की नीति अपनाई जिससे विश्व बाजार प्रभावित हुआ।
(iv) भारत में किसानों की स्थिति दयनीय हो गई। बंगाल का पटसन उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ। व्यापार में भी गिरावट आई । भारत से ब्रिटेन सोना का निर्यात करने लगा। इससे असंतोष बढ़ा। इसका लाभ उठा कर महात्मा गाँधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ किया।
राजनीति विज्ञान / Political Science 
निर्देश: प्रश्न- संख्या 7 से 9 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं दो प्रश्न का उत्तर दें।
7. किन्हीं दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्म निरपेक्ष देश बनाता है ? 
उत्तर – भारतीय संविधान भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित करता है। भारतीय संविधान की धारा 25 से 28 में भारत के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को स्पष्ट करते हुए यह कहा गया है – 
(i) भारत में धर्म के आधार पर भेदभाव की मनाही है, अर्थात किसी भी जाति, लिंग, क्षेत्र, वर्ग का व्यक्ति क्यों न हो, उसके साथ धर्म के आधार पर कोई विभेद नहीं किया जाएगा और (ii) राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है। यहाँ 'सर्वधर्म समभाव' है ।

8. सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीके क्या हैं ? उत्तर- - सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीके इस प्रकार हैं।
(i) सत्ता में साझेदारी के प्रश्न पर भाषा, धर्म, क्षेत्र और समुदायों के बीच भेदभाव समाप्त कर दिया गया है। इस क्षेत्र में अवसर की समानता के सिद्धांत को अपनाया गया है। 
(ii) सरकार के तीनों अंगों — विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के बीच सत्ता का विभाजन कर दिया गया है। ऐसी व्यवस्था कर दी गई है कि कोई अंग अपने अधिकारों का दुरुपयोग नहीं कर सके। इससे अधिक से अधिक लोगों की सत्ता में साझेदारी सुनिश्चित होगी। 
(iii) केंद्र एवं राज्य दोनों स्तरों की सरकारों के बीच भी सत्ता का विभाजन किया गया है। इस
उद्देश्य से ही तीन सूचियाँ बनाई गई है – संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची।
9. शिक्षा का अभाव लोकतंत्र के लिए चुनौती है? स्पष्ट करें। 
उत्तर – शिक्षित जनता ही राजनीति के प्रति सजग और अधिकारों के प्रति जागरूक हो सकती है। शिक्षित जनता ही प्रबुद्ध जनमत की अभिव्यक्ति कर सकती है। शिक्षा ही अधिकारों के प्रति जागरूक बनाती है। शिक्षा के अभाव में मतदाता अपने मताधिकार का सही प्रयोग नहीं कर पाते हैं। मताधिकार के दुरुपयोग से लोकतंत्र की नींव कमजोर होती है। शिक्षा का अभाव लोगों को सरकार के प्रति लापरवाह और उदासीन बना देता है। उन्हें सरकार के कामकाज में दिलचस्पी नहीं रहती है। अतः, अशिक्षा के अंधकार को मिटाना और शिक्षा का प्रसार लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक है।.
अथवा,
निर्देश : प्रश्न संख्या 10 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न है, जो अनिवार्य है, इनमें एक विकल्प भी है।
10. राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों की मान्यता कौन प्रदान करते हैं और इसके मापदंड क्या हैं?
उत्तर- राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय दलों की मान्यता निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदान की जाती है। किसी भी दल को राष्ट्रीय दल कहलाने के लिए निम्नलिखित मानदंड आवश्यक हैं। उत्तर
(i) लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार या अधिक राज्यों में कुल डाले गए वैध मतों का 6 प्रतिशत मत प्राप्त करना आवश्यक है।
(ii) साथ ही, किसी राज्य अथवा राज्यों से लोकसभा में चार सीटों पर विजयी होना आवश्यक है। अथवा, लोकसभा में कम से कम तीन राज्यों से 2 प्रतिशत सीटे प्राप्त करना आवश्यक है। 
(iii) कम-से-कम चार राज्यों राज्य पार्टी के रूप में मान्यता प्राप्त हो ।
किसी भी दल को राज्य स्तरीय दल कहलाने के लिए निम्नलिखित मापदंड आवश्यक है। 
(i) विधानसभा की कुल सीटों में 3 प्रतिशत मत प्राप्त करना
(ii) लोकसभा चुनाव में न्यूनतम हर 25 सीट में 1 सीट पर जीत हासिल करना 
(iii) कुल वैध मतों की 6 प्रतिशत प्राप्त करना ।
अथवा,
न्यायपालिका की भूमिका लोकतंत्र की चुनौती हैं। कैसे? इसे सुधारने के क्या उपाय हैं ? 
उत्तर – वर्तमान दौर में न्यायपालिका की भूमिका वास्तव में लोकतंत्र की चुनौती है। अनेक अवसरों पर ऐसा देखा गया है कि न्यायपालिका को कानून एवं विधि व्यवस्था के क्षेत्र में सक्रिय होना पड़ा है। और ऐसा तभी होता है जब विधायिका एवं कार्यपालिका अपने अधिकारों एवं दायित्वों के निर्वहन में विलंब, लापरवाही अथवा निष्क्रियता बरतते हैं। लाचार होकर कई बार न्यायपालिका ऐसी स्थिति में उन्हें फटकार लगाती है। अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्तियों द्वारा चुनाव लड़े जाने पर रोक हेतु न्यायपालिका ने कई बार कड़े कदम उठाए हैं, जबकि अपराधी प्रवृत्ति के लोगों द्वारा राजनीति में प्रवेश करने के तरीके में सुधार हेतु कानून निर्माण का कार्य विधायिका को करना चाहिए तथा इसे लागू करने का कार्य कार्यपालिका को करना चाहिए। विधायिका एवं कार्यपालिका को अपने अधिकार, कर्तव्य एवं उत्तरदायित्वों के प्रति सजग रहना होगा ताकि शासन का तीसरा अंग उनपर हावी न हो। जनहित याचिकाओं की बढ़ती तादाद कारण भी न्यायपालिका के कार्यों में वृद्धि हुई है जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह अपनी सीमा लाँघ रही है। अतः, स्पष्ट है कि न्यायपालिका की भूमिका लोकतंत्र की चुनौती है।
अर्थशास्त्र / Economics
निर्देश: प्रश्न संख्या 11 से 13 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं दो प्रश्न का उत्तर दें।
11. आर्थिक नियोजन क्या हैं? संक्षेप में व्याख्या करें।
 उत्तर – आर्थिक नियोजन का अभिप्राय राज्य अथवा एक निर्धारित सत्ता द्वारा संपूर्ण सामाजिक व्यवस्था के विस्तृत सर्वेक्षण के आधार पर आर्थिक निर्णय लेना । सबसे राष्ट्र अपनी स्थितियों एवं उद्देश्यों के अनुसार प्राथमिकताओं एवं लक्ष्यों का निर्धारण करता है। फिर, उपलब्ध संसाधनों का नियोजित ढंग से उपयोग किया जाता है ताकि पूर्व निर्धारित प्राथमिकताओं / लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त किया जा सके। इस तरह, आर्थिक नियोजन से जहाँ राष्ट्र की आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है, वहीं आर्थिक समस्याओं (गरीबी, बेरोजगारी आदि) के सुलझाने के उपाय भी नजर आने लगते हैं। 
12. क्रेडिट कार्ड क्या है ?
उत्तर— क्रेडिट कार्ड बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों को जारी एक विशेष प्रकार का कार्ड होता है । इस क्रेडिट कार्ड के द्वारा वे कुछ विशेष प्रतिष्ठानों से खरीदारी कर कार्ड से भुगतान कर सकते है। इस कार्ड के माध्यम से आप बैंक से ऋण लेकर खरीदारी कर सकते हैं। इसमें शर्त सिर्फ इतनी है कि आप 25-30 दिनों में पैसा वापस कर दें। इसके लिए कोई शुल्क नहीं लगता। किंतु, यदि आप निर्धारित अवधि में पैसे वापस नहीं कर पाते हैं तो आपको उधार के पैसों पर ब्याज देना होगा।
13. वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर–वैश्वीकरण का अर्थ विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं में सामंजस्य स्थापित करना और उन्हें एक-दूसरे से जोड़ना है। इस व्यवस्था में वस्तुओं के आयात एवं निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है। अंतर्गत विश्व की सभी अर्थव्यवस्थाएँ एक बाजार या एक अर्थव्यवस्था का रूप ले लेती हैं।
वैश्वीकरण की नीति के मुख्य अंग इस प्रकार हैं – 
(i) विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं के मुक्त प्रवाह को प्रोत्साहित करने के लिए व्यापार अवरोधों में कमी 
(ii) पूँजी का मुक्त प्रवाह 
(iii) प्रौद्योगिकी का मुक्त प्रवाह तथा 
(iv) श्रम एवं मानव संसाधनों मुक्त गतिशीलता । 
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न है, जो अनिवार्य है, इनमें एक विकल्प भी है।
निर्देश प्रश्न संख्या 14
14. गैर-सरकारी संस्थाएँ किस प्रकार सेवा क्षेत्र के विकास को सहयोग करती हैं, उदाहरण साथ लिखें।
उत्तर –सेवा क्षेत्र का विस्तार व्यापक है। जिन सेवाओं (जैसे – सैन्य सेवा, शिक्षा, स्वास्थ्य, अभियंत्रण, वित्त, बैंकिंग आदि) को सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है, उन्हें सरकारी सेवा कहने हैं। इन्हीं सेवाओं को गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा भी प्रदान किया जाता है। संचार सेवा के क्षेत्र में बी.एस.एन.एल. (सरकारी सेवा प्रदाता) के अलावा रिलायंस, आइडिया, वोडाफोन, एयरटेल आदि निजी कंपनियों भी हैं, जो मोबाइल एवं इंटरनेट की सेवा प्रदान करती हैं। गैर-सरकारी संस्थानों के माध्यम से ज्यादा-से-ज्यादा लोगों तक सेवा पहुँच पाती हैं। प्रतिस्पर्धा के कारण सेवा का मूल्य भी नियंत्रित रहता है। इसी प्रकार, शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी स्कूल एवं कॉलेज के साथ-साथ निजी स्कूल एवं कॉलेज भी शिक्षा प्रदान करने में संलग्न हैं। अतः, गैर-सरकारी संस्थाओं का सेवा क्षेत्र के विस्तार, उसकी गुणवत्ता एवं मूल्य नियंत्रण में प्रमुख भूमिका है।
अथवा,
 “उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986" की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें। 
उत्तर – उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा एवं उनके शोषण को रोकने के लिए सरकार ने 1986 में 'उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम' पारित किया। इस अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ निम्नांकित है। 
(i) अधिनियम के अंतर्गत अनुचित व्यापार तरीकों का प्रयोग करनेवाले, उत्पादकों एवं विक्रेताओं को दंड देने के स्थान पर उपभोक्ताओं की क्षतिपूर्ति की व्यवस्था की गई है। 
(ii) इसके लिए इस इस अधिनियम में राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तर पर एक अर्धन्यायिक तंत्र गठित किया गया है।
(iii) यह अधिनियम वस्तुओं और सेवाओं दोनों के क्रय-विक्रय पर लागू होता है। (iv) इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं की शिकायतों को शीघ्रता से कम खर्च में दूर करना है।
भूगोल / Geography
निर्देश : प्रश्न - संख्या 15 से 19 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं तीन प्रश्न का उत्तर
15. भारत के किन भागों में नदी डेल्टा का विकास हुआ है? 
