प्रश्न . दैनिक जीवन में pH का महत्त्व स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-pH का हमारे दैनिक जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है-
(i) मानव और जंतु जगत में - हमारे शरीर की अधिकांश 7.8pH परास के बीच काम करती हैं। हम इसी संकीर्ण परास में ही जीवित रह सकते हैं। हमारे रक्त, आँसुओं, लार आदि का pH लगभग 7.4 होता है। यदि यह 7.0 से कम हो जाता है या 7.8 से बढ़ जाता है तो जीवन असंभव-सा हो जाता है। वर्षा के जल से pH का मान जब 7 से कम होकर 5.6 हो जाता है तो उसे
अम्लीय वर्षा कहते हैं। अम्लीय वर्षा का जल जब नदियों में बहता है तो नदी के जल का pH मान कम हो जाता है जिस कारण जलीय जीवधारियों का जीवन कठिन
हो जाता है।
(ii) पेड़-पौधों के लिए पेड़-पौधों की अच्छी वृद्धि और अच्छी उपज के लिए मिट्टी के pH परास की विशेषता बनी रहनी चाहिए। यदि यह अधिक अम्लीय या क्षारीय हो जाए, तो उपज पर कुप्रभाव पड़ता है।
(iii) पाचन-तंत्र-हमारे पेट में HCI उत्पन्न होता रहता है जो हमें बिना हानि पहुँचाए भोजन के पाचन में सहायक होता है। अपच की स्थिति में इसमें अम्ल की मात्रा अधिक बनने लगती है जिस कारण पेट में दर्द और जलन अनुभव होता है
इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए एंटैसिड जैसे क्षारकों का प्रयोग करना पड़ता इसके लिए प्रायः मिल्क ऑफ मैग्नीशियम जैसे दुर्बल क्षारक का प्रयोग करना आवश्यक हो जाता है।
(iv) दंत-क्षय-हमारे मुँह के pH मान 5.5 से कम होने पर दाँतों का क्षय शुरू हो जाता है। हमारे दाँत कैल्सियम फॉस्फेट से बने होते हैं जो शरीर का सबसे कठोर पदार्थ है। यह जल में नहीं घुलता पर मुँह की pH मान 5.5 से कम होने पर यह नष्ट होने लगता है। मुंह में उपस्थित जीवाणु, अवशिष्ट शर्करा और खाद्य पदार्थों के निम्नीकरण से अम्ल उत्पत्र होते हैं। इनसे छुटकारा पाने के लिए क्षारकीय दंतमंजन का प्रयोग किया जाना चाहिए। इससे अम्ल की अधिकता उदासीन हो जाती
है और दाँत क्षय से रोके जा सकते हैं।
(v) जीव-जंतुओं के डंक से रक्षा—जब जीव जंतु कभी डंक मार देते हैं तो वे हमारे शरीर में विशेष प्रकार के अम्ल छोड़ देते हैं। मधुमक्खी भिरंड, चींटी, आदि
मेथैनॉइक अम्ल हमारे शरीर में डंक के माध्यम से पहुंचा देते हैं। इससे उत्पन्न पीड़ा से मुक्ति के लिए डंक मारे गए अंग पर बेकिंग सोडा जैसे दुर्बल क्षारक का प्रयोग करना चाहिए।
(vi) विशेष पौधों से रक्षा-नेटल (Nettle) पौधे के पत्तों पर डंकनुमा बाल होते हैं। उन्हें छू जाने से डंक जैसा दर्द होता है। इन बातों से मेथैनॉइक अम्ल का स्राव होता है जो दर्द का कारण बनता है। पारंपरिक तौर पर इस पीड़ा मुक्ति डॉक पौधे की पत्तियों को डंक वाले स्थान पर रगड़कर पाई जाती है।
Md.Nezamuddin sir
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें