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1. अमेरिका हिन्द - चीन में कैसे दाखिल हुआ, चर्चा करें।
उत्तर- अमेरिका दक्षिणी वियतनाम और हिंदचीन में बढ़ते साम्यवादी प्रभाव को रोकना चाहता था। वह 1954 से ही दक्षिणी वियतनाम को आर्थिक और सैनिक सहायता दे रहा था। 1961 में अमेरिका ने ‘शांति को खतरा' नामक श्वेतपत्र जारी कर हो ची मिन्ह को जिम्मेवार ठहराया। इसलिए, दक्षिण वियतनाम के पक्ष में अमेरिका ने 1962 में सेना भेजकर प्रत्यक्ष रूप से भाग लिया।
2. बिहार के किसान आन्दोलन पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर -- बिहार में गाँधीजी के चंपारण सत्याग्रह और 'तीनकठिया' प्रणाली की समाप्ति के पश्चात किसानों में अपने अधिकारों के प्रति चेतना जगी। उन्हें जागृत और संगठित करने में किसान सभा की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। 1922-23 में मुंगेर में शाह मुहम्मद जुबैर ने किसान सभा का गठन किया। स्वामी सहजानंद ने 1928 में बिहटा में किसान सभा तथा 1929 में सोनपुर में प्रांतीय किसान सभा की स्थापना की। अखिल भारतीय आह्वान पर पर अप्रैल 1936 में बिहार में भी किसानों ने 'किसान दिवस' मनाया। किसानों ने बकाश्त आंदोलन चलाया और 1937 में बिहार विधानसभा के समक्ष विशाल प्रदर्शन किया।
3. शहरों के उद्भव में मध्यम वर्ग की भूमिका किस प्रकार की रही ?
उत्तर – पूँजीपति एवं श्रमिक वर्ग के साथ-साथ शहरों में मध्यम वर्ग का भी उदय और विकास हुआ। ये नए सामाजिक समूह के रूप में उभरे। इस समूह में बुद्धिजीवी, नौकरीपेशा समूह, राजनीतिज्ञ, चिकित्सक, व्यापारी प्रमुख थे। व्यावसायिक वर्ग नगरों के विकास का प्रमुख कारण बना जिससे शहरों को नया सामाजिक-आर्थिक स्वरूप प्राप्त हुआ। बुद्धिजीवी एवं राजनीतिक वर्ग ने नया राजनीतिक-सामाजिक चिंतन दिया तथा विभिन्न आंदोलनों को दिशा एवं नेतृत्व प्रदान किया।
4. भूमंडलीकरण के भारत पर प्रभावों को स्पष्ट करें।
उत्तर- भारत पर भूमंडलीकरण का प्रभाव जीविकोपार्जन और आर्थिक क्षेत्र में व्यापक रूप से पड़ा है। इसका प्रभाव सेवा क्षेत्र, बैंकिंग एवं बीमा क्षेत्र, पर्यटन उद्योग, सूचना और संचार के रूप में सर्वाधिक पड़ा है। कंप्यूटर, इंटरनेट, कॉल सेंटर, डिजिटल फोटोग्राफी, कूरियर सेवा का जनजीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। इसने बेरोजगारी को कम किया है तथा रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराए है। सरकारी नौकरियों पर दबाव कम हो गया है। नागरिकों का जीवन स्तर भी बढ़ा है।
6. राष्ट्रपति निक्सन के हिन्द-चीन में शांति के संबंध में पाँच सूत्री योजना क्या थी? इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर - वियतनामी गृहयुद्ध में अमेरिकी नीति की सर्वत्र कटु आलोचना हो रही थी। अमेरिका पर युद्ध समाप्त करने का लगातार दबाव बढ़ रहा था। सोवियत संघ और चीन, जो वियतकांग के समर्थक थे, भी अमेरिका पर दबाव डालने लगे। अतः, अमेरिकी नागरिकों एवं अंतरराष्ट्रीय दबाव से बाध्य होकर राष्ट्रपति निक्सन ने 1970 में शांतिवार्ता के लिए 'पाँच-सूत्री योजना प्रस्तुत की । इसकी शर्ते निम्नलिखित थीं
(i) हिंदचीन में सभी पक्ष युद्ध विराम कर यथास्थिति बनाए रखें।
(ii) अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों और संबद्ध देशों का यह उत्तरदायित्व होगा कि युद्धविराम का उल्लंघन नहीं हो।
(iii) युद्ध-विराम के दौरान कोई देश अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयास नहीं करेगा।
(iv) युद्ध - विराम के दौरान सभी प्रकार की लड़ाइयाँ, बमबारी और आतंकी कार्रवाइयाँ बंद रहेंगी।
(v) युद्ध-विराम का अंतिम लक्ष्य हिंदचीन में संघर्ष का अंत होना चाहिए। राष्ट्रपति निक्सन की योजना स्वीकृत नहीं हो सकी। फलतः पुनः युद्ध आरंभ हो गया। बमबारी आरंभ हो गई और नरसंहार जारी रहा। अमेरिका ओर तो शांति स्थापना के लिए प्रयास का दिखावा करता रहा तथा दूसरी ओर युद्ध में अपनी नृशंसता दिखलाता रहा। 1972 में उसने पुनः 'आठ-सूत्री योजना' प्रस्तुत की। परंतु, यह भी स्वीकार्य नहीं हो सका।
7.प्रथम विश्वयुद्ध के भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ अर्न्तसंबंधों की विवेचना करें।
उत्तर – (i) स्वराज-प्राप्ति की आकांक्षा - प्रथम विश्वयुद्ध आरंभ होने के समय ब्रिटिश सरकार ने यह घोषणा की थी कि सरकार का उद्देश्य भारत में एक उत्तरदायी शासन की स्थापना करना है। सरकार ने यह भी कहा कि वह जिन उद्देश्यों के लिए युद्ध में शरीक हो रही है उन्हें युद्ध की समाप्ति के बाद भारत में भी लागू किया जाएगा। इससे आशान्वित होकर भारतीय युद्ध प्रयासों में सरकार का सहयोग करने लगे, परंतु ऐसा हुआ नहीं। इससे राष्ट्रवादी गतिविधियाँ बढ़ गईं। स्वराज-प्राप्ति के लिए प्रयास तेज कर दिए गए!
(ii) युद्ध के आर्थिक परिणाम — युद्ध के दौरान सरकारी नीतियों की व्यापक प्रतिक्रिया हुई। युद्ध में भाग लेने के लिए बड़ी संख्या में भारतीयों को सेना में भरती कर उन्हें विदेश भेजा गया। इसपर आनेवाले खर्च के लिए सरकार ने सीमाशुल्क, अन्य करों में वृद्धि की तथा आयकर भी लगाया। इससे महँगाई और गरीबी बढ़ी जिससे जनता आक्रोशित हो उठी।
(iii) क्रांतिकारी गतिविधियों में वृद्धि – युद्धकाल में भारतसहित विदेशों में क्रांतिकारी गतिविधियाँ बढ़ गईं। बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, सरहदी इलाकों, कनाडा, अमेरिका में क्रांतिकारियों ने सरकार का तख्ता पलटने का प्रयास किया। इसे दबाने के लिए सरकार ने रॉलेट ऐक्ट बनाया जिसकी भारतीयों में तीखी प्रतिक्रिया हुई ।
(iv) राष्ट्रवादी गतिविधियों में वृद्धि– युद्धकाल में स्वराज-प्राप्ति के लिए प्रयास तेज कर दिए गए। होमरूल आंदोलन द्वारा पूरे देश में स्वशासन की माँग लिए वातावरण तैयार किया गया। 1916 में काँग्रेस-मुसलिम लीग के लखनऊ समझौता द्वारा हिंदू-मुसलिम एकता के प्रयास को बढ़ावा दिया गया। काँग्रेस के उदारवादियों और राष्ट्रवादियों का भी मेल हुआ जिससे संगठित राष्ट्रवादी गतिविधियाँ बढ़ीं। गाँधीजी का राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पण भी हुआ जिससे राष्ट्रीय आंदोलन को नई दिशा मिली।
(v) संवैधानिक सुधारों की घोषणा - भारत सचिव मांटेग्यू ने अगस्त 1917 में संवैधानिक सुधारों की घोषणा की। इसके आधार पर 1919 में मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड योजना लागू की गई । राजनीति विज्ञान 7 Political Science निर्देश : प्रश्न - संख्या 7 से 9 तक लघु उत्तरीय प्रश्न हैं। इनमें से किन्हीं दो प्रश्न का उत्तर दें।
8. भारत की संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है ?
उत्तर – सोलहवीं लोकसभा में पहली बार सर्वाधिक 65 महिलाएँ निर्वाचित होकर आई और उनके प्रतिनिधित्व का प्रतिशत 11.97 हो गया है। विकसित देशों में भी विधायिकाओं में महिलाओं की स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती। लेकिन, भारत में तो विधायिकाओं में इनकी स्थिति विकसित देशों की तुलना में भी कम है। राज्य विधानसभाओं में उनके प्रतिनिधित्व का प्रतिशत इससे भी कम है।
9. गठबंधन की राजनीति कैसे लोकतंत्र को प्रभावित करती है ?
उत्तर – वर्तमान दौर में गठबंधन की राजनीति समय की माँग बन गई है। इससे लोकतंत्र अपने-आपको अछूता नहीं रख सकता । अब केंद्र तथा बिहार समेत कुछ राज्यों में कोई एक राजनीतिक दल अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि अब भारतीय राजनीति में एक राजनीतिक दल के वर्चस्व का दौर लगभग समाप्त हो चुका है। अतः स्पष्ट है कि गठबंधन की राजनीति लोकतंत्र को गहरे ढंग से प्रभावित करती है।
10. राजनीतिक दलों को "लोकतंत्र का प्राण" क्यों कहा जाता है ? "
उत्तर- लोकतंत्र में राजनीतिक दलों का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। सरकार के संचालन में ये महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राजनीतिक दल चुनाव में भाग लेते हैं, अपने उम्मीदवार तथा चुनाव में जीत हासिल करने पर सरकार का निर्माण करते हैं। ये कि देशों में जीवन का एक अंग बन चुके हैं। ये जनता को राजनीतिक हैं। ये न केवल राजनीतिक कार्य करते हैं, बल्कि गैर-राजनीतिक कार्य हैं। बाढ़, सुखाड़, आगजनी, भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान ये की सेवा कर सरकार को सहयोग प्रदान करते हैं। राजनीतिक दल जनता एवं सरकार के मध्य सेतु का भी कार्य करते हैं।
इसके साथ ही साथ विपक्ष में रहनेवाली पार्टियाँ सरकार की गलत नीतियों की आलोचना करके. उचित मार्गदर्शन प्रदान करती है। अतः स्पष्ट है कि राजनीतिक दलों के बिना हम लोकतंत्र की कल्पना कर ही नहीं सकते। यही कारण है कि राजनीतिक दलों को 'लोकतंत्र का प्राण' कहा जाता है। ,
11.परिवारवाद और जातिवाद बिहार में किस तरह लोकतंत्र को प्रभावित करता है ?