उत्तर- नदियों के मुहाने पर उनके द्वारा लाई गई गाद के जमा होने से बना क्षेत्र जिसका आकार साधारण तौर पर त्रिकोणीय होता है, डेल्टा कहलाता है। भारत के पूर्वी भाग में गंगा-ब्रह्मपुत्र तथा महानदी, दक्षिण-पूर्वी भाग में गोदावरी तथा दक्षिण में कृष्णा एवं कावेरी नदियों द्वारा डेल्टा का विकास हुआ है। जलोढ मिट्टी के कारण इन डेल्टाओं की भूमि काफी उपजाऊ है।
16. चिपको आंदोलन का वर्णन करें।
उत्तर- - वृक्षों की कटाई रोकने के लिए सुंदरलाल बहुगुणा ने 1972 में 'चिपको आंदोलन शुरू किया। यह आंदोलन उत्तर प्रदेश (वर्तमान उत्तराखंड) के टिहरी गढ़वाल के स्थानीय लोगों के साथ मिलकर चलाया गया। इस आंदोलन में कटनेवाले पेड़ से एक व्यक्ति चिपक जाता था और पेड़ काटनेवालों से कहता था कि पहले मुझपर कुल्हाड़ी चलाओ। मेरे मरने के बाद ही तुम पेड़ काट सकोगे। इस प्रकार, इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी अक्षुण्ण रखी जा सकी। इसके साथ-साथ इस आंदोलन ने देश के अन्य क्षेत्रों के लोगों को वृक्षों के संरक्षण की प्रेरणा दी।
17. खनिजों के संरक्षण एवं प्रबंधन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर – खनिज अनवीकरणीय संसाधन है। अतः इनका संरक्षण आवश्यक है। अग्रांकित उपायों द्वारा खनिजों का संरक्षण और प्रबंधन किया जा सकता है।
(i) खनिजों का विवेकपूर्ण उपयोग।
(ii) कच्चे माल के रूप में खनिजों के स्थान पर उनके सस्ते प्रतिस्थापनों का उपयोग। 
(iii) स्क्रेप का पुनः उपयोग।
(iv) खनिज निक्षेप का पूर्ण संदोहन ।
18. सौर ऊर्जा का उत्पादन कैसे होता है ?
उत्तर – सौर ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए सोलर प्लेट का निर्माण किया जाता है। इस प्लेट में सीजियम धातु के पतले-पतले तार लगाए जाते हैं। जब इन तारों पर सूर्य प्रकाश पड़ता है तो फोटोवोल्टाइक प्रौद्योगिकी द्वारा धूप को सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जाता है। इसे विद्युत सौर प्लेट में लगे तार द्वारा उपयोग की जानेवाली वस्तु से जोड़ दिया जाता है। इस प्रकार, बिना अधिक खर्च के ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
19. भारत में सड़कों के प्रादेशिक वितरण का वर्णन प्रस्तुत कीजिए। 
उत्तर भारत में सड़कों का प्रादेशिक वितरण विषम है। सभी राज्यों में सड़कों का विकास एकसमान नहीं हुआ है। समान रूप से विकास नहीं होने मुख्य कारण है— भू-आकृति, केंद्र एवं राज्य सरकारों की उदासीनता एवं राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी। महाराष्ट्र में 2.70 लाख किलोमीटर लंबी पक्की सड़कें हैं जबकि उत्तर प्रदेश, ओडिशा में क्रमशः 2.47 लाख और 2.36 लाख किलोमीटर है।
20. भारत में सूचना और प्रौद्योगिकी उद्योग का विवरण दीजिए।  
उत्तर – भारत में सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक उद्योग तेजी से उभरता हुआ उद्योग है। देश में विद्युत उपकरण का निर्माण भोपाल, हरिद्वार, बेंगलुरु इत्यादि में होता है जबकि इलेक्ट्रॉनिक सामान बेंगलुरु, हैदराबाद, दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, कानपुर, पुणे, लखनऊ एवं कोयंबटूर में बनाए जाते हैं। बेंगलुरु इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग की राजधानी कहलाता है। देश में 18 सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क विकसित हैं। इस उद्योग का कुल उत्पादन 3.5 खरब रुपये का है। इसके निर्यात से एक खरब रुपये की प्राप्ति होती है।
अथवा,
समोच्च रेखा क्या है ? इसके द्वारा विभिन्न प्रकार के ढालों का प्रदर्शन किस प्रकार किया जाता है, किन्हीं पाँच का सोदाहरण वर्णन करें। 
उत्तर- समुद्र की सतह के समानांतर समान ऊँचाईवाले स्थानों को मिलानेवाली रेखा समोच्च रेखा कहलाती है। भिन्न-भिन्न ऊँचाई के लिए अलग-अलग रेखाएँ खींची जाती है। करीब-करीब समान दूरी पर खींची गई रेखाओं से समढाल को, सटी-सटी खींची रेखाओं से खड़ी ढाल को, निम्न भूमि की ओर सटी हुई और उच्च भूमि की ओर दूर-दूर खींची गई रेखाओं से उन्नतोदर ढाल को तथा निम्न भूमि की ओर काफी दूर-दूर और अधिक ऊँचाई पर पास-पास खींची गई रेखाओं से नतोदर ढाल को प्रदर्शित किया जाता है। इसी तरह सीढ़ीनुमा ढाल को विभिन्न रेखाओं के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है।

आपदा प्रबंधन / Disaster Management 
निर्देश: प्रश्न संख्या 21 से 23 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं दो प्रश्न का उत्तर
21. सुखाड़ से बचाव के तरीकों का उल्लेख करें। 
उत्तर – सुखाड़ से बचाव के कुछ तरीके निम्नांकित हैं। 
(i) पेयजल के सुरक्षित भंडारण एवं वितरण की व्यवस्था करना (ii) पशुओं के लिए पर्याप्त चारे की व्यवस्था करना । 
(iii) नहर, पईन और आहर की व्यवस्था करना का पर्याप्त उपाय करना । 
(iv) वर्षा जल संग्रहण का पर्याप्त उपाय करना ।
22. सुनामी से उत्पन्न तबाही से बचाव के कोई तीन उपाय बताइए।
उत्तर – सुनामी से उत्पन्न तबाही से बचाव के कुछ उपाय निम्नलिखित है। 
(i) समुद्री तटों पर अधिक संख्या में मैग्रोव के पेड़ लगाना चाहिए, जो सुनामी की को रोक सके। 
(ii) समुद्र के किनारे कंकरीट का मजबूत तटबंध बनाया जाना चाहिए। 
(iii) समुद्रतट से दूर बसाव होना चाहिए ।
23. आकस्मिक आपदा प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन की भूमिका का वर्णन करें। 
उत्तर – आकस्मिक आपदा जैसे संकट का सामना करने के लिए सरकारी एवं गैर-सरकारी स्तर पर अनेक प्रयास किए जाते हैं। परंतु, आकस्मिक आपदा प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन की भूमिका अधिक कारगर सिद्ध होती है। आकस्मिक आपदा की स्थिति में राहत शिविरों का निर्माण, बचाव कार्य हेतु आवश्यक उपकरण, प्राथमिक उपचार की सामग्रियाँ, डॉक्टर, एंबुलेंस, अग्निशामक इत्यादि की व्यवस्था जितना बेहतर तरीके से तथा शीघ्र समाधान स्थानीय प्रशासन कर सकता है, उतना कोई अन्य इकाई नहीं। इनके अधिकारी व्यर्थ के कागजी दाँवपेंच में समय नष्ट करने की अपेक्षा शीघ्र राहत राशि, उचित देखभाल तथा आवश्यक राहत सामग्रियों की व्यवस्था कर सकते हैं।





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