उत्तर – बिहार की राजनीति में परिवारवाद और जातिवाद एक स्थापित तथ्य बन गया है। 20वीं सदी के सातवें दशक में जातियाँ राजनीति की धुरी बनकर सामने आई। जातियों को गोलबंद कर जातीय भावना फैलाई जाती है। इस भावना का इस्तेमाल कर राजनीतिक सत्ता की प्राप्ति की कोशिश की जाती है। जाति के आधार चुनाव में प्रत्याशी चुने जाते हैं। मंत्रिमंडल के गठन में जाति का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। फलतः, बिहार की राजनीति जातियों के इर्द-गिर्द घूमती है। परिवार के लोगों को आगे लाने की कोशिश में जाति का तत्त्व सहायक होता है। यह प्रवृत्ति राजनीति की छवि और लोकतंत्र की पारदर्शिता को प्रभावित करती है। परिवारवाद और जातिवाद से राजनीति में व्यक्ति के व्यक्तिगत गुणों का महत्त्व समाप्त होता है, सार्वभौमिक गुणों का महत्त्व घटता है और राजनीति व्यक्तिगत स्वार्थ की पूर्ति का साधन बन जाती है।
12. "राष्ट्रीय आय" की गणना में होने वाली कठिनाईयों का वर्णन करें।
उत्तर - राष्ट्रीय आय की गणना में पहली कठिनाई पर्याप्त एवं विश्वसनीय आँकड़ों की कमी है। भारत जैसे अर्द्धविकसित एवं पिछड़े हुए देशों में यह कठिनाई और अधिक होती है। राष्ट्रीय आय की गणना करते समय कई बार एक ही आय को दुबारा गिन लिया जाता है। देश में उत्पादित बहुत-सी वस्तुओं का मुद्रा के द्वारा विनिमय नहीं होता है। अतएव, इस प्रकार की वस्तुओं का मूल्यांकन कैसे किया जाए? इन्हें शामिल नहीं करने से राष्ट्रीय आय का अल्प मूल्यांकन होगा।
13. ए०टी०एम० (ATM) क्या है ?
उत्तर- ए.टी.एम०, अर्थात स्वचालित टेलर मशीन (Automated Teller Machine) एक ऐसी मशीन है जिससे किसी बैंक का खाताधारक एक प्लास्टिक कार्ड द्वारा 24 घंटे पैसे की निकासी कर सकता है। इसे कई तरह की खरीदारी एवं बिल के भुगतान के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। इस कार्ड की सहायता से हम जब आवश्यक हो तभी पैसे की निकासी कर सकते हैं। मुद्रा लेकर रखने की निर्भरता घट जाती है।
14. आधारभूत संरचना किसे कहते हैं?
उत्तर- भौतिक आधारिक संरचना / आधारभूत ढाँचा पर ही अर्थव्यवस्था की अधिरचना (superstructure) खड़ी होती है। इस दृष्टि से यह अर्थव्यवस्था की नींव है। बिजली, सड़क, पानी, परिवहन एवं दूरसंचार की सुविधा के बिना आधुनिक समय उत्पादन की कल्पना नहीं की जा सकती। निवेश आकर्षित करने तथा उत्पादन बढ़ाने में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। जिस देश/प्रदेश की आधारभूत संरचना जितनी विस्तृत एवं सुदृढ़ होगी, वह उतनी ही तेजी से विकसित होगा। आधारिक संरचना का हम सीधे भी उपभोग करते हैं, जैसे – बिजली, मोबाइल सेवा आदि। अतः, जीवन स्तर ऊपर उठाने में ये प्रत्यक्ष रूप से सहायक है।
15. राष्ट्रीय वित्तीय संस्थान किसे कहते हैं? इसे कितने भागों में बाँटा जाता है ? वर्णन करें।
उत्तर- राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाएँ वे हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर वित्त प्रबंधन तथा साख अथवा ऋण के लेन-देन का कार्य करती हैं। इन वित्तीय संस्थाओं को प्राय: दो वर्गों में विभाजित किया जाता है - मुद्रा की वित्तीय संस्थाएँ तथा पूँजी बाजार की वित्तीय संस्थाएँ । मुद्रा बाजार की वित्तीय संस्थाएँ साख या ऋण का अल्पकालीन लेन-देन करती है। इसके विपरीत, पूँजी बाजार की संस्थाएँ उद्योग तथा व्यापार की दीर्घकालीन साख की आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। मुद्रा बाजार की वित्तीय संस्थाओं में बैंकिंग संस्थाएं सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं। भारतीय बैंकिंग प्रणाली के शीर्ष पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है। यह देश की संपूर्ण बैंकिंग व्यवस्था का नियमन एवं नियंत्रण करता है। व्यावसायिक बैंकों का मुख्य कार्य जनता की बचत को जमा के रूप में स्वीकार करना तथा उद्योग एवं व्यवसाय को उत्पादक कार्यों के लिए अल्पकालीन ऋण प्रदान करना है। वित्तीय संस्थाओं में पूँजी बाजार की संस्थाएँ भी महत्त्वपूर्ण हैं | मुद्रा बाजार की संस्थाएँ उद्योग एवं व्यापार की अल्पकालीन साख की आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। इनकी दीर्घकालीन साख या पूँजी की व्यवस्था पूँजी बाजार से होती है। पूँजी बाजार वह है जिसमें व्यावसायिक संस्थानों के हिस्सों तथा ऋण-पत्रों का क्रय-विक्रय होता है। पूँजी बाजार के दो मुख्य अंग है— प्राथमिक बाजार तथा द्वितीयक बाजार। प्राथमिक बाजार का संबंध कंपनियों के नए हिस्सों के निर्गमन से होता है। द्वितीयक बाजार को स्टॉक एक्सचेंज या शेयर बाजार भी कहते हैं। इस बाजार में बड़ी कंपनियों के वर्तमान हिस्सों और ऋण-पत्रों का क्रय-विक्रय होता है।
16. परमाणु शक्ति किन-किन खनिजों से प्राप्त होती है ?
उत्तर – परमाणु शक्ति (नाभिकीय ऊर्जा) निम्नलिखित खनिजों से प्राप्त होती है— यूरेनियम, थोरियम, नियोबियम, टेंटेलम, बेरीलियम, जिरकोनियन, लीथियम, यिट्रीयम आदि ।
17. स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को सोदाहरण सहित वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर – स्वामित्व के आधार पर उद्योग चार प्रकार के होते हैं ।
(i) निजी क्षेत्र के उद्योग, जैसे- जमशेदपुर का लोहा - इस्पात कारखाना।.
(ii) सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग, जैसे— भेल, सेल, एच. ई०सी० ।
(iii) संयुक्त क्षेत्र के उद्योग, जैसे— ऑयल इंडिया लिमिटेड।
(iv) सहकारी क्षेत्र के उद्योग, जैसे- दक्षिण भारत की अधिकतर चीनी मिलें।
18. सोन नदी घाटी परियोजना से उत्पादित जल विद्युत का वर्णन कीजिए।
उत्तर – दक्षिण-पश्चिम बिहार की प्रसिद्ध नदी सोन पर विकसित सोन नदी परियोजना विनों से एक सिंचाई परियोजना के रूप में आरंभ की गई थी। इस परियोजना के अंतर्गत जल संग्रहण के लिए 'बाण सागर' जलाशय का निर्माण किया गया। इस नदी पर डेहरी-ऑन-सोन के निकट 1,020 मीटर लंबा तथा 63 मीटर ऊँचा बाँध बनाया गया है। बाँध से 10 किलोमीटर ऊपर हटकर इंद्रपुरी बराज बनाया गया है। इसका उद्देश्य ऊँची भूमि पर उच्चस्तरीय नहर प्रणाली द्वारा सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना है। संयोजक नहरों द्वारा पुरानी नहरों में भी जल की आपूर्ति की जाती है। इस परियोजना के तहत कम क्षमता के दो जलविद्युत केंद्र स्थापित किए गए हैं।
19. बिहार के प्रमुख ऊर्जा स्रोतों का वर्णन कीजिए और किसी एक स्रोत का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर – बिहार के प्रमुख ऊर्जा स्रोतों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है परंपरागत और गैर-परंपरागत। परंपरागत ऊर्जा स्रोत के अंतर्गत तापीय विद्युत और जल विद्युत आते हैं जबकि गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत के अंतर्गत सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायोगैस आदि आते हैं। बिहार का प्रमुख ऊर्जा स्रोत तापीय विद्युतशक्ति है। कहलगाँव, काँटी और बरौनी बिहार के पुराने विद्युत तापीय केंद्र हैं जहाँ से विद्युत उत्पादन कर अपने राज्य को तथा पड़ोसी राज्यों को इसकी आपूर्ति की जाती है। यहाँ के कुछ प्रस्तावित विद्युतशक्ति केंद्र है- बाढ़, नवीनगर, ढेलाबाग, बेलसार आदि।
20.उच्चावच प्रदर्शन की प्रमुख विधियों का उल्लेख कीजिए ?
उत्तर - मानचित्र पर निम्नलिखित विधियों द्वारा उच्चावच का प्रदर्शन किया जाता है।
(क) पर्वतीय छायाकरण-किसी ऊँचे भूभाग पर ऊपर से प्रकाश पड़ने पर उसका कुछ क्षेत्र प्रकाश में रहता है और कुछ छाया में। छायादार क्षेत्र को ढाल वाला क्षेत्र मान लिया जाता है तथा प्रकाशित क्षेत्र को ऊँचा क्षेत्र । इस विधि से ऊँचाई-निचाई की सामान्य जानकारी प्राप्त होती है ।
(ख) रंगविधि या स्तर रंजन-स्थल की विभिन्न ऊँचाइयों को मानचित्र पर विभिन्न रंगों द्वारा प्रदर्शित करने की विधि को स्तर रंजन या रंगविधि कहा जाता है। जलीय भाग को नीले रंग में, मैदानी भाग को हरे रंग में और पठारी भाग को भूरे रंग में दिखाया जाता है।
21. आपदा प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर – आपदा प्राकृतिक हो या मानवकृत, इसका सीधा असर आम जनजीवन पर पड़ता है। आपदा के कारण धन-जन की व्यापक हानि होती है तथा राष्ट्र का विकास भी दुष्प्रभावित होता है। अतः, यह आवश्यक है कि आपदा का प्रबंधन किया जाए। यह प्रबंधन आपदा-पूर्व एवं आपदा - पश्चात, दो प्रकार का होना चाहिए। आपदा प्रबंधन हेतु व्यवस्था पंचायत स्तर से लेकर प्रखंड, जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक की जानी आवश्यक है।
22. भूकंप और सुनामी के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – भूकंप एवं सुनामी दोनों प्राकृतिक आपदाएँ हैं। जब पृथ्वी की आंतरिक गतिविधियों के कारण धरातल पर अचानक कंपन उत्पन्न होता है तब इसे भूकंप कहा जाता है। जब इस प्रकार का कंपन सागर या महासागर के तल पर होता है तब इसे सुनामी कहा जाता है।
23. प्राकृतिक आपदा में उपयोग होने वाली किसी एक वैकल्पिक संचार माध्यम की चर्चा कीजिए।
उत्तर-आपदाकाल में सामान्य संचार व्यवस्था के ध्वस्त होने पर विभिन्न वैकल्पिक संचार उपयोग में लाए जाते हैं। इनमें हैम रेडियो की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इस माध्यम में विशिष्ट उच्च आवृत्ति वाले तरंगों का उपयोग होता है। इसे बैटरी या जेनेरेटर से चलाया जाता है। यह सैटेलाइट के सहारे ही संचार व्यवस्था करता है।
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